अब तक आपने पढ़ा..
मेरी बीवी नेहा ने डॉक्टर कबीर से जिस्मानी ताल्लुकात बना लिए थे और मैंने उसको चुदते हुए छिप कर देख भी लिया भी था।
अब आगे..
तीन-चार दिन बीतने के बाद नेहा ने कहा- शाम को कबीर के यहाँ जाना है।
मैंने जानबूझ कर कहा- आज तो मुझे बहुत काम है।
बोली- नाटक मत करो.. कबीर के यहाँ छोड़ कर चले जाना।
मैंने कहा- हो सकता है मुझे देर हो जाए।
बोली- ठीक है.. तब तक मैं अपना काम कर लूँगी.. तुम आ जाना।
शाम को मैं जानबूझ कर जल्दी आया। लगभग 6 बज गए थे।
उसने कहा- क्या हुआ.. इतनी जल्दी?
मैंने कहा- कुछ नहीं थोड़ा सर में दर्द है।
मैं बेडरूम में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी कबीर का फ़ोन आया.. उसने नेहा से पूछा- कितनी देर में आ रही हो?
वो बोली- यार मानव सो रहा है.. वो जैसे ही उठता है.. तो आती हूँ।
‘जल्दी आओ यार..’
बोली- क्यों तुमसे इंतज़ार नहीं हो रहा क्या?
मैं अपनी बीवी को उसके यार के घर छोड़ने गया
फिर वो तैयार होने में लग गई। अलमारी से उसने डिज़ाइनर लेस वाली ब्रा-पैन्टी निकाली.. फिर उसने पूरे बदन पर रगड़-रगड़ कर बॉडी लोशन लगाया। अपनी बगलों में डियो लगाया.. गले पर लगाया। डियो की खुश्बू से पूरा कमरा महकने लगा।
फिर नेहा ने लॉन्ग टॉप और लोअर पहना। इतनी देर में कबीर का फिर फ़ोन आया।
बोली- यार, बार-बार फ़ोन मत करो.. आती हूँ।
मैं समझ गया कि पूरी आग लगी है.. आज फिर चुदाई देखने को मिलेगी।
नेहा ने मुझे धीरे से उठाया और कहा- सोते ही रहोगे क्या उठो..
मैंने कहा- चलते हैं अभी..
बोली- उठो.. मैंने चाय बना दी है.. जल्दी से तैयार हो जाओ.. तुमको तो किसी काम से जाना था न..?
मैंने कहा- हाँ जाना तो है।
मैं फटाफट तैयार हो गया। आठ बजने वाले थे। मैं बाथरूम में था.. उसी बीच उसने कबीर को फ़ोन करके पूछा- तुम घर पहुँच गए?
उसने कहा- हाँ मैं तो पहले ही पहुँच गया हूँ।
हम घर से निकले.. मैंने कहा- आज बहुत महक रही हो.. कबीर ‘का’ लेने का मन है क्या?
बोली- तुम्हारे दिमाग में और कुछ नहीं आता क्या?
आधे घंटे में हम कबीर के घर पहुँच गए। आज उसने बाहर की लाइट नहीं जलाई हुई थी। नेहा जल्दी से फर्स्ट फ्लोर पर पहुँची। उसके यहाँ ग्राउंड फ्लोर खाली था।
उसके घर में घुस कर मैंने कबीर से कहा- पानी मिलेगा डॉक्टर साहब?
बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं..
नेहा भी उसके पीछे-पीछे किचन में चली गई।
थोड़ी देर में नेहा पानी ले कर आई.. आते ही बोली- तो तुम जा रहे हो?
मैं समझ गया कि वो चाहती है कि मैं जल्दी वहाँ से निकलूँ।
मैं उसके ड्राइंग रूम से निकला। कबीर ने दरवाजा थोड़ा सा उड़का दिया और बोला- जानू तुम्हारा चम्पू तो गया.. सच में चम्पू ही है न..
नेहा कुछ नहीं बोली।
मैं उसके घर से नीचे उतर कर आया.. थोड़ी देर टहलता रहा। मैंने नीचे से देखा दरवाजा बंद नहीं हुआ था। मैं कुछ देर इधर-उधर टहलता रहा।
फिर उसके घर के नीचे से साइड से देखा.. तो कमरे का दरवाजा पूरी तरह से बंद हो गया था। मैंने धीरे से नीचे का लोहे का दरवाजा खोला कि आवाज न हो। मुझे डर भी लग रहा था कि वो कबीर बाहर न निकल आए। मैं धीरे से ऊपर पहुँचा और फिर बेडरूम के दरवाजे के छेद से देखा.. बेडरूम में कोई नहीं था।
मेरी बीवी नेहा ने डॉक्टर कबीर से जिस्मानी ताल्लुकात बना लिए थे और मैंने उसको चुदते हुए छिप कर देख भी लिया भी था।
अब आगे..
तीन-चार दिन बीतने के बाद नेहा ने कहा- शाम को कबीर के यहाँ जाना है।
मैंने जानबूझ कर कहा- आज तो मुझे बहुत काम है।
बोली- नाटक मत करो.. कबीर के यहाँ छोड़ कर चले जाना।
मैंने कहा- हो सकता है मुझे देर हो जाए।
बोली- ठीक है.. तब तक मैं अपना काम कर लूँगी.. तुम आ जाना।
शाम को मैं जानबूझ कर जल्दी आया। लगभग 6 बज गए थे।
उसने कहा- क्या हुआ.. इतनी जल्दी?
मैंने कहा- कुछ नहीं थोड़ा सर में दर्द है।
मैं बेडरूम में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी कबीर का फ़ोन आया.. उसने नेहा से पूछा- कितनी देर में आ रही हो?
वो बोली- यार मानव सो रहा है.. वो जैसे ही उठता है.. तो आती हूँ।
‘जल्दी आओ यार..’
बोली- क्यों तुमसे इंतज़ार नहीं हो रहा क्या?
मैं अपनी बीवी को उसके यार के घर छोड़ने गया
फिर वो तैयार होने में लग गई। अलमारी से उसने डिज़ाइनर लेस वाली ब्रा-पैन्टी निकाली.. फिर उसने पूरे बदन पर रगड़-रगड़ कर बॉडी लोशन लगाया। अपनी बगलों में डियो लगाया.. गले पर लगाया। डियो की खुश्बू से पूरा कमरा महकने लगा।
फिर नेहा ने लॉन्ग टॉप और लोअर पहना। इतनी देर में कबीर का फिर फ़ोन आया।
बोली- यार, बार-बार फ़ोन मत करो.. आती हूँ।
मैं समझ गया कि पूरी आग लगी है.. आज फिर चुदाई देखने को मिलेगी।
नेहा ने मुझे धीरे से उठाया और कहा- सोते ही रहोगे क्या उठो..
मैंने कहा- चलते हैं अभी..
बोली- उठो.. मैंने चाय बना दी है.. जल्दी से तैयार हो जाओ.. तुमको तो किसी काम से जाना था न..?
मैंने कहा- हाँ जाना तो है।
मैं फटाफट तैयार हो गया। आठ बजने वाले थे। मैं बाथरूम में था.. उसी बीच उसने कबीर को फ़ोन करके पूछा- तुम घर पहुँच गए?
उसने कहा- हाँ मैं तो पहले ही पहुँच गया हूँ।
हम घर से निकले.. मैंने कहा- आज बहुत महक रही हो.. कबीर ‘का’ लेने का मन है क्या?
बोली- तुम्हारे दिमाग में और कुछ नहीं आता क्या?
आधे घंटे में हम कबीर के घर पहुँच गए। आज उसने बाहर की लाइट नहीं जलाई हुई थी। नेहा जल्दी से फर्स्ट फ्लोर पर पहुँची। उसके यहाँ ग्राउंड फ्लोर खाली था।
उसके घर में घुस कर मैंने कबीर से कहा- पानी मिलेगा डॉक्टर साहब?
बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं..
नेहा भी उसके पीछे-पीछे किचन में चली गई।
थोड़ी देर में नेहा पानी ले कर आई.. आते ही बोली- तो तुम जा रहे हो?
मैं समझ गया कि वो चाहती है कि मैं जल्दी वहाँ से निकलूँ।
मैं उसके ड्राइंग रूम से निकला। कबीर ने दरवाजा थोड़ा सा उड़का दिया और बोला- जानू तुम्हारा चम्पू तो गया.. सच में चम्पू ही है न..
नेहा कुछ नहीं बोली।
मैं उसके घर से नीचे उतर कर आया.. थोड़ी देर टहलता रहा। मैंने नीचे से देखा दरवाजा बंद नहीं हुआ था। मैं कुछ देर इधर-उधर टहलता रहा।
फिर उसके घर के नीचे से साइड से देखा.. तो कमरे का दरवाजा पूरी तरह से बंद हो गया था। मैंने धीरे से नीचे का लोहे का दरवाजा खोला कि आवाज न हो। मुझे डर भी लग रहा था कि वो कबीर बाहर न निकल आए। मैं धीरे से ऊपर पहुँचा और फिर बेडरूम के दरवाजे के छेद से देखा.. बेडरूम में कोई नहीं था।