सावनी की चूत में मेरे लंड का सावन आया झूम के

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सावनी से मेरी मुलाक़ात एक पार्टी में हुई थी जहाँ सभी लोग अपने परिवार के साथ आये थे एक कंपनी के उदघाटन पर | सावनी उस दिन बड़ी ही गजब माल लग रही थी बिलकुल एक दम रसीली चूत की चुदासु माल | मुझे उससे बेहतर पार्टी में कोई भी नज़र भी न आई तो मैं बस सावनी को देखकर नज़रों में ताड़ रहा था | अब मैंने देखा की उसकी नजर भी मुझे बीच बीच में देख रही थी और बस इस तरह हमारा मिलन शुरू हुआ | पार्टी के वक्त सबके परिवार के माता पिता एक दूसरे के साथ नाचा गाना कर रहे थे तो में मौका पाकर सावनी से बात की और वहीँ हेल्लो - हाय वाली बातें चालू हो गयी |

उसे भी मैं पसंद आया था वो उसके चेहरे की मुस्कान ही मुझे साफ़ बता रही थी | मैं उससे बात करता हुआ जाने के समय हाथ के इशारों से उसका नम्बर मांग लिया और उसने भी मुझे एक पेपर पे लिखकर दे दिया | मैंने अब उससे फोन अपर बात करनी चालू की तो पता चला की वो बड़ी ही कामुक लड़की है और उसने शुरू से ही मुझसे अश्लील बातें फ़ोन पर या मेसेज में करनी चालू करदी थी | अब तो मेरा काम और भी आसान हो चूका था | अगले दिन मैंने उसे सामने के एक खंडरों में बुलाया क्यूंकि वहाँ लोग नहीं देख सकते थे और उप्पर से सभी प्रेमी वहीँ जो मिलने आया करते था | जब वो वहाँ आई तो मैंने उसके उभरे चूचकों को देख आपने आप पर काबू न पा सका |

मैं कुछ पलमें उससे एक दम सिमट गया और वो भी पुरे मुड में जो लग रही थी | मैंने धीरे - धीरे अपनी उँगलियाँ उसकी हथेली पर फिराते हुए उसके होठों को चूमने लगा, जहाँ साथ ही उसके टॉप को उप्पर से उसके चुचों को दबाने लगा | हम दोनों अब खूब मज़ा आ रहा था और वहीँ मैंने उसके टॉप को उतारते हुए उसके गोरे - गोरे चुचों पिने लगा | मैंने सावनी के नीचे पहने हुए पैंट को भी उतार दिया | मैंने सावनी की टांग को चौड़ाते हुए नीचे से अपनी उँगलियाँ उसकी चूत में देनी शुरू कर दी | मैं अब तक अपने लंड को भी निकाल उसके चूत पर फिसलाने लगा जबकि वो बेकाबू होते हुए अपनी ऊँगली चूत के उप्पर ही रगड़ने लगी |

मैं उसके दोनों चुचों को दबाते हुए नीचे से उसकी चूत मार रहा था और वो भूकी शेरनी की तरह मिसमिसाती हुई अपने दाँतों से मेरे कान चबाने लगी | उस कामुकता की मस्ती में हम दोनों रंग चुके थे | मैं वहीँ खड़े खड़े हांफता उसकी चूत की चिकनाई में अपने लंड के झटकों की बौझार करता चला गया और चिल्लाती हुई पगला रही थी | मैं उसकी खिल्ली ही उड़ा डाली थी और अपने आखिरी चरण में लंड को निकाल लिया और अपने हाथों में मसलते हुए बेकाबू होते हुए अपनी ऊँगली चूत के उप्पर ही रगड़ने लगी को बेसबरी से चूमने लगा | कुछ पल में मेरा मुठ भी बह निकल और हमन नंगे - पुंगे चुम्मा - चाटी में लगे रहे |
 
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