मेरी मम्मी की सहली और हमारे घर की पड़ोसन रुपाली आंटी किसी रूप मति सेकम नहीं थी | उसका मस्त गद्रिला बदन ऐसा था की उसके सामने अच्छी अच्छी फिल्म अभिनेत्रियों के छक्के छुडा दे | मैं हमेशा उन देसी आंटी को चुपके चुपके देखा करता था जब भी वो मेरे गहर पे आया करती थी | मुझे तो ऐसा लगा रहा था की वो मुझे अपने बच्चे की तरह ही समझती हैं पर असली बात तो मुझे उस दिन पता चला जी जब मैं उनके घर गया और जाना की वो भी मेरी तन जवानी को बखूबी जान चुकी है | एक दिन आंटी मेरे घर पर आई जब मेरी किसी काम से बहार गयीं थी और बोली मेरी मम्मी के जो कुछ सिलाई के कपडे रह गए हैं मेरी मैं थोड़ी देर बाद खुद उनके घर से जाकर ले आऊं |
मैंने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और सीधा १० मिनट बाद अपनी मम्मी के कपडे आंटी के घर लेने चल पड़ा | मैं पहुंचा तो आंटी ने भीगी नाईटी पहनी हुई तो जिसके अंदर न ब्रा न पैंटी पहनी थी और मुझे साग उनके चुचे और मोती गांड दिखायी पड़ रही थी | आंटी खेने लगी, क्यूँ रे बच्चू बहुत देखता है चुपके चुपके . .!! आज बता ही दे चाहता क्या है आखिर . .?? आंटी नज़रों में हया कतई भी न थी और अब मेरे अंदर का हवसी | हम दोनों के चेहरे करीब आये मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिए और कुछ पल में ही उनके होठों को चूसता हुआ चुचों को मसलने लगा |
आंटी बस अब मुझे चुदना ही चाहती थी और अब आंटी ने फौरन अपनी नाईटी उतार नंगी हो गयी और अंदर कमरे में जाकर बिस्तर पर निढाल लेट गयी जहाँ मैं उनके गद्रिले बदन को मलता हुआ अपनी उँगलियों से उनकी चिकनी चुत को रगड़ने लगा और आंटी अपने हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी | मैंने फट से अपने लंड को बहार निकाल पैंट से और एक बार में झटके देते हुए लंड को आंटी की गद्रिली चुत में घुसा दिया | आंटी मिसमिसा रही थी, चुदाई की कामवासना में सिंहर रही थी और मैं झटकों की रफ़्तार चढाते हुआ उन्हें चोदे जा रहा था |
मेरा लंड अब देसी आंटी चुत में तेज़ी से इस कदर बढ़ता हुआ चुत को चोद रहा था की उनकी चुत का पानी भी बह निकला | आंटी ने फटाफट नयी मुद्रा लेटे हुए मेरे सामने अपनी गांड को दिखाते हुए घोड़ी बन गयी | मैं भी उनकी गांड को चाटने लगा | मैंने अब आंटी को चौंकाने के लिए उनके चूतडों को थामा और एक बारी में ही जोर का धक्का दिया जिससे एक बारी में आंटी की कसके चींख निकल पड़ी और हंसी की फटकार लेता हुआ अब उन्हें घोड़ी मुद्रा में जमकर आखिरी लंड के झटके चुत में गहराई से देने लगा | मैं झाड़ता हुआ आह्ह्ह आह्हह करने लगा और आंटी के मोटे गोरे चूतडों पर मज़े फुव्वार छोड़ दी | आंटी की गरिली चुत अब रोजाना दिन में एक बार तो मान ही लेता हूँ जिससे हम सोनो के इस सेक्स फर में दिल ठंडा होता रहता है और किसको पता, कल हो ना हो . .!!
मैंने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और सीधा १० मिनट बाद अपनी मम्मी के कपडे आंटी के घर लेने चल पड़ा | मैं पहुंचा तो आंटी ने भीगी नाईटी पहनी हुई तो जिसके अंदर न ब्रा न पैंटी पहनी थी और मुझे साग उनके चुचे और मोती गांड दिखायी पड़ रही थी | आंटी खेने लगी, क्यूँ रे बच्चू बहुत देखता है चुपके चुपके . .!! आज बता ही दे चाहता क्या है आखिर . .?? आंटी नज़रों में हया कतई भी न थी और अब मेरे अंदर का हवसी | हम दोनों के चेहरे करीब आये मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिए और कुछ पल में ही उनके होठों को चूसता हुआ चुचों को मसलने लगा |
आंटी बस अब मुझे चुदना ही चाहती थी और अब आंटी ने फौरन अपनी नाईटी उतार नंगी हो गयी और अंदर कमरे में जाकर बिस्तर पर निढाल लेट गयी जहाँ मैं उनके गद्रिले बदन को मलता हुआ अपनी उँगलियों से उनकी चिकनी चुत को रगड़ने लगा और आंटी अपने हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी | मैंने फट से अपने लंड को बहार निकाल पैंट से और एक बार में झटके देते हुए लंड को आंटी की गद्रिली चुत में घुसा दिया | आंटी मिसमिसा रही थी, चुदाई की कामवासना में सिंहर रही थी और मैं झटकों की रफ़्तार चढाते हुआ उन्हें चोदे जा रहा था |
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