(Kunwari Bur Chudai Ki wo Hasin Raat- 1)
मैं बहुत सादा रहता था क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे. मेरी एक क्लासमेट मेरी अच्छी फ्रेंड बन गई थी, शायद उसे मेरी सादगी पसंद थी. एक रात उसने मुझे अपने घर बुलाया तो .
मेरा नाम आर्यन (बदला हुआ) नाम है, मैं प्रयागराज से 100 किमी दूर रहता हूँ. मेरी उम्र 26 वर्ष है और इस समय एक अच्छी नौकरी की तलाश में हूँ. मेरी लम्बई 5 फुट 5 इंच है और रंग सांवला है.
यह सेक्स कहानी एक माह पहले की है. मेरी एक फ्रेंड शबनम (बदला हुआ नाम) ने मुझे कॉल किया. हम दोनों कुछ माह पहले एक साथ पढ़ते थे.
आपको पहले शबनम के बारे में बता दूँ. उसका फिगर एकदम माधुरी दीक्षित की तरह था. शबनम हमारे सेन्टर की सबसे हसीन लड़कियों में से एक थी. उसको देख कर अच्छे अच्छों का औजार फड़फड़ाने लगता था. वो मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड बन गई थी, शायद उसे मेरी सादगी पर बड़ा रश्क था.
एक दिन शबनम का फोन आया. मैंने फोन उठाया- हैलो.
वो- हैलो.
मैं- हां जी कौन?
वो- आप इतना जल्दी भूल गए?
मैं- नहीं जी . भूले तो नहीं है पर थोड़ा डाउट है.
वो- हम्म . अगर नहीं भूले हैं . तो बताइये कौन हूँ?
मैं- शबनम बोल रही हो शायद!
वो- हां शबनम ही बोल रही हूँ.
मैंने पूछा- तुमको मेरा नम्बर कहां से मिला?
वो- आपको यह जानकर क्या करना है . वैसे भी जहां चाह, वहां राह निकल ही आती है.
मैं- अच्छा जी.
फिर हमारे बीच नार्मल बातें होने लगीं. उससे बात करके मुझे काफी अच्छा लगा.
अब वह हर दूसरे दिन कॉल करने लगी थी और हम लोग आधा-एक घण्टा बात करते ही थे.
इस तरह हम लोगों का बातों का सिलसिला चल पड़ा था. धीरे-धीरे वह मुझसे खुलने लगी थी. हम दोनों में काफी मजाक भी होता और पढ़ाई के टॉपिक पर डिस्कशन भी होता रहता था.
एक दिन उसने पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं- पहले तुम बताओ . तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो- नहीं . मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है. अब आप बताइए . आपकी गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैं- नहीं, हम गरीब लोगों के पास गर्लफ्रेंड नहीं टिकती है.
वो- मतलब पहले थी?
मैं- हां . पर अब नहीं है.
फिर मैंने पूछा- हम जैसों की गर्लफ्रेंड न हो . तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, पर तुम जैसी सुन्दरी का कोई ब्वॉयफ्रेंड न हो . ये सुन कर बड़ा अजीब लगता है.
वो- मैं एक लड़के से प्यार करती हूँ, पर कभी उससे कहा नहीं.
मैं- क्यों नहीं कहा?
वो- डरती थी . कहीं उससे दोस्ती न टूट जाए.
मैं- तुम्हें तो कोई भी लड़का मना नहीं कर सकता है यार!
वो- पता नहीं, शायद देर हो गयी है . क्योंकि अब मेरी शादी भी तय हो चुकी है.
मैं- अच्छा जी, पर वो है कौन खुशनसीब
वो- छोड़िए भी ये सब . और बताइए.
मैं- क्या बताएं . गरीबी का दंश झेल रहे हैं और किसी अच्छी जॉब की तलाश में हैं.
वो- अच्छा जी, अगर मैं कोई हेल्प कर सकूं . तो बोलिए.
मैं- कोई अच्छी सैलरी की जॉब दिला सको . तो बताओ!
वो- नहीं यार . मेरे सम्पर्क में तो कोई ऐसा नहीं है . सॉरी.
मैं- कोई बात नहीं.
फिर उसने बाद में कॉल करने के लिए बोलकर फोन काट दिया.
दूसरे दिन उसने बोला- आपको देखने का मन कर रहा है.
मैं- यार तुम तो जानती हो, मैं नार्मल फोन चलाता हूँ, इससे वीडियो कॉल भी तो नहीं हो सकती है. मेरे भी मन बहुत करता है तुम्हें देखने को, पर कर भी क्या सकते हैं.
वो- हम्म!
फिर वो बोली- चलो न किसी दिन मिलते हैं.
मैं- कहां पर . और अगर किसी ने देख लिया, तो वह गलत ही समझेगा.
वो- हां वो तो है . पर देखते हैं.
फिर कुछ देर बाद उसने फोन काट दिया.
तीन दिन बाद उसका कॉल फिर आया- आप कहां हैं?
मैं- घर पर हूँ.
वो- अच्छा कल कहां रहेंगे?
मैं- घर पर ही . और जाएंगे कहां . पर क्यों पूछ रही हो?
वो- ठीक है . कल बताऊंगी.
जब तक मैं कुछ पूछता, उसने फोन काट दिया.
अगले दिन शाम को उसका कॉल आया- आज रात आप मेरे घर आ सकते हैं क्या?
मैं- हां आ तो सकता हूँ, पर क्या करने का इरादा है तुम्हारा?
वो- करना क्या है यार . दोनों गप्पें लड़ाएंगे.
मैं हंसते हुए- अच्छा जी . पर हमें तुम्हारे इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं.
वो हंसते हुए बोली- ज्यादा दिमाग मत चलाइए . बस आ जाना.
मैं- अच्छा जी.
वो- तो ठीक है . मैं रात 11 बजे आपका इन्तजार करूंगी.
मैं- ओके!
फिर फोन कट गया.
शाम को मैंने खाना खाया और सबके सो जाने के बाद 10:40 पर घर से निकल गया. जब मैं उसके घर के पास पहुंचने वाला था, तो मैंने उसको फोन किया. उसने अपने घर का दरवाजा खुला हुआ रहने का बता दिया. इससे मैं सीधे उसके घर के अन्दर चला गया.
मेरे अन्दर आते ही उसने दरवाजा बन्द कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर सीधे अपने रूम में ले गई.
आह क्या गजब का रूम था उसका . उसके रूम की टेबल पर केक रखा था, जिस पर कैंडल लगे हुए थे.
मैंने पूछा- आज किसी का बर्थडे है क्या?
वो- हां . इस नाचीज का.
मैं- अच्छा जी, पहले क्यों नहीं बताया था?
वो- ऐसे ही.
फिर हम लोगों ने कैंडल जलाया।
बाकि कहानी अगले भाग में।
मैं बहुत सादा रहता था क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे. मेरी एक क्लासमेट मेरी अच्छी फ्रेंड बन गई थी, शायद उसे मेरी सादगी पसंद थी. एक रात उसने मुझे अपने घर बुलाया तो .
मेरा नाम आर्यन (बदला हुआ) नाम है, मैं प्रयागराज से 100 किमी दूर रहता हूँ. मेरी उम्र 26 वर्ष है और इस समय एक अच्छी नौकरी की तलाश में हूँ. मेरी लम्बई 5 फुट 5 इंच है और रंग सांवला है.
यह सेक्स कहानी एक माह पहले की है. मेरी एक फ्रेंड शबनम (बदला हुआ नाम) ने मुझे कॉल किया. हम दोनों कुछ माह पहले एक साथ पढ़ते थे.
आपको पहले शबनम के बारे में बता दूँ. उसका फिगर एकदम माधुरी दीक्षित की तरह था. शबनम हमारे सेन्टर की सबसे हसीन लड़कियों में से एक थी. उसको देख कर अच्छे अच्छों का औजार फड़फड़ाने लगता था. वो मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड बन गई थी, शायद उसे मेरी सादगी पर बड़ा रश्क था.
एक दिन शबनम का फोन आया. मैंने फोन उठाया- हैलो.
वो- हैलो.
मैं- हां जी कौन?
वो- आप इतना जल्दी भूल गए?
मैं- नहीं जी . भूले तो नहीं है पर थोड़ा डाउट है.
वो- हम्म . अगर नहीं भूले हैं . तो बताइये कौन हूँ?
मैं- शबनम बोल रही हो शायद!
वो- हां शबनम ही बोल रही हूँ.
मैंने पूछा- तुमको मेरा नम्बर कहां से मिला?
वो- आपको यह जानकर क्या करना है . वैसे भी जहां चाह, वहां राह निकल ही आती है.
मैं- अच्छा जी.
फिर हमारे बीच नार्मल बातें होने लगीं. उससे बात करके मुझे काफी अच्छा लगा.
अब वह हर दूसरे दिन कॉल करने लगी थी और हम लोग आधा-एक घण्टा बात करते ही थे.
इस तरह हम लोगों का बातों का सिलसिला चल पड़ा था. धीरे-धीरे वह मुझसे खुलने लगी थी. हम दोनों में काफी मजाक भी होता और पढ़ाई के टॉपिक पर डिस्कशन भी होता रहता था.
एक दिन उसने पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं- पहले तुम बताओ . तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो- नहीं . मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है. अब आप बताइए . आपकी गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैं- नहीं, हम गरीब लोगों के पास गर्लफ्रेंड नहीं टिकती है.
वो- मतलब पहले थी?
मैं- हां . पर अब नहीं है.
फिर मैंने पूछा- हम जैसों की गर्लफ्रेंड न हो . तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, पर तुम जैसी सुन्दरी का कोई ब्वॉयफ्रेंड न हो . ये सुन कर बड़ा अजीब लगता है.
वो- मैं एक लड़के से प्यार करती हूँ, पर कभी उससे कहा नहीं.
मैं- क्यों नहीं कहा?
वो- डरती थी . कहीं उससे दोस्ती न टूट जाए.
मैं- तुम्हें तो कोई भी लड़का मना नहीं कर सकता है यार!
वो- पता नहीं, शायद देर हो गयी है . क्योंकि अब मेरी शादी भी तय हो चुकी है.
मैं- अच्छा जी, पर वो है कौन खुशनसीब
वो- छोड़िए भी ये सब . और बताइए.
मैं- क्या बताएं . गरीबी का दंश झेल रहे हैं और किसी अच्छी जॉब की तलाश में हैं.
वो- अच्छा जी, अगर मैं कोई हेल्प कर सकूं . तो बोलिए.
मैं- कोई अच्छी सैलरी की जॉब दिला सको . तो बताओ!
वो- नहीं यार . मेरे सम्पर्क में तो कोई ऐसा नहीं है . सॉरी.
मैं- कोई बात नहीं.
फिर उसने बाद में कॉल करने के लिए बोलकर फोन काट दिया.
दूसरे दिन उसने बोला- आपको देखने का मन कर रहा है.
मैं- यार तुम तो जानती हो, मैं नार्मल फोन चलाता हूँ, इससे वीडियो कॉल भी तो नहीं हो सकती है. मेरे भी मन बहुत करता है तुम्हें देखने को, पर कर भी क्या सकते हैं.
वो- हम्म!
फिर वो बोली- चलो न किसी दिन मिलते हैं.
मैं- कहां पर . और अगर किसी ने देख लिया, तो वह गलत ही समझेगा.
वो- हां वो तो है . पर देखते हैं.
फिर कुछ देर बाद उसने फोन काट दिया.
तीन दिन बाद उसका कॉल फिर आया- आप कहां हैं?
मैं- घर पर हूँ.
वो- अच्छा कल कहां रहेंगे?
मैं- घर पर ही . और जाएंगे कहां . पर क्यों पूछ रही हो?
वो- ठीक है . कल बताऊंगी.
जब तक मैं कुछ पूछता, उसने फोन काट दिया.
अगले दिन शाम को उसका कॉल आया- आज रात आप मेरे घर आ सकते हैं क्या?
मैं- हां आ तो सकता हूँ, पर क्या करने का इरादा है तुम्हारा?
वो- करना क्या है यार . दोनों गप्पें लड़ाएंगे.
मैं हंसते हुए- अच्छा जी . पर हमें तुम्हारे इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं.
वो हंसते हुए बोली- ज्यादा दिमाग मत चलाइए . बस आ जाना.
मैं- अच्छा जी.
वो- तो ठीक है . मैं रात 11 बजे आपका इन्तजार करूंगी.
मैं- ओके!
फिर फोन कट गया.
शाम को मैंने खाना खाया और सबके सो जाने के बाद 10:40 पर घर से निकल गया. जब मैं उसके घर के पास पहुंचने वाला था, तो मैंने उसको फोन किया. उसने अपने घर का दरवाजा खुला हुआ रहने का बता दिया. इससे मैं सीधे उसके घर के अन्दर चला गया.
मेरे अन्दर आते ही उसने दरवाजा बन्द कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर सीधे अपने रूम में ले गई.
आह क्या गजब का रूम था उसका . उसके रूम की टेबल पर केक रखा था, जिस पर कैंडल लगे हुए थे.
मैंने पूछा- आज किसी का बर्थडे है क्या?
वो- हां . इस नाचीज का.
मैं- अच्छा जी, पहले क्यों नहीं बताया था?
वो- ऐसे ही.
फिर हम लोगों ने कैंडल जलाया।
बाकि कहानी अगले भाग में।