बेलन के दरबार में लंड के उपर शेरो शायरी।
बाबा बेलन के दरबार में लगी थी आज शायरों और शायराओं की जमात, जनाबों और मोहतरमाओं की जमात, जहां पर आज सेक्सी शेरो शायरी की महफिल जमी थी, दो हसीनाएं बेलन बाबा के लंड को तेल लगा रहीं थी और दो हसीनाएं उन्हें पंखा झल रहीं थी। बेलन बाबा, प्रचंड लंड धारी स्वयं आज नंग धड़ंग दर्शन दे रहे थे।
एक शायर ने फरमाया-हेलो दोस्तों आज कुछ पैरोडिज लंड के उपर लेकर आया हूं। जरा गौर फरमाईयेगा और मौका मिले तो जरुर गुनगुनाइयेगा -छिनालों ने ये फरमाया कि अपने लौड़े को खड़े करके दिखलाओ,-फिर ये गांड तुम्हारी है, चूत भी तुम्हारी है। तो ये लो भैया, खड़ा कर दिया है लंड और, ठोंक दी है ताल ।जिसको पेलवाना है, वो ले आए माल
ऐसा सुन के एक छिनाल बोली -
लंड जमाने में कम नहीं मिलते,सबको चुदाई के गम नहीं मिलते। लौड़े को रहने दे चूत के आसपास चुद के दिल की बुझती रहे प्यास। ऐसा सुन कर सब शायरों ने अपने लौड़ों को सहज किया जो कि उनका पाजामा फाड़ने वाले थे, और फिर कान लगाया अगले शायर पर।
इस प्रश्न के जवाब में एक अदद शायर ने फरमाया, पता नहीं कहां से शेर टपकाया-चुदेगी जो साली बनेगी कहानी। मिटेगी तुम्हारे भोसड़े की वीरानी, करेगी ये मेरे लंड को दीवानी। मिटा के रहेंगे तुम्हारी चुदानी, हजारों के लौड़ो की कातिल हसीना, बहाए कई लंडों ने है पसीना। तेरी चूत क्या वो नगीना नहीं है, घुसे जिसमें लौड़े का मोटा जखीरा, चली आ चुदाने बनाके बहाने, मिटाने को तुमको ये लौड़े खड़े हैं, जो चोदेंगे तुमको रुलाके रहेंगे, पिलाके रहेंगे ये अपना ही पानी। तुम्हारी अदा से शिकायत नहीं है, शिकायत तेरी मस्त गांडों से जानी ,घुसेगा जो लौड़ा मिटेगी भी खुजली,पिलेगी तुम्हारी जवानी पुरानी। हवस का जो दौरा चला आ रहा है, उसी दौर में तुमको पेलेगे हम तो। चुदोगी तू लौड़े का पीकर के पानी, करोगी जनम याद तुम ये कहानी। चली आ कंडोंमो का लेकर सहारा, रगड़ के रहेंगे तुम्हारा छुहारा
तेरे चूत की नैया की पतवार मैं हूं,पतवार मैं हू,लंडो की बगिया की पतझार मैं हूं, पतझार मैं हूं।चले आओ जी, चले आओ लौड़े का लेकर सहारा,चुदेगा अभी ये लौड़ा तुम्हारा चुदे्गा अभी।
अगर जो ना तुम हमसे चुदने को आए, चुदने को आए,तेरी जैसी चूत लंड कहां से अब पाए, कहां से अब पाए, चले आओ जी चले आओ चूत का लेकर नगाड़,हो रहेगा चुदन ये हमारा तुम्हारा रहेगा चुदन
इस पर छिनालो ने फरमाया,
तुझे चोद कर के बड़ा कर देंगे
तेरे लंड को खड़ा कर देंगे
इतना गाफिल ना रह मेरे आशिक
हम तेरे गांड को भी चौड़ा कर देंगे।
अपने लौड़े पर ना इतराओ,
जरा इधर लाओ हमें भी चुसाओ
चुसाके दिखाओ तो हम भी तो जानें,
मगर बाद इसके तो चूत में घुसाओ।
घुसाते रहे जो हमें आप बुर में
तो काहें को जाएंगे चुदने को दूर में
पेलाती रहूंगी पिलाती रहूंगी,
चुदाती रहूंगी मैं घर में ही ही तुम से
वाह्ह, मैने छिनालों की पार्टी को दाद दी और फिर अपने लंड को तेल लगाते हुए बोला
बेलन चोदे भोसडा, नौमन तेल लगाय
जिसको पीना मूठ हो थोड़ी देर में आय
चोद चोद कर चोद दे, ऐसा घोर प्रचंड
महिमा ताकी जोर है, बेगम लंड अखंड
ऐसा लंड ना देखिए जिसकी छोटी जान,
चोदन से पहले गले, निकले ताकी छान
निकले ताकि प्रान, चूत अब बच ना पाए
चूतों में घमसान, प्रान तब मच ना पाए।
मच ना पाए घोर घमंड प्रचंड लड़ाई
ऐसा लंड रखो जाओ तुम ताक पे भाई
ताक पे रख के लंड अनंद रहो जीवन में
फट जाएगी गांड सिलोगे तुम सीवन में
सी सी करके गांड कहां भागोगे फिरते,
बढिया है तुम गांड मराते खुद से फिरते
मरवाओगे गांड फायदे दुहरे होंगे
पैसे मिलेंगे अलग और फिर कब्ज न् होंगे
शायरों के लंड खड़े हो गये थे, फिर उसने फरमाया आगे
ना होंगे अब कब्ज जब्त करने की बारी
मारेंगे ये गांड अभी हम पारा पारी
पारा पारी मार विचार करेंगे हम सब,
क्या करना उपकार लन्ड को धरेंगे अब सब
इस प्रकार से इन दोहों और छंदों को सुनने के बाद छिनालों की चूत एक दम पानी से छलछला गयी और चुदने को बलबला गयी तो एक छिनाल ने कहा।
भासड़ करो तू बंद अब भोसड़ा पेलो
आके मेरी चूत गांड का नाड़ा खोलो
खोल नाड़ मेरी गांड अब मार दिखाओ,
ऐसा करो तुम कांड सांड सा धार दिखाओ
हम सभी मर्द बेलन बाबा की तरफ देख रहे थे जो कि अब मुझे ईशारा कर रहे थे कि किसी और शायर को मौका दो। मैने चोदन बनारसी को बुलाया।
चोदन बनारसी ने आते ही अपने लंड को बाहर निकाला और बोले,
इसको लंड न बूझिए, इसमें बहुत अनंद,
चोदन को चोदे सदा, घुसे सदा ये गांड
घुसे सदा ये गंड लंड घनघोर मचाए,
चूतों को ये फाड़ उनमें अनंद बुलाए
दोहे मेरे सुन के चूत भर भर सी जाए,
चोदन को हर चूत तभी तो बुलाए।
वाह, सबने चोदन बनारसी को दाद दी और तब आए लंडूरे एलाहाबादी। आते ही उन्होंने अपना पाजामा खोला और गांड हाजिर की, और ताल ठोंकते हुए बोले
जमाने ने है मारी गांड मेरी,
अब क्या बताउं क्या चाह मेरी,
तू भी आके सबसे मराजा गांड
यही है बस आखिरी चाह मेरी।
लंडूरे एलाहाबादी के इस मजेदार प्रस्तुति के बाद चुदेला लखनवी को बुलाया गया। चुदेला लखनवी अपने शाही अंदाज में पधारे और पधारने के बाद छिनालों मोहतरमाओं की तरफ अपनी खड़ी उंगली करके लंड का इशारा किया और फरमायाअ- तू चुदने को बनी है, नाजों से पली है, बना दूंगा फूल तुझे, देख अभी तो तू एक कली है। तेरी गांड एकदम अभी तो नाजुक है, मेरा लंड देख घोड़े का जो चाबुक है, तो चोदूंगा पेलूंगा छानूंगा तुझको, मेरा लंड वो ही तेरा चुचुक है। तेरी चूत का कोई रिश्ता नहीं है, मेरा लन्ड इतना भी सस्ता नहीं है, तुझे देके क्या मैं दिखाउंगा सबको, अभी भूत चुदाई का उतरा नहीं है। चली आ चुदाने बना के बहाने मेरी जान लंड ये सुधरा नहीं है। बिगड़ता गया है, उखड़ता गया है, तेरी याद में ये बहकता गया है। बहुत है मनाया मैने मूठ मारके, तेरे बगैर ये सुलगता बहुत है।तो चुदेला लखनवी साहब के इस शेर के बाद लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक और बाबा बेलन के प्रचंड लंड की जयजयकार लगाते हुए अगले भाग में मिलते हैं।
बाबा बेलन के दरबार में लगी थी आज शायरों और शायराओं की जमात, जनाबों और मोहतरमाओं की जमात, जहां पर आज सेक्सी शेरो शायरी की महफिल जमी थी, दो हसीनाएं बेलन बाबा के लंड को तेल लगा रहीं थी और दो हसीनाएं उन्हें पंखा झल रहीं थी। बेलन बाबा, प्रचंड लंड धारी स्वयं आज नंग धड़ंग दर्शन दे रहे थे।
एक शायर ने फरमाया-हेलो दोस्तों आज कुछ पैरोडिज लंड के उपर लेकर आया हूं। जरा गौर फरमाईयेगा और मौका मिले तो जरुर गुनगुनाइयेगा -छिनालों ने ये फरमाया कि अपने लौड़े को खड़े करके दिखलाओ,-फिर ये गांड तुम्हारी है, चूत भी तुम्हारी है। तो ये लो भैया, खड़ा कर दिया है लंड और, ठोंक दी है ताल ।जिसको पेलवाना है, वो ले आए माल
ऐसा सुन के एक छिनाल बोली -
लंड जमाने में कम नहीं मिलते,सबको चुदाई के गम नहीं मिलते। लौड़े को रहने दे चूत के आसपास चुद के दिल की बुझती रहे प्यास। ऐसा सुन कर सब शायरों ने अपने लौड़ों को सहज किया जो कि उनका पाजामा फाड़ने वाले थे, और फिर कान लगाया अगले शायर पर।
इस प्रश्न के जवाब में एक अदद शायर ने फरमाया, पता नहीं कहां से शेर टपकाया-चुदेगी जो साली बनेगी कहानी। मिटेगी तुम्हारे भोसड़े की वीरानी, करेगी ये मेरे लंड को दीवानी। मिटा के रहेंगे तुम्हारी चुदानी, हजारों के लौड़ो की कातिल हसीना, बहाए कई लंडों ने है पसीना। तेरी चूत क्या वो नगीना नहीं है, घुसे जिसमें लौड़े का मोटा जखीरा, चली आ चुदाने बनाके बहाने, मिटाने को तुमको ये लौड़े खड़े हैं, जो चोदेंगे तुमको रुलाके रहेंगे, पिलाके रहेंगे ये अपना ही पानी। तुम्हारी अदा से शिकायत नहीं है, शिकायत तेरी मस्त गांडों से जानी ,घुसेगा जो लौड़ा मिटेगी भी खुजली,पिलेगी तुम्हारी जवानी पुरानी। हवस का जो दौरा चला आ रहा है, उसी दौर में तुमको पेलेगे हम तो। चुदोगी तू लौड़े का पीकर के पानी, करोगी जनम याद तुम ये कहानी। चली आ कंडोंमो का लेकर सहारा, रगड़ के रहेंगे तुम्हारा छुहारा
तेरे चूत की नैया की पतवार मैं हूं,पतवार मैं हू,लंडो की बगिया की पतझार मैं हूं, पतझार मैं हूं।चले आओ जी, चले आओ लौड़े का लेकर सहारा,चुदेगा अभी ये लौड़ा तुम्हारा चुदे्गा अभी।
अगर जो ना तुम हमसे चुदने को आए, चुदने को आए,तेरी जैसी चूत लंड कहां से अब पाए, कहां से अब पाए, चले आओ जी चले आओ चूत का लेकर नगाड़,हो रहेगा चुदन ये हमारा तुम्हारा रहेगा चुदन
इस पर छिनालो ने फरमाया,
तुझे चोद कर के बड़ा कर देंगे
तेरे लंड को खड़ा कर देंगे
इतना गाफिल ना रह मेरे आशिक
हम तेरे गांड को भी चौड़ा कर देंगे।
अपने लौड़े पर ना इतराओ,
जरा इधर लाओ हमें भी चुसाओ
चुसाके दिखाओ तो हम भी तो जानें,
मगर बाद इसके तो चूत में घुसाओ।
घुसाते रहे जो हमें आप बुर में
तो काहें को जाएंगे चुदने को दूर में
पेलाती रहूंगी पिलाती रहूंगी,
चुदाती रहूंगी मैं घर में ही ही तुम से
वाह्ह, मैने छिनालों की पार्टी को दाद दी और फिर अपने लंड को तेल लगाते हुए बोला
बेलन चोदे भोसडा, नौमन तेल लगाय
जिसको पीना मूठ हो थोड़ी देर में आय
चोद चोद कर चोद दे, ऐसा घोर प्रचंड
महिमा ताकी जोर है, बेगम लंड अखंड
ऐसा लंड ना देखिए जिसकी छोटी जान,
चोदन से पहले गले, निकले ताकी छान
निकले ताकि प्रान, चूत अब बच ना पाए
चूतों में घमसान, प्रान तब मच ना पाए।
मच ना पाए घोर घमंड प्रचंड लड़ाई
ऐसा लंड रखो जाओ तुम ताक पे भाई
ताक पे रख के लंड अनंद रहो जीवन में
फट जाएगी गांड सिलोगे तुम सीवन में
सी सी करके गांड कहां भागोगे फिरते,
बढिया है तुम गांड मराते खुद से फिरते
मरवाओगे गांड फायदे दुहरे होंगे
पैसे मिलेंगे अलग और फिर कब्ज न् होंगे
शायरों के लंड खड़े हो गये थे, फिर उसने फरमाया आगे
ना होंगे अब कब्ज जब्त करने की बारी
मारेंगे ये गांड अभी हम पारा पारी
पारा पारी मार विचार करेंगे हम सब,
क्या करना उपकार लन्ड को धरेंगे अब सब
इस प्रकार से इन दोहों और छंदों को सुनने के बाद छिनालों की चूत एक दम पानी से छलछला गयी और चुदने को बलबला गयी तो एक छिनाल ने कहा।
भासड़ करो तू बंद अब भोसड़ा पेलो
आके मेरी चूत गांड का नाड़ा खोलो
खोल नाड़ मेरी गांड अब मार दिखाओ,
ऐसा करो तुम कांड सांड सा धार दिखाओ
हम सभी मर्द बेलन बाबा की तरफ देख रहे थे जो कि अब मुझे ईशारा कर रहे थे कि किसी और शायर को मौका दो। मैने चोदन बनारसी को बुलाया।
चोदन बनारसी ने आते ही अपने लंड को बाहर निकाला और बोले,
इसको लंड न बूझिए, इसमें बहुत अनंद,
चोदन को चोदे सदा, घुसे सदा ये गांड
घुसे सदा ये गंड लंड घनघोर मचाए,
चूतों को ये फाड़ उनमें अनंद बुलाए
दोहे मेरे सुन के चूत भर भर सी जाए,
चोदन को हर चूत तभी तो बुलाए।
वाह, सबने चोदन बनारसी को दाद दी और तब आए लंडूरे एलाहाबादी। आते ही उन्होंने अपना पाजामा खोला और गांड हाजिर की, और ताल ठोंकते हुए बोले
जमाने ने है मारी गांड मेरी,
अब क्या बताउं क्या चाह मेरी,
तू भी आके सबसे मराजा गांड
यही है बस आखिरी चाह मेरी।
लंडूरे एलाहाबादी के इस मजेदार प्रस्तुति के बाद चुदेला लखनवी को बुलाया गया। चुदेला लखनवी अपने शाही अंदाज में पधारे और पधारने के बाद छिनालों मोहतरमाओं की तरफ अपनी खड़ी उंगली करके लंड का इशारा किया और फरमायाअ- तू चुदने को बनी है, नाजों से पली है, बना दूंगा फूल तुझे, देख अभी तो तू एक कली है। तेरी गांड एकदम अभी तो नाजुक है, मेरा लंड देख घोड़े का जो चाबुक है, तो चोदूंगा पेलूंगा छानूंगा तुझको, मेरा लंड वो ही तेरा चुचुक है। तेरी चूत का कोई रिश्ता नहीं है, मेरा लन्ड इतना भी सस्ता नहीं है, तुझे देके क्या मैं दिखाउंगा सबको, अभी भूत चुदाई का उतरा नहीं है। चली आ चुदाने बना के बहाने मेरी जान लंड ये सुधरा नहीं है। बिगड़ता गया है, उखड़ता गया है, तेरी याद में ये बहकता गया है। बहुत है मनाया मैने मूठ मारके, तेरे बगैर ये सुलगता बहुत है।तो चुदेला लखनवी साहब के इस शेर के बाद लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक और बाबा बेलन के प्रचंड लंड की जयजयकार लगाते हुए अगले भाग में मिलते हैं।