शाम से रात तक चला भयंकर खेल

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं दीपाली की चुत - चुदने की कहानी बड़े ही मज़ेदार तरीके से सुनाने जा रहा हूँ जिससे आपको भी लगेगा की आप भी उसकी चुत को मार रहे हो | दीपाली की चुत तो थी ही इतनी रैली की कोई भी खो जाये इसलिए कहाँ मैं और कहाँ आप | फिलहाल मैं आपको बता दूँ मैंने दीपाली से दोस्ती अपने एक मित्र के सहारे ही की थी और फिर तो मेरी बातों का सिलसिला जैसे थमा ही नहीं | मैं अब उससे जैसे रोज मिलने और बातें करने लगा था और वो मुझे फोन पर बड़े ही मस्कारे चूमी दिया करती थी जिस्पोअर मैं हमेशा पाना हाथ अपनी चड्डी में डाल लेता थोर अपने लंड को उप्पर से अपने हाथ में मसलने लगता था |

कुछ ही दिनों में उसे चोदने की चाह मेरे चेहरे पर साफ़ धिकायी पड़ने लगी और मैं भी बेताब होता हुआ हमेशा उसे फोन परा एक बार मेरे साथ चुत - चुदाई करने के लिए उकसाता और मनाता रहता | वो कामिनी भी जानबूझ कर अपने पीछे मुझे थोडा - बहुत नचा रही थी पर मैं जानता था की लंड की प्यास आखिर उसे भी थी इसीलिए वो मुझसे ज्यादा दूर भी नहीं जा सकती थी | इसी तरह आखिरकार वो मौका भी आ लिया जिस दिन उसकी चुत को अपने लंड के तले रौंधा दिया | हम एक दिन एपने मोहले के ही गार्डन में मिले जहाँ पर शाम के समय अक्सर मस्त वाला अँधेरा सा छा जाया करता था |

उन दिनों तो वैसे भी ठण्ड के मौसम चल रहे थे हम वैसे भी एक दूसरे के करीब आते चले गए | मैं पहले उसे वहीँ के कोने में ले गया और उसकी गौड में सर रखकर लेट गया | वाह . . ..फिर वो अपनी चोटी को मेरे होंठ पर लहराती हुई मुझे उत्तेजित कर रही थी फिर मैं भी ना रुका | मैं झट से उससे अपनी और खींच लिया और तभी उसके होठों को अपने कब्ज़े में लेता हुआ चुचों को भींचकर कर उनकी जमकर सेवा करने लगा | मैंने कुछ ही देर मैंने उसकी मोटी सी कुर्ती को उतार दिया और उसके नंगे चुचों को को मसलते हुए अपने होंठों से लगाते हुए चूसने लगा | मुझे उसके दूद का स्वाद आ रहा था और इसी बहाने अपना बचपन भी याद आ गया |

मैं कुछ ही देर में उसे पने नीचे कर लिया और उसकी सलवार और पैंटी को निकाल झटक दिया जिससे उसकी चुत अब मेरे काबू में आ चुकी थी और मैंने अब अपने लंड को निकाला उसकी नंगी चुत के उप्पर रगड़ने लगा | कुछ पल बीते थे ही की मैंने अपने लंड उसकी चुत पर टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरे लंड एक बार में ही उसकी चुत में आगे - पीछे होने लगा और मैं चैन की सांस लेता हुआ उसकी चुत के साथ खिलवाड़ करने लगा | मेरे पास उसे हसीन पल जैसे कोई और था ही नहीं | मैं उस दिन शाम से लेकर रात तक उसकी चुत वहीँ पर लिटाकर भयंकर तरीके से चोदी जिससे वो भी मस्त थी ओर आखिर मरीन अपना पानी छोड़ते हुए मेरे लंड के मुठ को चूस रही थी |
 
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