एक रात खाट कबड्डी खेली

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हाई दोस्तों,

मेरा नाम सतीश हे और मेरी एक दुकान हे कपड़ो की जहा पे दिन में पता नही कितनी आंटी आती हे और कितनी ही लड़किया आते हे, क्युकी मेरे दुकान में सिर्फ लड़कियों के कपडे हे | एक दिन एक आंटी आई और वो मेरे साथ निचे बैठ के साडी देखने लगी, उनके चेहरे से मुझे लगा की वो अलग किस्म की हे, और निकला भी वोही | वो बार बार साडी देखने के लिए आगे की तरफ बड बड के झुक रही थी और मेरे लंड को तना रही थी | मैं जब उसके चुचो को देख रहा था तो उन्होंने मुझे दो तिन बार देख लिया पर कुछ बोली नही और आखिरी बार में तो उन्होंने मुझे देख के मुस्कुरा भी दी | मैं कुछ कुछ समझने लग गया, और फिर वो बोली की ये वाली साडी अच्छी हे और फिर मेने उसका बिल बना दिया और वो बोली की क्या तुम मेरे घर पहुचो देगे साथ बजे के आस पास, मैं भी कही और जा रही थी | मेने हाँ कह दिया और उनका पता ले लिया |

मैं शाम को उनके घर पह्च गया और फिर उन्होंने मुझे अंदर बिठाया और फिर किचन चली गयी पानी लेने के लिए | लाते समय वो झुक के मुझे दी और फिर से मेरा तन गया | मेने उन्हें साडी दी और वो बोली की रुको मैं इसे पहने के आती हूँ | वो अंदर रूम में गयी और दरवाजा हल्के से बंद की पूरा बंद नही की उसे | वो वो करीब दस मिनट बाद आई साडी में और पूछी मैं कैसी लग रही हूँ मेने कहा अच्छी हो तो अच्छी तो लगो गी ही, वो फिर शर्मा गयी और फिर अपने कमरे के तरफ चली गयी पर गांड मटका मटका के गयी | मुझे लगा आज तो चुत मिलेगा ही, और फिर में कुछ देर रुका और फिर उसी कमरे में चला गया |

वहा जो देख तो मेरी सिटी विटी बज गयी, वो पूरी नंगी बिस्तर पे बैठी हुई हे और मुझे देख के बोली की मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी | मैं गया और उनके घुटनों के पास बैठ गया, और उनके जांघों पे हाथ फेरने लग गया | वो बोली आज कितने महीने बाद किसी मर्द ने मुझे छुआ, मेरे पती विदेश गए हे आयेंगे कब उसका पता नही | मैं फिर खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया | वो मेरे लंड को देखते ही रह गयी और उसपे हाथ फेरने लगी और बड़े ही प्यार से उसपे किस किया | मेने उन्हें लेटा दिया और उनके उपर चड के उनके होठो को चूसने लग गया और उनके चुचो को मसलने लग गया |

कुछ देर चुचो को मसलने के बाद उनके निप्पल चूसने लगा तो वो एक दम से पागल हो गयी और मेरे सर को अपने छाती पे दबाने लग गयी | मैं करीब पाँच मिनट चूसा और चूस चूस के लाल कर दिया और फिर चुमते चुमते उनके चुत की तरफ बड़ा और चुत पे हाथ फेरने लग गया तो वो अपने में सिमटने लग गयी | मैं उठ के उनके टांगो को के बिच बात गया और वो कस कस के सिसकिय भरने लग गयी, और मैं उनकी होठो को चूसता रह गया और वो सिसकिय भरते भरते मेरे पीठ पे हाथ फेरती रह गयी | मैं चुमते चुमते उनके चुचो पे आया और उनके निप्पल को मुह एम् भर के अपने होठो से काटते हुए उनके निप्पल को चूसने लग गया, वो मेरे सर को अपने चुचो से दबाने लग गयी और मैं बारी बारी से उनके निप्पल को चूसता रह गया | दस मिनट उनके निप्पल चूसा तो वो दो बार झड गयी और फिर मैं चुमते चुमते उनकी चिकनी चुत पे आ गया जो की चुत रस से पूरी तरह गीली थी |

मैं उनकी चुत को खोल के अंदर जीभ घुमाने लग गया और वो एक दम से कसमसा उठी और अपने पेरो को मेरे पीठ पे रख के मुझे अपने चुत से कसने लग गयी | मई करीब पाँच मिनट उनके चुत को कस कस के छठा और यहाँ तक की छेद में भी जीभ डाली और वो पाँच मिनट में ही झड गयी | मैं फिर उठा और उन्हें अपना लंड चुसाय और वो करीब दस मिनट तक चुसी उसके बाद मैं उनकी टांगो को अपने कंधो पे लिया और छेद पे लंड सटा के कस के धक्का मार दिया और वो चीखी पर मेरा लंड बिना रुके उनके चुत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया | वो कस आआया की और बोली धीरे करो मेरे रजा, पर मैं नही सुना उनकी एक भी बात और धक्के पे धक्के देता रहा |

उन्होंने मेरे पिट को कस कस पकड़ रखा था और मुझे लगातार अपने तरफ कसती जा रही थी, और मैं उन्हें शोट पे शोट दिए जा रहा था और वो अह्हह्ह अह्ह्ह ह्म्म्म्मैईई किये जा रही थी | मैं उन्हें उसी हाल में करीब बीस मिनट पेला और फिर वो जोर से चीखी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और चीखते चीखते वो झड गयी | मैं फिर भी लगा रहा और करीब दस मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था जिसे वो भाप गयी थी और बोली मेरे रजा अंदर ही छोड़ दो, फिर मैं कस कस के शोट देने लगा और वो कराहने लगी और मैं झट से ढीला पड गया और सब अंदर ही छोड़ दिया |

मैं बहुत थक गया था और फिर थक के उनके उपर ही लेटा रह गया और जब उठा तो देखा की वो मुझे चूम रही हे और उस समय दस बज रहे थे | आंटी बोली आज रुक जाओ, मैं खाना बना देती हूँ | फिर आंटी ने खाना बनाया और हम मिलके खाए और खा पी के पूरी रात खाट कबड्डी खेले |
 
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