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अब तक आपने पढा, सुरेश ने मुझे उसके लंड की मालिश करने को कहा। तो मैने भी उसकी बात मान ली और तेल लगाकर उसके लंड की मालिश करने में लग गया। थोडी देर बाद उसने मुझे रोक दिया और बेड पर उल्टा लेटने को कहा। मेरे उल्टा लेटते ही रमेश ने उसके हाथ पर क्रीम लेकर उसे मेरी गांड पर मलने लग गया। फिर उसने धीरे से अपनी एक उंगली को मेरी गांड के छेद पर रखकर अंदर घुसाना चाही, लेकिन वह उंगली को अंदर घुसा नही पाया। तो उसने और क्रीम लेकर मेरे गांड के छेद पर क्रीम लगाकर क्रीम को छेद के अंदर करने लगा।

फिर सुरेश ने मेरे कान के पास आकर कहा, "अपनी गांड को रिलैक्स छोड दो, नही तो तुम्हे ही ज्यादा दर्द होगा।"

तो मैंने अपनी गांड ढीली छोड दी। और वह फिर से मेरी गांड में अपनी उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। उंगली जाने में बहुत तकलीफ हो रही थी। लेकिन फिर भी दोनों में से किसी ने ना नही कहा। थोडी देर बाद उंगली का अग्रभाग गांड के छेद में चला गया। अब सुरेश ने उंगली के लिए मेरी गांड में जगह बनाने की कोशिश जारी रखी।

थोडी और मेहनत के बाद वह अपनी पूरी उंगली मेरी गांड में अंदर बाहर कर सकता था। जैसे ही उसने देखा, एक उंगली आसानी से गांड के छेद में अंदर बाहर हो रही है, सुरेश ने उंगली बाहर निकाल ली। और उसने मेरे चुतड़ों को अपने दोनों हाथों से फैला दिया और एक साथ अपनी दो उंगलियां मेरी गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा।
एक उंगली घुसाने के लिए इतनी मेहनत करनी पडी थी, तो दो उंगलियां एकसाथ घुसाने के लिए उससे ज्यादा मेहनत करनी ही पडती। और मुझे दर्द भी तो पहले से ज्यादा सहना पडता।

लेकिन मै दर्द सहने के लिए तैयार था, और उस हिसाब से अपना मन बना चुका था। पहले तो दो उंगलियां वह एक साथ नही घुसा पाया, तो उसने और क्रीम लेकर छेद पे मल दी। क्रीम लगाने के बाद धीरे धीरे वह अपनी दो उंगलियां एक साथ अंदर को धकेल रहा था। सुरेश ने तब तक मेरी गांड में उंगली करना नही छोडा, जब तक तीन उंगलियां आसानी से मेरी गांड में अंदर बाहर ना हो।

जब मेरी गांड ने तीन उंगलियों के लिए जगह बना ली, तब उसने एक बार बहुत तेजी से उन्हें अंदर बाहर करके देखा। उसके बाद सुरेश ने क्रीम लेकर अपने लंड पर मल दी और खुद मेरे ऊपर चढने के लिए तैयार होने लगा। यह सब चलते हुए मेरे मन मे अजीब सी सुरसुरी सी हो रही थी।

फिर सुरेश उठा और उसने एक तकिया लेकर मेरी कमर के नीचे तकिया रखा। अब नजारा कुछ इस तरह था, मै नंगा अपने बेड पर उल्टा लेटा हूं और सुरेश मेरी गांड मारने के लिए अपना लंड हाथ मे लिए बिल्कुल तैयार से अपने घुटनों के बल बैठा था।

सुरेश ने मेरे पैरों को फैला दिया, और खुद उनके बीच आ गया। मेरे दोनों पैरों के बीच आकर सुरेश ने झुककर मेरे चुतड़ों पे एक एक चुम्मी दे दी। और फिर उनको अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया। फिर उसने अपने एक हाथ मे लंड पकडकर मेरी गांड के छेद पर रखा और दूसरे हाथ से मेरी कमर पकड ली। अब बस धक्का लगाने की देरी थी, मुझे पता था, शुरू के दर्द होगा। लेकिन उसके बाद आनेवाले मजे को लेकर मै इस दर्द को सहने के लिए तैयार था।

फिर सुरेश ने एक हल्का सा धक्का मार दिया, जिससे उसके लंड का टोपा मेरे गांड की छेद में घुस गया। मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, अगर सही समय पर सुरेश ने अपने हाथ से मेरा मुंह बंद नही किया होतो तो, मेरे मुंह से चीख ही निकल जाती। लेकिन उसने मेरा मुंह बंद करके चीख अंदर ही दबा दी। उसने मुझे थोडा समय दिया उसके बाद मेरे मुंह पे हाथ रखकर एक जोर का धक्का मारा, जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड अब मेरी गांड के अंदर था।

इस धक्के के बाद मुझे ऐसा लग जैसे किसीने चाकू से मेरी गांड फाड दी हो। बहुत तेज जलन होने लगी थी, लेकिन उसने मेरा मुंह बंद रखा था तो मै वह बात भी उससे नही बता सकता था। तब वह मुझे थोडा नॉर्मल करने के लिए, मेरी पीठ पर चुमे जा रहा था, मेरे बदन को सहलाने लगा। उसने सहलाते हुए ही मेरे टट्टों को अपने हाथ मे लिया और उन्हें हिलाने लगी, फिर मेरी नून्नी को हिलाने लगी। थोडी ही देर बाद मेरा दर्द खत्म हो गया और मै अपने आप ही अपनी गांड हिलाने लग गया।

जैसे ही सुरेश ने देखा कि, मै अपनी गांड हिला रहा हुं, उसने अपने लंड को और अंदर घुसाने की कोशिश किये बिना, उतने से ही लंड अंदर बाहर करने लगा। वह बस थोडा सा लंड बाहर खींचता और फिर उसे अंदर धकेल देता। फिर कुछ धक्कों के बाद सुरेश के लंड से वीर्य निकल गया, और वह ढीला पड गया। उसने अपना सारा वीर्य मेरी गांड में ही उडेल दिया। और इस तरह मेरी गांड का उदघाटन हुआ, और मै गांडू बन गया।

उस दिन के बाद तो यह सब हमारे दिनचर्या का ही एक हिस्सा बन गया। स्कूल के बाद रोज सुरेश मेरे घर आता, और मेरी गांड में अपना लंड घुसाकर अपना पानी निकलने तक अंदर बाहर करता। थोडी देर बाद अपना वीर्य मेरी गांड में उडेलकर फिर अपने घर निकल जाता था। एक दिन सुरेश ने कहा, उसका एक दोस्त भी हमे जॉइन करना चाहता है। लेकिन उसके साथ पूरे खुलकर मजे करने के लिए हमे घर पूरा खाली चाहिए होगा।

तो हम जैसे मौके की तलाश में ही रहते, कब हमे घर खाली मिले। बहूत जल्द ही भगवान ने हमारी बात सुन ली, और सुरेश के घरवाले उसके मामा की शादी में तीन दिन के लिए जाने वाले थे। जिस दिन वह घर से निकले उसी दिन हम उसके घर पर इकट्ठा हो गए। मै, सुरेश और उसका दोस्त रामु।

रामु को मैने पहले कभी स्कूल में नही देखा था, लेकिन मुझे उससे क्या मतलब? मुझे तो बस उसके लंड से लगाव था, जो कि उसे देखकर लग रहा था काफी बडा होगा।
फिर घर के दरवाजे और खिडकियां ठीक से बंद करके हम हॉल में बैठ गए। तो मैने ही पहल करते हुए कहा, "तुम लोग और किसी का इंतजार कर रहे हो क्या, जो इतना रुके हुए हो।"

मेरी इस बात पर सुरेश आगे बढने लगा और मेरे पास आकर उसने मेरे कपडे उतार दिए। मेरे कपडे उतारने के बाद वह रामु को बोला, वह भी कपडे उतारकर हमारे साथ आ जाये। रामु भी शायद इसी पल का इंतजार कर रहा था, उसने पलक झपकते ही अपने कपडे उतार दिए और खुद नंगा होकर ही मेरे सामने आ खड़ा हुआ। उसका लंड भी सुरेश के लंड की तरह ही था, लगभग वही साइज था दोनों का।

फिर उन्होंने मुझे सोफे पर उल्टा होकर लिटा दिया और एक मेरे पीछे आ गया और रामु मेरे आगे आकर खडा हो गया। रामु ने उसके एक हाथ मे अपना लंड पकड कर रखा हुआ था, और दूसरे हाथ से मेरे सर पर हाथ फेर रहा था। उसे देखकर मै समझ गया कि, यह चाहता है, मै इसका लंड चूस चूसकर पानी निकालूं। अब मै उससे ना भी नही कर सकता था। तो मैने ही पहले थोडा थोडा करके उसके लंड को अपने मुंह मे भर ही लिया।

उसने शायद लंड ठीक से साफ नही किया था, तो बहुत ही बेकार से स्वाद आने लगा। एक बार को तो मुझे लगा था कि, मै कहीं उल्टी ना कर दूं। मुझे उबकाई सी आ रही थी, जिसे रामु ने कभी बाहर निकलने ही नही दिया। जब सुरेश ने देखा कि, रामु मुझसे अपना लंड ठीक से चुसवा रह है, वह मेरी गांड पर अपना लंड रखकर तैयारी करने लगा। और अगले ही पल उसने अपना लंड मेरी गांड के अंदर डाल भी दिया।

अब तो मुझे सुरेश के लंड की आदत हो चुकी थी, तो मेरी गांड ने उसके लंड के लिए ठीक जगह बना ली थी।

मेरे मुंह में भी लंड होने की वजह से मै सिसकारियां भी नही निकाल सकता था। मेरी गांड मारते मारते सुरेश ने मेरे चुतड़ों पे भी चांटे लगाने शुरू कर दिए। और इधर रामु ने थोडी देर आराम से अपना लंड चुसवाया लेकिन उसके बाद उसने मेरा सर पकड लिया और मेरे मुंह को चोदने लगा। अब रामु का लंड मेरे गले तक अंदर जाकर फिर बाहर निकलता।

दोनों ने इसी पोजिशन में मुझे तब तक उनके लंड से परेशान किया जब तक उनका वीर्य निकल नही जाता। हर बार की तरह सुरेश ने अपना वीर्य मेरी गांड में ही छोड दिया और रामु ने उसका सारा वीर्य मेरे मुंह मे छोडा।
रामु का वीर्य मै बाहर थूकने लगा ही था कि, उसने मुझे रोक दिया और पीने बोला। पीछे से सुरेश ने मेरे बाल पकडकर अपनी तरफ खींचते हुए मुझे वो वीर्य पीने पर मजबूर कर दिया।

अगले तीन दिन तक रामु और सुरेश रोज मेरी गांड अलग अलग पोजिशन में लेते, और आखिर में मुझे उनका वीर्य पिला देते।

उसके बाद भी बहुत लोगों ने मेरी गांड मारी है। आपको यह कहानी कैसी लगी हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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