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नमस्कार दोस्तों आज मै आपको अपनी आपबीती सुनाने जा रही हूं। यह कहानी आज से ठीक चार साल पहले की है, जब मै बारहवीं कक्षा में पढती थी। मेरे घर मे मेरी मां, पापा, भाई और मै रहते है। भैया मुझसे तीन साल बडे है। मां हमेशा बीमार रहती थी, तो घर का सारा काम मुझे ही करना पडता। घर के काम के साथ साथ मुझे अपनी पढाई भी करनी होती थी, तो इसी चक्कर मे मुझे देर रात तक पढना पडता।

हम भाई बहन दोनों एक ही कमरे में सोते थे।मैने आज तक कभी किसी भी मर्द की तरफ गलत नजर से नही देखा था।

ऐसे ही एक दिन की बात है, जब मै हॉल में बैठकर पढाई कर रही थी। अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई, तो कौन है यह देखने के लिए मैने दरवाजा खोला। बाहर भैया का एक दोस्त संजू था, जो हमारे ही मोहल्ले में रहता था और पहले भी बहुत बार हमारे घर आ चुका था। मैने उसे अंदर बुलाया और भैया को बुलाने जाने लगी, तो उसने पीछे से मेरा हाथ पकड लिया। उसने मेरा हाथ पकडकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया।

यह सब इतनी जल्दी हुआ कि, मुझे खुद को संभालने का मौका ही नही मिला।
जैसे ही उसने मुझे अपनी तरफ खींचा, मै उसके ऊपर गिरने को हुई। तभी मुझे उसके मुंह से दारू की बदबू आने लगी, तो मुझे लगा ये नशे में है, इसीलिए बहक गया होगा। लेकिन उसने तुरंत ही फुर्ती के साथ अपने हाथ मेरी चूचियों पर रख दिए और उन्हें बडी ही बेरहमी से मसलने लगा।

यह पहली बार था, जब कोई पुरुष मुझे स्पर्श कर रहा था। रात में मै घर पर टी-शर्ट और शॉर्ट में ही रहती हूं। उसने काफी देर तक मेरे स्तनों को सहलाया और फिर उसपर अपना मुंह दबाकर उन्हें चूसने की कोशिश करने लगा।

मैने अब तक अपनी ब्रा नही उतारी थी, वरना रोज सोने से पहले मै अपनी ब्रा उतार देती थी। अब मुझे भी उसका यह स्पर्श अच्छा लगने लगा था, तो मै भी मजे लेने लगी। मुझे यह सब किसी मीठे सपने की तरह लगने लगा था। लेकिन थोडी ही देर बाद उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी चुत पर रख दिया। जिस वजह से मै सपने से बाहर आकर उसे रोकने लगी।

लेकिन जब वह मेरे रोकने पर भी नही रुका, तो मैने उसे अपने से दूर धकेल दिया। वह लडखडाते हुए मुझसे दूर हो गया, और फिर मैने उसे वैसे ही धक्का मारते हुए घर से बाहर निकाल कर दरवाजा लगा दिया।

संजू के बाहर जाते ही मै अभी हुए किस्से के बारे में सोचने लगी, मुझे मालूम था यह कुछ भी ठीक नही हुआ। लेकिन फिर भी मन मे कहीं पर मुझे यह सब अच्छा लगा था, तभी मैने उसको बिना रोके इतना कुछ करने दिया। फिर मै सोचने लगी, यह मैने क्या कर दिया, अगर कहीं यह बात भैया को पता चली तो मेरा क्या होगा? और भी तरह तरह के खयाल अब मेरे मन मे आने लगे थे।

संजू को यह सब याद होगा या नही, और होगा तो कहीं वह कुछ गलत ना समझ ले। यही सब सोचते सोचते मुझे कब नींद लग गई, पता ही नही चला।

सुबह उठने के बाद मै किसी से भी नजरे नही मिला पा रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन अब कुछ नही हो सकता था। उस रात के बाद दो दिन ऐसे ही बीत गए। न तो संजू हमारे घर पर आया और न ही बाहर कहीं दिखाई दिया।

लेकिन तीसरे दिन भैया ने अपने कुछ दोस्तों को घर पर बुलाया था, तो उनकी खातिरदारी की जिम्मेदारी मुझपर ही थी। भैया के दोस्तों में संजू भी था, तो मुझे उनके सामने जाने से थोडी झिझक सी होने लगी। लेकिन यही मौका था, जिससे मै पता लगाऊं की, उसको उस रात के बारे मे कुछ याद भी है या नही?

हॉल में भैया के साथ उनके दोस्त भी बैठे थे, मै उनके लिए सरबत लेकर गई। सबको एक एक ग्लास पकडा दिया, तो मैंने संजू की तरफ देखा तो वह बिल्कुल नॉर्मल हंसकर सबसे बातें कर रहा था। उसने तो एक बार भी मेरी तरफ देखा तक नही। इससे मुझे कुछ हद तक सुकून मिला, और मुझे लगा कि, संजू को उस रात का कुछ याद ही नही है।

मुझे अब किसी से डरने की कोई जरूरत नही थी, तो अब मै बिल्कुल निश्चिंत थी।

उसके बाद सब कुछ ठीक चल रहा था, मेरे बोर्ड की एग्जाम भी नजदीक आने लगे थे, तो अब मै पढाई पे ज्यादा ध्यान देने लगी। अभी एग्जाम शुरू होने में दो दिन और बाकी थे। उस रात मै पढ रही थी, और सब खाना खाकर सो चुके थे। तभी दरवाजे पर अचानक एक दस्तक हुई, मुझे डर लगने लगा।

कहीं फिरसे संजू आकर वही हरकत दोबारा न कर दे, इसलिए मैं दरवाजा खोलने से डर रही थी। तभी फिर से दस्तक हुई, तो मैने धीरे से दरवाजा खोलकर देखा तो फिर से संजू भैया ही थे। आज भी वह दारू पीकर ही आए थे।मैने उन्हें अंदर बुलाया और हॉल से ही भैया को आवाज लगाई।

लेकिन मेरे आवाज लगाने के बाद भी उन्होंने मेरा हाथ पकडकर मुझे अपनी ओर खींच लिया। और मुझे अपने गले सेलगा लिया। मै उसे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी मजबूत पकड से खुद को छुडा नही पा रही थी। तो मैने एक ही बार उन्हें जोर से धक्का लगाया और भैया के पास उन्हें बुलाने के लिए भाग निकली।

भैया को बुलाकर लाने से पहले ही संजू वहां से भाग गया था। मैने भैया को उसने मेरे साथ क्या किया यह कुछ नही बताया।

लेकिन पिछली बार की तरह मुझे उसका मेरे शरीर को स्पर्श करना बहुत अच्छा लगा था। उस रात मैने पहली बार अपनी चुत में उंगली करके पानी निकाला और फिर सो गई। फिर मेरे एग्जाम अच्छे से होते रहे, अब मेरे आखिरी एग्जाम में पांच दिन का समय था।

तो भैया रात को मेरे पास आकर मुझसे बातें करने लगे, एग्जाम के बारे में पूछने लगे। मेरे भैया से मेरी अच्छी बनती है, तो उन्हें शायद मेरे चेहरे से पता चल गया था कि, मुझे कुछ तो हुआ है।

भैया ने जब जोर देकर मुझसे पूछा, तो मैंने भैया को सब सच सच बता दिया। भैया ने तब मुझसे बस इतना ही कहा, "तुम अभी इन सब बातों को छोड दो, वह नशे में था इसलिए उससे यह गलती हुई होगी। और वैसे भी उसे नींद में चलने की बीमारी है।"

भैया के इस जवाब से मै थोडा शांत हुई, और मेरे मन को पहले से ज्यादा आराम भी मिला। एग्जाम खत्म होने के बाद फिर भैया ने मुझसे उसी बारे में बात करनी चाही, तो हम दोनों बैठकर बातें करने लगे। बातें करते करते भैया ने मुझसे पूछ ही लिया, "संजू ने उस रात तुम्हारे साथ क्या किया था, मुझे विस्तार से बताओ।"

भैया के थोडा जोर देने पर मैने भैया को पूरा किस्सा दोबारा सुना दिया। उसके बाद भैया ने मुझसे कहा, "मै सब ठीक तरह से जानना चाहता हूं, तो तुम मुझे संजू समझो और अब बताओ कि मैने तुम्हारे साथ क्या किया?"

तो मै फिर से भैया को सारी बात बताने लगी, तो भैया ने मुझे रोकते हुए कहा, "ऐसे नही, तुम मुझे वो सब करके दिखाओ तभी मै ठीक से समझ पाऊंगा।"

मै थोडा हिचकिचाने लगी, तो भैया ने कहा, "हम दोनों में क्या शरमाना,बचपन से हम दोनों साथ ही है। तुम मुझे ठीक से बताओगी तभी मै उससे बात कर पाऊंगा ना, नही तो मै उसको क्या बोलूंगा?"

मुझे भैया की बात सही लगी, तो मै उनके पास गई और भैया के दोनों हाथों को लेकर अपने स्तनों रख दिया। और भैया से कहा, "उसने ऐसे ही अपने हाथ मेरे यहां रखकर जोर जोर से दबाये जा रहा था।"

तो भैया भी अब मेरे उरोजों को दबा-दबाकर पूछने लगे, कैसे दबा रहा था, ऐसे ही ना? मै ठीक कर रहा हूं ना? भैया भी अब मस्त होते जा रहे थे, बस मै शक ना करूं इसलिए मुझसे हर बात पूछे जा रहे थे। अब तक भैया के पैंट में भी तंबू बन चुका था। और इधर मुझे भी मजा आ रहा था, मैं भी मस्त होकर उनका साथ देने लगी।

थोडी देर बाद भैया ने कहा, "उसने कुछ और भी किया या बस इतना ही?"

तो मैंने भैया के गले लगते हुए उनके कान में कहा, "भैया वह मेरे नीचे छूने की कोशिश कर रहा था, लेकिन फिर मैंने उसे धक्का मारकर अपने से दूर हटा दिया, और उसे घर से बाहर निकाल दिया।"

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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