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सम्भोग गाथा -चुदाई के सफर की

हैल्लो दोस्तों हमारा नाम उपेंद्र है और मेरी उम्र 25 साल की है। दोस्तों मैं भी अपनी सम्भोग गाथा आप सभी लोगो से शेयर करना चाहता हूँ। दोस्तों बात यह बात आज से 1 साल पहले की है.. जब मैं चंडीगड़ एक जरूरी काम के सिलसिले मैं गया था। मैं शाम 4 बजे देहरादून के लिए बस अड्डे पर बस का इंतज़ार कर रहा था। इसके बाद एक 35-40 साल के सज्जन एक बहुत ही खूबसूरत 22-23 साल की लड़की के साथ मेरे पास आये। इसके बाद वो बोले कि क्या आप देहरादून जा रहे है? तभी हमने हाँ कह दी इसके बाद मेरे हाँ कहने पर वो बोले कि ये मेरी साली है और इसे भी देहरादून जाना है.. प्लीज़ इसे आप अपने साथ बैठा लें।

अब हमने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, उसका गदराया बदन और उसके सुडोल बूब्स स्वेटर से बाहर आने को बैताब थे। तभी हमने तुरंत उन्हे बाहर से ही अपनी सीट नंबर बता दी। अब वो दोनों बस मैं गये और मेरी सीट के पास वाली सीट पर अपना बेग रखकर वो लड़की बैठ गयी और वो सज्जन नीचे उतर कर मेरे पास आए और इसके बाद हमें थॅंक्स कहने लगे। अब वो कुछ और बात करना चाहते थे परंतु बस स्टार्ट हो गयी तो मैं तुरंत बस मैं चला गया। तभी हमें आता देख उस लड़की ने अपना बेग अपनी गोद मैं रख लिया। अब हमने उसका बेग लेकर ऊपर स्टेण्ड पर रख दिया.. लेकिन उससे बेग लेते वक़्त हमारा एक हाथ उसकी चूची को और दूसरा हाथ उसकी जाँघ को छू गया था।

अब हमने उसको देखा तो वो मुस्करा रही थी। तभी हमने सोचा हँसी तो फंसी। अब बस चल पड़ी थी और थोड़ी देर मैं लड़की ने मुझसे बातें शुरू कर दी। अब वो बोली कि हमारा नाम नंदिनी है। मैं रामनगर रहती हूँ लेकिन अभी कुछ समय पहले ही मेरे पापा का तबादला देहरादून मैं हुआ है। वो वहाँ पर एक गोदाम मैं इंचार्ज है। मैं पहली बार उनके पास जा रही हूँ। मेरे जीजा जी चंडीगड़ मैं प्राईवेट कंम्पनी मैं मॅनेजर है।

अब मैं भी उससे खुलने के लिए बातें करता रहा। बस पूरी भरी थी और बस मैं खड़े खड़े भी लोग जा रहे थे। अब बस हिचकोले खाती तो खड़ी वाली सवारी मेरे ऊपर झुक जाती थी और मैं भी नंदिनी की तरफ झुक जाता। अब उसके भाव से हमें भी नहीं लगा कि उसे बुरा लग रहा था।

इसके बाद मैं भी अपने पैर और कोहनी फैला कर बैठ गया। तभी मेरी कोहनी उसकी चूची को छू रही थी। पहली बार तो वो सिकुड कर बैठ गयी। अब हमने देखा कि खड़ी हुई सवारी हमैं घूर रही थी.. तो मैं भी ठीक से बैठ गया उससे बिल्कुल चिपककर। अब हमारी जांघे आपस मैं रगड़ खा रही थी और उतेज्ना पैदा कर रही थी। तभी इस रगड़ा-रगड़ी मैं कब मेरी आँख लग गयी हमें पता नहीं चला।

यमुना नगर आने पर नंदिनी ने हमें जगाया तो हमने देखा कि अधिकतर सवारी उतर गयी थी और शाम का थोड़ा थोड़ा अंधेरा भी हो गया था।

तभी नंदिनी ने चाय पीने की इच्छा ज़ाहिर की तो तभी हमने अगली बार बस के रुकने पर बस से उतर कर चाय और चिप्स ले आया। इसके बाद 10 मिनट बाद बस चल पड़ी। बस मैं 10-12 सवारी रह गयी थी। अब ठंड भी ज़्यादा लगने लगी और नंदिनी ठंड के मारे सिकुड कर बैठ गयी। तभी मैं भी खिड़की बंद करने लगा तो देखा कि खिड़की का शीशा टूटा हुआ था। अब हमने पीछे देखा तो आखरी सीट खाली थी। अब हमने नंदिनी को पीछे वाली सीट पर चलने के लिए कहा और हम आखरी सीट पर शिफ्ट हो गये। खिड़की बंद होने के बाद भी नंदिनी को ठंड लग रही थी। तभी उसने बोला कि मेरे बेग से हमारा शाल निकाल दीजिए।

इसके बाद हमने शाल निकाल कर उसके पैरों पर डाल दिया। अब थोड़ी देर तक हम इधर-उधर की फालतू बातें करतें रहे। अब उसने अपना शाल मेरे पैरों पर भी ढक दिया और अपने गले तक ढक लिया। तभी मैं समझ गया कि नंदिनी गरम हो रही हैं। तभी मैं यकीन करने के लिए उसकी चुचियों को अपनी कोहनी से दबाने लगा लेकिन उसने कोई एतराज नहीं किया तो हमारा हौसला बढ़ा और हमने उसका हाथ अपने हाथ मैं ले लिया और इसके बाद धीरे धीरे सहलाने लगा। तभी उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। अब हमने उसके गालों को चूम लिया तो उसने अपने होंठ मेरी तरफ कर दिए। अब मैं धीरे धीरे उसके होंठ चूसने लगा।

अब मैं मौका देखकर उसके स्वेटर और टॉप ऊपर कर धीरे धीरे उसकी गठीली चूचियां दबाने लगा। शायद नंदिनी को मज़ा आ रहा था और उसने हमें पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया। हमारी चुम्मा-चाटी की आवाज़ सुनकर अगली सीट पर बैठे बुजुर्ग साहब पीछे मुड़कर देखने लगे। तभी हम दोनों सीधे होकर बैठ गये। अब थोड़ी देर बाद हमने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया। अब उसने एकदम से अपना हाथ हटा लिया। अब हमने दोबारा उसका हाथ अपने लंड के ऊपर रख दिया।

लेकिन इस बार उसने अपना हाथ नहीं हटाया और पेंट के ऊपर से ही दबाने लगी। अब हमने उत्तेजना मैं उसकी निप्पल को उंगली और अंगूठे से जोर से दबा दिया। तभी उसके मुहं से उईईईई निकल पड़ी।

हमारे आगे बैठे बुज़ुर्ग सो रहे थे तो उन्होंने आवाज़ नहीं सुनी। इतने मैं साहरनपुर आ गया। अब कंडक्टर ने बुजुर्ग साहब को जगाया और साहरनपुर आने की सूचना दी। वो उतरते वक़्त हमको घूर के देख रहे थे। अब साहरनपुर से चलते ही बस मैं हमको मिलाकर सिर्फ़ 4 सवारियां थी और बाकी 3 आगे बैठी थी। अब तक हम दोनों बहुत उत्तेजित हो चुके थे।

मेरे सब्र का बाँध टूट चुका था। जैसे ही बस शहर से बाहर आई ड्राइवर ने लाइट्स बंद कर दी। मैं बगेर वक़्त गवाए उसकी चूचियों को चूसने लगा और एक हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत रगड़ने लगा। अब नंदिनी ने हमारा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के अंदर कर दिया और मेरी पेंट कि ज़िप खोलकर हमारा 7 इंच का लंड बाहर निकाल कर ऊपर नीचे करने लगी। अब उसकी चूत से रस नदी की तरह बह रहा था।

अब हमने उसकी चूत को रगड़ा तो उसके मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी। अह्ह्ह सीईईई आप ये क्या कर रहे हो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब हमने उसकी रसीली चूत में उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा। अब हम दोनों फ़चा फ़च्छ की आवाज़ से बहुत उत्तेजित हो रहे थे। नंदिनी बहुत उत्तेजित हो गयी थी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर पूरा मज़ा ले रही थी.. ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हहैई हाए और जल्दी से जल्दी करो.. फाड़ दो मेरी चूत। अब मैं अपनी 2 उंगलियां उसकी चूत मैं और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा।

तभी थोड़ी देर मैं नंदिनी झड़ गयी और अब उसने निढाल होकर अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। हमने अपना हाथ उसकी सलवार से पोंछ लिया। नंदिनी अपनी सलवार ठीक करने लगी। तभी मैं बोला कि तेरा तो काम हो गया लेकिन मेरी आग कैसे शांत होगी?

अब यह बात सुनकर नंदिनी हँसने लगी और अब मेरी पेंट की ज़िप खोल मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। तभी हमने नंदिनी की गर्दन पकड़ कर अपने लंड की तरफ़ झुका दिया। तभी उसने पहले लंड का सुपाड़ा चूसा अब आधा लंड मुहं मैं लेकर अंदर बाहर करने लगी। तभी हमने उससे कहा कि नंदिनी लगता हैं जीजा जी से बहुत सीखा हैं? अब वो कहने लगी कि अरे एक दिन हमने जीजा जी और दीदी को चुदाई करते देख लिया और अब जीजा जी को पता लग गया तो उन्होंने मौका देखकर किचन मैं हमें पकड़ लिया और अपना लंड पजामे से निकालकर हमें पकड़ा दिया .

अब मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उनका लंड तन गया। अब इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती उन्होने लंड को मेरे मुहं मैं डाल दिया और खुद ही अंदर बाहर करने लगे। इतने मैं दीदी की आवाज़ आई तो तुरंत लंड पजामे मैं करके खसक गये। अब तब से जब उनको मौका लगता वो चूचियां दबा देते या लंड चुसवाने लगते थे। अब एक दिन जब मैं किचन मैं उनका लंड चुसाई कर रही थी तो दीदी ने देख लिया.. तभी दीदी ने तुरंत जीजाजी को हमें देहरादून भेजने के लिए कहा।

अब थोड़ी देर मैं देहरादून आ गया रात के 12 बज गये थे। अब हम देहरादून से पहले ही उतार गये। मेनरोड पर ही नयी कॉलोनी थी.. उसे वहीं पर जाना था। कॉलोनी मैं 5-6 मकान ही थे, इसलिए मकान ढूँडने मैं ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। अब मैं सोच रहा था कि अब तो मुठ मारके ही काम चलाना पड़ेगा। मकान पर ताला लगा था। अब एक पड़ोस के मकान मालिक से पूछा तो पता चला कि किसी रिश्तेदार की मौत पर बाहर गये है.. वो तो कल आएँगे। लेकिन उनको नंदिनी के आने की खबर थी तो चाबी पड़ोस मैं ही देकर गये थे, यह सुनकर मेरी तो किस्मत खुल गयी।

अब हम फटाफट घर खोलकर अंदर आ गये। अब दरवाजा बंद करके हमने नंदिनी को दबोच लिया और उसके होंठ चूसने लगा। मुझसे और इंतज़ार नहीं हो रहा था और नंदिनी भी गर्माने लगी थी। अब हमने उसके सारे कपड़े उतार फेंके जिससे रोशनी मैं उसका दूधिया बदन ग़ज़ब ढा रहा था। बड़े बड़े बूब्स पूरा बदन गदराया हुआ ऊपर से नीचे तक एकदम सेक्सी शरीर। तभी हमें घूरता देख वो शरमा गयी और अपनी चूचियां अपने दोनों हाथों से छिपाने लगी। तभी हमने उसे वहाँ पर पड़े बेड पर लेटा दिया और चूचियों को चूसने लगा। अब अपना एक हाथ उसकी जाँघो पर फैरता हुआ चूत सहलाने लगा।

तभी नंदिनी भी गर्म होने लगी और हमें अपने कपड़े उतारने को कहा। अब हमने तुरंत अपने कपड़े उतार कर उसके पास मैं लेट गया। तभी वो बोली कि अब मैं तुम्हारी आग को ठंडी करती हूँ, यह कहकर वो हमारा लंड चूसने लगी। हमने उसे 69 पोजिशन पर लेटने को कहा तो उसने लंड बगेर मुहं से निकाले अपनी तंग चूत मेरे मुहं पर कर दी। अब चूत के दाने को जीभ से चाटने के बाद हमने जीभ उसकी चूत मैं घुसा दी। तभी नंदिनी के मुहं से सिसकियाँ और तेज़ हो गयी थी। अब मैं भी पागल होता जा रहा था। अब हमने उसे सीधा लेटाकर उसकी टाँगो के बीच बैठकर अपना लंड उसकी चूत मैं एक ही झटके मैं घुसा दिया और 2 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा।

तभी नंदिनी बोली क्या सारी रात ऐसे ही पड़े रहना है? तभी हमने उसकी चूत मैं जोरदार धक्के मारने शुरू कर दिए.. फ़चा-फ़च और बेड की चू-चू की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था। तभी उसके मुहं से आवाजें आने लगी वो कह रही थी.. हाए-हाए उहह उहह और जोरो से चोदो उपेंद्र फाड़ डालो आज मेरी चूत। यह सुनकर मैं और तेज़ी से चोदने लगा। अब वो कह रही थी.. अहह अहह बहुत मज़ा आ रहा हैं.. मैं झड़ने वाली हूँ उपेंद्र और अब 5-7 धक्को मैं नंदिनी झड़ गयी। तभी हमने उससे कहा कि नंदिनी मैं भी झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ तेरे अंदर कि बाहर? अब वो बोली कि बाहर ही निकालो। अब हमने झट से लंड चूत से निकालकर चूचियों के ऊपर कर अपना सारा वीर्य निकाल दिया।

अब नंदिनी ने मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया अब थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे। तभी हमने कपड़े पहने और नंदिनी बाथरूम मैं चली गयी। अब बाथरूम से निकलकर उसने कपड़े पहनने की कोई जल्दी नहीं की और मेरे गले लग गयी और कहने लगी कि जीजू ने तो हमें सिर्फ लंड चूसना सिखाया था.. लेकिन आज तो तुमने हमें चुदना सिखाया दिया है।

आज तुमने हमें चोदकर पूरा किया है। बोलो अब दूसरी चुदाई कब करोगे? तभी उसकी बात सुनकर मन तो कर रहा था कि एक बार अब चुदाई कर लूँ.. लेकिन हमें देर बहुत हो गयी थी। अब हमने उसे कहा कि अगली चुदाई बहुत जल्द होगी और अब हमने नंदिनी का मोबाईल नंबर लिया और दोबारा मिलने का वादा करके उसके होंठो को चूमकर बाय किया और चल दिया। तो दोस्तों मेरी थी मेरी यह सत्य घटना ।
 
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