दोस्तो, मेरा नाम मोहित है.. मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, आज मैं अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ।
मैं पी जी में रहता हूँ। पीजी की मालकिन 50 साल की आंटी हैं। उनका लड़का और लड़के की वाइफ भी उनके साथ ही रहती है।
हम सब उनकी बहू को भाभी बुलाते हैं।
भाभी जी देखने में एकदम मस्त माल हैं। पीजी के सारे लड़के उसके नाम की मुठ मारते हैं। उसकी चूचियों का साइज़ 36 इंच है और गाण्ड की तो पूछो ही मत.. साली बोफोर्स तोप जैसी उठी रहती है।
भाभी का पति और उसकी माँ मतलब आंटी दोनों बिज़नेस के लिए राजस्थान जाते रहते हैं और पति तो ज्यादातर वहीं रहता है।
अब आप समझ सकते हैं कि भाभी अपनी चूत की प्यास कैसे पूरी करती होंगी।
अब यहाँ से कहानी शुरू होती है।
वीकेंड पर सब लड़के घर चले जाते हैं.. पर मैं नहीं जाता था तो कुक मेरा लंच बना कर मेरे कमरे में दे देता था।
उस दिन कुक खाना बनाने में लेट हो गया तो मैंने नीचे जाकर भाभी से लंच का पूछा.. तो भाभी बोलीं- तुम यहीं मेरे साथ खाना खा लो.. मुझे भी लंच करना है।
मुझे लगा जैसे आज कुछ तो होगा, मैंने भी ‘हाँ’ कर दी और बोला- आप खाना लगा लो.. मैं फिट हो कर आता हूँ।
भाभी ने एक स्माइल पास की.. जैसे वो जानती थी कि मैं क्या करने जा रहा हूँ।
मैं भाग कर अपने बाथरूम में गया और भाभी के नाम की मुठ मारी और हाथ धोकर खाना खाने आ गया।
भाभी और में एक ही टेबल पर खाना खा रहे थे और सामने टीवी चला रखा था.. जिस पर हॉलीवुड की मूवी चल रही थी।
ये कोई रोमांटिक मूवी थी।
खाना खाते हुए अचानक से हॉट सेक्सी सा सीन आ गया।
मैंने देखा भाभी भी गर्म हो रही थीं.. अचानक से उनकी प्लेट उनके कपड़ों पर गिर गई, वो उठ कर साफ़ करने चली गईं।
दो मिनट बाद भाभी ने मुझे आवाज़ लगाई, मैं अन्दर कमरे में गया तो भाभी ने मुझे तौलिया लाने को बोला।
मैंने तौलिया लाकर दे दिया।
भाभी ने तौलिया लेकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया।
मैं जैसे ही मुड़ने लगा.. तो मैंने देखा कि दरवाजा बंद नहीं हुआ था.. इसलिए दरवाजा अपने आप खुल गया था।
मैंने झाँक के देखा कि भाभी ने सारे कपड़े उतार रखे थे.. क्या मस्त लग रही थीं.. गोरी दूध जैसी.. मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया।
मेरी आँखें भाभी के बदन को घूर रही थीं।
भाभी अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.. और अपने आपको शांत कर रही थीं। मेरी आँखें तो बस भाभी की चूचियों पर ही अटकी हुई थीं।
मैंने अपना लंड पकड़ा हुआ था.. भाभी ने अचानक मुझे देख लिया.. इसका मुझे पता ही नहीं चला।
भाभी एकदम आवाज देते हुए बोलीं- ये क्या कर रहे हो.. तुमको शर्म नहीं आती?
मैंने हिम्मत करके बोला- नहीं आती.. जब आपको शर्म नहीं आती.. तो मुझे क्यों आने लगी।
भाभी हँस दीं और बाहर आते हुए बोलीं- मैं तो कब से तेरा इंतजार कर रही थी।
यह बोल कर वो मुझसे चिपक गईं और रोने लगीं, वो बोलीं- तेरे भैया तो घर पर रहते ही नहीं हैं.. बिज़नेस के लिए बाहर ही बने रहते हैं और मैं प्यासी रह जाती हूँ।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, आज मैं अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ।
मैं पी जी में रहता हूँ। पीजी की मालकिन 50 साल की आंटी हैं। उनका लड़का और लड़के की वाइफ भी उनके साथ ही रहती है।
हम सब उनकी बहू को भाभी बुलाते हैं।
भाभी जी देखने में एकदम मस्त माल हैं। पीजी के सारे लड़के उसके नाम की मुठ मारते हैं। उसकी चूचियों का साइज़ 36 इंच है और गाण्ड की तो पूछो ही मत.. साली बोफोर्स तोप जैसी उठी रहती है।
भाभी का पति और उसकी माँ मतलब आंटी दोनों बिज़नेस के लिए राजस्थान जाते रहते हैं और पति तो ज्यादातर वहीं रहता है।
अब आप समझ सकते हैं कि भाभी अपनी चूत की प्यास कैसे पूरी करती होंगी।
अब यहाँ से कहानी शुरू होती है।
वीकेंड पर सब लड़के घर चले जाते हैं.. पर मैं नहीं जाता था तो कुक मेरा लंच बना कर मेरे कमरे में दे देता था।
उस दिन कुक खाना बनाने में लेट हो गया तो मैंने नीचे जाकर भाभी से लंच का पूछा.. तो भाभी बोलीं- तुम यहीं मेरे साथ खाना खा लो.. मुझे भी लंच करना है।
मुझे लगा जैसे आज कुछ तो होगा, मैंने भी ‘हाँ’ कर दी और बोला- आप खाना लगा लो.. मैं फिट हो कर आता हूँ।
भाभी ने एक स्माइल पास की.. जैसे वो जानती थी कि मैं क्या करने जा रहा हूँ।
मैं भाग कर अपने बाथरूम में गया और भाभी के नाम की मुठ मारी और हाथ धोकर खाना खाने आ गया।
भाभी और में एक ही टेबल पर खाना खा रहे थे और सामने टीवी चला रखा था.. जिस पर हॉलीवुड की मूवी चल रही थी।
ये कोई रोमांटिक मूवी थी।
खाना खाते हुए अचानक से हॉट सेक्सी सा सीन आ गया।
मैंने देखा भाभी भी गर्म हो रही थीं.. अचानक से उनकी प्लेट उनके कपड़ों पर गिर गई, वो उठ कर साफ़ करने चली गईं।
दो मिनट बाद भाभी ने मुझे आवाज़ लगाई, मैं अन्दर कमरे में गया तो भाभी ने मुझे तौलिया लाने को बोला।
मैंने तौलिया लाकर दे दिया।
भाभी ने तौलिया लेकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया।
मैं जैसे ही मुड़ने लगा.. तो मैंने देखा कि दरवाजा बंद नहीं हुआ था.. इसलिए दरवाजा अपने आप खुल गया था।
मैंने झाँक के देखा कि भाभी ने सारे कपड़े उतार रखे थे.. क्या मस्त लग रही थीं.. गोरी दूध जैसी.. मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया।
मेरी आँखें भाभी के बदन को घूर रही थीं।
भाभी अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.. और अपने आपको शांत कर रही थीं। मेरी आँखें तो बस भाभी की चूचियों पर ही अटकी हुई थीं।
मैंने अपना लंड पकड़ा हुआ था.. भाभी ने अचानक मुझे देख लिया.. इसका मुझे पता ही नहीं चला।
भाभी एकदम आवाज देते हुए बोलीं- ये क्या कर रहे हो.. तुमको शर्म नहीं आती?
मैंने हिम्मत करके बोला- नहीं आती.. जब आपको शर्म नहीं आती.. तो मुझे क्यों आने लगी।
भाभी हँस दीं और बाहर आते हुए बोलीं- मैं तो कब से तेरा इंतजार कर रही थी।
यह बोल कर वो मुझसे चिपक गईं और रोने लगीं, वो बोलीं- तेरे भैया तो घर पर रहते ही नहीं हैं.. बिज़नेस के लिए बाहर ही बने रहते हैं और मैं प्यासी रह जाती हूँ।