कहा जाता है कि ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती जाती है.. सेक्स की भूख बढ़ती जाती है।
लड़के और लड़कियां तो अपनी प्यास बुझा लेते हैं.. पर क्या आपने कभी सोचा है कि चालीस और पचास पार की महिलाएं अपनी भूख को कैसे शांत कर पाती होंगी।
एक तो आंटी कहलाने की बाध्यता और दूसरे सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील जिम्मेवारी.. उनके सेक्स को कैसे बाधित कर देती है.. यह मैं बेहतर जानता हूँ।
मेरी उम्र अभी 42 साल की है.. पर मैं शुरू से ही अधिक उम्र की महिलाओं के प्रति दीवाना रहा हूँ।
चूँकि मेरी भी एक सामाजिक प्रतिष्ठा है और मैं इसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहता.. इसलिए मैं उनकी पीड़ा को बेहतर समझ सकता हूँ।
चालीस से पचपन के बीच की करीब 8 महिलाओं से मैंने सेक्स किया है और यकीन मानिए.. जो मजा उनमें है वो किसी में नहीं।
जब उन्हें लग गया कि यह व्यक्ति बिल्कुल सुरक्षित और प्रतिष्ठापूर्ण तरीके से मेरी सेक्स की भूख को बेहद शानदार अंदाज़ में मिटा सकता है.. तो बस फिर क्या कहना था।
मेरी इस सेक्स यात्रा की शुरूआत भी बेहद रोचक अंदाज़ में हुई।
चूँकि मैं पटना का रहने वाला हूँ, तो एक बार मैं गाँधी मैदान से अपने घर लौट रहा था। बरसात का मौसम था और जोरों की बारिश हो रही थी, मैं अपनी मारुति गाड़ी में अकेले जा रहा था कि अचानक एक महिला ने मुझे हाथ दिया और लिफ्ट मांगी।
उसकी उम्र लगभग 48 साल की रही होगी, आप अपनी सुविधा के लिए उसे विमला कह सकते हैं।
उसे मैंने उसके अपार्टमेंट के गेट पर छोड़ दिया और जाने लगा तो मेरी सज्जनता और बात-बात में ‘जी’ कहने की मेरी अदा से प्रभावित होकर उसने मुझे चाय पीने का ऑफर दिया।
मैंने गाड़ी पार्क कर दी और उसके साथ उसके फ्लैट में चला गया। उसके पति मोटर पार्ट्स के बड़े व्यवसायी थे और ज्यादातर पटना से बाहर रहते थे।
उसके दो बच्चे थे.. जो बाहर बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे।
इसी बीच वो चाय और बिस्कुट लाईं। चाय पीते-पीते उसने मेरे बारे में कई सवाल पूछे.. जिसका मैंने बड़ी ईमानदारी से जवाब दिया। धीरे धीरे बातचीत का दायरा बढ़ने लगा, उसने जबरन खाना खिलाया और उसके बाद बातचीत का सिलसिला बढ़ने लगा।
जब मैंने उससे उसके सेक्स जीवन और पति के बारे में पूछा, तो उसकी आँखें अनायास छलक आईं।
उसकी लम्बाई लगभग पाँच फुट छ इंच की रही होगी। गोरा रंग, पतली कमर.. भारी नितम्ब, लम्बी मोटी बांहें.. केले के तने जैसी कदली जांघें, बड़े-बड़े उरोज, केश कुछ काले.. कुछ उजले और आँखों में एक मौन निमंत्रण।
मेरा सवाल पूछना था कि उसकी वेदना छलकने लगी, बोली- मेरे पति बेहद रंगीनमिजाज हैं.. पर मुझसे पतिव्रता होने की कामना करते हैं और मैं हूँ भी..
इतना कहते-कहते वह रोने लगी और आगे बोली- मैं किसके साथ सेक्स करूँ? समाज में मेरी भी इज्जत है,प्रतिष्ठा है.. लोग जान गए तो क्या कहेंगे? और दूसरा लोगों की नजर में मेरी उम्र भी ज्यादा हो गई है, कौन मेरे साथ सेक्स करेगा?
इतना कह कर वह एक साथ हँसने और रोने लगी और कहने लगी- दुनिया क्या जाने कि सामाजिक बंदिशों में जीने वाली मेरी जैसी औरतें कैसे सेक्स के लिए भीतर ही भीतर घुटती रहती हैं और इसी घुटन में उनकी पूरी जिंदगी ख़त्म हो जाती है।
उसकी दशा देखकर मेरी भी आँखे गीली हो गईं, वैसे भी मैं बेहद भावुक प्रकृति का व्यक्ति हूँ और पिक्चर देखते हुए मैं हॉल में भी रो देता हूँ।
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और हल्का सा अपनी ओर खींचा और बोला- बरसात शायद हम दोनों को मिलाने के लिए एक बहाना बनकर आई है।
लड़के और लड़कियां तो अपनी प्यास बुझा लेते हैं.. पर क्या आपने कभी सोचा है कि चालीस और पचास पार की महिलाएं अपनी भूख को कैसे शांत कर पाती होंगी।
एक तो आंटी कहलाने की बाध्यता और दूसरे सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील जिम्मेवारी.. उनके सेक्स को कैसे बाधित कर देती है.. यह मैं बेहतर जानता हूँ।
मेरी उम्र अभी 42 साल की है.. पर मैं शुरू से ही अधिक उम्र की महिलाओं के प्रति दीवाना रहा हूँ।
चूँकि मेरी भी एक सामाजिक प्रतिष्ठा है और मैं इसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहता.. इसलिए मैं उनकी पीड़ा को बेहतर समझ सकता हूँ।
चालीस से पचपन के बीच की करीब 8 महिलाओं से मैंने सेक्स किया है और यकीन मानिए.. जो मजा उनमें है वो किसी में नहीं।
जब उन्हें लग गया कि यह व्यक्ति बिल्कुल सुरक्षित और प्रतिष्ठापूर्ण तरीके से मेरी सेक्स की भूख को बेहद शानदार अंदाज़ में मिटा सकता है.. तो बस फिर क्या कहना था।
मेरी इस सेक्स यात्रा की शुरूआत भी बेहद रोचक अंदाज़ में हुई।
चूँकि मैं पटना का रहने वाला हूँ, तो एक बार मैं गाँधी मैदान से अपने घर लौट रहा था। बरसात का मौसम था और जोरों की बारिश हो रही थी, मैं अपनी मारुति गाड़ी में अकेले जा रहा था कि अचानक एक महिला ने मुझे हाथ दिया और लिफ्ट मांगी।
उसकी उम्र लगभग 48 साल की रही होगी, आप अपनी सुविधा के लिए उसे विमला कह सकते हैं।
उसे मैंने उसके अपार्टमेंट के गेट पर छोड़ दिया और जाने लगा तो मेरी सज्जनता और बात-बात में ‘जी’ कहने की मेरी अदा से प्रभावित होकर उसने मुझे चाय पीने का ऑफर दिया।
मैंने गाड़ी पार्क कर दी और उसके साथ उसके फ्लैट में चला गया। उसके पति मोटर पार्ट्स के बड़े व्यवसायी थे और ज्यादातर पटना से बाहर रहते थे।
उसके दो बच्चे थे.. जो बाहर बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे।
इसी बीच वो चाय और बिस्कुट लाईं। चाय पीते-पीते उसने मेरे बारे में कई सवाल पूछे.. जिसका मैंने बड़ी ईमानदारी से जवाब दिया। धीरे धीरे बातचीत का दायरा बढ़ने लगा, उसने जबरन खाना खिलाया और उसके बाद बातचीत का सिलसिला बढ़ने लगा।
जब मैंने उससे उसके सेक्स जीवन और पति के बारे में पूछा, तो उसकी आँखें अनायास छलक आईं।
उसकी लम्बाई लगभग पाँच फुट छ इंच की रही होगी। गोरा रंग, पतली कमर.. भारी नितम्ब, लम्बी मोटी बांहें.. केले के तने जैसी कदली जांघें, बड़े-बड़े उरोज, केश कुछ काले.. कुछ उजले और आँखों में एक मौन निमंत्रण।
मेरा सवाल पूछना था कि उसकी वेदना छलकने लगी, बोली- मेरे पति बेहद रंगीनमिजाज हैं.. पर मुझसे पतिव्रता होने की कामना करते हैं और मैं हूँ भी..
इतना कहते-कहते वह रोने लगी और आगे बोली- मैं किसके साथ सेक्स करूँ? समाज में मेरी भी इज्जत है,प्रतिष्ठा है.. लोग जान गए तो क्या कहेंगे? और दूसरा लोगों की नजर में मेरी उम्र भी ज्यादा हो गई है, कौन मेरे साथ सेक्स करेगा?
इतना कह कर वह एक साथ हँसने और रोने लगी और कहने लगी- दुनिया क्या जाने कि सामाजिक बंदिशों में जीने वाली मेरी जैसी औरतें कैसे सेक्स के लिए भीतर ही भीतर घुटती रहती हैं और इसी घुटन में उनकी पूरी जिंदगी ख़त्म हो जाती है।
उसकी दशा देखकर मेरी भी आँखे गीली हो गईं, वैसे भी मैं बेहद भावुक प्रकृति का व्यक्ति हूँ और पिक्चर देखते हुए मैं हॉल में भी रो देता हूँ।
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और हल्का सा अपनी ओर खींचा और बोला- बरसात शायद हम दोनों को मिलाने के लिए एक बहाना बनकर आई है।