मराठी भाभी की चुदाई

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आआहह…. ये क्या कर रहे हो संजूऊू… उफ़फ्फ़.. चूस चूस कर ही मुझे
झाड़ा दोगे.. क्या… श तुम्हारी जीभ…हाइईईई…. मार गाइिईईईई.. हान्ं.. और
अंदर.. उफफफ्फ़… ये क्याअ… उम्म्म्म.. श… मेरि चूऊऊथ.. श…
इतना…पाणियीईई… बहुत अच्छा ..लग..रहाा.. पहली..बार.. छूट मे
जीभ..श माआ… मया…. संजू..आज मॅर..डालोगे क्या..” प्रभा भाभी
की छूट मेरे उन्ह के उपर थी.. दोनो पैर मेरे सर के दोनो तरफ और छूट
से पानी बिना रुके तपाक रहा था.. और भाभी अपने चूतड़ कभी मेरे
मुँह के उपर दबाती और कभी तोड़ा उपर करती.. जैसे ही नीचे दबाती
मेरी जीभ छूट के अंदर और उपर करती तो मई मेरी सख़्त जीभ से उसके
बाहर निकल आए छूट के दाने को कुरेड देता या होंठो मे पकड़ के
चूस लेता.. उसकी छूट का दाना किसी छोटे बच्चे की नून्न्ी जैसा हो गया

था.. मैने कहा..”भाभी अभी तो शुरू वॉट है..” उसने मचलते हुए
कहा..”ग़लती मेरी ही है.. तुमहरे इस लंबे मोटे लंड की लालच मे मई अपनी
छूट का सत्यानाश करवाने वाली हून आज.. मालूम नही ये अंदर ले
पौँगी या नही. और उसने फिर छूट को तोड़ा उपर उठाया.. मेरे होंठो और
गॅलन से उसकी छूट का रस बहा रहा था.. मैने कहा “तुम फिकर मत करो
भाभिमाई इसे आराम से अंदर कर दूँगा” कह कर मैने फिर दाने को
होंठो मे लिया और बाहर खींच का चोर दिया और वो चीख
पड़ी..”संजूऊुुुुुउउ… श .. मेरा फिर निकालने वाला है.. श मई मार
जौंगिइिईईईई… बसस्स्स्स्स्स्सस्स..राजाआ. श.. और उसका बदन खींचने
लगा.. उसने छूट को उपर उठाया
और…सर्र्र्र्र्र्र्र्ररर…सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर…सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सार्रर्र्र्रररक्च्छ… उसकी छूट
से दूसरी बार पिचकारी निकली.. मेरा पूरा मुँह जैसे फ़ौवारे से धुलने लगा..
प्रभा भाभी इस तरह ज़ोर से पानी निकल कर झड़ती है ये मुझे अभी 5 मीं
पहले जान मई उनके दाने को उंगली से रग़ाद रहा था और एक उंगली छूट
मे अंदर बाहर कर रहा था तब ही पता चला.. ये मेरे लिए नयी बात थी..
इससे पहले जो औरते मेरे छेड़ने से झड़ती उनका बदन खींच जाता..
चिल्लती और गिर.. उनकी छूट से पानी बह कर बाहर आता और गांद की तरफ
बहाने लगता था.. लेकिन प्रभा की छूट से तो मूतने जैसी पिचकारी निकल रही
थी.. और ये पेशाब नही थी.. प्रभा ने जल्दी से अपनी छूट मेरे मुँह से
हताई और मेरे बाजू मे वही लेट गयी आँख बंद करके.. वो ज़ोर ज़ोर से
सांस ले रही थी..”
श मई आप सब को बता डून की कुछ लोग स्टोरी मे सिर्फ़ लंड छूट पढ़
कर ही झाड़ जाते है.. लेकिन ये स्टोरी कुछ अलग टाइप की है.. और मेरी ज़िंदगी की
एक रियल इन्सिडेंट है.. इसलिए मैने इसमे कोई काट चाट नही की. इसलिए मई
कहूँगा की प्लीज़ ओन्ली लोंग स्टोरी पसंद करने वेल ही यह स्टोरी पढ़े,
लंड खड़ा भी होगा और झदेगा भी छूट से भी पानी बहेगा. लेकिन उन
लोगो को ज़्यादा मज़ा आएगा जो चुदाई करते वक्त उसका पूरा मज़ा लेते है..
और जिन्हे चुदाई का ग़मे खेलने से ज़्यादा लंड या छूट झदेने ही
प्ड्फ क्रियेटेड वित प्द्फFअcतोर्य ट्राइयल वर्षन
इंटेरेस्ट हो ऐसे शॉर्ट स्टोरी पसंद करने वेल कृपया इससे पड़के बोर ना
होये.

ही दोस्तो, सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार, उपर जो कुछ अपने पढ़ा ये
सब कब और कैसे हुआ उसी की ये कहानी है. वैसे मुझे मालूम है की मेरे
परिचय की आपको ज़रूरत नही है.. काई उत्साही लंड वेल मेरी कहनीीयों की
राह देखते है और काई छूट वालियान मेरे लंड के कारनामे पढ़ कर
अपनी छूट को मेरे लंड के सामने परोस देना चाहती है.. उनमे से बहुत
कन इसे रियल मे कर चुकी है और बाकी की करना चाहती है लेकिन शरमाती
है या घबराती है. जिन्होने इस लंड के साथ मज़ा ले लिया वो बार बार मुझे
बुलाती है .. इसलिए जो शरमाती या घबराती है.. वो भी थोड़ी हिम्मत
दिखाएँगी तो उन्हे भी इसका लुत्फ़ मिलेगा. मेरा मैल ईद हर कहानी के नीचे

होता है.. आप बेझिझक मैल कर सकती है.. और अगर आप मुंबई या थाने
के आस पास है तो बहुत ज़्यादा वक्त इंतेज़ार नही करना पड़ेगा ये मेरा
वाडा है. हन तो दोस्तो, मेरा नाम संजय है, , एब्ब मई मेरा बेहतरीन
एकपेरिएनसे मे से एक एक्सपीरियेन्स अपपके साथ शेर कर रहा हू, आशा
करता हू की अपपको यह पसंद आएगी और अप सूब एंजाय करेंगे. मुझे
सेक्स मे धीरे धीरे आयेज बढ़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है, ताकि पूरा मज़ा
लिया जाए. और इसीलिए मई परिपकवा (25 से 50) और शादीशुदा औरतों को
ज़्यादा पसंद करता हून लेकिन पूरी सीक्रेसी और सावधानी के साथ.
कुँवारी लड़कियो को मई तभी छोड़ता हून जब वो मेरे साथ बाहर 2-3 दिन
के लिए आ सके क्योकि पहली चुदाई के बाद उन्हे काफ़ी दर्द रहता और
कभी कभी चलने मे भी तकलीफ़ होती और वापस घर जाने पर ये बात किसी
के मान मे शक़ पैदा कर सकती है.
 
मई अपने बारे मे बता डू, मई अभी 39 साल का शादीशुदा आदमी हून,
बस्सिकल्ली मॅढिया प्रदेश से हून, लेकिन फिलहाल थाने (मुंबई) मे
रहेता हून, और एक बहुत बड़ी मंक मे कम करता हून. मुझे कॉलेज
टाइम से ही मेट्यूर्ड औरते ज़्यादा पसंद है. और इस इन्सिडेंट के पहले ही
मई छूट छोड़ना शुरू कर चक्का था. खैर और ज़्यादा बकवास ना करते
हुए एब्ब कहानी शुरू करते है,

यह कहानी तब की है जब मैने मेरी इंजिनियरिंग पूरी कर लिट ही. और अब एक
साल से नौकरी की तलाश मे था. और घर मे वैसे कोई कमी नही थी इसलिए
नौकरी की जल्दी भी नही थी. मौज मस्ती और दोस्तो के बीच दिन काट रहा
था और इसी बीच कुछ गर्ल फ्रेंड्स की चुदाई भी कर चक्का था. कुछ
कुँवारी थी और कुछ अपने पुराने यार से एकाध बार चूड़ी हुई. और एक
दोस्त की भाभी को उनके मयके छ्होर्ने गया और उसकी भी चुदाई की. वो एक
बच्चे की मया थी और उसने मुझे सिखाया की कैसे औरत तो खुश किया
जाता है. बाद मे तो वो खुद कहा करती है की मई छोड़ने मे एक्सपर्ट हो
गया हून.कहने का मतलब ये की नयी नयी जवानी थी, 24 साल की उमर
थी. लेकिन लंड पूरा तय्यार और मज़बूत हो चक्का था.

मेरे पिताजी छ्होटे शहर के स्कूल मे टीचर थे. हमारे बाजू मे जो
पड़ोसी थे वो भी एक टीचर थे लेकिन वो यंग थे, नयी नयी नौकरी लगी
थी और शादी भी नयी नयी हुई थी. उनकी उमर 28-30 साल कीट ही. दुबले पतले
से थे. स्वाभाव काफ़ी अच्छा था. मैं उनको भैया काहेता था और उनकी
वाइफ को भाभी, भाभी बहुत सनडर औरत थी और उतनी ही दिल की आक्ची थी,
और मुझे बहुत प्यार करती थी. वो मेरी हम उमर थी इसलिए मज़ाक भी
बहुत करती थी. मुझे भी कोई काम नही था. घर मे अकेला बोर होता था
इसलिए मेरा ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त उनके घर मे ही काटता था. कभी कभी
वो मुझसे मज़ाक भी करती थी. काई बार जब मई अचानक उनके घर
गया तो उनकी पीठ मेरी तरफ होती थी और ऐसे मे मई उन्हे पीछे से
जाकड़ लेता और उनकी आँख बंद कर देता. फिर वो मुझे पहचान लेती. ऐसे मे
मेरा लंड उनके चूतड़ से टकराता और उसकी गड्राए चूतड़ के साथ लगते
ही लंड सख़्त होने लगता था. और मई उन्हे छ्होर देता था. ऐसे वक्त वो
कभी कभी तो मेरी शॉर्ट भी किंच लेती थी, मुझे अच्छा लगता था. मैने
भी एक बार उन्हे परेशन करने का प्लान बनाया. एक दिन मैने जानबूझ के
शॉर्ट के नीचे कुछ नही पहना, मई जब उनके घर गया तो वो कित्चे मे
थी. मैने उन्हे पीछे से पकड़ लिया.. च्छुदाने की कोशिश करने लगी और
ऐसे मे उनके भरे हुए चूतड़ मेरे लंड से रग़ाद खाने लगे.. और
जाने कब लंड सख़्त होने लगा. मई भी मस्ती मे था ध्यान नही दिया..
लेकिन लंड जेया कर उनकी गांद की दरार मे धँसने लगा वो अचानक से
पलटी और भाभी ने मज़ाक मे शॉर्ट नीचे खिच दी और मेरा वाला ताना हुवा
लंड देखा तो डांग रहे गयी, वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगी, मई शर्मा
गया, फिर उन्होने कहा, “बड़े शर्मीले हो देवेर्जी, पता नही तुम्हारा क्या
होगा. इतना लंबा .. और इतना मोटा.. शादी के बाद पहली रात मे ही तुम्हारी
जोरू तो मार जाएगी.. ऐसा माल देखकर तो अच्छे अच्चो के मुँह से और
वाहा से पानी निकल जाए. इसे सम्हल कर रखो.” मई और शर्मा गया और
मैने मेरा शॉर्ट जल्दी से उपर किया और अपने घर वापस आ गया. दरअसल
उनका स्वाभाव इतना अच्छा था की उनके साथ चुदाई का ख्याल अब भी मेरे
मान मे नही आया था. इसके बाद वो जान बुझ कर मेरी जाँघो पर या फिर
लंड पर शॉर्ट के उपर से ही हतह लगती. या फिर कुछ उठाने की कोशिश
करते हुए मेरे सामने चूतड़ उपर कर के झुकती.. और उठाते हुए ऐसे
पीछे आती की उसके चूतड़ मेरे लंड से टकरा जाते..इश्स तराहा हुमारी
च्छेदखानी हुमेशा चलती रहेती थी, लेकिन मैने कभी उन्हे ग़लत नज़र
से नही देखा.
 
उनकी एक बड़ी सिस्टर थी, जो पटना मे रहेती थी और बॅंक मे सर्विस करती है.
उसका डाइवोर्स हो चक्का था और वो अकेली ही रहेती है. उनका नाम नामिता
था और वो थोड़ी गड्राए बदन कीट ही., और देखने मे तो पूछो मत,
बहुत ही सेक्सी थी, कलर बहुत ही गोरा, गतिला बदन, चूंचिया तो ऐसे की
जो भी देखे मुँह मे पानी आ जाए. और लंड पंत फाड़ कर बाहर निकल
आए. उनकी कमर काफ़ी पतली थी. मैने उनके फिगर का अंदाज़ लगाया 36- 27-
36. नाभि के नीचे सारी बँधती तो ऐसा लगता बस तोड़ा और नीचे
हो जाए तो जन्नत का नज़ारा दिख जाए. और वो बहुत फ्री माइंड वाली है, उनकी एक बड़ी सिस्टर थी, जो पटना मे रहेती थी और बॅंक मे सर्विस करती है.
उसका डाइवोर्स हो चक्का था और वो अकेली ही रहेती है. उनका नाम नामिता
था और वो थोड़ी गड्राए बदन कीट ही., और देखने मे तो पूछो मत,
बहुत ही सेक्सी थी, कलर बहुत ही गोरा, गतिला बदन, चूंचिया तो ऐसे की
जो भी देखे मुँह मे पानी आ जाए. और लंड पंत फाड़ कर बाहर निकल
आए. उनकी कमर काफ़ी पतली थी. मैने उनके फिगर का अंदाज़ लगाया 36- 27-
36. नाभि के नीचे सारी बँधती तो ऐसा लगता बस तोड़ा और नीचे
हो जाए तो जन्नत का नज़ारा दिख जाए. और वो बहुत फ्री माइंड वाली है,

शरम बिल्कुल नही करती, कोई भी बात बेधड़क कहे देती है. उसकी यही बात
मुझे बहुत पसंद थी. अचानक मुझे एक इंटरव्यू का कॉल पटना से आया
और नौकरी भी मिल गयी. नौकरी पटना मे ही मिली जहाँ वो रहती थी. मई
जेया कर नौकरी जाय्न कर के आया. मई सोच रहा था की वही किराए का एक
मकान ले कर रहूँगा. लेकिन जब सुनीता भाभी (जो मेरे पड़ोस मे रहती
है) को पता चला की मई पटना मे नौकरी करने जा रहा हून और वाहा
किराए के मकान मे रहेने वाला हून, तो वो बहुत नाराज़ हो गयी और बोली
की मेरी बड़ी सिस्टर का घर होते हुवे तुम किराए के मकान मे क्यो रहोगे.
उन्होने नामिता भाभी को फोन करके बता दिया की वो मुझे उनके यहा
रहने के लिए भेज रही है, और अगर उनको कोई प्राब्लम हो तो बता दे.
नामिता भाभी ने कहा की "भेज दे वैसे मेरा भी अकेले दिल नही लागत
संजय आ जाएगा तो मेरा भी दिल लगा रहेगा.ऑफीस से आ कर किसी से बात तो
कर सकूँगी" और मेरे रहने की प्राब्लम सॉल्व हो गयी. सुनीता भाभी
ने नामिता भाभी से कहा की संजय बहुत शर्मिला है ज़रा इसका ख़याल
रखना. तो नामिता भाभी बोली की तू बिल्कुल चिंता मत कर, मई इसकी शर्म
भी मिटा दूँगी.
 
शाम के 6.30 बजे थे, मैने नामिता भाभी की डोर बेल बजाई, 2 मिनिट
के बाद दरवाजा खुला, दरवाजे मे भाभी खड़ी थी, मई तो उनको देखते
ही रहे गया, हल्के आसमानी कलर की सिफ्फ़ों की सारी पहेनी थी, उसपे
मॅचिंग लो कट ब्लाउस था, पल्लू तोड़ा साइड मे था. उनकी क्लीवेज लाइन
सफ़फ़ सफ़फ़ दिख रही थी. और दो बड़े बड़े पहाड़ सीधे खड़े थे, दोनो
पहाड़ो मे बिचवाली खाई बहुत ज़्यादा गहेरी थी, क्यो की उनके पहाड़
अम्म औरतो के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही सामने उभरे हुए थे. (यह
उनका स्टाइल है, हुमेशा घर मे सारी का पल्लू शोल्डर पे क्लीवेज लाइन
से हटा के ही रखती है) मई तो पहेली ही नज़र मे घायल हो गया.

"अरे संजय तुम, आओ आओ, सुनीता ने (मेरी भाभी, गाओं वाली जो मेरी
नेबर है) बताया था की तुम आने वेल हो, मई तुम्हारा ही इंतजार कर
रही थी." भाभी ने मुझे अंदर बुलाया और मुझे अपने दोनो हतह से
पकड़ा और मेरे माथे को चूम लिया. भाभी की ये अदा मुझे बहुत आची
लगी. उंगी जिस्म की गर्माहत की खुसभू से तो मेरे टन बदन मे
ज़ुर्ज़हुरी सी दौड़ गयी. भाभी ने मुझे पानी ला के दिया. और बोली, "मई भी अभी अभी बॅंक से
आई हून. अक्चा हुवा तुम जल्दी नही आए वरना इंतेजर करना पड़ता
मेरा. तुम थोड़ी देर बैठो तब तक मई चेंज करके आती हून, अगर
तुम्हे भी फ्रेश होना हो तो हो जाओ." भाभी ने मुझे बातरूम दिखाया.
उनके बेडरूम के बगल मे ही बातरूम था, एक डोर उनके बेडरूम मे
खुलता ता और एक हॉल मे. मई फ्रेश होके आया. बहभही चेंज करके आई
थी और हॉल मे ज़्ादू लगा रही थी. मई तो देखते ही रहे गया. बिल्कुल
फ्रीज़ हो गया. भाभी ने बहुत ही पतली पिंक कलर की निघट्य पहनी थी और
अंडर से ब्रा नही पहनी थी. वो ज़ुक के ज़्ादू लगा रही थी और उनके


मदमस्त चूंचियों का निघट्य के खुले गले से पूरा दर्शन मुझे हो
रहा था. मेरे लंड ने तो सलामी देना भी शुरू कर दिया. मेरा उनके घर
मे पहेला ही दिन था. और पहेली ही दिन मुझे इतनी खूबसूरती का दर्शन हो
गया. मई आज तक जिन औरतों को छोड़ा उन्हे याद करने लगा. नामिता
भाभी उन सभी मे बीस थी. भाभी ने मेरे तरफ देखा लेकिन मई तो होश
मे था ही नही, मेरी नज़र तो उनके चूंचियों पे ही टिकी थी. उन्होने मेरी
नज़र का पीछा किया तो पता चला की मई उनका सेकरीट पार्ट देख रहा हून.
तब उनके ध्यान मे आया की उन्होने तो हमेशा की तरहा ब्रा पहनी ही नही
है, अकटुली वो घर मे अकेली रहा करती थी तो गर्मी के दिन होने के कारण
घर मे ब्रा नही पहनती थी, और रोज की तरह अभी भी उन्होने ब्रा नही
पहनी, जब उनके ध्यान मे आया तो ज़्ादू छ्चोड़ के सीधी खड़ी हो गयी,
और मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी. मई शर्मा गया और उन्होने एक
मुस्कुरहत दी और जल्दी से बेडरूम मे चली गयी. थोड़ी देर बाद वो
वापस आई तो मैने देखा की उन्होने ब्रा पहेनी हुवी थी. मैने फिर से
उनके बूब्स के तरफ देखा और मुस्कुरा दिया मेरी नज़र और मुस्कुरहत
का मतल्ब वो समझ गयी और वो भी मुस्कुरा दिया.

भाभी ने खाना बनाया, मई हॉल मे टीवी देख रहा था. भाभी मेरे
पास आई फिर हुँने थोड़ी देर तक बाते की, फिर ओन्ोने कहा "संजय तुम टीवी
देखो तब तक मैं नहा के आती हू. मुझे शँको खाने से पहले
नहाने की आदत है". भाभी ने कपबोर्ड से अपने कपड़े निकले और
सेंटर टेबल पे रख दिए फिर उन्होने सोप निकाला और नहाने चली गयी.
बातरूम से गुनगुनाने की आवज़ आ रही थी. भाभी की आवाज़ इतनी अच्छी तो
नही थी लेकिन उनकी आवाज़ मे प्यसस सफ़फ़ ज़ालकती थी. थोड़ी देर बाद शवर
बंद हो गया, 2 मिनिट बाद भाभी सीने से जाँघो के तोड़ा उपर टके क
बड़ा सा टवल लपेटे हुवे हॉल मे आई शायद वो फिर भूल गयी थी की मई
वाहा मौजूद हून, और हॉल मे लगे हुवे बड़े आईने के सामने खड़ी
हो के गाना गाते हुवे अपने अप को निहारने लगी. मेरा तो फ्यूज़ ही उडद गया.
उनके बड़ी बड़ी बाजुओ से पानी की बूंदे नीचे जा रही थी. गार्डेन से और
च्चती के उपरी हिस्से से आती हुवी बूंदे उनके दोनो सीधे खड़े पहाड़ो
के बीच वाली खाई मे समा रही थी. गोरी गोरी मांसल दूधिया जाँघो से
टपकती हुई पानी की बूंदे मानो मुझे इन्वाइट ही कर रही थी. एब्ब भाभी
गुनगुनाते हुवे पलटी, और पलटते हुवे उन्होने टवल का एक कोना हाथ
मे ले लिया और उसको वो नीच छ्चोड़ने ही वाली थी की उनकी नज़र मुझ पे पड़ी.
वो एकदम से रुक गयी. हतह मे टवल के दो कोने थे. ढीला हो जाने
के कारण एक साइड से टवल तोड़ा नीचे आ गया था, और उनकी यूयेसेस साइड की
चूंची 80% दिख रही थी, यहा तक की निपल के अप्पर वाला ब्राउन हिस्सा भी
नज़र आ रहा था. मेरी तो किस्मत ही खुल गयी थी. भाभी ने मेरी तरफ
देखा और जल्दी जल्दी सेंटर टेबल से कपड़े उठा लिया, मैने देखा की जल्दी
जल्दी मे वो ब्रा और पनटी तो वही छ्चोड़ के गयी है. वो बेडरूम मे
चली गयी. मई उठा और सेंटर टेबल से ब्रा और पनटी उठा ली. ब्रा को सोफे
की चेर के पीछे दल दिया, जिधेर से भाभी बेडरूम मे गयी थी, और
पनटी को बेडरूम के डोर के पास एक कोने मे दल दिया.
 
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