लेस्बियन नाइट्स स्त्री वर्चस्व की गरमा गर्म कहानी[ भाग-1]

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हाय सकसेक्स वालों मैं एक सोशल एक्टिविस्ट हूं और मेरा नाम लीला है। आप सब की कहानियों में जो कुछ भी लिखा होता है, वो एक ऐसी सच्चाई है जो मर्दों की प्रधानता मतलब कि लंड के वर्चस्व को ध्यान में रख के कुछ नामर्द लोगों द्वारा लिखी जाती हैं। स्त्री की वासना को संतुष्ट न कर पाने वाले ज्यादातर मर्द अपने इगो को प्रोटेक्ट करने के लिये ये कहानी लिखते हैं और बाकी जो अपनी प्रेमिका और प्रेमी को खुश नही रख पाते, उनकी चाहत पूरी नहीं कर पाते वो ये कहानियां चटखारे लेकर पढते हैं। मैं आज से आपके सकसेक्स पर ऐसी कहानियां लिखूंगी जो पोर्न जगत से लंड के राज को खत्म करके रहेंगी और हर पहलू से सिद्ध करुंगी कि चूत एक ऐसा शस्त्र है स्त्री के हाथ में जिसे किसी भी तरह के लंड की जरुरत नहीं है। मेरे नेटवर्क में एक से एक गरमा गर्म औरते हैं जिनको अपनी संतुष्टि के लिये किसी भी प्रकार के मर्द और नामर्द की जरुरत नहीं है।

ये कहानी आपको बतायेगी कि क्यों मैंने लेस्बियन होना चुना? क्यों लंड के राज की मानसिकता वाले इंडियन हरामी मर्दों को मैंने छोड़ दिया और कैसे जब मैं इन कुत्तों को हायर करती हूं तो इनसे जानवरों जैसा व्यवहार करती हूं। ये हैं ही इसी काबिल, एक दम नाकाबिल, अपने कीड़े जैसे लंड से चूत के महान साम्राज्य में राज करने की कोशिश करते ये बेदम जानवर इनको हमेशा अकेले पन और गांड मरवाकर अपनी वासना बुझाने का दंड मिलना चाहिये। लेस्बियन नाइट्स आपको हमारे इन प्रयासों और समाज के यौन व्यवहार को योनि प्रधान बनाने मतलब कि चूत के राज को लागू करने के लिये किये जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।

आइये देखते हैं कैसे हम महिलायें इन नाचीज पुरुषों से बेहतर और श्रेष्ठ हैं। हमारे अंग अंग में भरा काम रस, चुदास जिसकी प्यास इन मर्दों को हमारे आगे पीछे कुत्ते की तरह दौड़ा सकती है। क्या ये नही दौड़ते आपके पीछे पीछे घर से आफ़िस तक और आफ़िस से बाजार तक? ये हमारे गुलाम बनने लायक भी नहीं हैं क्योंकि इनकी फ़ितरत ही संपोले जैसी है। मर्द मर्द ही होता है, जैसे मौका दिया अपना डोमिनेन्स मतलब की राज दिखाने लगेगा। पहला चुदाई का शाट कौन लेता है? गंदे नीच मानसिक्ता वाले मर्द कहेंगे कि हम लेते हैं पर क्यों? क्या वो तुम्हारा बिना आंख और नाक का रेंगने वाला कीड़ा लंड ही सबसे बेहतर है, क्या हमारे कमर में लचक और पेलने की कूब्बत नहीं है? ये साजिश है इन मर्दों की। हर जगह पहले रहने की।

सभी कहानी में चोदने में पहले, सील तोड़ने में पहले, चूंचे मलने में पहले, गांड मारने में पहले मर्द हैं और झेलता कौन है? महिलाएं। इस साजिश को अपनी आपबीति और लेस्बियन दोस्तों की कहानियों को शेयर करती मैं लीला आप महिलाओं के साथ हूं। हम इस फ़ोरम के माध्यम से इंडियन महिलाओं को उनकी कीमत बता के रहेंगे। उन्हे यह एहसास दिला के रहेंगे कि आखिर में चूत क्यों मारी जाती है गांड क्यों मारी जाती है? लंड क्यों नही मारा जाता? मर्द क्यों नही पेला जाता, उसकी गांड में बोतल क्यों नही घुसाई जाती? ये साजिश हमारे देश में बेनकाब होकर रहेगी। मर्दों का राज खत्म होकर रहेगा। पढते रहिये इस कहानी के अगले भाग जिसमें मैं अपनी कहानी लेकर आउंगी और बताउंगी क्यों मैंने लेस्बियन रहने का फ़ैसला किया और कैसे मैं लेस्बियन रहके ही उन महिलायो और मर्दों से ज्यादा वासना का मजा लेती हूं जो स्त्री-पुरुष योन संबंधों में यकीन करते हैं।
 
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