बेटी सीमा की चूत और फौजी का लंड[भाग3]

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अपने फौजी बाप को अपनी चूत का दीवाना बना लिया सीमा ने।

बेटी द्वारा इतना उकसाए जाने पर पुलिस के जवान अधेड़ उम्र के बाप की जवानी भी एक दम शोला बन चुकी थी, उसने अपने लंड को भी अब तक छुआ न था पर वो नीचे लटक कर के एक दम से गदहे के लंड जैसे आकार का हो गया था। समझ में नहीं आता है कि इतने बड़े लंड वाले पति के होते हुए उसकी आखिर उसकी बीबी किसी दूसरे के झांसे में पड़ कैसे सकती है। खैर जो भी हो सच तो ये है कि वो छिनाल हो गयी थी और आखिर में उसके संबंध कितने ही गैर मर्दों से थे। इसलिए उसकी अपनी बेटी भी बिगड़ चुकी थी और आज अपने पापा से ही इश्क फरमा रही थी।

ऐसा सुनने के बाद और बार बार प्लीज दुबारा करो ना कहने पर उसके सिपाही बाप का लंड एक दम हथोड़ा हो चुका था। खून का प्रवाह लंड में अतिरेक से था और एक ऐसे रिश्ते जिसके बारे में सोचा न जा सके, उसमें चोदने की कल्पना करना ही अपने आप में अति उत्तेजक होता है, तो खैर अपने लंड को देखते हुए उसके बाप ने अपनी बिटिया के फुद्दी के फांकों को पीना जारी रखा। लंड एक दम कड़ा हो गया तो उसने सीमा को नीचे बिठा दिया।

घुटनों के बल सीमा बैठ गयी तो उसने अपने अंडे को उसके मुह में डाल कर हिलाना शुरु कर दिया। सीमा उसे अपने होठों के बीच चूस कर ऐसे कर रही थी जैसे कि उसको आमलेट बना देगी। वह बार बार उसको चूसे जा रही थी और वो अपने लंड को अपने हाथों में पकड़ कर मूठ मार कर और भी धारदार बनाने के कोशिश में था। इस प्रकार से अपने लँड को सहलाते हुए और उसके मुह में अंडकोष को देते हुए उसने देखा, सीमा के मस्त चूंचे एक दम से उपर नीचे हो रहे थे, यह एक अत्यंत रोमांचक पल था और नजारा भी। काश कि जिंदगी ऐसे ही चोदते हुए बीत जाती पर ऐसा नहीं होता रियल लाईफ में। ऐसे मजेदार लम्हें कभी कभी ही मिलते हैं। उसने सीमा को अंडों को खूब जम के चूसने दिया।

अब बारी थी देसी मुखमैथुन की। इसलिए उसने सीमा के मुह में अपना बड़ा सुपाड़ा डाल कर के धकियाया। छोटे से मुह और बड़े से लंड के सुपाड़े को देख कर के ऐसा लग रहा था कि कैसे घुसेगा उसके मुह में पर सीमा ने अपनी औकात से ज्यादा मेहनत करके लंड को मुह में ले लिया। किसी छोटी सी चूत के छेद की तरह उसका मुह और होठ उस मोटे लंड पर पकड़ बनाए हुए थे। उसके पापा ने अंदर की तरफ लंड ठेलते हुए देखा कि कैसे उसके आंखें खुली जा रही थीं लंड को अंदर लेते हुए। फिर भी मुखमैथुन का जोर ऐसा चढता है कि फिर रोके से नहीं रुकता है। ऐसा ही हाल था उस समय उन दोनों का। चूंकि सिपाही अपने बेटी की बुर पहले ही चूस चुका था इसलिए उसको अब लंड चूसवाना ही था किसी तरह से।

अब लंड को अंदर ठेल कर हल्के हल्के अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। लंड ने जब गति पकड़ी तो कभी सीमा के हलक में उतरा, कभी उसके गालों पर अंदर से मालिश की और कभी तालू का तबला बजाया। पूरे मुह को अखाड़ा बना के रख दिया था सीमा के पापा ने। खैर बेटी को इतना अच्छा गिफ्ट देते हुए आज वो बहुत खुश था। सीमा भी अपनी मां को चैलेंज दे रही थी।

रंडियों सी हालत हो गयी चुदते समय उसकी अपने बाप के सामने।

अब जब कि लंड मुह की गर्माहट पाकर और भी तन चुका था, बारी थी सीमा के चूत की गहराई की थाह लेने की। उसके पापा ने उसको कंधे पर उठाया और बाथरुम से उठा कर सीधा बेडरुम मे बेड पर पटक दिया। उसके टांगों को खोल कर बिना बाल वाली कुंवारी चूत को नजदीक से देखा, एक दम गुलाबी चूत के अंदर छोटा सा छेद और उसमें झलकती हायमन का नजारा। उसको याद आया, इसकी मां तो बिना हायमन मतलब कि फटी हुई चूत लेके आई थी, चलो कमसे कम अब उस कमी को उसकी बेटी पूरा कर रही है।

उसने उसके पैरों को कमर तक बेड के बाहर खींच लिया और अपने हथौड़े जैसे मोटे और गदहे जैसे लंबे लंड को उसके चूत के उपर रगड़ना शुरु किया। अब सीमा को डर लग रहा था, उसने कहा - पापा मुझे कुछ होगा तो नहीं न, मुझे डर लग रहा है। इस बात पर सीमा के पापा ने कहा, नहीं बेटा ये सब तो बस खेल जैसा है, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा। और सिपाही ने सीमा के चूंचे पकड़ लिये और फिर अपने लंड को उसके छेद के उपर टिका दिया।

अपने हाथों से उसके मुह को बंद करने के बजाय बेडरुम के ड्रावर में रखा चाकलेट निकाला और उसको थमा के बोले, ले इसको एक ही बार में खा जा, इसके बाद जब तक तू इसे निगलेगी। सब कुछ हो जाएगा, डरने की कोई जरुरत नहीं है।

सीमा ने एक बड़ी बाईट कैडबरी की ली और उसके पापा ने उसके चूत में अपने लंड का कीला ठोक दिया। दन्न से चूत की झिल्ली की बखिया उधेड़ते हुए लौड़ा उसके बच्चेदानी के दरवाजे पर टकराया, चरम सुख देने वाले जी स्पाट का लंड के सुपाड़े से स्पर्श और कोमल और नाजुक झिल्ली का फटना दोनों एक साथ हुआ। अब सब कुछ आसान था, हालांकि सीमा के हाथ से चाकलेट छूट चुकी थी पर फिर भी एक टुकड़ा मुह में था, दर्द के साथ चाकलेट का स्वाद भी कसैला हो चला था पर लंड के अंदर जाने के बाद उसकी मिठास और भी बढ़ गयी। अब सीमा अपने पापा की रखैल बन चुकी थी और वो भी उसे अपनी प्रेमिका की तरह ही ट्रीट कर रहा था। उसके चूंचों को मलते हुए और अंदर की तरफ पुरजोर धक्के लगाते हुए सि्पाही जी ने सीमा को अपने लंड का स्वाद चखाना जारी रखा। आधे घंटे तक इस स्टाइल में चोदने के बाद उसने अपना वीर्य अपनी बेटी को पिला दिया। और फिर यह लड़ाई लंड और चूत की, पहले दिन तो आठ घंटे कामुकता के रसीले और रंगीन खेल में चलती रही।
 
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