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नमस्कार दोस्तों मै अतुल आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची घटना लेकर हाजिर हूं। यह बात अभी चार महीने पहले की है। यह कहानी मेरी, और मेरे भाई की पत्नी के बीच की है। अनजाने में हमसे एक भूल हो गई थी, जिसके चलते यह सब हुआ। लेकिन फिर हमने समझौता कर लिया। मै एक शादीशुदा युवक हूं, उम्र २९ साल। मेरा एक दो साल जा बेटा भी है, और मै अपनी पत्नी से बहुत खुश हूं। हमारी सेक्स लाइफ भी एकदम मस्त चल रही थी। मेरे घर मे मै, मेरी बीवी, मेरा बेटा, मां, पापा, भाई और उसकी पत्नी रहते है।

मेरे भाई की अभी हाल ही में नई शादी हुई है, उसकी शादी को दो महीने ही हुए थे, जब यह घटना घटित हुई। तब हमारे घर में हमने छोटा सा फंक्शन रखा हुआ था। तो हमने अपने सभी करीबी रिश्तेदारों को उसमे बुलाया था, और उन सब के रहने का इंतजाम पास के एक गेस्ट हाउस में कर दिया था। कुछ लोगों को हमारे घर मे ही रहने के लिए बोला था। तो हमारे घर के सारे सदस्य सोते समय रात को हॉल में ही सो रहे थे।

फंक्शन कुल पांच दिनों का था, और उन पांचों दिनों के लिए हम घर के सारे सदस्यों को हॉल में ही सोना था।
पहले दिन सारे रिश्तेदारों का स्वागत और थोडा इधर उधर का काम करने के बाद सभी थक गए थे। दिनभर की थकान से किसी को कुछ होश नही था, तो रात होते ही हमारे घर के सारे सदस्य हॉल में पड गए।

दूसरे दिन अब मेरा मन बहकने लगा था, मै रोज रात को अपनी बीवी के साथ सेक्स करता था। लेकिन कल सब के होने से नही कर पाया, तो आज मन जरा ज्यादा ही हिचकोले खाने लगा। इस लिए मैने अपनी पत्नी को अकेले में मिलकर उसे रात में सब के सोने के बाद हमारे घर के स्टोर रूम में आने के लिए कह दिया। हमारे घर का स्टोर रूम सबसे ऊपरी मंजिल पर बना हुआ है, जिसका दरवाजा सीधे सीढियों के आगे ही खुलता है। तो अगर किसी ने सीढियों वाला दरवाजा भी लगा दिया, तो उस मंजिल पर कोई नही आ सकता था।

रात में खाना खाने के बाद मै सबके सोने का इंतजार करने लगा, आज मुझ पर पूरी तरह से हवस भारी हो गई थी। रात में सबके सोने के बाद मै उठकर ऊपर की मंजिल पर बने स्टोर रूम की तरफ चल दिया। मै ऊपर स्टोर रूम में पहुंचकर सोने लायक थोडी सी जगह बना ली, जहां पर चुदाई की जा सके। जगह बनाने के बाद मै अपनी पत्नी के आने का इंतजार करने लगा।

थोडी ही देर में मुझे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी, तो मैं तैयार होकर दरवाजे के पीछे जाकर खडा हो गया। थोडी ही देर में सीढियों से स्टोर रूम की तरफ एक परछाई आने लगी।

मुझे तो पता था कि, यहां पर अभी मेरी पत्नी ही आने वाली है। तो मैंने जैसे ही उसने कमरे में कदम रखा, उसे पीछे से जकडकर अपनी बाहों में भर लिया। मैने उसे अपनी बाहों में भरते हुए अपना एक हाथ उसके मुंह पे रखा था, ताकि वो डर के मारे चिल्ला ना सके। मैने उसे सीधे उठाकर जो जगह बनाई थी, वहां पर लिटा दिया। और खुद भी उसके ऊपर आ गया।

अब मैने उसको लिटाते ही, उसके चेहरे से हाथ घूमाते हुए होठों को अपनी दो उंगलियों के बिच में लेकर हल्के से सहला दिया, और फिर उसके नाजुक गुलाब की पंखुडियों जैसे होठों पर अपने गर्म तपते हुए होंठ रख दिये।

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी, जैसे ही मैने उसे नीचे लिटा दिया, उसने भी मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लिया। और मेरे चुम्बन का जवाब पूरे जोश से वो भी देने लगी। आज मेरी पत्नी का अंदाज ही कुछ और लग रहा था मुझे। खैर मै बहुत मुश्किल से अपने आप को रोके हुए था। और अभी घर मे इतने ज्यादा लोग होने की वजह से, मैने सब जल्दी से निपटाकर नीचे जाने की सोची। इससे किसी को कानों कान तक कुछ भनक नही लगने वाली थी। तो मै थोडी देर उसके होंठ चूसे, और फिर अपना एक हाथ उसके कपडों के ऊपर से ही उसके स्तनों पर रखकर उसे सहलाने लगा।

थोडी ही देर में वो अपने हाथों को मेरे चुतडों पर रखकर मुझे अपनी ओर दबाने लगी थी।जिसका मतलब अब उससे भी और ज्यादा नही रुका जा रहा था। तो मैंने भी अब उसकी साडी निकालना शुरू कर दिया, पहले तो उसका पल्लू हटा दिया, और ब्लाउज के नीचे आकर उसके पेट और नाभि को चूमने लगा।

अब वो भी जोश में आने लगी थी, और उसने भी मेरे शर्ट के अंदर अपने हाथ घुसा दिए और मेरी छाती के बालों से खेलने लगी। मै उसके पेट को चूमते हुए उसकी साडी पूरी तरह से खोलकर उससे अलग कर दी, और बगल में रख दी।

अब काजल मेरे सामने बस ब्लाउज और पेटीकोट में थी। मैने सीधे उसका पेटीकोट उसकी कमर से उपर उठा दिया, और उसकी जांघों को चूमते हुए उसकी चुत की तरफ बढ़ने लगा। पेटीकोट के अंदर उसने पैंटी पहनी हुई थी, तो मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के पास ले जाकर उसके पेटीकोट का नाडा खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन वो मुझसे खुल ही नही रह था। तो आखिर में काजल ने ही मेरी हेल्प करते हुए खुद ही अपने पेटीकोट का नाडा खोल दिया। नाडा खोलते ही मैंने उसका पेटीकोट खिंचके निकाल दिया, उसने भी अपनी कमर उठाकर अपनी सहमती दे दी।

मैने अब उठकर उससे अलग होते हुए पहले अपने कपडे उतारना ही ठीक समझा। मैने झट से अपनी चड्डी छोडकर बाकी के सारे कपडे उतार दिए, और नंगी अवस्था मे उसके ऊपर लेट गया। अब उसके स्तन मेरी छाती से दब रहे थे, और उसकी चुत पर मेरा लौडा दस्तक दिए जा रहा था। मैने उसके गालों को चूमते हुए अपने हाथ उसके स्तनों पर ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।

अगले ही पल काजल मेरे सामने उपर से पूरी नंगी हो चुकी थी। वैसे भी इस कमरे में ज्यादा कुछ दिख नही रहा था, सब अंधेरा ही था। तो मैंने उसके स्तनों को सहलाते हुए अपने मुंह मे भरकर चूसने लग गया।

थोडी देर उसके स्तनों को चूसने के बाद, मै अब नीचे की तरफ बढने लगा था। उसके पेट और नाभि से होते हुए अब मै उसकी पैंटी के इलास्टिक तक पहुंच गया था। तो मैने अपनक दो उंगलियों को इलास्टिक में घुसाकर उसकी पैंटी को धीरे धीरे नीचे की तरफ खिसकाने लग गया। जैसे ही मैने उसकी पैंटी को उसके घुटनों तक खिसका दिया,फिर उसने खुद ही अपने पैरों से पैंटी को निकाल फेंका। और मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को अपने हाथों में भरकर मसलने लगी।

थोडी ही देर में उसने मेरे बदन से मेरी चड्डी भी निकालकर अलग कर दी। और अब हम दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो गए थे।

मै उसकी चुत चाटना चाहता था, तो मैने उससे अलग होकर उसके पैरों को फैलाकर खुद उनके बीच मे आकर बैठ गया। मैने नीचे झुककर पहले उसकी चुत पर एक हल्के से किस कर दिया, और फिर उसकी चुत की फांकों को अपनी उंगलियों से अलग करते हुए, अपनी जीभ उसकी चुत के अंदर घुसाकर उसे मै अपनी जीभ से चोदने लगा। फिर उसने भी अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चुत पर दबाना शुरू कर दिया, इससे मेरा मजा और दोगुना हो गया। थोडी ही देर में उसका शरीर अकडने लगा तो मैने उसकी चुत चूसना छोडकर सीधे अपना लंड हाथ मे लेकर उसकी चुत के ऊपर मारने लगा।

अब काजल से भी रुकना मुश्किल होता जा रहा था,तो वो अपनी कमर उछाले जा रही थी। मैने सब सही से सेट किया, यानी अपने लंड को उसकी चुत पर रखा और एक हल्का सा धक्का लगा दिया। आधा लंड उसकी चुत में चला गया। मेरी शादी को तीन साल हो चुके थे, और रोज चुदाई करने के बावजूद भी मेरी पत्नी की चुत अभी भी कसी हुई है। लेकिन आज काजल की चुत कुछ ज्यादा ही टाइट लगने लगी थी। और उसकी कमर थोडी अधिक पतली महसूस हो रही रही थी।

हम दोनों ही आपस मे बिना कुछ बात किए, बिना एक-दूसरे को कुछ बोले चुदाई का खेल खेले जा रहे थे। मैने तुरंत कुछ और धक्के मारकर अपना पूरा लौडा काजल की चुत के अंदर कर दिया। लेकिन फिर भी मुझे आज उसकी चुत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लगने लगी। तो धीरे से मैने उसके कान में फुसफुसाते हुए पूछ लिया, "आज चुत इतनी कसी हुई क्यों लग रही है?"

तभी उसने कुछ कहना चाहा, उसे भी मेरा लौडा आज कुछ ज्यादा ही बडा लग रहा था। उसके यह मेरे कान में कहते ही मै समझ गया कि, यह मेरी पत्नी नही है, तो फिर यह है कौन?

जैसे ही मुझे पता चला कि, यह मेरी पत्नी नही है, मैने अपना लौडा उसकी चुत से बाहर निकाल लिया, और उसके बगल में लेट गया। जब मेरी तरफ से कोई हलचल नही हुई तो उसने ही आगे बढकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाया। और मुझसे कहा, "जो काम शुरू किया है, उसे पूरा तो कीजिए। ऐसे अधूरे में कोई भी काम नही छोडना चाहिए।"

इतना कहकर उसने मुझे फिरसे अपने ऊपर खिंच लिया, और अब मेरे लंड को अपनी चुत में लेने की कोशिश करने लगी। मुझ पर भी चुदास हावी थी, मैने भी पहले चुदाई सही से खत्म करना ही ठीक समझा। तो मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। मै पूरी तरह से मस्त होकर उसकी चुदाई किए जा रहा था, और वो भी मस्ती से मुझसे चुदवा रही थी।

थोडी देर बाद मैने उसे घोडी बनाकर उसके पीछे से अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया, और उसे चोदने लगा। उसे चोदते हुए पता ही नही चला, कब मै झडने के करीब पहुंचा। और उसका शरीर अकडने के साथ ही मै भी उसी के साथ झड गया। मैने अपना वीर्य उसकी चुत में ही गिरा दिया।

उसके बाद थोडी देर हम ऐसे ही लेते रहे। फिर मैने जानना चाहा, कि यह है कौन? ध्यान से देखने पर पता चला कि, यह तो मेरे भाई की बीवी सोनल है। तो मैने उससे इस सब के लिए माफी मांगी। उसने कहा, उसका पती और उसने आज यहां मिलने का प्लान बनाया था। लेकिन वह आया ही नही, तो मेरे साथ ही उसकी चुदाई हो गई। तो इस तरह से मैने गलती से अपने भाई की बीवी को चोद दिया।

आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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