हिंदी कहानी भवह भाव से पतोहू ताव से चोदो [भाग-1]

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सेक्सी हिंदी कहानी के विशेषज्ञ प्रचंड लंड धारी बेलन बाबा की पाठशाला में बेलन बाबा के इर्द गिर्द बैठे हुए हम अपने अपने लंडों को थामे हुए, सुपाड़े को रगड़ते हुए आज फ़िर से एक उत्तेजक कामुक सेक्स पाठ पढने और हिंदी कहानी सुनने के लिये जमा हुए थे। बेलन बाबा आज अपनी जींस उतारकर धोती और कुर्ते में भारतीय पारम्परिक ड्रेस में बैठे हुए थे। आज वो काफ़ी खुश थे और ह्में लगा कि वो कुछ खास गरमा गरम सुनाने वाले हैं। आते ही बेलन बाबा ने अपना धोती उठाया और हमें उनके बेमिशाल अजगर सरीखे लंड का उपर से ही अनुमान हो गया। वो धोती उठा कर बैठ गये। बाबा ने अब कामोत्सुक और चुत्सुक भक्तों को लंड खड़ा कर देने वाली ज्ञान वर्धक लंड वर्धक कहानियां सुनाने के लिये अपना मुखारविन्द खोला। और हम सब बिल्कुल शांत बैठ गये।

आज बाबा कुछ नीति वर्धक लंड वर्धक पाठ सुनाने के मूड में दिखे। तो फ़िर उन्होंने कहा आज की हिंदी कहानी है "भवह भाव से और पतोहू ताव से चोदो" हमारे लंड सन्ना गये। ये क्या है बाबा? बाबा बेलन बोले भक्तों भवह तो जानते ही होगे किसे कहते हैं हिंदी कहानी में? भवह मतलब कि छोटे भाई की बीबी, और पतोहू मतलब कि बेटे की बीबी। तो आज का पाठ है कि - भवह की चूत को भाव पूर्वक चोदो और पतोहू की चूत को ताव से चोदो। क्योंकि इन पर तुम्हारा हक बनता है। हम थोडे से उलझन में पड गये कि बाबा ने कहना शुरु किया। अगर आप जानना चाहते हो तो लो आज मैं आपको अपनी एक हिंदी कहानी सुनाता हूं। मेरे पड़ोस में रहते थे लालता प्रसाद उनकी एक सेक्सी भवह मीरा और एक कामुक चुदवासी बहू राधा थीं। दोनों के पति काम काज वाले थे और अपनी बीबियों से काफ़ी बड़े थे। शाम को थके हारे आकर वो सो जाते और दोनों ही युवतियां अधूरी प्यासी रह जातीं। उंगली करके किसी तरह अपनी चूत की प्यास बुझातीं। लालता जी हाल ही में आर्मी से रिटायर्ड हुए थे और वो तेल लगाकर घर में कसरत करते रहते। उनकी भवह और पतोहू उनके कसरती बदन को देख कर आहें भरतीं। सोचतीं बुड्ढे को कोई काम नहीं है दिन भर दंड पेलता रहता है। इससे अच्छा तो हरामी हमें चोद देता। हमारी चूत की प्यास भी बुझ जाती और इसे कुछ काम भी मिल जाता। लेकिन बेचारे लालता प्रसाद घोंचू गांडू आर्मी मैन!! उन्होंने थोड़ा भी रिस्पांस नहीं लिया तो बहुएं पड़ोसियों में अपनी चूत आउटसोर्स करने के बारे में सोचने लगी। और भक्तों तुम तो जानते हो बेलन जहां भी रहें वहां उनके लंड की ख्याति पहुंच ही जाती है। उस दिन चांदनी रात थी। और हमारे छत एक दूसरे से मात्र एक फ़ीट की दूरी पर थे। चांदनी रात में चूत को लंड कि जरुरत महसूस हुई और दोनों ही युवतियां ठंड के मौसम में भि छत पर आकर अपनी जवानी से चांद को ललचाने लगीं कि मैं अपने छत पर सिगरेट फ़ूंक रहा था। जैसे ही दोनों कि निगाहें मेरे उपर पड़ीं वो चिल्ला उठीं वो तो बेलन बाबा हैं? और फ़िर क्या था अपनी बाहें पसार कर मेरे लंड की भीख मांगने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। वो दोनों ही चुदवाने के लिये बेकरार थीं और मैं उनकी व्यथा जानता था। मैंने उनका दुख दूर करने का सोचा। इस हिंदी कहानी के अगले भाग में पढिये कैसे मैंने उनकी वासना का परमानेंट इलाज किया।
 
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