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नमस्कार दोस्तों मै अपनी कहानी भाई की साजिश का अगला भाग लेकर आपके सामने हूं। अब तक आपने पढा, कैसे भाई ने मेरे साथ अपनी सुहागरात मनाई।

अब आगे -

भैया भी धीरे धीरे अपने मुंह से आहें निकाल रहे थे, और अपनी बहन द्वारा की जाने वाली लंड चुसाई का लुफ्त उठा रहे थे। बीच बीच मे वह मेरे चूचियों को भी मसल देते, तो कभी मेरी चुत में उंगली कर देते। थोडी देर लंड चूसने के बाद भैया ने अपने हाथ मेरे सर के पीछे ला दिए। और अपना लौडा पूरी तरह से मेरे मुंह मे डालने की कोशिश करने लगे। उनका लंड मेरे गले तक पहुंच रहा था, लेकिन पूरा अंदर जाना नामुमकिन था।

अब भैया का लौडा चूसते हुए काफी समय हो चला था, और अब तक भाई की तरफ से कोई चरम पर पहुंचने के असर नजर नही आ रहे थे। अब मेरा मुंह भी उनके मोटे लंड को अपने मुंह मे भर-भरकर दर्द करने लगा था। तो मैंने उनके लौडे को अपने मुंह से बाहर निकालकर उनसे इसका कारण पुछा, तो भैया ने कहा, "उन्होंने कोई गोली खाई है, जिसकी वजह से अब उनका इतने जल्दी नही होगा।"

यह सुनकर मै तो घबरा गई। मुझे अब डर लगने लगा था, कि मेरा क्या हाल होगा। अभी तो यह नीचे गया भी नही और उससे पहले ही मेरा मुंह भी दर्द करने लगा था।
तो मैंने अब ज्यादा सोचना छोडकर भैया को सीधा अपने ऊपर आने को कहा। तो भैया ने भी बात मानते हुए मेरे ऊपर आने लगे। भैया ने मेरे ऊपर आते ही मेरे होठों को अपनी उंगली से सहलाते हुए मेरे मुंह मे अपनी उंगली घुसा दी। और मै भी बडे मजे से भैया की उंगली को चूस रही थी।

अब भैया का लंड सीधे मेरी चुत से टकरा रहा था, और मेरी चुत भी उनके लंड की छुअन से लार टपकाने लगी थी। अब मुझसे भी रहा नही जा रहा था, लेकिन भैया थे कि, उनको मुझे तडपाने में बडा मजा आ रहा था। वो चाह रहे थे कि, मै और खुलकर उनके साथ चुदाई के लिए बोल दूं।

वैसे भी मुझसे रुका नही जा रहा था तो मैंने भैया से बोल ही दिया, "भैया जल्दी से अपना लंड मेरे अंदर डाल दो। मै रह नही पाऊंगी, मेरी चुत में कुछ हो रहा है।"

तो भैया ने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए, और अपने एक हाथ से लंड को पकडकर मेरी चुत पे रख दिया। मेरी चुत पर भैया ने अपना लंड रखते ही मैने अपनी कमर ऊपर की ओर उचका दी। मै चाहती थी कि, अब हमेशा मेरी चुत में एक मस्त लंड रहे जिससे मेरी चुत चुदाई की प्यास बुझ जाए। लेकिन जैसे ही मैने अपनी कमर उचकाकर लंड अंदर लेने की कोशिश की, लंड फिसलकर बाहर निकल गया। तो भैया ने मेरे होंठ छोडते हुए मेरी तरफ देखकर हंसने लगे।

भैया ने बोला, "मेरी प्यारी बहना, लंड की इतनी तडप है तुझे। तू तो बहुत बडी चुदक्कड निकली मेरी रानी। तुझे चोदने के लिए कबसे मेरा लौडा बेताब था, और अब जाकर मौका मिला है।"

तो भैया से मैने कहा, "भैया बातें बाद में होती रहेगी, अभी जल्दी से आप अपना लंड मेरी चुत में डालकर मेरी धकमपेल चुदाई कर दो।"

मेरे इतना कहने की देरी थी कि, भैया ने अपना लंड मेरी चुत पर रखकर एक जोरदार धक्का दे मारा। मै चाहती तो थी कि, मेरी चुत में भाई जल्दी से अपना लंड पेल दे। लेकिन ऐसे एक ही धक्के में पूरा लंड डालने सेमरी चीख निकलने को हुई। यह तो अच्छा हुआ कि, भैया ने धक्का लगाने के तुरंत बाद ही मेरे होठों को अपने कब्जे में ले लिया, जिस वजह से मेरी चीख अंदर ही दबकर रह गई।
अब की बार भी लंड के अंदर जाने से मेरी चुत में थोडा सा दर्द हुआ, लेकिन पहली बार जितना हुआ था उतना नही। इस बार भैया ने अपना लंड अंदर डालने के बाद पिछली बार की तरह तुरंत धक्के लगाने शुरू नही किए। वो थोडी देर के लिए रुके रहे, और मेरा दर्द खत्म होने का इंतजार करने लगे।

उनकी यह बात मुझे अच्छी लगी। तो मैंने भी भैया को अपने बाहुपाश में कस लिया और उनके बालों में हाथ डालकर सहलाने लगी। थोडी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया, तो मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी।
जैसे ही मैने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी, भैया समझ गए कि मेरा दर्द खत्म हो चुका है और मै भी अब मजे ले रही हूं। तो भैया ने भी तुरंत धक्के लगाने शुरू कर दिए, भैया अब की बार शुरू से ही तेज धक्के लगाने लगे। तेज धक्कों की वजह से मेरी और भैया की जांघों की टकराने से थपथप की आवाज आने लगी, जो पूरे कमरे में गूंजने लगी थी।

अब भैया भी पूरे जोश में मेरी चुत बजाए जा रहे थे। शुरू शुरू में मै भैया के हर धक्के का जवाब अपनी कमर उचकाकर देने लगी थी, लेकिन भैया जिस गती से धक्के लगा रहे थे, उस वजह से मेरी टांगे थक चुकी थी। तो मै अब बस लंड को अपनी चुत के अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी। भैया का लंड जैसे ही पूरा मेरी चुत के अंदर जाता तो ऐसे लगता कि, मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा हो। और जैसे ही भैया अगला धक्का लगाने के लिए अपने लंड को थोडा सा बाहर खींच लेते, तो मुझे लगता कि, कोई मुझसे मेरी दुनिया छीन रहा हो।

भैया लगातार मेरे होंठ चूसे जा रहे थे, कभी निचला होंठ तो कभी उपरवाला होंठ। बीच बीच मे होंठों को हल्के से काट भी देते, जिस वजह से मेरे मुंह से आह निकल जाती। भैया बीच बीच मे अपनी जीभ मेरे मुंह मे घुसाकर मेरी जीभ से खेलने लगते। भैया जब शांत हो जाते तो मै अपनी जीभ भैया के मुंह मे डालकर उनके जीभ से खेलने लगती। जीभ के साथ साथ हम एक-दूसरे के मुंह मे अपनी लार भी छोड देते थे। जैसे ही मै अपनी जीभ भैया के मुंह मे घुसा देती तो भैया मेरी जीभ को पूरा अपने मुंह मे खींचकर उसका सारा रस निचोड लेते थे।

अब भैया मुझे बहुत देर से एक ही पोजिशन में चोदे जा रहे थे, तो अभी उन्होंने पोजिशन बदलने का कहकर मुझे उठाकर घोडी बना दिया। अब मैं बेड पर अपने घुटनों के बल बैठी थी, तो भैया मेरे पीछे आकर मेरी पीठ को और नीचे दबा दिया। जिसकी वजह से अब मै अपने घुटनों के साथ साथ दोनों हाथों पर आ खडी थी।

अब भैया मेरे पीछे थे, उन्होंने एक बार नीचे झुककर मेरे चुतडों को सहलाते हुए उनपर एक चुम्मा दे दिया। मेरे दोनों चुतडों पर चूमने के बाद भैया ने मेरी गांड के छेद को अपने एक उंगली से सहला दिया।

भैया ने मेरे गांड के छेद को सहलाते ही मैने अपनी गांड हिलाकर उनको हाथ हटाने का इशारा कर दिया। लेकिन भैया ने अपना हाथ हटाने की जगह एक उंगली से गांड के छेद पर रगडने लगे। और धीरे धीरे उंगली को मेरी गांड के छेद के अंदर सरकाने लगे।

तो मैने भैया की तरफ देखते हुए उनसे कहा, "भैया अभी के लिए गांड छोड दीजिए, और मेरी चुत की आग को पहले शांत कर दीजिए। बाद में गांड की तरफ देखना, मै मना नही करूँगी।"

तो भैया ने भी मेरा खयाल करते हुए अपनी उंगली को मेरे गांड के छेद से हटा लिया। और अपने लंड को उन्होंने हाथ मे ले लिया, उसके बाद उन्होंने उसे मेरी चुत पर रखना चाहा, लेकिन मेरी गांड नीचे की ओर होने की वजह से भाई ठीक से अपना लौडा सेट नही कर पाए।

तो उन्होंने मेरी कमर को नीचे से पकडकर मेरी गांड को थोडा ऊपर की ओर उठा दिया, जिससे मेरी चुत उभरकर भैया के सामने आ गई। भैया ने पहले हाथ से मेरी चुत को सहलाया और फिर अपने हाथ पर थूक लेकर उसे मेरी चुत पर मल दिया।

अब भैया मेरी चुत में लौडा पेलने के लिए बिल्कुल तैयार होकर मेरे पीछे खडे थे। उन्होंने अपना लंड हाथ मे लेकर मेरी चुत पर रख दिया और हल्के से उसे अंदर की ओर धकेल दिया।

अब मेरी चुत पहले से ही चुद रही थी तो अंदर से गीली ही थी, तो लंड को अंदर धकेलने की वजह से बिना कोई रोक टोक के लंड अंदर चला गया। और भैया लगे फिर लगातार धकमपेल चुदाई करने लगे। भैया अपने धक्कों की गती को बढाए जा रहे थे, कभी कभी तो भैया के धक्कों की वजह से मैं आगे को गिरने लगी थी। लेकिन भैया ने मेरी कमर को अच्छे से पकडकर रखा था, तो मुझे उन्होंने गिरने से रोक दिया।

आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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