भाभी ने जब चूत चुड़वाई

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फिर मैंने उनके पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर सरकाया और हाथ से उनकी मखमली जांघों को सहलाने लगा. जिससे उनको मजा आने लगा. फिर वो धीरे से मेरी तरफ घूम गई. अब तो मानो मेरी लाटरी लग गई थी. फिर तो अब मैं पूरे जोश में आ गया. अब मैं एक हाथ से उनके बड़े – बड़े बोबे दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सहलाने लगा. जिससे उनके मुंह से कामुक आवाजें आने लगी…

अंतर्वासना के पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. दोस्तों, उम्मीद है मेरी यह कहानी आपकी सेक्स वासना जरूर जाग्रत कर पायेगी. मैं अंतर्वासना पिछले 5 सालों से लगातार पढ़ रहा हूँ और आज तक मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित हर एक कहानी को पढ़ा है. उन कहानियों को पढ़ कर मैं भी अपना अनुभव आप तक पहुंचाना चाह रहा हूँ. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी यह कहानी अच्छी जरूर लगेगी.

कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आप लोगों को थोड़ा अपने बारे में बता देना चाहता हूँ. दोस्तों, मेरा नाम मनोहर है और मेरी उम्र 30 साल है और मेरा लण्ड 6 इंच लंबा व 2 इंच मोटा है. मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाव का रहने वाला हूँ.

यह बात आज से करीब दो साल पुरानी है. उस समय हुआ कुछ यूं कि गांव में रहने वाला मेरा एक दोस्त एक दिन अचानक बीमार हो गया तो उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. वहां पर उसके साथ मैं और भाभी यानी कि उसकी पत्नी भी साथ ही गये थे. डॉक्टर ने उसे हॉस्पिटल में आठ – दस दिन तक भर्ती रखा. उस दौरान पूरे दस दिन तक मैं और भाभी वहां पर साथ ही रहे.

मैं आपको बता दूं कि मेरी इस भाभी की उम्र करीब 25 साल है तथा शरीर से ये थोड़ी सी मोटी टाईप की हैं. जब वो चलती है तो उनके चूतड हिलते रहते हैं. जिसे देख कर तो अच्छे – अच्छों के लण्ड खडे हो जाते हैं. उस दिन से पहले मैंने पहले कभी भी उनके लिए ऐसा नहीं सोचा था. लेकिन जब 10 दिन तक हम साथ रहे तो इस दौरान मैं अपने आप को रोक नहीं पाया.

जब हम दोनों हॉस्पिटल में थे तो फर्श पर सोते थे. वहां पर हमारे बीच हंसी – मजाक चलता रहता था और भाभी इस हंसी – मजाक का कभी बुरा नहीं मानती थी. एक दिन हास्पिटल में ज्यादा भीड थी तो उस दिन हमें वहां ज्यादा जगह नहीं मिल पाई. इसलिए भाभी और मैं बिल्कुल पास – पास ही सो गए.

भाभी के मेरे पास लेटे होने की वजह से मेरी आंखों से नींद बहुत दूर चली गई थी. क्योंकि मेरे पैर बार – बार भाभी के पैरों से टच हो रहे थे. उनके पैर से मेरे पैर के टच होने के कारण मेरा लण्ड भी खडा हो गया था. कुछ देर बाद उनको नींद आ गई तो फिर मैंने अपना हाथ उनकी कमर पर रख दिया.

कमर पर हाथ रखने का जब उन्होंने कोई विरोध नहीं किया तो मेरा हौसला बढ़ गया. अब मैं धीरे – धीरे हाथ से उनके बड़े – बड़े बोबे को सहलाने लगा. इससे वो जाग गई पर उन्होंने मेरा कोई विरोध नहीं किया. शायद उनको भी यह सब अच्छा लग रहा था. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

फिर मैंने उनके पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर सरकाया और हाथ से उनकी मखमली जांघों को सहलाने लगा. जिससे उनको मजा आने लगा. फिर वो धीरे से मेरी तरफ घूम गई. अब तो मानो मेरी लाटरी लग गई थी. फिर तो अब मैं पूरे जोश में आ गया. अब मैं एक हाथ से उनके बड़े – बड़े बोबे दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सहलाने लगा. जिससे उनके मुंह से कामुक आवाजें आने लगी.

फिर मैंने उनकी चूत में अपनी एक अंगुली डाल दी और उस अंगुली को आगे – पीछे करने लगा. जिससे उनकी चूत पूरी तरह गीली हो गई. अब उनको भी मजा आने लगा तो उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और जोश में आकर जोरों से मुझे किस करने लगीं.

वो मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थी, जैसे हम सब कुल्फी चूसते हैं. मैं भी अपने मुंह में उनकी जबान ले कर चूसने लगा था. अब उन्होंने भी एक हाथ से मेरा लन्ड पकड़ लिया और फिर उसे दबाने लगी और साथ ही साथ हाथ से आगे – पीछे भी करने लगी.

अब तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मानो मैं हवा में उड़ने लगा हूँ. तभी मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उनको बोला कि भाभी, मुझे बाथरूम जाना है. तो उन्होंने कहा – ठीक है जाओ. मैं बाथरुम में जा कर मुठ मारने लगा. मुठ मारने के बाद बाथरुम से वापस आ कर मैं उनकी टांगों की तरफ मुंह करके सो गया. वैसे भी ठंड थी तो सभी ओढ़ कर सोये हुए थे तो किसी ने हमारे ऊपर ध्यान नहीं दिया.

अब हम 69 की स्थिति में थे. मेरा लण्ड उनके मुंह के पास था और उनकी चूत मेरे मुंह के पास. फिर मैं उनकी चूत को चाटने लगा. यह देख कर उन्होंने भी मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं. मैं करीब 10 मिनट तक उनकी चूत चाटता रहा. तभी वो झड़ गई और मैं उनकी चूत से निकाला हुआ सारा चूत रस मैं पी गया.

वो भी मेरा लण्ड जोर – जोर से चूस रही थी पर एक बार पहले मुठ मारने के कारण मेरा तो झड़ ही नहीं रहा था. अब मैं फिर से उनकी चूत को सहलाने लगा. जिससे वो फिर जोश में आ गई. तभी अचानक वो उठ कर बाथरुम चली गई. तो मैं भी उठा और उनके पीछे – पीछे ही बाथरूम में घुस गया.

वो जब बाथरूम कर रही थी तो उनके मूतने की वजह से उनकी चूत से स्स्सरर की आवाज आ रही थी. यह आवाज मुझे और कामुक कर रही थी. जैसे ही वो उठी वैसे ही मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया. अब फिर से हम एक – दूसरे को किस करने लगे. तभी उन्होने मेरा लन्ड पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रख कर दबाने लगी.

लेकिन मेरी लंबाई उनसे ज्यादा होने के कारण वो अंदर नहीं जा पा रहा था. अब शायद उनकी चुदास काफी बढ़ गइ थी. तब मैंने उनको पीछे घुमाया और फिर थोड़ा सा नीचे की तरफ झुकाया. जिससे उनकी चूत खुल गई. अब मैंने अपना लंड उनकी चूत पर टिका कर जोर से एक धक्का मारा. जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर तक चला गया.

लन्ड अंदर जाने के कारण उनके मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई. फिर मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी. उधर वो भी धीरे – धीरे हिल रही थीं. मैं उनके मम्मों को पकड़ कर लगातार दबा रहा था और वो आह्ह्ह् आह्ह्ह् की आवाज कर रही थी. तभी उनका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई.

झड़ने के बाद अब उसने हिलना बंद कर दिया था. लेकिन मैं अभी भी मैदान में डटा हुआ था. फिर मैं नीचे बैठ गया और उनको ऊपर आने को कहा. वो तुरंत ही मेरे ऊपर आ गई और लण्ड पर बैठ कर हिलने लगी. अब मैं उनके मम्मों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. जब मेरा छूटने वाला था तो मैंने उनसे कहा – भाभी, कहां निकालूँ?

तो उन्होंने कहा – अंदर ही निकाल दो.

तो फिर मैंने अपना सारा माल उनके अंदर ही छोड़ दिया. तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी. इसके बाद फिर हम वापस आ कर सो गये. हम जब तक हास्पिटल में रहे तब तक हमने रोज ही चुदाई की. हॉस्पिटल से घर आने के बाद भी मैंने कई बार भाभी की चुदाई की पर वो कहानी फिर कभी.

आशा है आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी. आप मुझे ईमेल करके अपनी प्रतिक्रिया दें.
 
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