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मेरा नाम रश्मि है, और मै कोलकाता की रहनेवाली हूं। यहां एक प्राइवेट कंपनी में काम करके अपना गुजारा करती हूं। तन की आग सबको लगती है, और सबके जीवन मे एक पल ऐसा आता है जब आप खुदको रोक नही पाते। और चल पडते है तन की आग बुझाने की ओर। आज मै जो घटना आपको बताने जा रही हूं, वो पिछले साल दिवाली के समय मेरे साथ घटित हुई।
मै दिखने में सुंदर लगती हूं, मेरा फिगर २८-२६-२८ है।
मेरा रंग एकदम गोरा है। मै ज्यादा तर सलवार कमीज ही पहनती हूं। मेरे ऑफिस में सारे मर्द मुझे ऐसे देखते जैसे आंखों से ही मुझे खा जाएंगे। मेरा बॉस तो छोटे छोटे काम से भी मुझे अपने केबिन में बुला लेता। और मुझे छूने के बहाने ढूंढता रहता। मै भी बॉस को खुश रखने के लिए अपनी तरफ से थोडी कोशिश कर देती। उनके सामने कभी कभी थोडा अधिक झुककर मै अपने स्तनों के दर्शन उन्हें करवा देती। मैने उन्हें मेरे उरोज देखकर अपना लंड मसलते हुए बहुत बार देखा है। कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता जैसे वो मुझे अपना लंड दिखाना चाह रहे है, इसीलिए मेरे सामने अपने लंड को मसल देते है। मै भी चाहती थी, बॉस मुझे वही ऑफिस में पटककर मेरी चुदाई कर दें। एक दिन एक काम की डेडलाइन पास आने की वजह से मुझे ओवर टाइम करना पड रहा था। तब आफिस में चार-पांच लोग ही बचे थे, जिनमे बॉस भी थे। बॉस को इससे अच्छा मौका नही मिल सकता था, तो वो मेरे पास आकर मुझे काम की रिपोर्ट के बारे में बात करने लगे। मै उनके अंदाज को देखकर समझ गयी थी कि, वो क्यूं यहां आकर मुझसे बातें कर रहे है। मेरा तब तक कोई बॉयफ्रेंड नही था, तो मैने बस अपनी सहेलियों से उनकी चुदाई की कहानियां सुनी थी। और वो सब सुनने के बाद मेरा भी मन मचलने लगता था। धीरे धीरे बाकी के लोग भी ऑफिस से निकल गए, अब पूरे ऑफिस में सिर्फ मै और बॉस दोनों ही बचे थे। बॉस ने अब पहल करते हुए मुझसे कहा, "रश्मि मै बहुत दिनों से तुमसे एक बात कहना चाहता हूं, लेकिन समझ नही आ रहा कैसे कहूँ।" लेकिन मै तो पहले से ही सब समझ चुकी थी, तो मैने भी बॉस से कहा, "क्या बात है सर, जो भी है खुलकर बोलिये। " इतना कहकर मै बॉस के सामने थोडा सा झुक गई जिससे मेरा क्लीवेज उनके सामने आ गया। सच कहूं तो मेरा मन भी अब चुदाई करने का करता था, तो मै भी बॉस को उकसाने में लगी थी। अगले ही पल बॉस ने मेरा हाथ अपने हाथों मे ले लिया, और मेरी आँखों मे देखने लगे। मैने शर्म से अपनी आंखें झुका ली, तो उन्होंने पहले मेरे हाथ को उनकी तरफ खींच लिया जिससे मै उठ खडी हुई। और फिर अपनी हथेली से मेरी ठुड्डी को पकडकर थोडा सा ऊपर की ओर उठा दिया। जैसे ही मैने आंखे खोली तो उनके होंठ मेरे होंठों के एकदम करीब आ चुके थे। मेरे कुछ कहने से पहले ही उन्होंने मेरे होठों को अपने होठों से मिला दिया और मेरे निचले होठ चूसने लगे। मुझे भी यह अहसास अच्छा लगने लगा था, तो मै भी उन्हें मना नही कर रही थी। और इस बात का पूरा फायदा मेरे बॉस उठा रहे थे। अब उनके हाथ मेरे उरोजों पर आ चुके थे, और वो उन्हें धीरे धीरे सहला रहे थे। वो मुझसे पूरे चिपके हुए थे, जिससे उनका लंड मेरी चुत पे रगड रहा था। बॉस ने अब आराम से मेरे कमीज को ऊपर उठाकर अपने हाथों को मेरी कमीज के अंदर घुसाना चाहा। लेकिन मैने उन्हें यह करने से रोक दिया, एक तो अब समय भी बहुत हो चला था और यह सही जगह भी नही थी। तो बॉस ने वहां से अपने हाथ हटाकर मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत पे अपना हाथ रख दिया। अब बॉस के होंठ मेरी गर्दन पर थे, और वो मेरी चुत को अपनी मुट्ठी से भींच रहे थे। अब तक मेरी चुत ने एक बार अपना पानी छोड दिया था। थोडी देर ऐसे ही ऊपर से चूमा-चाटी के बाद बॉस ने कहा, "रश्मि इसका कुछ इलाज कर दे, देख तुझे देखकर कैसे खुश हो रहा है।" यह कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकडकर अपने लंड पर रखवा दिया। यह पहली बार था, जब मै किसी पुरुष को ऐसे छू रही थी। मेरे पूरे शरीर मे एक हलचल सी होने लगी। बॉस का लंड एकदम सख्त हो चुका था, और पैंट के अंदर ही झटके पे झटके मारे जा रहा था। मैने एकबार पूरे लंड पर हाथ फेरकर साइज का अंदाजा लिया, तो वो काफी बडा और मोटा सा लगा मुझे। मै अब बॉस के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी, तो बॉस ने कहा, "उसे पैंट के बाहर निकालकर जरा खेल लो उसके साथ।" मैने बॉस से कहा, "सर आज नही, बाकी मजे फिर कभी लेंगे।" तो बॉस ने कहा, "आज के लिए इसे शांत तो कर दो, देखो कैसे फनफना रहा है यह।" मैने उनसे कहा, "ठीक है, लेकिन इसे शांत कैसे करते है?" तो बॉस ने अपना लंड पैंट के बाहर निकाल लिया और उसे आगे पीछे हिलाकर मुझे दिखाते हुए बोले, "इसे अपने हाथों में लेकर इस तरह से सहलाते हुए हिलाओ, तो थोडी देर में यह शांत हो जाएगा।" मै उनके कहे अनुसार लंड को पकडकर हिलाने लगी। मैने लंड को अपने हाथ मे लिए दो मिनट ही हुए थे कि, ऑफिस का चौकीदार अंदर आ गया। उसके कदमों की आहट सुनते ही मैने बॉस के लंड को छोड दिया और अपनी जगह पे आकर बैठ गई। और बॉस ने भी तुरंत अपना मूसल सा लंड पैंट के अंदर कर दिया। लेकिन तब तक शायद चौकीदार समझ गया था, कि इन दोनों के बीच कोई खिचडी जरूर पक रही है। बस उसने हमें रंगे हाथों नही पकडा था। अंदर आकर उसने बॉस से पूछा और कितना समय लगेगा, उसे ऑफिस को ताला लगाकर घर भी तो जाना था। तो बॉस ने उसे कहा, "बस थोडा सा काम बचा है, वो होते ही दस मिनट में हम निकल जाएंगे।" तो चौकीदार ने जाते समय मेरी तरफ देखकर एक कुटिल सी मुस्कान देकर चला गया। उसके जाते ही बॉस ने सीधे अपने दोनों हाथों को मेरे उरोजों पे रख दिया और उन्हें सहलाने लगे। और मेरे निप्पल को अपने दो उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगे। लेकिन अब मै डरने लगी थी, कि कहीं वो चौकीदार फिरसे न आ जाए। तो मैने बॉस को रोक दिया और कहा, "सर अब काफी समय हो गया है, हमे चलना चाहिए।" तो बॉस ने भी ना-नुकुर किये बिना मेरी बात मान ली और हम अपना अपना पैक करके निकलने लगे। उस दिन पहली बार बॉस ने मुझे अपनी कार से मेरे घर तक छोडा। घर जाते वक्त भी वो फूल मस्ती करने के मूड में थे, बीच बीच मे मेरी चुत को भींच लेते, तो कभी मेरे स्तनों को दबा देते। घर जाकर पूरी रात मै आज जो भी हुआ उसी के बारे में सोचने लगी। और सोचते सोचते कब मै कल्पना के सागर में गोते लगाने लगी, मुझे पता ही नही चला। अब मै मेरे बॉस और मेरी चुदाई की कल्पना करते करते अपनी चुत को सहला रही थी।
मेरी कल्पना
मै अपनी कल्पना कुछ इस प्रकार कर रही थी -
ऑफिस में एक छुट्टी के दिन हम दोनों ही एक डेडलाइन की वजह से आये हुए हैं। और मै बॉस के केबिन में कुछ काम की वजह से जाती हूँ, तो बॉस अपने लौडे को पैंट के बाहर निकालकर सहला रहे थे। और उनके पिसी पर कुछ मूवी चल रही थी, जिसे देखते हुए बॉस अपने लंड को सहलाये जा रहे थे। उनको पता भी नही चला, कब मै केबिन में घुस कर उनकी इस हरकत को देख रही थी। मैने धीरे से बॉस के बगल में जाकर देखा तो डेस्कटॉप के स्क्रीन पर एक आफ्रिकन आदमी एक लडकी की चुत में बेरहमी के साथ अपना मूसल सा लंड पेले जा रहा था। थोडी देर के बाद उस आदमी ने पोजीशन बदलने के लिए अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया। उसका लौडा देखकर मेरे मुंह से आह निकल गई, और तभी बॉस का ध्यान मेरी तरफ गया। तो बॉस एकदम से हडबडाकर अपने आपको ठीक करने लगे। तभी मैने बॉस को रोककर उनके लंड को अपने हाथों में पकड लिया और अपने घुटनों के बल बैठकर उनके लौडे को अपने मुंह मे भरकर चूसने लगी। अब बॉस भी मजे लेने लगे थे, तो उन्होंने मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए। और थोडी ही देर में उन्होंने मुझे ऊपर से नंगी कर दिया और मेरे स्तनों को मसलने लगे। मै एकदम मस्त होकर उनके लंड को लॉलीपाप की तरह चूस रही थी। साथ मे मै उनके टट्टों को भी सहला रही थी, कभी कभी चुम भी देती। थोडी देर उनका लौडा चूसने के बाद उन्होंने मेरे मुंह मे ही अपनी पिचकारी छोड दी। उधर मेरी कल्पना में बॉस ने अपना माल छोड दिया और इधर वास्तव में मैने अपना पानी निकाल दिया। अब मै बहुत खुश थी, कि मेरी चुत को भी अब लंड नसीब होगा। और अब मेरी बाकी सहेलियों की तरह मै भी चुदाई के मजे लुंगी। उस रात एक और बार मैने अपनी चुत से पानी निकाला और फिर वैसे ही नंगी होकर सो गई। आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट्स सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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