मेरी अब तक की कहानियों में आपने जाना कि कैसे मैंने पूजा की चूत और गांड मारी।
अब जब भी मन होता मैं उसको चोदने चला जाता या जब उसका मन होता तो वो चूत चुदवाने मेरे घर चली आती।
हमने अपने अपने घरों में कोई भी जगह नहीं छोड़ी जहाँ हमने चुदाई नहीं की हो।
उसको भी चुदवाने मैं बहुत मजा आता था और मुझे भी उसको चोदने मैं बहुत मजा आता था।
अब हम दोनों इस एक जैसी चुदाई से बोर होने लगे थे, इसमें हमें मजा नहीं आ रहा था। हम लोग कुछ नया करना चाह रहे थे मगर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें और डर भी था कि पटना इतना मॉडर्न जगह नहीं है और यहाँ ज्यदा प्लेस भी नहीं है जाने को और कुछ करने को।
हमेशा की तरह एक दिन हम दोनों उसके घर पर पढ़ाई कर रहे थे, पढ़ते पढ़ते कब शाम हो गई पता ही नहीं चला।
अचानक उसकी माँ आकर बोली कि वो मार्किट जा रही है, तब पता चला कि वक़्त क्या हुआ है।
उनके जाने के बाद हम पढ़ाई छोड़ कर बातें करने लगे।
तभी उसके घर का फोन बजा, वो बात करने लगी और उसने इशारे में बताया कि उसके पिछले स्कूल की फ्रेंड का फ़ोन है और फिर वो बात करने लगी।
मैं वहीं कुर्सी पर बैठ कर उसकी बात खत्म होने का इन्तजार करने लगा और उसकी तरफ देखने लगा।
बहुत क्यूट लग रही थी वो इस वक़्त… एक सफ़ेद रंग का फ्रॉक पहना हुआ था उसने जो पंखे की हवा से उड़ रहा था और उसकी जांघों तक ऊपर जा रहा था और कभी कभी उसकी पैंटी भी दिख रही थी जो भी सफ़ेद रंग की थी।
बड़ा ही कामुक नजारा लग रहा था वो!
वो देखते देखते मेरा लंड धीरे धीरे बगावत पर उतरने लगा और अपना सर उठाने लगा।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ… और यह साली फ़ोन रखने का नाम नहीं ले रही थी।
मैं अपने लंड को हल्के हल्के सहला रहा था। यह देख कर वो मुस्कुराने लगी और मुझे चिड़ा रही थी और फ़ोन पर बात कर रही थी।
उसका फ्रॉक बार बार हवा से उड़ रहा था, मुझे लगा कि उसकी जांघें मुझे अपनी तरफ बुला रही हैं। मैं उठ कर उसकी तरफ गया और उसके सामने नीचे बैठ कर उसकी जांघों और पैंटी को देखने लगा।
क्या गदराई हुई जांघें थी उसकी गोरी सी… और चूत का पूरा आकार पता चल रहा था उसकी सफ़ेद पैंटी के ऊपर से।
पूजा मुझे देख रही थी और कामुक सी शक्ल बना कर अपने होंटों को अपने दाँतों में दबा कर फ़ोन पर बात करने लगी और अपने एक हाथ से अपने बदन को हिला हिला कर सहलाने लगी। फिर अपने हाथ को नीचे लाकर अपनी चूत पर रख कर सहलाने लगी, मुझे देख कर रंडी जैसे चूत को रगड़ने लगी, मुस्कुराने लगी।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने बहुत तेजी से उसकी पैंटी को झटके में नीचे खींच दिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा कर चूसने लगा।
पूजा को इसका अंदाज नहीं था कि मैं ऐसा कुछ करूँगा उसके फ़ोन पर बात करते समय… मेरे इस अचानक हमले से उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकारी निकल गई, वो अपने आप को संभाल नहीं पाई और बेड पर बैठ गई।
अब जब भी मन होता मैं उसको चोदने चला जाता या जब उसका मन होता तो वो चूत चुदवाने मेरे घर चली आती।
हमने अपने अपने घरों में कोई भी जगह नहीं छोड़ी जहाँ हमने चुदाई नहीं की हो।
उसको भी चुदवाने मैं बहुत मजा आता था और मुझे भी उसको चोदने मैं बहुत मजा आता था।
अब हम दोनों इस एक जैसी चुदाई से बोर होने लगे थे, इसमें हमें मजा नहीं आ रहा था। हम लोग कुछ नया करना चाह रहे थे मगर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें और डर भी था कि पटना इतना मॉडर्न जगह नहीं है और यहाँ ज्यदा प्लेस भी नहीं है जाने को और कुछ करने को।
हमेशा की तरह एक दिन हम दोनों उसके घर पर पढ़ाई कर रहे थे, पढ़ते पढ़ते कब शाम हो गई पता ही नहीं चला।
अचानक उसकी माँ आकर बोली कि वो मार्किट जा रही है, तब पता चला कि वक़्त क्या हुआ है।
उनके जाने के बाद हम पढ़ाई छोड़ कर बातें करने लगे।
तभी उसके घर का फोन बजा, वो बात करने लगी और उसने इशारे में बताया कि उसके पिछले स्कूल की फ्रेंड का फ़ोन है और फिर वो बात करने लगी।
मैं वहीं कुर्सी पर बैठ कर उसकी बात खत्म होने का इन्तजार करने लगा और उसकी तरफ देखने लगा।
बहुत क्यूट लग रही थी वो इस वक़्त… एक सफ़ेद रंग का फ्रॉक पहना हुआ था उसने जो पंखे की हवा से उड़ रहा था और उसकी जांघों तक ऊपर जा रहा था और कभी कभी उसकी पैंटी भी दिख रही थी जो भी सफ़ेद रंग की थी।
बड़ा ही कामुक नजारा लग रहा था वो!
वो देखते देखते मेरा लंड धीरे धीरे बगावत पर उतरने लगा और अपना सर उठाने लगा।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ… और यह साली फ़ोन रखने का नाम नहीं ले रही थी।
मैं अपने लंड को हल्के हल्के सहला रहा था। यह देख कर वो मुस्कुराने लगी और मुझे चिड़ा रही थी और फ़ोन पर बात कर रही थी।
उसका फ्रॉक बार बार हवा से उड़ रहा था, मुझे लगा कि उसकी जांघें मुझे अपनी तरफ बुला रही हैं। मैं उठ कर उसकी तरफ गया और उसके सामने नीचे बैठ कर उसकी जांघों और पैंटी को देखने लगा।
क्या गदराई हुई जांघें थी उसकी गोरी सी… और चूत का पूरा आकार पता चल रहा था उसकी सफ़ेद पैंटी के ऊपर से।
पूजा मुझे देख रही थी और कामुक सी शक्ल बना कर अपने होंटों को अपने दाँतों में दबा कर फ़ोन पर बात करने लगी और अपने एक हाथ से अपने बदन को हिला हिला कर सहलाने लगी। फिर अपने हाथ को नीचे लाकर अपनी चूत पर रख कर सहलाने लगी, मुझे देख कर रंडी जैसे चूत को रगड़ने लगी, मुस्कुराने लगी।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने बहुत तेजी से उसकी पैंटी को झटके में नीचे खींच दिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा कर चूसने लगा।
पूजा को इसका अंदाज नहीं था कि मैं ऐसा कुछ करूँगा उसके फ़ोन पर बात करते समय… मेरे इस अचानक हमले से उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकारी निकल गई, वो अपने आप को संभाल नहीं पाई और बेड पर बैठ गई।