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नमस्कार मित्रों, मै रमेश आज आपके सामने मेरी एक सच्ची कहानी लेकर आया हूं। यह कहानी मेरी और मेरे पत्नी की है, हमारे सुहागरात की। हमारी शादी बाकी सब की तरह नॉर्मल थी, हमारे घरवालों ने ही शादी तय की, और फिर तय समय पर हमारी शादी हुई। शादी के बाद, कुछ दिनों तक सारे रीति-रिवाज चलते रहे, और उसके बाद अब मेरी सुहागरात का दिन आया। सुबह से मै उत्तेजित था, अपनी सुहागरात के लिए।
मैने आज से पहले कभी सेक्स नही किया था, और न ही कभी किसी लडकी को नंगी अवस्था मे देखा था। तो आज यह मेरे जीवन का पहला मौका था, जब मै किसी लडकी के साथ एक ही बिस्तर पर नंगा होकर उसके साथ सेक्स करके अपनी सुहागरात मनाऊं। बातों बातों में मै आपको अपनी पत्नी के बारे में बताना तो भूल ही गया। मेरी पत्नी का नाम प्रिया है, उसकी उम्र 27 साल है। प्रिया का रंग दूध सा गोरा है, और उसका फिगर देखकर तो मन करता है, इसे यही नीचे जमीन पर पटककर चोद डालूं। प्रिया ने अपने आप को अच्छे से रखा था, जिससे उसे देखकर किसी का भी लंड खडा हो जाए।
अब फिर से कहानी पर आते है, सुहागरात वाले दिन सुबह से ही मै बहुत ज्यादा खुश था, इतने सालों मे आज मेरे लंड को एक चुत नसीब हुई थी। मैने आज तक न जाने अपने सपनों में कितनी लडकियों को चोदा है, लेकिन आज वह सारे सपने सच करने का सुनहरा मौका मेरे पास था। जैसे तैसे करके रात हुई, और अब वह समय भी आ गया जिसका मुझे बडी बेसब्री से इंतजार था। दोस्तों ने कमरा अच्छे से सजाया हुआ था, और अब उन्होंने मुझे कमरे में धकेलकर कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। मेरी पत्नी पहले से ही कमरे में थी, वह बिस्तर पर घूंघट लिए बैठी हुई थी।
कमरे में जाने के बाद, मैने दरवाजे को अंदर से भी कुंडी लगा दी, और अपनी पत्नी के पास आ गया। प्रिया के पास जाकर मै उसके सामने बिस्तर पर बैठ गया, और धीरे से उसका घूंघट उठा दिया। प्रिया अब भी अपनी नजरें नीचे झुकाए हुए बिस्तर पर बैठी थी। उसका घूंघट उठाने के बाद भी जब उसने अपनी नजर ऊपर नही उठाई, तो मैंने उसके चेहरे को पकडकर थोडा उपर की ओर उठाया। तब जाकर उसने मेरी नजरों से नजरें मिला ली, और अगले ही पल उसने अपने चेहरे को अपनी हथेलियों में ढक लिया। तो मैने उसके हाथों को पकडकर उसके चेहरे से हटा दिया।
अब प्रिया का प्यारा सा चेहरा मेरी नजरों के सामने था। उसके चेहरे से उसका डर साफ पता चल रहा था, तो मैने उसे थोडा रिलैक्स करने के लिए उससे इधर उधर की बातें करने लगा। बातों से वो मेरे साथ थोडा खुलने लगी थी, तो मैने उसे उसकी निजी चीजों के बारे में पूछा। वह पहले तो थोडा झिझकने लगी, लेकिन फिर उसने मुझे सब बता दिया। उसके बाद मैंने उसे अपने निजी जीवन के बारे में कुछ बातें बताई, जो उसे जानना जरूरी था। यह हम दोनों के लिए ही पहली बार था, तो हमने एक-दूसरे को हेल्प करते हुए आगे बढने की सोची।
फिर मैने प्रिया के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया और अपने पास ले आकर धीरे से मैने अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया। पहले तो हम बस एक-दूसरे के होठों को चूमने लगे, फिर थोडी देर के बाद हमने होठों को चूसते हुए बीच बीच मे काटने भी लगे। अब तक हम दोनों ही बिस्तर पर बैठे हुए थे, तो मैने उसे किस करते हुए ही बिस्तर पर लिटा दिया। प्रिया को बिस्तर पर लिटा देने के बाद, मैने उसे चूमते हुए ही उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया। प्रिया आज सुहागरात होने की वजह से पूरी तरह से सज-धजकर बैठी हुई थी। उसने आभूषण भी पहने हुए थे, लेकिन अभी मैने आभूषण उतारे बिना ही उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया।
मैने धीरे धीरे करके पहले उसकी साडी का पल्लू हटा दिया और फिर कमर से भी उसकी साडी खोल दी। अब वो बिना साडी के मेरे सामने थी, अभी भी उसने ब्लाउज पहना हुआ था। साडी के बाद मैने उसका ब्लाउज उतारना चाहा, लेकिन मै उसके ब्लाउज के बटन नही खोल पाया। तो उसने मेरी हेल्प करते हुए खुद ही अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्लाउज को निकालकर अलग रख दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसने आज डिजाइनर ब्रा और पैंटी पहने हुए थे, दोनों ही लाल रंग के, जिसमे वो बहुत ही आकर्षक लग रही थी।
मैने उसके तो कपडे उतार दिए, लेकिन खुद के कपडों पे तो ध्यान ही नही दिया। मै अब भी अपने पूरे कपडे पहने हुए था, तभी प्रिया ने एक हाथ आगे बढाते हुए मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी। थोडी ही देर में उसने मेरी शर्ट उतार दी, और मैने खुद ही अपनी पैंट उतार दी। अब मै बस अंडरवियर में था, आज सुहागरात होने की वजह से सारे अनचाहे बाल निकाल दिए थे। मैने फिर से आगे बढते हुए उसके होठों पर अपना कब्जा जमा लिया। अब मै उसके होठों से होते हुए उसकी गर्दन पर भी चूमने लगा। वह भी अब तक उत्तेजित हो चुकी थी, और उसके मुंह से अब धीरे धीरे सिसकारियां निकल रही थी।
मैने अब अपना एक हाथ उसके ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों पर रख दिया और उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा। प्रिया भी अपने हाथ मेरी पीठ और सर पर घुमा रही थी, अगले ही पल उसने मुझे अपने ऊपर खींचना चाहा। तो मैने भी देर न करके उसे चूमते हुए उसके उपर आ गया। अब मै उसकी गर्दन पर से अपने होंठ नीचे की ओर लाने लगा, और वो मेरी पीठ पर अपने नाखून गाडने लगी थी। मेरे उसके उपर होने से मेरा लंड उसकी चुत पर आ गया, अब इस पोजीशन में वो कपडों के ऊपर से ही मेरे लंड को महसूस कर सकती थी।
धीरे से मैने उसकी ब्रा का हूक खोलने के लिए अपने दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे ले गया। लेकिन मेरी लाख कोशिशों के बावजूद जब मुझसे हूक नही खुला, तो प्रिया ने मेरी तरफ देखते हुए, मुझे चिढाने के लिए मुझसे पूछा, "आप कहो, तो मै ब्रा का हुक खोलने में आपकी कुछ हेल्प कर दूं?"
मुझसे तो वो खुल नही रहा था, तो मैने भी उसे हूक खोलने दिया। जैसे ही उसने ब्रा उसके शरीर से अलग करके साइड में रखी, उसके चुचियां उछलकर मेरे सामने आई। तो मैंने तुरंत ही उसके स्तनों को अपने हथेलियों में कैद कर लिया। फिर धीरे धीरे मै उन्हें चूमते हुए, अपने मुंह मे भरकर छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा। प्रिया के मुंह से अब सिसकारियां तेज होती जा रही थी, उत्तेजना के मारे वो अपनी कमर हिलाकर मेरे लंड की रगड को अपनी चुत पर महसूस कर रही थी। उसने दोनों हाथ मेरे चुतडों पर रखकर मुझे पीछे से अपनी ओर खींचने लगी, जिससे वो मेरे लंड को अच्छे से महसूस कर सके।
थोडी देर में ही उसका शरीर अकडने लगा था, उसने मुझे कसके अपने से चिपका लिया और झड गई। फिर थोडी देर रुकने के बाद मैंने उसके शरीर पर बचा हुआ एकमात्र कपडा, उसकी पैंटी को भी हटा दिया। उसकी पैंटी को नीचे खिसकाते ही उसकी क्लीन शेव की हुई चुत मेरे सामने आ गई। मैने पैंटी उतारने के बाद उसकी चुत को अपनी उंगली से थोडा फैलाकर देखा, तो अंदर से वो पूरी गुलाबी दिख रही थी। जिसे देखकर मै अपने आप को रोक नही पाया, और मैने नीचे झुकते हुए अपनी जीभ उसकी चुत पर लगाकर चुसाई करने लगा।
थोडी देर चुत चुसाई करने के बाद प्रिया अपने हाथ नीचे लाकर मेरे लंड को खोजने लगी थी, तो मैने भी अपनी अंडरवियर उतारकर अपने लंड को आजाद कर दिया। लंड के आजाद होते ही मैने उसकी चुत से मुंह हटाकर उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। पहले तो वो थोडा घबराई, फिर उसने अच्छे से लंड का नाप लिया और उसे सहलाने लगी। मैने अपने हाथ उसके सर के पीछे ले जाकर उसे अपने लंड की तरफ झुका दिया, लेकिन उसने मेरी तरफ देखकर अपना सर ना में हिलाया। तो मैंने भी उसे लंड चूसने के लिए नही बोला। उसके बाद प्रिया ने अपने हाथ मेरे सर के पीछे ले जाकर मुझे अपने उपर ले लिया और मेरे हाथों को अपने उरोजों पर रख लिया। खुद के हाथों से उसने मेरे लंड को पकडकर अपनी चुत का रास्ता दिखाने लगी।
लेकिन अभी मेरा मन उसे थोडा तडपाने का होने लगा, तो मैंने अपने लंड को पकडकर उसकी चुत के ऊपर ही बस रगडने लगा। तो प्रिया अपनी कमर उचकाकर मेरे लंड को चुत में लेने की कोशिश करने लगी। थोडी देर उसे तडपाने के बाद, मैने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "जान, थोडा दर्द होगा, लेकिन सहन कर लेना। अगर ज्यादा दर्द होगा तो बोल देना।"
उसने बस मेरी तरफ देखकर एक मुस्कान दे दी। तो मैने भी अपने लौडे को उसकी चुत के द्वार पर रखकर हल्का सा धक्का लगाया, और तुरंत ही उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। प्रिया के मुंह से चीख निकलने वाली थी, लेकिन उसके होंठ बंद होने से वो अंदर ही दब गई। उसके बाद जब प्रिया थोडा नॉर्मल हुई, मैने अपना पूरा लंड उसकी चुत के अंदर डाल दिया। फिर थोडी देर रुककर चुत को लंड के लिए जगह बनाने का समय दिया। उसके बाद तो फिर धकमपेल चुदाई चलती रही। हमारी सुहागरात में हमने चार बार चुदाई की, अगले दिन प्रिया की चुत सूजकर पावरोटी बन गई थी। जिस वजह से उससे ठीक से चला भी नही जा रहा था।
आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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