आओ ना फिर देर किस बात की

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं विस्काश अपनी नए शहर से आई हुई दीवानी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जोकि मेरी बहुत बड़ी दीवानी बन चुकी थी | उसका नाम प्रीतिका था था और वो अपनी दोस्तों से मेरे बारे में दिनभर तारीफें करती हुई बातें किया करती थी जिसकी मुझे पूरी खबर रहा करती थी | मुझे पता चल चूका था की वो मेरी बहुत बड़ी दीवानी थी क्यूंकि मैं ही अपने दोस्तों में से सबसे ज्यादा सुन्दर और डोल्ले वाला लड़का था | जब मुझे पहली बार एक लड़की ने यह बात बताई की प्रीतिका मुझे चुदने की उमंग रखती है तो जैसे मैं पगला ही गया और अगले दिन से ही उसके चुत के शिकार पर निकल पड़ा | मैंने भी अब इधर - उधर की बात करते हुए अपने प्यार में फस लिया और अपने कुछ ज्यादा ही करीब भी ले आया |

हम जैसे चुदायी के पढाव पर बिलकुल उतार ही चुके थे और मैंने अगले दिन ही अपने दोस्त से कहकर उसके खाली पड़े रूम को २ घंटे के लिए मांग लिया जिसपर उसने भी मुझे मना ना किया | मैंने अगले दिन प्रीतिका को अपने सतह कुहक हसीन अप्ल बिताने के लिए अपने दोस्त के घर में ले आया | वो अंदर आते ही कहने लगी की क्यूँ मेरे राजा . ..आज क्या करने का प्लान है जिसपर अमीन उसे झटकर अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसकी जाँघों को सहलाता हुए मस्त में गरमा गर्म कर दिया फिर उसकी गर्दन को चूमता उसके होठों को चूसना शुर कर दिया | वो भी मुझे उत्तेजित होती हुई सहयोग देने लगी और मेर होठों को चूमने लगे |

मैंने मौका पाते हुए उसके टॉप को भी उतार दिया और उसके दुदों को पकड़कर मसलते हुए चूसने लगा | मैंने उसके दुदों को चींचते हुए उसके और अपने पूरे कपडे उतारते हुए नंगी कर लिपटने लगा और कुछ पल में ही अपने कपड़ों को भी उतार उसे वहीँ चुदाई के बिस्तर पर भी लिटा दिया | मैंने अब प्रीतिका की नरम जाँघों को सहलात हुए उसकी टांगों की पंखुड़ियों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर मलने लगा जिसपर जब उसकी बेताबी बढ़ी तो वो मेरे लंड को लेने के लिए बुरी तरह से तडपने लगी | मैंने भी अब अचानक से झटके से अपने लंड को ज़ोरदार झटकों के सतह उसकी चुत के अंदर देने लगा | प्रीतिका दर्द के मारे चींखें भरती हुई अपनी गांड को मेरे लंड के उप्पर मटकाने लगी जिसपर मैं भी ज़बरदस्त धक्कों के सतह अपने लंड को उसकी चुत में डूबाता चला गया |

हम कड़ी देर तक उसके होठों को पीते और चुचों को मसलते हुए उसे पोसिशन में उसकी चुत को पेला और फिर उसे उलटा मुड़ा लिया | अब मैंने प्रीतिका की गांड की तरफ से उसकी चुत को चोदना शुर कर दिया जिसपर उसकी सिस्कारियां थमने का नाम ही नहीं ले रहा थी साथ ही मेरे लंड की तेज रफ़्तार भी घटने का नाम नहीं ले रही थी | मैंने किसी पागल सांड की तरह हाँफते हुए अपने मुठ को चि उसकी गांड पर ही छोड़ दिया और वहीँ लेटे हुए उसकी गांड को चूमने लगा |
 
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