वासना से भरा मेरा लैंगिक जीवन

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अगले मिनट ही उसने उठ कर बाजू में रखी तेल की बोतल को लेकर अपने हाथ में तेल लगाया और फिर से शुरू हो गयी. यह देख कर मैं हैरान था और सोच रहा था इसको इतना ज्ञान कहां से आया. अपने हाथ से भी मैंने कभी इतनी अच्छी तरह से अपने लवड़े को नहीं हिलाया था…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम कृष्णा देशमुख है. मैं पुणे महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है. वैसे तो मैं बचपन से ही बहुत सेक्सी हूँ मगर दिखता नहीं. मैं अभी 40 साल का हूँ. मैं कोई लेखक नहीं हूँ तो यह मेरी एक सच्ची कहनी है.

वैसे तो 13वें साल से ही मेरी सेक्सी हरकतें शुरू हुई थी, लेकिन कभी चूत में लंड डालने तक मैं पहुँच नहीं पाया था.
मैं जैसे तैसे हाथ से या बिस्तर में तकिए की मदद से काम चलाता रहा.

लेकिन जब से मैं 18 साल का हुआ और कॉलेज जा कर इंजीनियरिंग करने लगा, तब से खुद को संभालना बहुत मुश्किल होने लगा था. बहुत कोशिशों के बावजूद भी कुछ जुगाड़ नहीं हो पा रहा था.

एक दिन मैं अपने अंकल के यहाँ गया था. दोपहर का खाना खा कर वहीं हॉल में मैं बेड बर पड़ा हुआ था. तभी आंटी आई और बोली – मैं ज़रा बाज़ार और मंडी जा रही हूँ, करीब 2 घंटे में वापस आऊँगी. तब तक तुम आराम कर लो और शाम को जब अंकल आएंगे तो उनसे मिल कर फिर जाने का प्रोग्राम बनाना. दीपा (चचेरी बहन) यहीं घर में है, कोई जरूरत हो तो उसे बोल देना.

मैं हां बोल कर बाजू में पड़ी चादर ओढ़ के आँखें बंद कर लिया. दीपा का स्कूल सुबह होता है. उसके एक बहन और दो भाई भी हैं जो दिन भर स्कूल में रहने वाले थे.

आंटी के जाने के पांच मिनट बाद दीपा वहाँ आ गयी और दरवाजे की कुंडी लगा कर सीधा मेरे चादर में आ लेटी. मैं छोटी बहन समझ कर अंदर की ओर सरक के उसको थोड़ी जगह दी ओर चादर भी उसके ऊपर सही से डाल दी.

मैं अंकल की लुंगी पहन कर लेटा था, जो सामने से खुली ही रहती है. चादर के अंदर आते ही अब उसका हाथ सीधा मेरी पतली चड्ढी के ऊपर से मेरे लंड पर आ गया. जिससे एक ही क्षण में मेरे चड्ढी के अंदर तंबू बन गया. अब उसने मेरे लवड़े को सलाहना चालू किया.

जिससे मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. मैं क्या करूं क्या न करूं ये सब कुछ मेरी समझ के बाहर हो गया था. मैं ऐसे ही पड़े रहना सही समझा और फिर दो मिनट में उसका हाथ मेरी चड्ढी नीचे करके मेरे तने हुए लवड़े पर पहुंच गया. मैं सिर्फ़ दर्शक बना रहा.

अगले मिनट ही उसने उठ कर बाजू में रखी तेल की बोतल लेकर अपने हाथ में तेल लगाया और फिर शुरू हो गयी.
यह देख कर मैं हैरान था और सोच रहा था इसको इतना ज्ञान कहां से आया. अपने हाथ से भी मैंने कभी इतनी अच्छी तरह से अपने लवड़े को नहीं हिलाया था.

अब मैं करूं तो क्या करूं? बचपन मैंने बहुत सारी चूतों के ऊपर हाथ फिराया था और यह बचपना समझ के चल भी गया था. लेकिन पिछले 4 साल में मैंने जब से जवानी में क़दम रखा था, तब से मुझे एक भी चूत को टटोलने को नहीं मिला था.

अब अगले दस मिनट में ही मेरा झड़ना एक दम तय था. आखिर फिर मैंने उसके मम्मे पर हाथ डाल ही दिया और फिर 3 – 4 मिनट के बाद मैं उसकी चड्ढी तक जा पहुँचा. उसका काम तो लगातार चालू ही था. उसकी चड्ढी में देखा तो पता चला कि उसके चूत पे अभी- अभी रेशमी बाल उगे थे. उसके बाद जब मैं नीचे की तरफ सरका तो मुझे चूत का दाना मिल गया, उसके थोड़ा और नीचे गया तो मेरे हाथ में जन्नत आ गई. आय हाय! उसे महसूस करके मेरा दिल खुश हो गया.

जैसे ही उसके चूत के होंठों से मेरे हाथ की बीच वाली उंगली लगी, मानो मेरे सारे शरीर में 11 हज़ार वोल्ट की बिजली दौड़ गई हो. इधर लवड़ा रॉड बना हुआ था और कुछ ही देर में पिचकारियाँ मारना शुरू कर दिया. पिचकारियाँ मारते – मारते मेरी कमर बेड से एक फ़ुट ऊपर हो गई और हाथ उसकी कुँवारी चूत के होंठ को रगड़ रहे थे.

अब तो मैं सातवें आसमान पर था. जैसे ही मैं झड़ा मेरे हाथ की स्पीड कम हो गई तो उसने मेरा पानी अपने हाथ में लेकर अपने चूत पर लगाना चालू कर दिया.

मैं समझ गया कि मेरा तो गिर गया लेकिन इसका अभी भी बाक़ी है. फिर मैंने मेरे हाथ की बीच वाली उंगली उसके चूत पर लगाई और अंदर करने लगा, पर वो अंदर नहीं जा पा रही थी. तो मैंने उसके बगल वाली उंगली डालने का प्रयास किया पर वो भी अंदर नहीं जा रही.

अब हाथ की सबसे छोटी वाली उंगली बची थी, तो मैंने उसको भी उसकी चूत पर लगाया, पर हाय राम वो भी अंदर नहीं जा रही थी. अब मैंने थोड़ा प्रेशर लगाना चालू किया पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और रोका दिया. तो मैंने पूंछा – अब क्या करें?

वो बोली – ऐसे ही ऊपर से ही मसलो.

ऊपर से 5 मिनट तक मसलने के बाद वो झड़ गई. मगर इतने में मेरा बाबूराव फिर से खड़ा हो गया. वास्तव में दीपा को भी यही चाहिये था. अब वो बिना पूछे फिर शुरू हो गयी. लेकिन इस बार मेरा लवड़ा कुछ ज्यादा ही टाईम ले रहा था. लगभग 12-13 मिनट के बाद लगने लगा कि अब ये आने को है.

फिर मैं उठ गया और कुछ अलग करने की सोच कर लवड़े को उसके चूत पर लगाया. तभी मेरे को लगा कि मैं अभी जो करने जा रहा हूँ इसके बारे में उसको बताना पड़ेगा, नहीं तो वो डर के मारे चिल्लाएगी. लेकिन मेरे ऊपर उसका भरोसा देख कर मैं भी हैरान था क्योंकि उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी.

अब मैंने अपना लवड़ा उसके चूत पर ऐसे दबाया कि उसको दर्द न हो और मेरा पानी भी बाहर न गिरे. और फिर दूसरे मिनट में सारा माल बिना लवड़ा घुसाए उसके चुत के अंदर चला गया.

उसके बाद क़रीब 5-7 मिनट तक मैं उसके ऊपर पड़ा रहा और मेरा बाबूराव फिर से खड़ा होने वाला था लेकिन ऐसा होने के पहले ही मैं उठ गया. फिर हम दोनों फ्रेश हो गये और ऐसा लगने लगा कि जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं.

आगे भी बहुत सारी लडकियों के साथ मैंने अलग – अलग समय पर अलग – अलग तरीके से सेक्स किया है. वो सारी कहानियां मैं आपको बाद मे बताऊँगा. तब तक के लिए नमस्कार.
 
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