रिंकी और पिंकी दोबारा मिली
पल-पल इन्तजार किया एक पल के लिये,
वो पल आया भी तो एक पल के लिये,
अब तो हर पल इन्तजार है उस पल के लिये,
कि वो पल आये फिर से एक पल के लिये…
हेलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग! आपने मेरी कहानी दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी तो पढ़ी ही होगी, उसके लिए मुझे बहुत सारे मेल आये जिनके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ।
तो उसके बाद रिंकी और पिंकी शहर छोड़ के चली गई थी तो कहानी भी रुक गई थी। अभी कुछ ही दिन हुए इस बात को अचानक एक नंबर से फोन आया, वो फोन रिंकी का था।
रिंकी- हेल्लो वीर?
मैं- हेल्लो, हां कौन?
रिंकी- कमाल है तुमने मुझे नहीं पहचाना?
मैं- नहीं, बताओ तो सही आप हो कौन?
रिंकी- आवाज सुन कर भी नहीं पहचाना, क्या बात करते हो? हम एक दूसरे को बहुत करीब से जानते हैं।
मैं- कितना करीब से?
रिंकी- इतना करीब से जितना पति पत्नी भी एक दूसरे को नहीं जानते होंगे!
मैं- अच्छा, तो कुछ बताओ मेरे बारे में अगर इतना ही करीब से जानती हो तो?
रिंकी- सब पता है, तुम अपने घर की किरायेदार से किराया भी लेते हो और मजे भी पूरे लेते हो।
मैं- कौन, सुनीता बोल रही हो?
रिंकी- अच्छा जी, सुनीता भी, सुनीता कौन है यह?
मैं- थी एक, उठा उठा के देती थी, पर उसके बाप को पता चल गया था कुछ बोला नहीं, पर कमरा खाली कर दिया था।
रिंकी- तो तुमने तो मजे ले ही लिए न, तुम्हें भी तो उठा उठा के लेने में मजे आते हैं, हमारी भी तो ऐसे ही लेते थे, जब मन कर दिया तब!
मैं-हमारी? मतलब तुम दो हो, रिंकी-पिंकी?
रिंकी- चलो पहचान तो लिया न!
मैं- हाँ पहचान लिया सेक्सी!
फिर उसने मुझे पता दिया और कहा कि इस पते पे आ जाना, मैंने भी हां कर दी।
अगले दिन अच्छे से लंड पे से जो हल्के बाल थे, उनको साफ़ करके नहा कर तैयार होकर रिंकी के बताये पते पर निकल गया।
ठीक उनके बताई जगह पर पहुँच गया, सुबह के दस बज रहे थे, मैंने डोर बेल बजाई।
एक मस्त औरत दरवाजा खोला, मैंने पूछा- यहाँ रिंकी और पिंकी रहती है क्या?
उसने कहा- हाँ, यहीं रहती हैं, आओ अंदर!
मैं अंदर चला गया, उसने मुझे बैठने को कहा।
उसकी उम्र कोई 28-30 साल होगी, वो मेरे सामने बैठ गई।
मैंने उससे पूछा कि वो दोनों कहाँ हैं?
तो उसने कहा- वो तुम्हारे लिए सामान लेने गई हैं, तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ।
वो मेरे लिए पानी ले आई, उसने अपना नाम फलक बताया, वो उनके साथ ही रहती थी, घर बड़ा था इसलिए तीनों एक साथ रहती थी।
वो एक स्कूल में टीचर थी, रविवार था इसलिए छुट्टी थी, उसने कहा- मैं नहाने जा रही हूँ, तुम तब तक टीवी देखो और उनका इन्तजार करो।
दो कदम की दूरी पर कमरा था, उसने अलमारी से कपड़े निकाले और बाथरूम की ओर चल दी।
कुछ ही देर में पानी गिरने की आवाज आने लगी।
मेरा मन कर रहा था कि उसे जाकर देखूँ… पर पकड़ा न जाऊँ, इसका डर था।
फिर भी 10 मिनट बाद खड़ा हुआ और कमरे की तरफ चल दिया।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला, वो नहा कर बाहर आ गई, उसने सिर्फ एक टॉवेल लपेटा हुआ था। उसने शायद मुझे देखते हुए देख
लिया था।
पल-पल इन्तजार किया एक पल के लिये,
वो पल आया भी तो एक पल के लिये,
अब तो हर पल इन्तजार है उस पल के लिये,
कि वो पल आये फिर से एक पल के लिये…
हेलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग! आपने मेरी कहानी दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी तो पढ़ी ही होगी, उसके लिए मुझे बहुत सारे मेल आये जिनके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ।
तो उसके बाद रिंकी और पिंकी शहर छोड़ के चली गई थी तो कहानी भी रुक गई थी। अभी कुछ ही दिन हुए इस बात को अचानक एक नंबर से फोन आया, वो फोन रिंकी का था।
रिंकी- हेल्लो वीर?
मैं- हेल्लो, हां कौन?
रिंकी- कमाल है तुमने मुझे नहीं पहचाना?
मैं- नहीं, बताओ तो सही आप हो कौन?
रिंकी- आवाज सुन कर भी नहीं पहचाना, क्या बात करते हो? हम एक दूसरे को बहुत करीब से जानते हैं।
मैं- कितना करीब से?
रिंकी- इतना करीब से जितना पति पत्नी भी एक दूसरे को नहीं जानते होंगे!
मैं- अच्छा, तो कुछ बताओ मेरे बारे में अगर इतना ही करीब से जानती हो तो?
रिंकी- सब पता है, तुम अपने घर की किरायेदार से किराया भी लेते हो और मजे भी पूरे लेते हो।
मैं- कौन, सुनीता बोल रही हो?
रिंकी- अच्छा जी, सुनीता भी, सुनीता कौन है यह?
मैं- थी एक, उठा उठा के देती थी, पर उसके बाप को पता चल गया था कुछ बोला नहीं, पर कमरा खाली कर दिया था।
रिंकी- तो तुमने तो मजे ले ही लिए न, तुम्हें भी तो उठा उठा के लेने में मजे आते हैं, हमारी भी तो ऐसे ही लेते थे, जब मन कर दिया तब!
मैं-हमारी? मतलब तुम दो हो, रिंकी-पिंकी?
रिंकी- चलो पहचान तो लिया न!
मैं- हाँ पहचान लिया सेक्सी!
फिर उसने मुझे पता दिया और कहा कि इस पते पे आ जाना, मैंने भी हां कर दी।
अगले दिन अच्छे से लंड पे से जो हल्के बाल थे, उनको साफ़ करके नहा कर तैयार होकर रिंकी के बताये पते पर निकल गया।
ठीक उनके बताई जगह पर पहुँच गया, सुबह के दस बज रहे थे, मैंने डोर बेल बजाई।
एक मस्त औरत दरवाजा खोला, मैंने पूछा- यहाँ रिंकी और पिंकी रहती है क्या?
उसने कहा- हाँ, यहीं रहती हैं, आओ अंदर!
मैं अंदर चला गया, उसने मुझे बैठने को कहा।
उसकी उम्र कोई 28-30 साल होगी, वो मेरे सामने बैठ गई।
मैंने उससे पूछा कि वो दोनों कहाँ हैं?
तो उसने कहा- वो तुम्हारे लिए सामान लेने गई हैं, तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ।
वो मेरे लिए पानी ले आई, उसने अपना नाम फलक बताया, वो उनके साथ ही रहती थी, घर बड़ा था इसलिए तीनों एक साथ रहती थी।
वो एक स्कूल में टीचर थी, रविवार था इसलिए छुट्टी थी, उसने कहा- मैं नहाने जा रही हूँ, तुम तब तक टीवी देखो और उनका इन्तजार करो।
दो कदम की दूरी पर कमरा था, उसने अलमारी से कपड़े निकाले और बाथरूम की ओर चल दी।
कुछ ही देर में पानी गिरने की आवाज आने लगी।
मेरा मन कर रहा था कि उसे जाकर देखूँ… पर पकड़ा न जाऊँ, इसका डर था।
फिर भी 10 मिनट बाद खड़ा हुआ और कमरे की तरफ चल दिया।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला, वो नहा कर बाहर आ गई, उसने सिर्फ एक टॉवेल लपेटा हुआ था। उसने शायद मुझे देखते हुए देख
लिया था।