Antarvasna, hindi sex stories: मैं जॉब करने के लिए दिल्ली चला आया जब मैं दिल्ली जॉब करने के लिए आया तो मेरे लिए दिल्ली में जॉब करना काफी मुश्किल था क्योंकि मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूं और इतने बड़े शहर में आकर मुझे मैनेज करने में काफी दिक्कत हो रही थी लेकिन जैसे तैसे मैंने मैनेज कर लिया था। मैं कंपनी में डाटा एंट्री ऑपरेटर की जॉब करने लगा था और मैं अपनी जॉब से भी खुश था मेरे कुछ दोस्त भी बनने लगे थे जिनके साथ मेरी काफी अच्छी बनती थी। इस बीच एक दिन मुझे घर भी जाना था क्योंकि मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला गया। मेरे पापा सरकारी नौकरी करते हैं कुछ दिनों तक मैं अपने घर में रहा और फिर मैं वापस दिल्ली चला आया मैं जब दिल्ली आया तो मैं अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान देने लगा था।
इस बीच एक दिन मेरे ऑफिस में मेरे मैनेजर के साथ मेरी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई जिससे कि मैंने ऑफिस छोड़ दिया। मैंने ऑफिस तो छोड़ दिया था लेकिन उसके बाद मुझे नौकरी तलाशने में काफी मुश्किल हो रही थी मैं काफी ज्यादा परेशान हो गया था इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला जाऊं। कुछ दिनों तक मैं अपने घर पर ही रहा फिर वापस मैं दिल्ली लौट आया एक दिन मैंने अपने दोस्त को बताया कि वह मेरे लिए कोई नौकरी तलाशे तो उसने मेरे लिए नौकरी तलाशने शुरू कर दी थी। आखिरकार मेरी एक कंपनी में जॉब लग चुकी थी और जब मेरी कंपनी में जॉब लगी तो मैंने अपने दोस्त को इस बात के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि तुम्हारी वजह से ही मेरी जॉब लग पाई है। जिस कंपनी में मैं जॉब करता था उसी कंपनी में मेरी मुलाकात राधिका के साथ हुई राधिका का कुछ समय पहले ही डिवोर्स हुआ था जिससे कि वह काफी ज्यादा परेशान थी। राधिका ऑफिस में किसी से भी बात नहीं करती थी वह ऑफिस में बहुत ही कम बात किया करती थी और उम्र में वह मुझसे बड़ी भी थी लेकिन फिर भी मुझे कहीं ना कहीं राधिका अच्छी लगती थी।
एक दिन मैंने राधिका से बात की मैंने उससे खुलकर बात की और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे थे। राधिका के डिवोर्स के बाद शायद वह किसी पर भी भरोसा नहीं करती थी क्योंकि उसका भरोसा पूरी तरीके से लोगों से उठ चुका था लेकिन धीरे-धीरे मैं राधिका का भरोसा जीत चुका था और वह मुझसे अपनी बातें शेयर करने लगी थी। एक दिन राधिका ने मुझे बताया कि वह अकेली रहती है और उसने मुझे बताया कि उसके पति के साथ उसका डिवोर्स हो जाने के बावजूद भी उसके माता पिता ने उसे कहा कि तुम अपने ससुराल चली जाओ लेकिन उसने अपने ससुराल जाने से बेहतर अलग रहना ही ठीक समझा इसलिए वह अलग रहने लगी। राधिका के मन में ना जाने कितनी ही तकलीफे थी और उसके साथ काफी बुरा भी हुआ था शायद अभी तक इस सदमे से वह निकल नहीं पाई थी और यह सब उसके चेहरे पर साफ दिखाई देता। जब भी वह मेरे साथ होती तो मुझे अच्छा लगता और अब वह मेरे साथ खुल कर बातें किया करती थी। मुझे कुछ दिनों के लिए अपनी बहन की शादी में जींद जाना था इसलिए मैं अपनी बहन की शादी में चला गया क्योकि घर में सब कुछ मुझे ही देखना था पापा की तबीयत तो ठीक रहती नहीं है इसलिए मेरे ऊपर ही सारे काम की जिम्मेदारी थी। मैंने अपनी बहन की शादी कि सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। अब उसकी शादी हो चुकी थी और उसके कुछ दिनों बाद मैं भी वापस दिल्ली लौट आया था मैं जब ऑफिस गया तो उस दिन मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी फिर मैंने उससे फोन पर बात करने की सोची लेकिन उस दिन ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इसलिए मैं उससे फोन पर बात नहीं कर पाया। जब शाम को मैं घर लौट रहा था तो मैंने उसे फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया अगले दिन भी मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी मैंने सोचा कि ना जाने ऐसी क्या बात है कि राधिका ऑफिस नहीं आ रही है। मैंने उसे मैसेज किया लेकिन उसके मैसेज का भी कोई रिप्लाई नहीं आया परंतु जब उसका फोन मुझे आया तो वह मुझे कहने लगी कि सुधीर मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाई दरअसल मैं कुछ ज्यादा ही परेशान थी और मेरी तबीयत भी खराब थी।
वह अपने मम्मी पापा के साथ थी, उसने मुझे बताया कि वह अपने मम्मी पापा के साथ है और जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो वह काफी ज्यादा भावुक हो गई थी और वह परेशान भी दिख रही थी। मैंने सोचा कि मुझे राधिका से मिलना चाहिए लेकिन फिलहाल राधिका किसी से मिलना नहीं चाहती थी और राधिका ने अब ऑफिस भी छोड़ दिया था लेकिन मेरी उससे फोन पर बातें होती रहती थी। राधिका से मेरी मुलाकात तो हो नहीं पा रही थी एक दिन मैंने राधिका को मिलने के लिए कहा। उस दिन राधिका मुझसे मिलने के लिए आ गई वह काफी ज्यादा परेशान थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम परेशान मत हो और उस दिन मैं उसे अपने साथ मूवी दिखाने के लिए लेकर गया। हम दोनों साथ में बैठकर मूवी देख रहे थे उसने मेरे सर पर अपने कंधे को रख लिया था जिस से कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया जब मैंने उसके हाथों को पकड़ा तो वह मेरी तरफ देखने लगी और मैंने जैसे ही उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था और मैं उसके होठों को चूमने लगा था मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह बहुत गरम हो गई थी। उसने मुझे कहा कि सुधीर तुमने आज यह क्या कर दिया मैंने उसे कहा राधिका का क्या हुआ?
वह कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उसे बडा अच्छा लग रहा था मैंने उसे कहा हम लोगों को कहीं चलना चाहिए तो वह मुझे कहने लगी लेकिन हम लोग कहां जाएं तो मैं उसे अपने दोस्त के घर लेकर गया। हम दोनों एक कमरे में थे राधिका का बदन मेरे हाथों में था मैंने जब उसके बदन को सहलाना शुरु किया तो वह उत्तेजित होने लगी थी और मैंने जब उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया तो उसकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी और वह मुझे कहने लगी मेरी आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है तुम जल्दी से मेरी आग को बुझा दो। मैंने उसके अंदर की आपको इस कदर बढ़ा दिया था अब शायद वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसके सामने किया तो वह बहुत तड़पने लगी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसा दो। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जाते ही वह अपने पैरों को खोल रही थी और मुझे उसकी चूत मारने में मजा आ रहा था। मुझे उसकी चूत मारने में इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी अब मेरे अंदर की आग ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी योनि के अंदर अपने माल को गिराना है। मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत पर गिराया लेकिन कहीं ना कहीं उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी और वह चाहती थी कि वह मेरे साथ दोबारा से संभोग करें और मैं इस बात के लिए तैयार था। जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा था और उसकी चूत मुझे बहुत ही ज्यादा टाइट महसूस होने लगी थी अब मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मैं इतना ज्यादा उत्तेजीत होने लगा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा आज तो मुझे मजा ही आ रहा है और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो उससे वह बहुत तडपने लगी थी।
वह मुझे कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के देते रहो मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के दिए और काफी देर तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा लेकिन जब मैंने उसे घोड़ी बना दिया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मैं उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार कर रहा था और उसकी चूतड़ों पर प्रहार करने में मुझे मजा आ रहा था वह भी मेरी आग को लगातार बढ़ती जा रही थी उसके अंदर से जो आग पैदा हो रही थी वह मेरे अंदर की आग को बढ़ाती जा रही थी। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराना है तो वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरी चूत में गिरा दो। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया लेकिन मैंने दोबारा से उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाने का फैसला कर लिया था पर उससे पहले वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती थी और उसने ऐसा ही किया।
जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिस से कि मेरी गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी और उसकी चूत से पानी कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा मे गिरने लगा था। वह मुझे कहने लगी लगता है तुम आज मेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही मानोगे तो मैंने उसे कहा आज तुम्हें चोदने का मुझे जो मौका मिला है भला इसे मैं कैसे छोड़ सकता हूं। इतनी आसानी से इतना अच्छा मौका मैं अपने हाथ से गवाना नहीं चाहता यह कहते ही मैंने उसकी चूतडो को अपनी तरफ किया और अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर घुसाना शुरू किया जैसे जैसे मैं उसकी चूत के अंदर डाल रहा था वैसे ही उसे मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस प्रकार से तुम मुझे चोद रहे हो अब वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिला रही थी तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ रही थी लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत मे गिराकर अपनी आग को बुझाया तो वह खुश हो गई थी।
इस बीच एक दिन मेरे ऑफिस में मेरे मैनेजर के साथ मेरी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई जिससे कि मैंने ऑफिस छोड़ दिया। मैंने ऑफिस तो छोड़ दिया था लेकिन उसके बाद मुझे नौकरी तलाशने में काफी मुश्किल हो रही थी मैं काफी ज्यादा परेशान हो गया था इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला जाऊं। कुछ दिनों तक मैं अपने घर पर ही रहा फिर वापस मैं दिल्ली लौट आया एक दिन मैंने अपने दोस्त को बताया कि वह मेरे लिए कोई नौकरी तलाशे तो उसने मेरे लिए नौकरी तलाशने शुरू कर दी थी। आखिरकार मेरी एक कंपनी में जॉब लग चुकी थी और जब मेरी कंपनी में जॉब लगी तो मैंने अपने दोस्त को इस बात के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि तुम्हारी वजह से ही मेरी जॉब लग पाई है। जिस कंपनी में मैं जॉब करता था उसी कंपनी में मेरी मुलाकात राधिका के साथ हुई राधिका का कुछ समय पहले ही डिवोर्स हुआ था जिससे कि वह काफी ज्यादा परेशान थी। राधिका ऑफिस में किसी से भी बात नहीं करती थी वह ऑफिस में बहुत ही कम बात किया करती थी और उम्र में वह मुझसे बड़ी भी थी लेकिन फिर भी मुझे कहीं ना कहीं राधिका अच्छी लगती थी।
एक दिन मैंने राधिका से बात की मैंने उससे खुलकर बात की और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे थे। राधिका के डिवोर्स के बाद शायद वह किसी पर भी भरोसा नहीं करती थी क्योंकि उसका भरोसा पूरी तरीके से लोगों से उठ चुका था लेकिन धीरे-धीरे मैं राधिका का भरोसा जीत चुका था और वह मुझसे अपनी बातें शेयर करने लगी थी। एक दिन राधिका ने मुझे बताया कि वह अकेली रहती है और उसने मुझे बताया कि उसके पति के साथ उसका डिवोर्स हो जाने के बावजूद भी उसके माता पिता ने उसे कहा कि तुम अपने ससुराल चली जाओ लेकिन उसने अपने ससुराल जाने से बेहतर अलग रहना ही ठीक समझा इसलिए वह अलग रहने लगी। राधिका के मन में ना जाने कितनी ही तकलीफे थी और उसके साथ काफी बुरा भी हुआ था शायद अभी तक इस सदमे से वह निकल नहीं पाई थी और यह सब उसके चेहरे पर साफ दिखाई देता। जब भी वह मेरे साथ होती तो मुझे अच्छा लगता और अब वह मेरे साथ खुल कर बातें किया करती थी। मुझे कुछ दिनों के लिए अपनी बहन की शादी में जींद जाना था इसलिए मैं अपनी बहन की शादी में चला गया क्योकि घर में सब कुछ मुझे ही देखना था पापा की तबीयत तो ठीक रहती नहीं है इसलिए मेरे ऊपर ही सारे काम की जिम्मेदारी थी। मैंने अपनी बहन की शादी कि सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। अब उसकी शादी हो चुकी थी और उसके कुछ दिनों बाद मैं भी वापस दिल्ली लौट आया था मैं जब ऑफिस गया तो उस दिन मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी फिर मैंने उससे फोन पर बात करने की सोची लेकिन उस दिन ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इसलिए मैं उससे फोन पर बात नहीं कर पाया। जब शाम को मैं घर लौट रहा था तो मैंने उसे फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया अगले दिन भी मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी मैंने सोचा कि ना जाने ऐसी क्या बात है कि राधिका ऑफिस नहीं आ रही है। मैंने उसे मैसेज किया लेकिन उसके मैसेज का भी कोई रिप्लाई नहीं आया परंतु जब उसका फोन मुझे आया तो वह मुझे कहने लगी कि सुधीर मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाई दरअसल मैं कुछ ज्यादा ही परेशान थी और मेरी तबीयत भी खराब थी।
वह अपने मम्मी पापा के साथ थी, उसने मुझे बताया कि वह अपने मम्मी पापा के साथ है और जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो वह काफी ज्यादा भावुक हो गई थी और वह परेशान भी दिख रही थी। मैंने सोचा कि मुझे राधिका से मिलना चाहिए लेकिन फिलहाल राधिका किसी से मिलना नहीं चाहती थी और राधिका ने अब ऑफिस भी छोड़ दिया था लेकिन मेरी उससे फोन पर बातें होती रहती थी। राधिका से मेरी मुलाकात तो हो नहीं पा रही थी एक दिन मैंने राधिका को मिलने के लिए कहा। उस दिन राधिका मुझसे मिलने के लिए आ गई वह काफी ज्यादा परेशान थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम परेशान मत हो और उस दिन मैं उसे अपने साथ मूवी दिखाने के लिए लेकर गया। हम दोनों साथ में बैठकर मूवी देख रहे थे उसने मेरे सर पर अपने कंधे को रख लिया था जिस से कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया जब मैंने उसके हाथों को पकड़ा तो वह मेरी तरफ देखने लगी और मैंने जैसे ही उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था और मैं उसके होठों को चूमने लगा था मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह बहुत गरम हो गई थी। उसने मुझे कहा कि सुधीर तुमने आज यह क्या कर दिया मैंने उसे कहा राधिका का क्या हुआ?
वह कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उसे बडा अच्छा लग रहा था मैंने उसे कहा हम लोगों को कहीं चलना चाहिए तो वह मुझे कहने लगी लेकिन हम लोग कहां जाएं तो मैं उसे अपने दोस्त के घर लेकर गया। हम दोनों एक कमरे में थे राधिका का बदन मेरे हाथों में था मैंने जब उसके बदन को सहलाना शुरु किया तो वह उत्तेजित होने लगी थी और मैंने जब उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया तो उसकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी और वह मुझे कहने लगी मेरी आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है तुम जल्दी से मेरी आग को बुझा दो। मैंने उसके अंदर की आपको इस कदर बढ़ा दिया था अब शायद वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसके सामने किया तो वह बहुत तड़पने लगी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसा दो। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जाते ही वह अपने पैरों को खोल रही थी और मुझे उसकी चूत मारने में मजा आ रहा था। मुझे उसकी चूत मारने में इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी अब मेरे अंदर की आग ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी योनि के अंदर अपने माल को गिराना है। मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत पर गिराया लेकिन कहीं ना कहीं उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी और वह चाहती थी कि वह मेरे साथ दोबारा से संभोग करें और मैं इस बात के लिए तैयार था। जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा था और उसकी चूत मुझे बहुत ही ज्यादा टाइट महसूस होने लगी थी अब मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मैं इतना ज्यादा उत्तेजीत होने लगा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा आज तो मुझे मजा ही आ रहा है और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो उससे वह बहुत तडपने लगी थी।
वह मुझे कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के देते रहो मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के दिए और काफी देर तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा लेकिन जब मैंने उसे घोड़ी बना दिया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मैं उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार कर रहा था और उसकी चूतड़ों पर प्रहार करने में मुझे मजा आ रहा था वह भी मेरी आग को लगातार बढ़ती जा रही थी उसके अंदर से जो आग पैदा हो रही थी वह मेरे अंदर की आग को बढ़ाती जा रही थी। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराना है तो वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरी चूत में गिरा दो। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया लेकिन मैंने दोबारा से उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाने का फैसला कर लिया था पर उससे पहले वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती थी और उसने ऐसा ही किया।
जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिस से कि मेरी गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी और उसकी चूत से पानी कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा मे गिरने लगा था। वह मुझे कहने लगी लगता है तुम आज मेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही मानोगे तो मैंने उसे कहा आज तुम्हें चोदने का मुझे जो मौका मिला है भला इसे मैं कैसे छोड़ सकता हूं। इतनी आसानी से इतना अच्छा मौका मैं अपने हाथ से गवाना नहीं चाहता यह कहते ही मैंने उसकी चूतडो को अपनी तरफ किया और अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर घुसाना शुरू किया जैसे जैसे मैं उसकी चूत के अंदर डाल रहा था वैसे ही उसे मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस प्रकार से तुम मुझे चोद रहे हो अब वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिला रही थी तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ रही थी लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत मे गिराकर अपनी आग को बुझाया तो वह खुश हो गई थी।