नाच के बहाने चुत का पाठ पढाया

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हाई दोस्तों,

मेरा नाम करण सिंह और आज मैं आपको एक ऐसी लड़की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसने कभी चुत - चुदाई और उसके दर्द को कभी कभी ना समझा था | हालाँकि वो मुझसे मुझसे उम्र छोटी थी पर पुरी तरह से खिलकर कमल का फुल हो चुकी थी और उसकी चुत भी शायद अंदर से चुदाई की पुकार कर रही थी जिसकी पुकार आखिर मैंने एक दिन सुन ही ली और शायद पूरी हद तक पूरी कर दी | दोस्तों मैं एक मशहूर शहर में लोगों को नाचना शिखाता हूँ और करीब १५० बछ एमरे यहाँ अलग - अलग समय में सिखने भी आते हैं |

यूँ तो मैं चुत का इतना शौक़ीन नहीं हूँ पर एक लड़की की भरी जवानी ने उसकी चुत का शौक रखने में मुझे मजबूर ही कर दिया | उसका नाम जसवी था और वो अक्सर ही दोपहर को अपनी कुछ दोस्तों के साथ मेरी क्लास में नाच सिखने के लिए आया करती थी | वो अपनी सभी दोस्तों को मुकाबले इतना अच्छा नहीं नाचती थी इसी कारण मैंने उसके अकेले में क्लास लेने और आची तरह से उसे सिखाने की सोची और गलती से उसे चुदाई का पाठ पढ़ा डाला | उस दिन दोपहर को सब बच्चों के जाने के बाद उसे अकेले में ही सिखा रहा था |

हुआ हुआ यूँ उसके कदम और हाथ की दिशा सही से बन रही थी जिसके कारण अब मुझे उसके हाथ और कभी उसे पीछे सुकी कमर को पकड़ सहारा लगन पड़ जाता था | उसने उस वक्त एक छोटी सी कर्ट और उप्पर के कसा हुआ टॉप पहना था जिसपर से उसके चुचों का उभार्साफ मेरी नज़रों के सामने था | मैं जब उसे सिखा रहा था उसके हाथों और बाहों को पकडे हुए तो मैंने ध्यान दिया की अब उसका ध्यान और हटा जा रहा था | मैंने जब उसकी शकल को ध्यान से सिखा तो उसकी नज़रें एक दम खामोश थी और वो एक शांत पड़ी हुई थी | मैंने उससे जब पुछा की क्या कारण है तो वो मुझे कुछ जवाब ना दे पाई पर शयद सब कुछ समझा चुका था और अंदर से उत्तेजित होता चला गया |

मैं अब जान बुझ कर उसकी बाहों को अपनी हटली से सहलाते हुए उसे सिखाने का प्रयत्न किया जिसे वो फिर से एक दम सुन पड़ गयी और मेरा सामने मुड़कर खड़ी रही | मैं उसे देखता हुआ उसके बाहों को सहलाता आज अ रहा था | धीरे - धीरे मेरा एक हाथ उसके टॉप के अंदर चलता चला गया उसकी कमर से होता हुआ उसके पेट पर पहुँच गया | मैं उसे गरम करता हुआ अपनी एक ऊँगली को उसकी नाभि के चारों और घुमाने लगा | अब तो उसकी गर्म आहें छूट रही थी और मैंने फटाफट उसके चुचों को भींचते हुए उसके टॉप को वहीँ खड़े - खड़े उतार दिया | मैं उसके छोटे - छोटे चूचकों को अपने होठों के तले मिस्मिसात हुए चूसने लगा | मेरा पास वक्त की पाबन्दी थी इसीलिए मैंने उसकी स्कर्ट को भी उप्पर की और उघाड़ दिया और उसकी नीली पैंटी को नीचे को खींच दिया |

मैंने उसे वहीँ सीडी पर बिठाते उसकी चुत में ऊँगली करने लगा | मैंने अब जहत से अपने तने हुए मोटे लंड को निकाला और उसके उप्पर चड़ते हुए उसकी चुत में अपने लंड को दे मारा और देदनादन चोदना शुर कर दिया | मैं बिलकुल मज़े में था और वो दर्द से चींख रही थी | मैं उसकी एक चींख के उप्पर भी ध्यान ना दिया दिया और पूरे समय उसे भरकर चोदा और आखिर में उसके पेट पर ही अपना वीर्य चोदा दिया | उस दिन के बाद से मैंने उसे रोज अकेले में सीखाना शुरू किया और उसकी चुत भी मारता चला गया |
 
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