शानू को मिला लंड शादी से पहले

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शानू मेरी ही पास की दादी जी की इकलौती बिटिया थी जिसका रिश्ता हालही में तय हुआ था | वो मुझे उम्र में लगभग दो साल बड़ी 23 की होगी पर दोस्तों जैसा की हम सब जानते हैं की अगर किसी बंदे का लंड ६ इंच का हो जाए तो उसे चुत के लिए उम्र का वास्ता रखना छोड़ देना चाहिए | मैं दादीजी का लाडला हो चूका था और मुझे कभी कभार खाने के लिए तो अपना दिल भी बहलाने के लिए अपने घर बुला लिया करती थी और मैं भी काफी उतावला रहा करता था आखिर उनके घर पर इतनी मस्त सुन्दरी से जो मुलाक़ात हो जाया करती थी |

शानू हमेशा कुर्ती सलवार में ही रहा करती थी पर उसका लचीले बदन का माप मुझे हमेशा मेरी आँखों में नंगा दिल मचलाता हुआ नज़र आता था | एक दिन मैं दादी जी के कहने पर शानू के कमरे से उनका चश्मा लेने गया तो देख की शानू कपडे बदन रही थी और जब मेरी नज़र उसके उप्पर पड़ी तो मैं हैरान ही रह गया | शानू के उभरे हुए चुचों की तरफ उसकी असल की जवानी ने मेरे लंड में आग ही लगा दी थी | मैं अब जैसे कुत्ते की तरह हांफने लगा था तभी शानू ने शर्माते हुए अपनी गर्दन हिलाई और मैं जैसे ही आगे को बढा तो उसने अपने सारे कपड़ों को उतारा दिया और हवाई चुम्मा अपने होंठों से देते हुए मेरा सहयोग माँगा |

मेरे लिए इससे बढ़िया बात क्या हो सकती थी और तभी मैंने अपने भी कपडे दरवाज़ा बंद करते हुए उतार दिए और शानू से लिपटकर उसके होंठों को चुमते हुए उसकी उसके चुचों को सहलाना लगा | मैंने धीरे - धीर अपनी उँगलियाँ से चुत को खुजाना की चुत को खुजाना चालू कर डाला जिससे शानू बिलकुल गरमा चुकी थी | मेरी हरकतों से अब शानू की सिस्कारियां भी तेज होती जा रही टी और ममुझे भी उत्तेजित करने लगी | मैंने अब शानू को बिस्तर पर सपाट लिटा दिया और उसकी चुत पर थूक लगाकर उसपर अपने लंड को मसलना चालू कर दिया | मैंने अपने लंड को शानू की चुत पर टीकाकार उसके उप्पर लेट गया और अपने लंड को उसकी चुत के अंदर दे मारा जिससे उसकी सिस्कारियां चींखों में बढती ही जा रही थी |

मैंने अब कस - कस चोदने लगा जिससे कामुकता का खूब मज़ा आ रहा था | मैंने भी धीर - धीरे अपनी रफ़्तार को बढ़ाना शुरू कर दिया जिसपर उसकी चींखें तमने का नाम नहीं ले रही थी | अब जब मुझे पसीने आने लगे तो मैंने कुछ देर उसकी गांड के छेद को चाटा और जब उसकी गुदगुदी बढ़ी तो अपनी लंड को कभी उसकी गांड के छेद पर रगड़ते हुए तो कभी चुत में पुरे ज़ोरों से नादर को धकेलने लगा | जो भी हुआ मेरे और शानू के बीच वो तो अब तक राज़ है पर शयद शानू को मेरी चुदाई इतनी पसंद है की वो आज भी अपने गुप्त अंगों से खिलवाड़ करवाने के लिए मुझे चुपके चुपके घर बुलाकर याद करती है |
 
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