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आज मैं निशा की मदहोश की चिकनी चूत की मजीदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ दोस्तों मुझे उम्मीद है आप सभी चूत के आशिकों और लंड की दीवानी महिलायों को मेरी कहानी खूब पसंद आएगी | मैं उन दिनों में बिहार में नया नया आया तो वहाँ की लड़कियों की हंसीं जवानी से अच्छी तरफ वाकिफ नहीं था पर जब निशा से मुलाक़ात हुई थी और बस धीरे - धेरे सब समझ आ गया की बिहारी चूत मारने का अपना ही अलग मज़ा है | वो वहीँ की किराने वाली दूकान पर काम किया करती जिसके पास मैंने किराए का मकान लिया हुआ था | अब तो कभी हमारी नज़र टकराती तो बस इशारों का सिलसिला चालू हो गया था | वो हमेशा सूट - सलवार पहना करती थी जिसमें उसका तंग बदन मुझे खूब रिझाया करता था | बस मन में हमेशा यही पुकार लगी रहती की अभी जाकर इसे अपनी बाहों में दबोच लूँ |

मैंने जैसे तैसे कुछ अपनी आकंशायाओं पर काबू रख ही लिया और एक दिन मेरे पल्ले ऐसा सुहाना मौका भी आ लिया जिस दिन भरी दोपहर वो बस अपनी दूकान में अकेली ही थी | हमारी इशारों में हाय - हेल्लो बताओ हो रही थी तभी मैंने उसे कहा की क्या मैं कुछ देर के लिए उसके पास आकार बता कर सकता हूँ | उसने भी हामी भर दी और मैं जब गया तो वहीँ कुछ देर बात करने लग गए और मैं उसकी भरके तारीफों के फुल बांधे जा रहा था | मैंने उसे कहा की मैं उसे कुछ दिखलाना चाहता हूँ जिसके लिए वो कुछ देर के लिए अपनी दूकान बंद कर सकती है और हम अंदर कुच्छ बात कर लेंगे . .!! उसे मेरी हरकत समझ में आ गयी और थोडा मस्का मारा तो उसने अपनी दूकान बंद कर ली और अब अँधेरे में दूकान में ही थे |

हम दोनों को ही पता था की अब हमारे में बीच में क्या गुल खिलने वाला है इसलिए मैंने देर न की और फट उसके कुर्ते को एक बार में उतार ही दिया | उसकी गठीली चुचियाँ जैसे चुसाई के लिए बनी थी जिन्हें में अपने हाथ में मलने लगा और उसके होठों का रस चूसने लगा | मेरा लंड भी तन रहा था उजो उसकी जाँघों पर गढ़ रहा था और अब मैंने उतार उसके चुचों को चूसने लगा | मैंने अब चुदाई में भी देरी न कर उसकी सलवार को खोल दिया और अपने लंड का जोर से उसकी चूत के अंदर देने लगा | उसकी चूत भी इतनी चिकनी थी की मेरा लंड आराम से आर - पार हुए जा रहा था | वो अब झटपटा रही थी | हम दोनों के गुप्त अंगों अब ज़ोरों की चींटियाँ काट रही थी | मतलब यह था की मैं झड़ने वाला तह और उसका भी कामरस निकलने को था |

मैंने बाज़ी संभालते हुए अपना लंड निकाला और उसके चुचों के बीच अपना लंड मसलते हुए अपना मुठ वहीँ निकाल दिया | अब बारी आई उसकी चूत के कामरस को निकालने की जिसकी चिकनी चूत में अब मैं ३ से चारा उंगलियां धमाधम डाले जा रहा तह और वो ज़ोरों से अपने सर को पकडकर आःहः हाहाहा करती हुई झूम रही थी | मेरी तेज़ी से उसकी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी और अचानक उसकी कामरस की फुंकार निकल पड़ी और हम दोनों वहीँ एक दूसरे के उप्पर ढेर हो गए |
 
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