नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम संदीप है, यह कहानी आधा सच और आधा झूठ है, पर यह तो तय है कि इस कहानी के शुरू से अंत तक आप लोगों का लंड और चूत सुलगती ही रहेगी और कई बार पानी भी छोड़ देगी।
यह सेक्स कहानी कई भागों में बंटी हुई है.. पर हर भाग अपने आप में पूर्ण है।
कहानी उस समय की है जब मेरी उम्र बीस वर्ष थी और मैं बी.एस.सी. फाइनल का छात्र था। मुझे कॉलेज में सब चॉकलेटी ब्वॉय कहते थे, मेरा रंग गोरा और शरीर सामान्य है। मेरी ऊंचाई 6 फिट और वैभव की ऊंचाई मेरी ऊंचाई से थोड़ी कम है.. वो एक गोरा और सुंदर सा लड़का था।
मैं एक किराए के मकान में अपने दोस्त वैभव के साथ रहता था, जो मेरे ही क्लास में पढ़ता था।
एक साल पहले फर्स्ट इयर में एक खूबसूरत लड़की ने प्रवेश लिया। उस तीखे नैन-नक्श 5.3 इंच हाईट वाली सुंदर गोरी लड़की का नाम भावना था, उसका फिगर 32-24-32 था।
उस गदराए हुए शरीर की लड़की को देखते ही मैंने ठान लिया था कि इसकी चूत में अपना लंड घुसा कर ही रहूँगा।
कॉलेज की सभी लड़कियों की तरह वो भी मुझे देखती थी।
मैंने उसके करीब जाने की कोशिश की, मगर बात नहीं बनी.. बस एक-दो बार नोट्स को लेकर बातें हुईं। इसी बातचीत में मैंने उसका और उसने मेरे घर का पता पूछ लिया। वो मेरे रूममेट को भी पहचानने लगी थी।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे.. लेकिन मुझे धीरे-धीरे लगने लगा कि मैं उससे प्यार करता हूँ। इसलिए मैं भावना को पाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
हमारे कॉलेज में एक फंक्शन था.. जिसमें कुछ गेम्स भी होने थे। सीनियर होने की वजह से कॉलेज के सभी फंक्शन और गेम्स की तैयारी हमारा ग्रुप ही करता था।
एक गेम चिट निकालने वाला था और उस चिट में लिखे हुए टास्क को पूरा करना था।
उसमें भावना ने भी हिस्सा लिया था, मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने गेम से पहले ही भावना को पीला कार्ड उठाने कह दिया।
अब गेम के समय भावना ने पीला कार्ड उठा कर पढ़ा और पढ़ कर स्टेज पर ही रोने लगी।
सबने पूछा कि टास्क क्या है, पर वो कुछ नहीं बोली और स्टेज से उतर गई।
सब उसे चिढा़ने और हँसने लगे।
सफेद सलवार कुर्ती और प्रिंटेड लाल दुपट्टे में गुस्से और शर्म से लाल भावना हॉल से बाहर चली गई।
मुझे अपनी गलती का अहसास था.. क्योंकि मैंने ही उस पीले कार्ड में टास्क लिखा था कि अपने ऊपर का कपड़ा हटा कर वाक करो.. और वो इसी वजह से रोने लगी थी, उसने किसी को कुछ नहीं कहा।
अब मैं उसी की सोच में डूबा हुआ फंक्शन निपटा कर घर आया और थकावट मिटाने के लिए नहाने चला गया।
मैं बाथरूम से निकला ही था कि मुझे सामने भावना नजर आई.. उसे देखते ही मेरे होश उड़ गए।
इस वक्त मैंने तौलिया के अलावा कुछ नहीं पहना था। वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
मैंने कहा- अरे भावना तुम.. आओ अन्दर बैठो।
उसने वैभव की तरफ देखते हुए कहा- आप बाहर जाइए!
वैभव बिना कुछ बोले निकल गया।
वैभव के बाहर जाते ही उसने रूम में कदम रखा।
भावना ने कहा- तुम जानते हो संदीप मैं स्टेज पर क्यों रोई?
मैंने बिना कुछ बोले अपनी नजरें झुका लीं।
यह सेक्स कहानी कई भागों में बंटी हुई है.. पर हर भाग अपने आप में पूर्ण है।
कहानी उस समय की है जब मेरी उम्र बीस वर्ष थी और मैं बी.एस.सी. फाइनल का छात्र था। मुझे कॉलेज में सब चॉकलेटी ब्वॉय कहते थे, मेरा रंग गोरा और शरीर सामान्य है। मेरी ऊंचाई 6 फिट और वैभव की ऊंचाई मेरी ऊंचाई से थोड़ी कम है.. वो एक गोरा और सुंदर सा लड़का था।
मैं एक किराए के मकान में अपने दोस्त वैभव के साथ रहता था, जो मेरे ही क्लास में पढ़ता था।
एक साल पहले फर्स्ट इयर में एक खूबसूरत लड़की ने प्रवेश लिया। उस तीखे नैन-नक्श 5.3 इंच हाईट वाली सुंदर गोरी लड़की का नाम भावना था, उसका फिगर 32-24-32 था।
उस गदराए हुए शरीर की लड़की को देखते ही मैंने ठान लिया था कि इसकी चूत में अपना लंड घुसा कर ही रहूँगा।
कॉलेज की सभी लड़कियों की तरह वो भी मुझे देखती थी।
मैंने उसके करीब जाने की कोशिश की, मगर बात नहीं बनी.. बस एक-दो बार नोट्स को लेकर बातें हुईं। इसी बातचीत में मैंने उसका और उसने मेरे घर का पता पूछ लिया। वो मेरे रूममेट को भी पहचानने लगी थी।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे.. लेकिन मुझे धीरे-धीरे लगने लगा कि मैं उससे प्यार करता हूँ। इसलिए मैं भावना को पाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
हमारे कॉलेज में एक फंक्शन था.. जिसमें कुछ गेम्स भी होने थे। सीनियर होने की वजह से कॉलेज के सभी फंक्शन और गेम्स की तैयारी हमारा ग्रुप ही करता था।
एक गेम चिट निकालने वाला था और उस चिट में लिखे हुए टास्क को पूरा करना था।
उसमें भावना ने भी हिस्सा लिया था, मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने गेम से पहले ही भावना को पीला कार्ड उठाने कह दिया।
अब गेम के समय भावना ने पीला कार्ड उठा कर पढ़ा और पढ़ कर स्टेज पर ही रोने लगी।
सबने पूछा कि टास्क क्या है, पर वो कुछ नहीं बोली और स्टेज से उतर गई।
सब उसे चिढा़ने और हँसने लगे।
सफेद सलवार कुर्ती और प्रिंटेड लाल दुपट्टे में गुस्से और शर्म से लाल भावना हॉल से बाहर चली गई।
मुझे अपनी गलती का अहसास था.. क्योंकि मैंने ही उस पीले कार्ड में टास्क लिखा था कि अपने ऊपर का कपड़ा हटा कर वाक करो.. और वो इसी वजह से रोने लगी थी, उसने किसी को कुछ नहीं कहा।
अब मैं उसी की सोच में डूबा हुआ फंक्शन निपटा कर घर आया और थकावट मिटाने के लिए नहाने चला गया।
मैं बाथरूम से निकला ही था कि मुझे सामने भावना नजर आई.. उसे देखते ही मेरे होश उड़ गए।
इस वक्त मैंने तौलिया के अलावा कुछ नहीं पहना था। वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
मैंने कहा- अरे भावना तुम.. आओ अन्दर बैठो।
उसने वैभव की तरफ देखते हुए कहा- आप बाहर जाइए!
वैभव बिना कुछ बोले निकल गया।
वैभव के बाहर जाते ही उसने रूम में कदम रखा।
भावना ने कहा- तुम जानते हो संदीप मैं स्टेज पर क्यों रोई?
मैंने बिना कुछ बोले अपनी नजरें झुका लीं।