वह दिन भूले नही भूलता

sexstories

Administrator
Staff member
Antarvasna, hindi sex kahani: मैं दिल्ली से जयपुर का सफर बस में तय कर रहा था मेरे सामने वाली सीट में एक लड़की बैठी हुई थी जो कि दिखने में बहुत ज्यादा सुंदर थी। कुछ समय पहले ही मेरा ब्रेकअप हुआ था तो मैं उस लड़की की तरफ देख रहा था मैं चाहता था कि उससे मैं बात करूं लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उसस बात कर पाऊं। जब उस लड़की का फोन उसके हाथ से गिरा तो मैंने उसके फोन को उठाया और उस लड़की को दिया। फोन देते वक्त उसकी आंखों में मैंने देखा, मैंने जब उसकी तरफ देखा तो मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने उससे बात की। मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना परिचय दिया और कहा मेरा नाम कमल है उसने भी मुझे कहा कि मेरा नाम अनीता है। मुझे तो लगा था कि शायद वह मुझसे बात करेगी ही नहीं लेकिन उसने मुझसे बात की और जब वह मुझसे बात कर रही थी तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बातें कर रहे थे तो मेरा सफर बड़ा ही अच्छा रहा और मुझे पता ही नहीं चला कि कब दिल्ली से मैं जयपुर पहुंच गया।

जैसे ही मैं जयपुर पहुंचकर बस से नीचे उतरा तो मैंने अनीता को कहा कि अगर आप मुझे अपना नंबर दे दे तो। अनीता ने मुझे कहा कि हां क्यों नहीं और फिर अनीता ने मुझे अपना नंबर दे दिया नंबर देने के बाद अनीता से मेरी बात काफी समय तक तो हो नहीं पाई थी क्योंकि मैं पापा के इलाज के लिए कुछ दिनों के लिए दिल्ली चला गया था। पापा का इलाज दिल्ली से ही चल रहा था इस वजह से मैं काफी ज्यादा परेशान था और मेरी बात अनीता से भी नहीं हो पा रही थी। काफी समय तक मेरी बात अनिता से नहीं हुई लेकिन जब एक दिन मैंने अनीता को फोन किया तो अनीता मुझे कहने लगी की आपने काफी समय बाद मुझे फोन किया। मैंने अनीता को कहा कि मुझे समय ही नहीं मिल पाया था और मैंने उसे बताया कि मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली गया हुआ था दिल्ली से ही उनका इलाज चल रहा था। अनीता ने मुझसे पूछा की आपके पापा की तबीयत अब कैसी है तो मैंने अनीता को कहा अब उनकी तबीयत में पहले से काफी ज्यादा सुधार है। अनीता और मैं एक दूसरे को मिलना चाहते थे और हम दोनों जब एक दूसरे को मिले तो हम दोनों ने उस दिन साथ में काफी अच्छा समय बिताया। मेरे दिल में अनीता के लिए कुछ चलने लगा था लेकिन मैं अनीता को इस बारे में कह नहीं सकता था क्योंकि हम दोनों की मुलाकात को ज्यादा समय भी नहीं हुआ था तो मुझे लग रहा था कि पहले मुझे अनीता को समझना चाहिए और कुछ समय मुझे उसके साथ बिताना चाहिए। हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे और फोन पर भी हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे।

जब भी हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता और हम दोनों बहुत खुश रहते। हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुश हैं और हम दोनों अब एक दूसरे को प्यार भी करने लगे थे। अनीता को जब मैंने इस बारे में बताया कि मैं उससे प्यार करने लगा हूं तो वह मुझे कहने लगी कि शायद मेरे घरवाले तुम्हें कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। मैंने अनीता से कहा लेकिन तुम ऐसा क्यों कह रही हो तो अनीता ने मुझे कहा कि उसके पापा और मम्मी उसकी शादी उनके दोस्त के बेटे से करवाना चाहते हैं। यह बात सुनकर मुझे काफी बुरा लगा और मैंने अनीता को कहा कि लेकिन मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं तो अनीता मुझे कहने लगी कि मैं भी अब तुमसे प्यार करने लगी हूं। अनीता के दिल में मेरे लिए प्यार था और मैं इस बात से खुश था कि अनीता मुझसे प्यार करने लगी है लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या यह थी कि अनीता की फैमिली को किस प्रकार से मनाया जाए। अनीता के परिवार वालों को मनाना शायद मुश्किल ही था क्योकि अनीता मेरे और अपने रिलेशन के बारे में अपने घर पर बात भी नही कर सकती थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। अनीता के पास भी इस बात का कोई जवाब था परंतु मैं एक बार तो अनिता के परिवार वालो से मिलना चाहता था। मैं चाहता था कि मैं अनीता के पापा मम्मी से मिलकर उनसे इस बारे में बात करूं लेकिन जब मेरी बहन का डिवोर्स हो गया तो मैं इस बात से और भी ज्यादा परेशान हो गया था कि मेरी बहन और उसके पति के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है उसके बाद मेरी बहन घर पर ही रहने लगी थी। मैं इस बात से बहुत ज्यादा परेशान था मैं सोचने लगा कि मुझे आखिर ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि मेरी बहन का रिश्ता दोबारा से हो जाए।

मैं इसी कशमकश से जूझ रहा था कि तभी मैंने सुना कि अनीता की सगाई भी हो गई। जब अनीता ने मुझे इस बारे में बताया तो मेरा दिल और भी ज्यादा टूट गया। मैं पूरी तरीके से टूट चुका था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। मैंने अनीता से इस बारे में बात की और जब अनीता मुझे मिली तो अनीता बहुत ही ज्यादा परेशान थी। वह मुझे कहने लगी कमल मेरी सगाई हो चुकी है अब मुझे लगता है की हम दोनों को एक दूसरे को भूल जाना चाहिए। यह सब मेरे लिए इतना आसान नहीं था मैं अनीता को नहीं भुला सकता था लेकिन अनीता ने अब मुझसे सारे संबंध ख़त्म कर लिए थे और वह मुझसे मिलना भी नहीं चाहती थी। इस बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन मैं भी अब अनीता को भुलाने की कोशिश कर रहा था परन्तु यह सब इतना आसान कहां होने वाला था कि मैं अनीता को भुला दूं। मैं अभी तक अनीता को भूल नहीं पाया था और मैं चाहता था अनीता और मै मिले। मैंने जब अनीता से इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगी मैं तुमसे मिलना चाहती हूं कहीं ना कहीं अनीता के दिल में मेरे लिए भी प्यार बचा हुआ था और हम दोनों एक दूसरे को मिले। उस दिन मैंने अनीता को अपने दोस्त के घर बुलाया वह मुझसे मिलने के लिए मेरे दोस्त के घर पर आई क्योंकि उसके घर पर कोई भी नहीं था इसलिए मैंने अनीता को वहां बुलाया। हम दोनों से एक दूसरे से बातें कर रहे थे मुझे अनीता से बात कर के अच्छा लग रहा था।

मैं चाहता था अनीता अपनी सगाई तोड़ ले और वह मेरे और अपने रिलेशन के बारे में अपने परिवार को बताएं लेकिन यह सब कुछ हो नहीं सकता था। अनीता ने पूरा मन बना लिया था कि वह उसी लड़के से शादी करेगी। मैंने अनीता को गले लगाया मेरे होंठ अनीता के होठ से टकराते। जब अनीता और मेरे होंठ आपस में टकरा रहे थे तो मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा था और मेरे अंदर की गर्मी बाहर की तरफ आने लगी। अनीता के स्तनो पर मैने अपने हाथ का स्पर्श किया अब मेरा लंड कठोर हो गया था। उसने मेरे लंड को अब अपने हाथों में ले लिया था और वह उसे हिलाए जा रही थी। वह मेरा लंड हिलाती तो मुझे मजा आ रहा था। अनीता को भी काफी ज्यादा मजा आ रहा था जिस प्रकार से वह वह मेरे लंड को हिला रही थी मैंने अब अनीता को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लो। अनीता ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया उसने मेरे लंड को मुंह के अंदर बाहर करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और अनीता को भी काफी ज्यादा मजा आने लगा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी इस कदर बढने लगी। मै अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था और ना ही अनीता। मैंने अनीता को कहा मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसाना चाहता हूं। मैंने जैसे ही अनीता की योनि के अंदर अपने मोटे लंड को घुसाया तो उसे मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मैंने अनीता की चूत की तरफ देखा।

अनीता की चूत से काफी ज्यादा पानी बाहर की तरफ को निकल रहा था और वह मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं। अनीता की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी अनीता की सिसकारियां इस कदर बढ़ चुकी थी वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। अनीता की योनि से लगातार पानी बाहर की तरफ निकल रहा था और उसे बहुत ही ज्यादा मज़ा आने लगा था जिस प्रकार से वह मेरा साथ दे रही थी और मेरे शरीर की गर्मी को बढ़ाई जा रही थी। उसने मेरी गर्मी को इस कदर बढ़ा दिया था कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था वह शायद अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। मेरे लिए काफी मुश्किल हो गया था क्योंकि मेरे और अनीता की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। अनीता की चूत से निकलती हुई आग मेरे अंदर की आग बढ़ाती जा रही थी और उसने मुझे कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है आप मुझे बस ऐसे ही धक्के देते जाइए। मैंने अनीता को ऐसे ही काफी देर तक धक्के दिए और मेरा माल जल्दी ही बाहर की तरफ आ गया क्योंकि मैं अपने आपको बिल्कुल रोक नहीं पाया था और मेरा माल अनीता की चूत मे गिर गया था। मुझे बहुत मजा आ गया था। मैंने अनीता को कहा मुझे बहुत ज्यादा आ गया और मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा है। अनीता और मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई थी इसलिए मैंने दोबारा से उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया।

मेरा लंड अनीता की योनि में जा चुका था अब मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा था। मैंने अनीता को जिस प्रकार से चोद रहा था उससे वह बहुत ज्यादा खुश हो गई और मुझे कहने लगी आज तो तुमने मेरे अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया है। मैं यह दिन कभी भूल नहीं पाऊंगी हम दोनों एक दूसरे के साथ पूरी तरीके से मजे ले रहे थे जैसे ही मैंने अपने माल को अनीता की चूत में गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया हालांकि उसके बाद ना तो कभी मुझे अनीता मिली और ना ही उससे मेरा कोई संपर्क होता है लेकिन वह दिन आज भी मैं भूल नहीं पाया हूं और मैं जब भी वह दिन याद करता हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
 
Back
Top