पड़ोसन की कहानी जो बनी निजी रांड

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दोस्तों, आज मैंने आपको अपनी पड़ोसन की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो जल्द ही मेरी निजी रांड भी बन गयी | मैंने नए मुंबई के शहर में नया - नया फ्लैट लिया था और वही नयी नयी पड़ोसन से भी मुलाक़ात हुई थी | मुझे नहीं पता था की उस पड़ोसन से मेरा कांड इतनी हद्द तक आगे बाद जायेगा की चुदाई की रासलीला तक भी पहुँच जायेगा | मैं तो कुंवारा हूँ तो सभी लड़कों की तरह किसी भी लड़की या औरत पर बुरी नज़र मारने से नहीं चुकता और कुछ ऐसा ही मेरे साथ इस लौंडिया के मामले में भी हुआ | मैं शुरुआत में इससे कई बार यूँही घर से बहार निकलते और अंदर जाते मिल लिया करता तो हाय - बाय वाली बात हो जाया करती |

जब कभी भी मैं निकलता तो उसके खुले दरवाज़े के अंदर झांक भी था और मुझे कभी कुछ ना कुछ काम कुछ काम करते हुए नज़र आया करती थी | एक दिन जब मैं अपने घर के बहार को जा रहा था तो उसने मुझे देखा और एक पल के लिए हम एक - दूसरे को देखते ही रह गए | उसने अब मझे खुद बा खुद अपने हाथ को हिलाकर इशारा करने लगी | मुझे मालुम था की वो वो अब मेरे मर्दाना शारीर से अच्छी - खासी प्रभावित हो गयी थी | मैं उसके कमरे में गया तो उसने मुझे देखकर ही अपने पल्लू को नीचे कर दिया | मुझे आगे के बढ़ने के लिए काफी ही नमूने मिल चुके थे और बस हम एक दूसरे से लगकर चुम्मा - चाटी करने लगे |

मैंने जल्दी - जल्दी उसकी साडी को खोल डाला और अपने हाथों से उसकी नरम चुचियों को दबाने लगा | उसके मदमस्त चुचों को मैंने अप्मुंह फाडकर पीने लगा | मैंने अब वहीँ उसके उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी चुत में ऊँगली करने लगा जिसपर वो पागलों की तरह फाडफाड़ा रही थी | मैंने भी उत्सुकता से दिखाते हुए उसकी चुत में अपने लंड के सुपाडे को टिकाया | मैंने अपने हाथ से उसकी चुत के अंदर का रास्ता दिखाते हुए झटका दे दिया और फिर अपने ज़ोरदार झटके उसकी चुत में देने लगा | वो गज़ब की चुद्दकड थी और अपनी गांड को उछाल - उछाल कर चुदाई का मज़ा ले रही थी | मैंने मज़े में तर्र हो चूका था |

मैंने खुशी से उसकी नंगी गोरी पीठ पर अपने हाथों को लहर रहा था | उसके मुंह से अब गर्म - गर्म आहें निकल रही थी | अब भी मामला पूरा होना बाकी था और मैं इतनी जल्दी बाज़ी को खत्म करने वाला नहीं था | मैंने चुदाई के समय को लंबा करने के लिए अब उसे उठाया और मेरे लंड को चूसने का हुकुम दिया जिसमें वो माहिर निकली | अब मैं आराम फरमाते हुए फिर से बाज़ी को अपने हताह में लेते हुए उसकी चुदाई लगभग एक घन्टे तक बेझिझक की और अब से मेरी पड़ोसन मेरी प्राईवेट यानी निजी रांड के रूप में बनती नज़र आ रही थी | चुदाई के पलों में खोते हुए जब भी हमें मौका मिलाता तो इसी तरह अपनी बढ़ास को निकाला करते थे हम |
 
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