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Antarvasna, desi kahani: मेरा नाम अनुराग है मैं कोलकाता का रहने वाला हूं मेरे परिवार में मेरी मां और मेरे छोटे भाई बहन हैं। मेरे पिताजी का देहांत कई वर्ष पहले हो चुका था उनके देहांत होने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही आ गई मैं ही घर को संभाल रहा हूं। पिताजी के देहांत के बाद मैंने ही अपने घर को संभाला है और घर की जिम्मेदारी मैंने बखूबी निभाई है। मेरी मां ने मेहनत मजदूरी करके हमें पाल पोस कर बड़ा किया उन्हीं की वजह से आज मैं इस मुकाम पर हूं यदि वह मुझे पढ़ाती लिखाती नहीं तो मैं भी आज दरबदर भटकता रहता लेकिन उनकी वजह से मैं आज एक अच्छी पोस्ट पर हूं, मैं बैंक में मैनेजर हूं और यह सब मेरी मां की वजह से संभव हो पाया है। मेरी एक छोटी बहन है जिसने की अभी-अभी अपना कॉलेज पूरा किया है और वह अपनी जॉब की तलाश में है उसका नाम सिमरन है।

हमारे परिवार में सबसे छोटा मेरा भाई है वह अभी अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है उसका नाम पारस है पारस घर में सबसे छोटा है इसलिए उसे सब लोग बहुत प्यार करते हैं मैं उसकी हर एक जरूरत को पूरा करता हूं। मैंने अपने परिवार को कभी भी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी मैंने हमेशा ही उनकी जरूरतों का ख्याल अच्छे से रखा है। मुझे उनकी जरूरतें पूरी करने में बहुत खुशी होती है यदि आज पिताजी जीवित होते तो वह भी हमें कोई कमी नहीं होने देते वह भी हमारी हर एक जरूरत को पूरा जरूर करते। कभी-कभी मैं अपने पिताजी को बहुत याद करता हूं मैं सोचता हूं की यदि वह आज जीवित होते तो मेरी मां को इतनी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। पिताजी के होने से मेरी मां को और हमें भी एक सहारा मिलता लेकिन कई वर्ष पहले उनका एक कार एक्सीडेंट में देहांत हो गया उसके बाद से मेरी मां ने ही हम तीनो भाई बहनों को बड़े अच्छे से संभाला है। मेरी मां ने हमें कभी पिताजी की कमी महसूस नहीं होने दी उन्होंने हमारे लिए वह सब किया जो हमारे पिताजी हमारे लिए कर सकते थे। एक दिन मेरी मां मुझसे कहने लगी कि बेटा तुम शादी कर लो अब तो सब कुछ ठीक हो चुका है लेकिन मैंने अपनी मां से कहा नहीं मां पहले मैं सिमरन की शादी करवाना चाहता हूं उसके बाद ही मैं अपनी शादी के बारे में सोचूंगा।

मां कहने लगी ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी जैसा तुम्हें उचित लगे तुम वैसा करो, मां ने भी मेरी बात को मान लिया और उन्होंने मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की। मैं और मां सोच रहे थे कि क्यों ना हम सिमरन की शादी के लिए कोई लड़का देखना शुरू कर दे लेकिन पहले मैं यह बात सिमरन से पूछना चाहता था कि वह शादी करने के लिए तैयार है भी या नहीं। जब सिमरन अपने ऑफिस से घर आई तो मैंने सिमरन से इस बारे में बात की तो वह कहने लगी कि भैया अभी मुझे थोड़ा समय चाहिए अभी अभी तो मेरी जॉब लगी है थोड़े समय बाद मैं शादी कर लूंगी। मैंने भी सिमरन की बात का सम्मान किया और उससे कहा कि ठीक है यदि तुम अभी शादी के लिए तैयार नहीं हो तो मैं तुम्हारे साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। सिमरन भी मेरी बात सुनकर खुश हो गई और खुशी खुशी मेरी गले लग गई मैं अपने भाई बहनों को हमेशा ही खुश देखना चाहता हूं मैं कभी भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होने देना चाहता मैं हमेशा ही उनकी खुशी चाहता हूं। दिन ऐसे ही निकलते जा रहे थे तभी एक दिन जब मैं ऑफिस से घर आया तो मेरी मां बहुत बीमार थी मैंने मां से पूछा कि क्या हुआ तो मां कहने लगी कि आज तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है। मैंने मां से कहा कि मैं आपको अभी डॉक्टर के पास लेकर चलता हूं पहले तो मां मना करने लगी लेकिन मैं ही जिद करके उनको डॉक्टर के पास लेकर गया। जब डॉक्टर ने मां को देखा तो डॉक्टर कहने लगे कि इन्हें तो बहुत तेज बुखार है उन्होंने मां को कुछ दवाइयां दी और उसके बाद हम लोग वापस घर लौट आए थे अब मां भी बीमार थी तो मैंने मां को कहा कि तुम कुछ दिन आराम करो। उस रात मैंने ही रात का डिनर बनाया था क्योंकि सिमरन भी अपने ऑफिस से लौटी नहीं थी उस दिन मैं अपने काम से जल्दी लौट आया था इसलिए मैंने ही डिनर बना दिया था। कुछ दिन बाद मां भी ठीक होने लगी थी और वह घर का काम करने लगी थी। एक दिन जब मैं अपने किसी काम से बाहर जा रहा था तो मैंने सिमरन को किसी लड़के के साथ देखा उस वक्त तो मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया था लेकिन जब शाम के वक्त सिमरन घर लौटी तो मैंने सिमरन से इस बारे में बात की। पहले सिमरन मुझे इस बारे में बताने से डर रही थी फिर मैंने सिमरन को समझाया तो उसने मुझे सारी बात बता दी।

उसने मुझे बताया कि वह उसके कॉलेज का दोस्त है और वह एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं मैंने सिमरन से कहा कि तुमने मुझे यह बात पहले क्यों नहीं बताई। सिमरन कहने लगी कि भैया उस वक्त सागर कुछ भी नहीं करता था इसलिए मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई लेकिन अब वह अपने पापा के बिजनेस को संभाल रहा है। मैंने सिमरन से कहा कि ठीक है मुझे एक बार उस लड़के से मिलवा देना मैं उससे मिलना चाहता हूं। अगले दिन सिमरन ने उस लड़के को घर पर बुलाया जब मैंने उस लड़के को देखा तो मुझे वह ठीक लगा मेरी मां को भी वह लड़का पसंद आ चुका था वह बात करने में भी काफी संस्कारी लग रहा था। उसके बाद मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारे पिताजी से मिलना चाहता हूं वह मुझे अपने पिताजी से मिलवाने के लिए तैयार हो चुका था। कुछ दिन बाद जब मैं सागर के पिताजी से मिला तो मैंने उनसे सागर और अपनी बहन के रिश्ते की बात की वह भी रिश्ते के लिए मान चुके थे उन्हें इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी।

सागर ने पहले ही सिमरन के बारे में अपने घर पर बता दिया था इसलिए वह लोग इस रिश्ते के लिए जल्द ही तैयार हो चुके थे अब हम लोग सिमरन और सागर की सगाई की तैयारियों में जुट गए। सगाई हो जाने के बाद हमने शादी का दिन भी तय कर दिया था और जल्द ही सिमरन की शादी होने वाली थी शादी में मैं किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रखना चाहता था मैं सिमरन की शादी बड़े ही अच्छे से करवाना चाहता था ताकि सिमरन भी खुश रहे। मैंने और पारस ने मिलकर शादी का अरेंजमेंट करवाया मैंने सिमरन की शादी बड़े ही धूमधाम से करवाएं शादी में मेरे ऑफिस के दोस्त भी आए हुए थे। सिमरन की शादी बड़े ही अच्छे से हुई उसके बाद में है अपने ससुराल चली गई कुछ समय बाद सिमरन जब घर आई तो घर में सब लोग बहुत खुश थे। सिमरन शादी के बाद भी जॉब कर रही थी उसने पहले ही सागर से इस बारे में बात कर ली थी कि वह शादी के बाद अपनी जॉब नहीं छोड़ेगी और सागर भी इस बात के लिए तैयार हो चुका था। सिमरन कुछ दिनों तक घर पर ही रुकी इस बीच हमने कहीं घूमने का प्लान बनाया और हम लोग घूमने के लिए गए उस दौरान हमने काफी इंजॉय किया फिर कुछ समय बाद सिमरन भी अपने ससुराल चली गई थी। मां मेरी शादी को लेकर लेकर अब मुझसे कहने लगी, मुझे भी लग रहा था मुझे भी अब शादी कर लेनी चाहिए। मै एक दिन अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में गया हुआ था वहां पर मुझे उसने अपनी कजिन से मिलवाया उसका नाम सुहानी है। सुहानी और मैं एक दूसरे से पहले ही बार में काफी ज्यादा प्रभावित हो गए थे और हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे हम दोनों अक्सर एक दूसरे को मिलने लगे थे।अब दो जवां दिल एक होने के लिए तडप रहे थे मैने सुहानी को घर पर बुला लिया था। वह जैसे मेरे साथ सेक्स करने के लिए बहुत ही ज्यादा उतावली थी। जब वह घर पर आई तो मैं उसके बदन को महसूस करना चाहता था। मैंने सुहानी के बदन से कपड़े उतार दिए थे अब वह मेरे सामने नंगी थी। वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया।

मै उसके स्तनों को दबा रहा था तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था वह भी बहुत ज्यादा खुश हो रही थी। उसे जैसे मेरे लंड को चूत मे लेना था उसने मेरी पैंट की चैन को खोला और उसने मेरे मोटे लंड को बाहर निकाला। अब वह अपने हाथों से लंड को उसे हिला रही थी। जब उसने अपनी जीभ को मेरे लंड पर लगाया तो मेरे अंदर करंट दौड पडा मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा। उसने मेरे लंड को मुंह के अंदर ले लिया और 2 मिनट तक मेरे लंड को चूसा तो मेरे लंड से उसने पानी बाहर निकाल दिया था। मैंने उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी चूत पर एक बाल नहीं था। उसकी चूत को चाटकर मुझे मजा आ रहा है मै उसकी गुलाबी चूत को चाटता ही रहा। जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो मेरे अंदर आग बढ़ती ही जा रही थी।

अब मैंने उसके बडे स्तनों के बीच में अपने लंड को रगडना शुरू कर दिया मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा था। मैने जब अपने मोटे लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाया तो वह खुश हो गई। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जाते ही वह मुझे कहने लगी मुझे मजा आने लगा है उसकी चूत से खून निकल आया था। मैंने उसके दोनों पैरों को अब आपस में मिला लिया, वह जिस प्रकार की सिसकारियां ले रही थी उससे मेरे अंदर आग पैदा हो रही थी। मै उसे तेजी से चोदता रहा अपना माल गिराने के बाद मैंने उसे अब डॉगी स्टाइल पोजीशन में बना दिया। वह मेरे साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी मै उसको चोदता जा रहा था। मैं उसे बड़ी तीव्र गति से चोद रहा था मैंने उसे बहुत ही अच्छे से चोदा। जब मेरे अंदर की आग बाहर आने के लिए बेताब थी तो मैंने उसकी चूत से अपने लंड कर बाहर निकाल कर मैंने उसके मुंह मे वीर्य की गरमा गरम पिचकारी गिरी दी। उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर ही निगल लिया। मुझे सुहानी ने सेक्स का पूरा मजा दिया और उसकी सील तोडकर मजा ही गया था।
 
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