पिंकी ने अपनी टांगे मोड़ कर साइड में लगा दी और दोनो हाथो से उनकी पीठ को उपर से नीचे तक उस तेल से रगड़ने लगी..
लालाजी को एक तरफ मज़ा तो बहुत आ रहा था पर उनकी वो तकलीफ़ पहले से ज़्यादा बढ़ चुकी थी...
उनका लंड नीचे दबकर पहले ही फँसा हुआ सा पड़ा था, उपर से पिंकी का भार आ जाने की वजह से उसका कचुंबर सा निकालने को हो गया था...जैसे कोई मोटा अजगर किसी चट्टान के नीचे दब गया हो
पिंकी भी अपना पूरा भार अपने कुल्हो पर डालकर लालाजी के चूतड़ों की चटनी बनाने पर उतारू थी...
वो एक लय बनाकर लालाजी के बदन की मालिश कर रही थी...
जिस वजह से लालाजी का शरीर उपर से नीचे तक हिचकोले खाने लगा...
पिंकी भी लालाजी की शरीर नुमा नाव पर बैठकर आगे पीछे हो रही थी...
और इस आगे-पीछे का स्वाद लालाजी को भी मिल रहा था...
उनके लंड पर घिस्से लगने की वजह से वो उत्तेजित हो रहे थे...
ये एहसास ठीक वैसा ही था जैसे वो किसी की चूत मार रहे हो अपने नीचे दबाकर...
अपनी उत्तेजना के दौरान एक पल के लिए तो लालाजी के मन में आया की पलटकर पिंकी को अपने नीचे गिरा दे और अपना ये बोराया हुआ सा लंड उसकी कुँवारी चूत में पेलकर उसका कांड कर दे...
पर उन्हे ऐसा करने में डर भी लग रहा था की कहीं उसने चीख मारकर सभी को इकट्ठा कर लिया तो उनकी खैर नही...
इसलिए उन्होंने अपने मन और लंड को समझाया की पहले वो पिंकी के मन को टटोल लेंगे...
थोड़े टाइम बाद जब उन्हे लगेगा की वो उनसे चुदने के लिए तैयार है और वो इसका ज़िक्र किसी से नही करेगी, तभी उसे चोदने में मज़ा आएगा...
और वैसे भी, अभी के लिए भी जो एहसास उन्हे मिल रहा था वो किसी चुदाई से कम नही था...
उपर से पिंकी के बदन का स्पर्श भी उन्हे उनकी उत्तेजना को पूरा भड़काने में कामगार सिद्ध हो रहा था...
इसलिए वो उसी तरह, अपने लंड को बेड पर रगड़कर , अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे..
और अंत में आकर , ना चाहते हुए भी उनके मुँह से आनंदमयी सिसकारियाँ निकल ही गयी..
''आआआआआआहह पिंकी.......मज़ा आ गया.......हायययययययययी..............''
पिंकी को तो इस बात की जानकारी भी नही थी की लालाजी झड़ चुके है....
वो तो उनके अकड़ रहे शरीर को देखकर एक पल के लिए डर भी गयी थी की कहीं बूड़े लालाजी को कुछ हो तो नही गया...
पर जब लालाजी ने कुछ बोला तो उसकी जान में जान आई..
लालाजी : "शाबाश पिंकी...शाबाश....ऐसी मालिश तो मेरी आज तक किसी ने नही की है.....चल अब उतर जा तू...मुझे तो नींद सी आ रही है....मैं थोड़ा सो लेता हूँ ...''
पर पिंकी शायद उनके खड़े लंड को देखना चाहती थी...
पिंकी : ''थोड़ा पलट भी जाइए लालाजी , आपकी छाती पर भी मालिश कर देती मैं ...''
लालाजी का मन तो बहुत था की वो भी उससे अपनी छाती की मालिश करवाए पर उनकी हालत नही थी वो करवाने की...
इसलिए उन्होने कहा : "नही पिंकी...आज नही.....फिर कभी कर दियो ....अभी तो नींद सी आ रही है...तू जा ...और जाते हुए मर्तबान से क्रीम रोल निकाल ले...''
वो उन्होने इसलिए कहा क्योंकि उनके बिस्तर पर ढेर सारा वीर्य गिरा पड़ा था...
अपनी सेहत के लिए लालाजी बादाम और चने भिगो कर खाते थे, इसलिए उनका वीर्य भी मात्रा से अधिक निकलता था...और उस हालत में वो सीधा होकर वो झड़ा हुआ माल उसे नहीं दिखाना चाहते थे
पिंकी नीचे उतरी और 2 क्रीम रोल निकाल कर बाहर आ गयी...
लालाजी अपने बिस्तर से उठे और बेड की हालत देखकर उन्हे भी हँसी आ गयी...
शबाना होती तो इस सारी मलाई को चाट जाती...
लालाजी खड़े होकर अपने मुरझाए हुए लंड को मसलते हुए बोले : ''ये मलाई तो अब एक दिन ये पिंकी ही खाएगी...साली को बड़ा मज़ा आ रहा था ना मुझे सताने में ...अगली बार इसका अच्छे से बदला लूँगा...फिर देखता हूँ इसकी हालत ..''
लालाजी के दिमाग़ में उसके लिए कुछ स्पेशल प्लान बनने शुरू हो चुके थे.
क्रीम रोल लेकर पिंकी सीधा सोनी के घर पहुँच गयी
वो उसके हिस्से का रोल उसे देना चाहती थी और आज का किस्सा भी सुनाना चाहती थी..
दरवाजा सोनी की बहन मीनल ने खोला
वो उसके हाथो में क्रीम रोल देखकर बोली : "ओहो...लगता है लालाजी की दुकान से आ रही है...''
उसके बोलने के स्टाइल और मुस्कुराहट से सॉफ पता चल रहा था की वो सब जानती है..
लालाजी को एक तरफ मज़ा तो बहुत आ रहा था पर उनकी वो तकलीफ़ पहले से ज़्यादा बढ़ चुकी थी...
उनका लंड नीचे दबकर पहले ही फँसा हुआ सा पड़ा था, उपर से पिंकी का भार आ जाने की वजह से उसका कचुंबर सा निकालने को हो गया था...जैसे कोई मोटा अजगर किसी चट्टान के नीचे दब गया हो
पिंकी भी अपना पूरा भार अपने कुल्हो पर डालकर लालाजी के चूतड़ों की चटनी बनाने पर उतारू थी...
वो एक लय बनाकर लालाजी के बदन की मालिश कर रही थी...
जिस वजह से लालाजी का शरीर उपर से नीचे तक हिचकोले खाने लगा...
पिंकी भी लालाजी की शरीर नुमा नाव पर बैठकर आगे पीछे हो रही थी...
और इस आगे-पीछे का स्वाद लालाजी को भी मिल रहा था...
उनके लंड पर घिस्से लगने की वजह से वो उत्तेजित हो रहे थे...
ये एहसास ठीक वैसा ही था जैसे वो किसी की चूत मार रहे हो अपने नीचे दबाकर...
अपनी उत्तेजना के दौरान एक पल के लिए तो लालाजी के मन में आया की पलटकर पिंकी को अपने नीचे गिरा दे और अपना ये बोराया हुआ सा लंड उसकी कुँवारी चूत में पेलकर उसका कांड कर दे...
पर उन्हे ऐसा करने में डर भी लग रहा था की कहीं उसने चीख मारकर सभी को इकट्ठा कर लिया तो उनकी खैर नही...
इसलिए उन्होंने अपने मन और लंड को समझाया की पहले वो पिंकी के मन को टटोल लेंगे...
थोड़े टाइम बाद जब उन्हे लगेगा की वो उनसे चुदने के लिए तैयार है और वो इसका ज़िक्र किसी से नही करेगी, तभी उसे चोदने में मज़ा आएगा...
और वैसे भी, अभी के लिए भी जो एहसास उन्हे मिल रहा था वो किसी चुदाई से कम नही था...
उपर से पिंकी के बदन का स्पर्श भी उन्हे उनकी उत्तेजना को पूरा भड़काने में कामगार सिद्ध हो रहा था...
इसलिए वो उसी तरह, अपने लंड को बेड पर रगड़कर , अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे..
और अंत में आकर , ना चाहते हुए भी उनके मुँह से आनंदमयी सिसकारियाँ निकल ही गयी..
''आआआआआआहह पिंकी.......मज़ा आ गया.......हायययययययययी..............''
पिंकी को तो इस बात की जानकारी भी नही थी की लालाजी झड़ चुके है....
वो तो उनके अकड़ रहे शरीर को देखकर एक पल के लिए डर भी गयी थी की कहीं बूड़े लालाजी को कुछ हो तो नही गया...
पर जब लालाजी ने कुछ बोला तो उसकी जान में जान आई..
लालाजी : "शाबाश पिंकी...शाबाश....ऐसी मालिश तो मेरी आज तक किसी ने नही की है.....चल अब उतर जा तू...मुझे तो नींद सी आ रही है....मैं थोड़ा सो लेता हूँ ...''
पर पिंकी शायद उनके खड़े लंड को देखना चाहती थी...
पिंकी : ''थोड़ा पलट भी जाइए लालाजी , आपकी छाती पर भी मालिश कर देती मैं ...''
लालाजी का मन तो बहुत था की वो भी उससे अपनी छाती की मालिश करवाए पर उनकी हालत नही थी वो करवाने की...
इसलिए उन्होने कहा : "नही पिंकी...आज नही.....फिर कभी कर दियो ....अभी तो नींद सी आ रही है...तू जा ...और जाते हुए मर्तबान से क्रीम रोल निकाल ले...''
वो उन्होने इसलिए कहा क्योंकि उनके बिस्तर पर ढेर सारा वीर्य गिरा पड़ा था...
अपनी सेहत के लिए लालाजी बादाम और चने भिगो कर खाते थे, इसलिए उनका वीर्य भी मात्रा से अधिक निकलता था...और उस हालत में वो सीधा होकर वो झड़ा हुआ माल उसे नहीं दिखाना चाहते थे
पिंकी नीचे उतरी और 2 क्रीम रोल निकाल कर बाहर आ गयी...
लालाजी अपने बिस्तर से उठे और बेड की हालत देखकर उन्हे भी हँसी आ गयी...
शबाना होती तो इस सारी मलाई को चाट जाती...
लालाजी खड़े होकर अपने मुरझाए हुए लंड को मसलते हुए बोले : ''ये मलाई तो अब एक दिन ये पिंकी ही खाएगी...साली को बड़ा मज़ा आ रहा था ना मुझे सताने में ...अगली बार इसका अच्छे से बदला लूँगा...फिर देखता हूँ इसकी हालत ..''
लालाजी के दिमाग़ में उसके लिए कुछ स्पेशल प्लान बनने शुरू हो चुके थे.
क्रीम रोल लेकर पिंकी सीधा सोनी के घर पहुँच गयी
वो उसके हिस्से का रोल उसे देना चाहती थी और आज का किस्सा भी सुनाना चाहती थी..
दरवाजा सोनी की बहन मीनल ने खोला
वो उसके हाथो में क्रीम रोल देखकर बोली : "ओहो...लगता है लालाजी की दुकान से आ रही है...''
उसके बोलने के स्टाइल और मुस्कुराहट से सॉफ पता चल रहा था की वो सब जानती है..