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आपने मेरी पिछली कहानी में पढा कि, मेरी पहली चुदाई तो जल्दबाजी में हो गई थी। तो उस चुदाई में मेरी सिर्फ झिल्ली ही फटी थी, लेकिन मै संतुष्ट नही हो पाई थी। अब आगे-

तो जैसे ही भैया का वीर्य निकलने वाला था तो उन्होंने अपना वीर्य बाहर ही मेरे पेट पर गिर दिया। उसके बाद वह मेरे बगल के लेट गए, तो मैने उनसे कहा, "मेरा अभी नही हुआ है, कुछ तो करो।"

तो उन्होंने अपनी दो उंगलियां मेरी चुत में डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। और फिर थोडी देर मेरी चुत में उंगली करने के बाद मेरा भी चुत का रस निकल गया, और इस तरह मेरी पहली चुदाई मेरे सगे भाई के साथ हुई।
फिर हमने जल्दी अपने अपने कपडे पहने और खुद को साफ किया, मेरी चुत के हिस्से में अभी थोडा दर्द हो रहा था, तो मुझे लंगडाकर चलना पड रहा था।

कहीं माँ को शक ना हो जाए इसलिए मै अपने कमरे में ही सोने चली गई। और भाई हॉल में जाकर टीवी देखने लगे।

थोडी देर के बाद माँ घर लौट आई, मुझे अपने कमरे में उनकी आवाज सुनाई दे रही थी। इसके बाद पता नही कब मै नींद के आगोश में चली गई। मै सीधे रात मे आठ बजे उठी और फिर तभी माँ मुझे जगाने के लिए कमरे में आई। मुझे उठी हुई देखकर जल्दी खाना खाने आने को कहकर चली गई। तो उठकर मैने भी खाना खा लिया और फिर रोज की तरह हॉल में बैठकर पढने लगी।

लेकिन अब अगर एक बार आपकी चुदाई हो चुकी हो, और आप संतुष्ट ना हो तो आपको पता है, आपका मन नही लगता किसी भी चीज में।

वही हालत मेरी भी थी, मै मेरे सामने किताबे रखकर पढने की कोशिश तो कर रही थी, लेकिन बार बार मेरे मन मे चुदाई का ख्याल आ जाता। तो थोडी देर रुकने के बाद मैने एक बार माँ के कमरे में झांककर देखा तो दोनों गहरी नींद में सो रहे थे।

फिर मैंने अपनी किताब ठीक से रख दी और अपने कमरे में चल दी, वहां भैया भी शायद मेरा ही इंतजार कर रहे थे। मेरे कमरे में जाते ही उन्होंने उठकर मुझे अपने गले से लगा लिया और मुझसे शाम के लिए माफी मांगी कि, वो मुझे संतुष्ट नही कर पाए।

मैने भी उनसे कहा, "ठीक है, मैने सुना है पहली बार ऐसा होता है। अब अगली बार ऐसा नही होगा।"

तो भैया ने कहा, "हां, ठीक कहा, अब आजकी पूरी रात हमारी है। आज हमारी सुहागरात है, इसे और हसीन बनाना है।"

इसका मतलब भैया भी आज पूरे चुदाई के मूड में है, यह सुनकर मै बहुत खुश हुई। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था, तो मैंने भैया को कसकर अपने गले लगा लिया। जिससे मेरी चुचियां उनकी छाती में गडने लगी थी। अब भैया ने भी मुझे कसकर अपने से चिपका लिया और अपने हाथों को मेरे चुतडों पर रख दिया। उनके हाथों में मेरे चूतड आते ही भाई ने उन्हें जोर से मसलना शुरू कर दिया।

मैने उन्हें रोकते हुए कहा, "आप तो कह रहे थे, कि आज हमारी सुहागरात है, तो पहली बार किसी लडकी को ऐसे थोडी न चोदते है। मुझे आज अपनी पत्नी बना लो।"

इतना सुनते ही भैया ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और बेड की तरफ चल दिए। बेड के पास जाते ही मुझे बेड पर बिठा दिया, और खुद मेरे सामने बैठ गए। मै भी किसी दुल्हन की तरह अपना सर झुककर बैठी हुई थी। तो भाई ने अपनी हथेली से मेरा सर उपर की ओर उठाते हुए मेरे होठों को चूम लिया। भैया ने मेरे होठों को चूमते हुए ही अंडरवियर के अलावा अपने सारे कपडे उतार दिए। और फिर मेरा टॉप और शॉर्ट भी उतारकर अलग कर दिया।

अब मै सिर्फ ब्रा पैंटी में थी, और भैया चड्डी में। फिर भैया ने मेरे ऊपर होकर मेरे सारे बालों को एक तरफ को करके दूसरी तरफ मेरी गर्दन पर चूमने लगे। उन्होंने वहां मुझे लव बाइट्स भी दिए, जिसकी वजह से अगले कुछ दिन मुझे मेरा गला सबकी नजरों से बचाके रखना पडा। अब तक तो भैया का लौडा पूरी तरह से तनकर लोहा बन चुका था और मेरी चुत में घुसने के लिए बेताब हुए जा रहा था।

जल्द ही भैया ने मेरी ब्रा भी निकाल दी और मेरे चूचियों को सहलाते हुए पीने लगे। मै भी गर्म हो रही थी, तो मैंने उनके सर को अपनी चूचियों पर दबाना चालू कर दिया।
थोडी देर मेरी चुचियां चूसने के बाद भैया ने उठकर मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और खुद उनके बीच मे आकर बैठ गए। मेरी ब्रा तो उन्होंने पहले ही निकाल दी थी, अब बस पैंटी बची हुई थी।

तो भैया ने पैंटी के इलास्टिक में अपनी उंगलियां घुसाकर उसे एक ही झटके में नीचे खिसका दिया, जिसे फिर मैंने ही अपने पैरों से निकाल फेंका। भैया के सामने मेरी नंगी चुत आते ही उन्होंने अपने होंठ मेरी चुत पर रख दिए।

भैया पूरी मस्ती के साथ मेरी चुत चाटने में लगे हुए थे। मैने उन्हें रोककर अपने ऊपर आने को भी कहा, लेकिन वह थे कि मेरी चुत को खा जाना चाहते थे।

मेरी चुत तो पानी बहा रही थी, और अब जल्द ही अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचने वाली थी। तो मैंने अपने हाथों से भैया के सर को अपनी चुत में दबाने लगी, मेरा शरीर अकडने लगा था। भैया की नुकीली जीभ मेरे भग्नासा को छेडते हुए मेरी चुत की चुदाई किए जा रही थी।

भैया का सर दबाने से उनको भी समझ आ गया, कि जल्द ही मै झडने वाली हूं। तो उन्होंने भी मुझे और जोर से पकडते हुए अपने जीभ की गती बढा दी। तभी अचानक से मेरी चुत से कामरस की धारा बह निकली। मै मेरे चरम पर थी, और इस अनुभव को पूरी तरह से जी रही थी। भैया ने एक-एक बूंद चाटकर मेरी चुत साफ कर दी।

मेरी चुत को चाट-चाटकर साफ करने के बाद भैया ने अपनी चड्डी उतार दी। भैया के चड्डी उतारते ही उनका तना हुआ लंड एक झटके से बाहर आ गया। फिर भैया ने मेरी ओर देखते हुए अपना लंड हिलाकर मुझसे पूछा, "क्या तुम भी इसे चूसकर इसका अमृत पीना चाहोगी?"

तो मैंने भी हां में सर हिला दिया और बेड पर उठकर बैठ गई। अब भैया दीवार की तरफ से टेक लगाकर बेड पर बैठ गए, और मै उनके पैरों के बीच मे आ गई। फिर मैंने उनके लंड को अपने हाथ मे लेकर सहलाया, और उनके टट्टों पर भी अपना हाथ फिराया। फिर आराम से उनके लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करके देखा।

तो जैसे ही मैने भाई के लौडे के टोपे पर जो चमडी होती है, उसे पीछे खींचते ही अंदर की तरफ पूरा लाल भाग था।

भैया के लंड को मै ध्यान से देख रही थी, तो भैया ने कहा, "अब से ये तेरा ही है। जितना देखना है, जैसे देखना है, देख सकती है तू।"

मैने बस भैया की तरफ देखकर एक स्माइल दी और फिर से लौडे को आगे पीछे करने लगी। अब भैया के लंड से एक पानी की बूंद आकर उनके लंड के अग्रभाग पर टिक गई। वो बून्द तो बिल्कुल घास पर जमी ओस की तरह लग रही थी। फिर मैंने भैया के लंड को एक बार अच्छे से पोंछ लिया, और उनके टोपे को चुम लीया।

जैसे ही मै उनके लंड को चूमने के लिए नीचे बढी, मुझे एक अजीब सी गंध आने लगी, जो उनके लौडे से आ रही थी। इस गंध में एक अलग नशा सा था, जो मुझे भी अच्छा लगने लगा था।

लंड को एक बार चुम लेने के बाद फिर मैंने उसके लाल सुर्ख टोपे पर अपनी जीभ फिराई, और लंड के आगे वाले छेद में अपनी जीभ को नुकीली करके डालने लगी। मेरी इस हरकत से भैया के शरीर मे एक बिजली सी दौड गई। अब मैने अपने हाथ हटाकर पूरा लंड अपने मुंह मे लेने की ठान ली थी, और शायद उस गंध की वजह से ही मैने लंड को चूमने के बाद उसे पूरी तरह से अपने मुंह मे लेने में कोई आनाकानी नही की।

पूरा लौडा मुंह मे जाने के बाद एक अजीब कसैला सा स्वाद आया, लेकिन थोडी देर बाद वह भी अच्छा लगने लगा था।

अब मै एकदम मस्त होकर भैया का लंड अपने मुंह मे भरकर चूस रही थी। भैया भी धीरे धीरे अपने मुंह से आहें निकाल रहे थे, और अपनी बहन द्वारा की जाने वाली लंड चुसाई का लुफ्त उठा रहे थे। और मै भैया का लौडा चूसे जा रही थी।

आपको यह कहानी कैसी लगी हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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