दूसरी सुबह मैं फिर अपने टाईम पर उठा और रसोई की तरफ चाय की उम्मीद से चल पड़ा। लेकिन यह क्या… आज रसोई में कोई नहीं था, नीलू का कमरा भी बन्द था और अन्दर की लाईट भी बन्द थी।
मेरी सोच के अनुसार दोनों ने देर रात तक एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लिया है, इसी वजह से सो रहे होंगे।
मैं सोच ही रहा था कि तभी नीलू दरवाजा खोलकर बाहर आई और मेरी सोच की मुद्रा को तोड़ते हुए बोली- जीजाजी, कहाँ खो गये?
‘कहीं नहीं!’ मैंने जल्दी से उत्तर दिया- बस चाय बनाने के लिये जा रहा था।
नीलू नहा धोकर एकदम तैयार थी, रसोई में जाकर वो चाय बनाने लगी और मैं उसके पास खड़ा होकर उसको चाय बनाते हुए देख रहा था। चाय बनाते हुए क्या, उसके जिस्म से उठने वाली खुशबू को अपने नथुनों में भरने की कोशिश कर रहा था, उसके मादक जिस्म से निकलने वाली खुशबू मुझे मादकता के चादर में लपेटे जा रही थी।
चाय बनाने के बाद वहीं खड़े होकर हम दोनों चाय पीने लगे।
फिर वो बाकी का काम निपटाने में लग गई।
सात बजे के करीब सभी लोग मेरे कमरे में चाय पीने के लिये एकत्र हुए, चाय पीते हुए मुकेश ने जाने की बात उठाई। मैं जानता तो सब था, लेकिन मैं अपनी बीवी का रिऐक्शन देखना चाह रहा था।
साला गया पर उसकी बीवी रुक गई
मुकेश ने हमें आज रात की ट्रेन से अपने जाने की सूचना दी। उसकी बात सुनते ही मेरी बीवी मेरी तरफ देखने लगी, फिर मुकेश से बोली- अभी दो दिन ही हुए आये हुए… जरा एक-दो दिन और रूक जाते तो मुझे और अच्छा लगता।
मुकेश बोला- काफी दिनों से मैं घर से निकल कर कहीं जाना जा रहा था तो मैं यहाँ आ गया, अब काम पर वापस जाना है।
मेरी बीवी एक बार फिर बोली- एक दो दिन और रूक जाते तो अच्छा होता, नीलू और तुम्हारे आने से मुझे थोड़ी सांत्वना मिल रही है। कम से कम दोपहर में मेरे साथ बात कर लेते हो। नहीं तो पूरी दोपहर बिस्तर पर लेटे ही गुजार देती हूँ।
मुकेश बोला- दीदी मेरी तो मजबूरी है, अगर नीलू रूकना चाहे तो रूक सकती है।
चूंकि नीलू को यहाँ रूकना था, उसने झट से हामी भर दी।
तभी मैंने मुकेश से कहा- तुम्हारी मर्जी से नीलू जब तक रूकना चाहे रूक सकती है और जब वो कहेगी तो मैं उसे वापस छोड़ दूंगा।
सभी मेरी बात से सहमत हो गये।
फिर मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और ऑफिस पहुँच कर अपने ड्राईवर को अपने घर भेजा ताकि वो दोनों को शहर घुमा दे और ड्राईवर को पैसे भी साथ में दे दिये ताकि दोनों को अपने से कोई खर्च नहीं उठाना पड़े।
शाम को ऑफिस छूटते समय ड्राईवर ऑफिस पहुँच गया, नीलू और मुकेश दोनों साथ में थे और फिर वहाँ से हम लोग घर आ गये।
घर पहुंच कर एक बार फिर नीलू ने रसोई संभाल ली और मुकेश अपने जाने की तैयारी करने लगा।
रात के करीब ग्यारह बजे की गाड़ी थी, खाना खा पीकर मैं मुकेश को छोड़ने स्टेशन चला गया और मेरे आने तक नीलू मेरी बीवी के कमरे में बैठकर उससे बातें कर रही थी।
आने के बाद पांच मिनट तक हम सभी साथ बैठे और उसके बाद नीलू को अपनी बीवी के साथ ही सोने के लिये कह कर मैं दूसरे कमरे में आ गया।
मेरी सोच के अनुसार दोनों ने देर रात तक एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लिया है, इसी वजह से सो रहे होंगे।
मैं सोच ही रहा था कि तभी नीलू दरवाजा खोलकर बाहर आई और मेरी सोच की मुद्रा को तोड़ते हुए बोली- जीजाजी, कहाँ खो गये?
‘कहीं नहीं!’ मैंने जल्दी से उत्तर दिया- बस चाय बनाने के लिये जा रहा था।
नीलू नहा धोकर एकदम तैयार थी, रसोई में जाकर वो चाय बनाने लगी और मैं उसके पास खड़ा होकर उसको चाय बनाते हुए देख रहा था। चाय बनाते हुए क्या, उसके जिस्म से उठने वाली खुशबू को अपने नथुनों में भरने की कोशिश कर रहा था, उसके मादक जिस्म से निकलने वाली खुशबू मुझे मादकता के चादर में लपेटे जा रही थी।
चाय बनाने के बाद वहीं खड़े होकर हम दोनों चाय पीने लगे।
फिर वो बाकी का काम निपटाने में लग गई।
सात बजे के करीब सभी लोग मेरे कमरे में चाय पीने के लिये एकत्र हुए, चाय पीते हुए मुकेश ने जाने की बात उठाई। मैं जानता तो सब था, लेकिन मैं अपनी बीवी का रिऐक्शन देखना चाह रहा था।
साला गया पर उसकी बीवी रुक गई
मुकेश ने हमें आज रात की ट्रेन से अपने जाने की सूचना दी। उसकी बात सुनते ही मेरी बीवी मेरी तरफ देखने लगी, फिर मुकेश से बोली- अभी दो दिन ही हुए आये हुए… जरा एक-दो दिन और रूक जाते तो मुझे और अच्छा लगता।
मुकेश बोला- काफी दिनों से मैं घर से निकल कर कहीं जाना जा रहा था तो मैं यहाँ आ गया, अब काम पर वापस जाना है।
मेरी बीवी एक बार फिर बोली- एक दो दिन और रूक जाते तो अच्छा होता, नीलू और तुम्हारे आने से मुझे थोड़ी सांत्वना मिल रही है। कम से कम दोपहर में मेरे साथ बात कर लेते हो। नहीं तो पूरी दोपहर बिस्तर पर लेटे ही गुजार देती हूँ।
मुकेश बोला- दीदी मेरी तो मजबूरी है, अगर नीलू रूकना चाहे तो रूक सकती है।
चूंकि नीलू को यहाँ रूकना था, उसने झट से हामी भर दी।
तभी मैंने मुकेश से कहा- तुम्हारी मर्जी से नीलू जब तक रूकना चाहे रूक सकती है और जब वो कहेगी तो मैं उसे वापस छोड़ दूंगा।
सभी मेरी बात से सहमत हो गये।
फिर मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और ऑफिस पहुँच कर अपने ड्राईवर को अपने घर भेजा ताकि वो दोनों को शहर घुमा दे और ड्राईवर को पैसे भी साथ में दे दिये ताकि दोनों को अपने से कोई खर्च नहीं उठाना पड़े।
शाम को ऑफिस छूटते समय ड्राईवर ऑफिस पहुँच गया, नीलू और मुकेश दोनों साथ में थे और फिर वहाँ से हम लोग घर आ गये।
घर पहुंच कर एक बार फिर नीलू ने रसोई संभाल ली और मुकेश अपने जाने की तैयारी करने लगा।
रात के करीब ग्यारह बजे की गाड़ी थी, खाना खा पीकर मैं मुकेश को छोड़ने स्टेशन चला गया और मेरे आने तक नीलू मेरी बीवी के कमरे में बैठकर उससे बातें कर रही थी।
आने के बाद पांच मिनट तक हम सभी साथ बैठे और उसके बाद नीलू को अपनी बीवी के साथ ही सोने के लिये कह कर मैं दूसरे कमरे में आ गया।