विद्यालय की चुत की चौकीदारी

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हाई दोस्तों,

मैं पांडू आज आपको अपनी नौकरी को खतरे में डालते हुए की चुदाई के बारे मिएँ बताने जा रह हूँ | मैं जब शहर में नया - नया आया था तो मुझे कहीं भी नौकरी नहीं मिल आरही थी जिसके कारण मुझे पाना पेट भरने और साथ ही अपन गुज़ारा चलाने के लिए एक विद्यालय के चौकीदार के पड़ पर काम करना पड़ा | मैं बहुत ही शर्मिंदा था अपने काम से पर जिस दिन से मुझे एक लड़की की चुत का चस्का छडा तो भला किस शर्मिंदगी | मैं आज भी समझो उसकी और बाकी की ने लड़कियों की चुदाई के लिए ही इस नौकरी को अपनाये बैठा हूँ | होता यूँ था कि विद्यालय की छुट्टी होने के बाद ज़्यादातर बच्चे उसी वक्त घर चले जाया करते पर किन्ही बच्चों को घर दूर होता था वो अक्सर ही मेरे वहीँ गाते के पास रूककर अपनी बस का इन्तेज़ार करने लगते |

इसी चलते वक्त के दौरान मेरी १२ वि. कक्षा में पढ़ने वाली सन्या से मुलाकात हुई जोकि हर बार देर से आती और उसकी पहली बस छूट जाया करती | उसकी अगली बस के आने तक हम खूब बात किया करते जिसके कारण अब उसकी दिलचस्पी मी अंदर ऐसी बढ़नी शुरू हुई की वो जानबूझ कर अपनी पहली बस को छोड़ दिया करती और देर से दूसरी बस मुझसे ख्होब देर बात करने के बाद ही अपने घर जाया करती थी | इसी तरह चलते - चलते उस वक्त सारे विद्यालय भी सुनसान हो जाया करता था क्यूंकि लगभग सार अध्यापक अपने घर को चलाए जाया करते थे | अब तो कभी - कभार हम एक दूसरे का हाथ भी पकड़ लिया करते | एक रोज बात करते हुए सान्य ने मुझसे बात करते हुए खा की वो मुझसे अकेले में बात करना चाहती है कभी जिसपर मैं उस वक्त मौका निकालते हुए उसे अंदर विद्यालय में ले गे |

हम एक क्लासरूम में घुस गए और बहार से दरवाज़ा बंद कर लिया | अब च्यूंकि मैं ही चौकीदार था इसीलिए किसी और के आने का तोसवाल ही पैसा नहीं होता था | मैंने जब उससे अकेले में मिलने की वजह पूछी तो उसने गौरं से मेरे गालों पर एक चुम्मी दे दी जिसपर अब मैं भला कैसे थमने वाला था | मैंने उसकी जांघ को पकड़ते हुए पहले उसके होते पर कसके चुम्मी ली फिर नीचे से मस्त होते हुए उन्हें चूसने में खो ही | मैं कुछ ही देर में उसके चुचों को अपनी कैद में भर लिया और उसके कुर्ते को उतार कर नंगे मोटे चुचों को बारी - बारी चूसने लगा | मैंने अब उसे मदहोश करते हुए उसे कुछ ही देर में कपडे उतार नंगी कर दिया और नीचे से उसकी चुत की फांकों में ऊँगली भी करने लगा | मैंने उसके चुचों को को पीते हुए उसकी चुत पर थूक लगाया और अपनी उंगलियां अंदर बहार करने लग जिसे बाद हम एक दूसरे को संभाल नहीं पाए |

मैंने अब कुछ ना सोचते हुए अपने लंड को निकाला जोकि पहले से ही पांसा हुआ था और सीधा उसकी चुत में अंदर देने लगा | मेरे लंड के अंदर जाने पर उसकी चींखें निकलने लगी जिसपर मैंने उसे समझाया की कोई आ सकता है और उसने भी सवर रखते हुए चुदाई का मज़ा अपने मुंह बंद करते हुए लिया | मैं अब फ्छ्ह्ह्ह प्फ्छ्ह्ह करते हुए उसके चुत को चोदे जा रहा था और वो अपने मुंह को बंद कर बस गांड हिलाकर चुदाई का मज़ा ले रही थी | आखिर में इस तरह मैंने जब समय की बपंदी को समझा तो कुछ बड़े - बड़े झटके दिया और सारा मुठ वहीँ झटक दिया |उस दिन के बाद से तो मैंने उसकी चुत को चोदना रोज का ही काम बना लिया है |
 
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