[color=rgb(0,]ग्यारहवाँ भाग[/color]
[color=rgb(51,]सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, "अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया"
" चोरी?.." मैं खुद से दोहराते हुए बोला।
"हां, आदिति के गहने चोरी हो गए हैं। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।
"अरे उन जैसी लड़कियों का यही काम होता है। उस जैसी लड़की तो सबसे पहले किसी अमीर लड़के को फंसाती हैं फिर उसके घर वालों के सामने अच्छे बनने का नाटक भी करती हैं और उसके घर आती जाती रहती हैं फिर मौका देखकर सारा माल उड़ा ले जाती हैं।" सुजाता मौसी बोली।
पहले तो सुजाता मौसी की बात सुनकर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। आखिर मौसी कहना क्या चाहती थी मगर फिर उनकी इसी बात को बार-बार दोहराते रहने कारण मैं समझ गया था कि उनक इशारा दीपा की तरफ था।
शायद वह मेरे घर वाले को यह बताना चाह रही थी कि दीपा ही आदिति भाभी के सारे गहने लेकर चंपत हो गई है।
आदिती भाभी के तीन लाख के गहने गायब हो चुके थे।
मुझे तो अब भी भरोसा नहीं हो रहा था कि सुजाता मौसी दीपा पर ऐसा इल्जाम लगा सकती हैं।
"निशांत बेटा दीपा के फोन लगाकर उससे गहने के बारे में पूछो। " मेरी मां रोयासी (रोतेज जैसे ) आवाज में बोली।
" मां दीपा चोरी के बारे में क्या बताएगी उसे कैसे मालूम होगा गहनों के बारे में?" मैंने मां से बोला।
"जब गहने लेकर वो गई है, चोरी उसने की है। तो गहनों के बारे में और कौन बताएगी?" सुजाता मौसी मुझसे बोली।
मौसी की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
"मौसी आपका दिमाग तो खराब नहीं है ना ? दीपा के बारे में कैसी बातें कर रही हैं आप " मैं इस बार गुस्से में बोला था।
"ओ ...हो... निशांत तुम्हें गुस्सा आ रहा है। अरे अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है जो लोगों को सही से पहचान सको ?" मौसी ताने- मारती हुई बोली। उसके बाद वह अपननी चेहरा दूसरी तरफ फेर ली।
" निशांत दीपा को कॉल कीजिए" आदिति भाभी बोली।
"भाभी आप भी.....?"
मेरी बात पूरी होने से पहले ही अर्जुन भैया बोले, "दीपा से बात कर लो शायद उन्हें गहने के बारे में कुछ जानकारी हो
सारे घरवालों की बात सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ और मौसी पर और ज्यादा गुस्सा आने लगा, क्योंकि कहीं न कहीं उनकी बातों का असर घर के सभी लोगों पर थोड़ा बहुत हुआ था।
भैया का यह बात सुनकर मैंने इस बार सभी के चेहरों की तरफ देखा। उन सभी लोगों के शक की सुई दीपा पर ही जा रही थी।
मैं दीपा के बारे में कुछ सोच ही रहा था कि तभी मेरे कानों में भाभी की आवाज सुनाई पड़ी।
"दीपा क्या तुम इस वक्त मेरे घर आ सकती हो?" भाभी फोन पर दीपा से बात कर रही थी।
"क्यों दी (दीदी ) क्या हुआ? आप अचानक से मुझे इस वक्त क्यों बुला रही है? सब खैरियत तो है ना ?" दीपा एक ही साँस में ये सारी बाते बोल दी।
"बस तुम अभी घर आ जाओ। मैं तुम्हें सब बताती हूं।" आदिति भाभी बोली।
"ठीक है दी(दीदी ), मैं आधे घंटे में पहुंचती हूं।" दीपा ने यह बोलकर फोन काट दिया।
सब लोग कुछ देर तक मौन रहे फिर मैं बोला, " भैया हम बिना किसी सही जानकारी के सिर्फ शक के आधार से दीपा पर चोरी का इल्जाम कैसे लगा सकते हैं ? अगर उसने यह सब नहीं किया हो तो?"
निशांत मैं दीपा को अच्छी तरह से जानता हूं। वह ऐसी लड़की नहीं हैं। वह कभी भी चोरी नहीं कर सकती है। बस इन लोगों के संतुष्टि के लिए उसे यहां आने दो।" अर्जुन भैया बोले।
"ठीक है।" मैंने बोला।
दीपा आधे घंटे के अंदर ही हम लोगों के बीच मेरे घर में खड़ी थी
आदिती दी ( दीदी) आपने इतनी जल्दी मुझे बुलाया। क्या बात करनी थी? बताइए मैं आ गई हूं।" दीपा आते ही आदिती भाभी से बोल पड़ी।
"दीपा कल रात मेरे सारे गहने चोरी हो गए हैं।" आदिति भाभी बोली।
" क्या?.. आप के गहने चोरी हो गए हैं ? आपने अपने गहने कहां रखे थे? " दीपा चौकते हुए बोली।
"ओहो... कैसी अनजान होकर बोल रही है? ...आपने गहने कहां रखा था?" सुजाता मौसी मुंह बनाती हुई बोली।
सुजाता मौसी की बात सुनकर दीपा को भी थोड़ा थोड़ा शक हो गया कि शायद सुजाता मौसी उसे ही चो समझ रही हैं।
"सुजाता मौसी आप कहना क्या चाहती हैं? दीपा सुजाता मौसी से बोली।[/color]
[color=rgb(0,]साथ बने रहिए।[/color]
[color=rgb(51,]सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, "अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया"
" चोरी?.." मैं खुद से दोहराते हुए बोला।
"हां, आदिति के गहने चोरी हो गए हैं। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।
"अरे उन जैसी लड़कियों का यही काम होता है। उस जैसी लड़की तो सबसे पहले किसी अमीर लड़के को फंसाती हैं फिर उसके घर वालों के सामने अच्छे बनने का नाटक भी करती हैं और उसके घर आती जाती रहती हैं फिर मौका देखकर सारा माल उड़ा ले जाती हैं।" सुजाता मौसी बोली।
पहले तो सुजाता मौसी की बात सुनकर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। आखिर मौसी कहना क्या चाहती थी मगर फिर उनकी इसी बात को बार-बार दोहराते रहने कारण मैं समझ गया था कि उनक इशारा दीपा की तरफ था।
शायद वह मेरे घर वाले को यह बताना चाह रही थी कि दीपा ही आदिति भाभी के सारे गहने लेकर चंपत हो गई है।
आदिती भाभी के तीन लाख के गहने गायब हो चुके थे।
मुझे तो अब भी भरोसा नहीं हो रहा था कि सुजाता मौसी दीपा पर ऐसा इल्जाम लगा सकती हैं।
"निशांत बेटा दीपा के फोन लगाकर उससे गहने के बारे में पूछो। " मेरी मां रोयासी (रोतेज जैसे ) आवाज में बोली।
" मां दीपा चोरी के बारे में क्या बताएगी उसे कैसे मालूम होगा गहनों के बारे में?" मैंने मां से बोला।
"जब गहने लेकर वो गई है, चोरी उसने की है। तो गहनों के बारे में और कौन बताएगी?" सुजाता मौसी मुझसे बोली।
मौसी की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
"मौसी आपका दिमाग तो खराब नहीं है ना ? दीपा के बारे में कैसी बातें कर रही हैं आप " मैं इस बार गुस्से में बोला था।
"ओ ...हो... निशांत तुम्हें गुस्सा आ रहा है। अरे अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है जो लोगों को सही से पहचान सको ?" मौसी ताने- मारती हुई बोली। उसके बाद वह अपननी चेहरा दूसरी तरफ फेर ली।
" निशांत दीपा को कॉल कीजिए" आदिति भाभी बोली।
"भाभी आप भी.....?"
मेरी बात पूरी होने से पहले ही अर्जुन भैया बोले, "दीपा से बात कर लो शायद उन्हें गहने के बारे में कुछ जानकारी हो
सारे घरवालों की बात सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ और मौसी पर और ज्यादा गुस्सा आने लगा, क्योंकि कहीं न कहीं उनकी बातों का असर घर के सभी लोगों पर थोड़ा बहुत हुआ था।
भैया का यह बात सुनकर मैंने इस बार सभी के चेहरों की तरफ देखा। उन सभी लोगों के शक की सुई दीपा पर ही जा रही थी।
मैं दीपा के बारे में कुछ सोच ही रहा था कि तभी मेरे कानों में भाभी की आवाज सुनाई पड़ी।
"दीपा क्या तुम इस वक्त मेरे घर आ सकती हो?" भाभी फोन पर दीपा से बात कर रही थी।
"क्यों दी (दीदी ) क्या हुआ? आप अचानक से मुझे इस वक्त क्यों बुला रही है? सब खैरियत तो है ना ?" दीपा एक ही साँस में ये सारी बाते बोल दी।
"बस तुम अभी घर आ जाओ। मैं तुम्हें सब बताती हूं।" आदिति भाभी बोली।
"ठीक है दी(दीदी ), मैं आधे घंटे में पहुंचती हूं।" दीपा ने यह बोलकर फोन काट दिया।
सब लोग कुछ देर तक मौन रहे फिर मैं बोला, " भैया हम बिना किसी सही जानकारी के सिर्फ शक के आधार से दीपा पर चोरी का इल्जाम कैसे लगा सकते हैं ? अगर उसने यह सब नहीं किया हो तो?"
निशांत मैं दीपा को अच्छी तरह से जानता हूं। वह ऐसी लड़की नहीं हैं। वह कभी भी चोरी नहीं कर सकती है। बस इन लोगों के संतुष्टि के लिए उसे यहां आने दो।" अर्जुन भैया बोले।
"ठीक है।" मैंने बोला।
दीपा आधे घंटे के अंदर ही हम लोगों के बीच मेरे घर में खड़ी थी
आदिती दी ( दीदी) आपने इतनी जल्दी मुझे बुलाया। क्या बात करनी थी? बताइए मैं आ गई हूं।" दीपा आते ही आदिती भाभी से बोल पड़ी।
"दीपा कल रात मेरे सारे गहने चोरी हो गए हैं।" आदिति भाभी बोली।
" क्या?.. आप के गहने चोरी हो गए हैं ? आपने अपने गहने कहां रखे थे? " दीपा चौकते हुए बोली।
"ओहो... कैसी अनजान होकर बोल रही है? ...आपने गहने कहां रखा था?" सुजाता मौसी मुंह बनाती हुई बोली।
सुजाता मौसी की बात सुनकर दीपा को भी थोड़ा थोड़ा शक हो गया कि शायद सुजाता मौसी उसे ही चो समझ रही हैं।
"सुजाता मौसी आप कहना क्या चाहती हैं? दीपा सुजाता मौसी से बोली।[/color]
[color=rgb(0,]साथ बने रहिए।[/color]