एक मुलाकत जरूरी है जानम

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Antarvasna, desi kahani: मेरा परिवार गांव में ही रहता है मैं हरियाणा का रहने वाला हूं गांव में हम लोग खेती बाड़ी करके अपना गुजारा चलाते हैं। पिताजी भी अब बूढ़े होने लगे थे और मैंने भी जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी लेकिन वह चाहते थे कि मैं किसी अच्छी कंपनी में जाकर नौकरी करूं वह नहीं चाहते थे कि मैं उनकी तरह किसान बनूँ इसीलिए उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम अपने लिए कहीं नौकरी तलाश कर लो। मैंने उन्हें कहा कि लेकिन मैं आपको छोड़कर नहीं जाना चाहता परंतु उनकी जिद के आगे मेरी एक ना चली और मुझे नौकरी की तलाश में दिल्ली आना पड़ा। दिल्ली में मेरे मामा जी ने मेरी मदद की वह दिल्ली काफी वर्षों से रह रहे हैं और उनकी ही मदद से मेरी नौकरी एक कंपनी में लग चुकी थी। वहां पर मुझे जब पहले महीने की तनख्वाह मिली तो मैं बहुत ज्यादा खुश था मैंने उसमें से कुछ पैसे घर भिजवा दिए थे मेरे पिताजी बड़े ही खुश हुए।

मैं दिल्ली में ही नौकरी करने लगा था काफी समय से मैं अपने गांव नहीं गया था तो मैं अपने गांव चला गया कुछ दिनों तक मैं गांव में ही रुका और उस दौरान मुझे काफी अच्छा लगा। उसके बाद मैं वापस दिल्ली लौट आया था और अपनी नौकरी पर मैं पूरा ध्यान दे रहा था। ऑफिस में ही मेरी दोस्ती गौतम के साथ हो गई थी गौतम दिल्ली का ही रहने वाला है और वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन चुका था मैं गौतम के साथ उसके घर पर भी कई बार जा चुका था। एक दिन गौतम और मैं अपने ऑफिस के बाहर ही खड़े थे हम लोग अपने ऑफिस से काम खत्म कर के बाहर खड़े होकर एक दूसरे से बात कर रहे थे तो गौतम मुझे कहने लगा चलो हम लोग घर चलते हैं मैंने उसे कहा ठीक है। गौतम ने मुझे कहा कि रोहित मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूं मैंने उसे कहा ठीक है और गौतम ने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया फिर वह वहां से जा चुका था।

गौतम चला गया और उसके बाद मैं अपने घर चला गया जब मैं अपने घर पहुंचा तो वहां पर मैंने देखा कि हमारी कॉलोनी में कोई झगड़ा कर रहा था लेकिन मैं उस चक्कर में ना पढ़कर अपने रूम में ही बैठा हुआ था। मैंने अपने पापा को फोन किया और उनसे मैंने काफी देर तक फोन पर बात की उनसे बात करने के बाद जैसे ही मैंने फोन रखा तो मुझे मेरे मामा जी का फोन आ गया। जब उनका फोन मुझे आया तो वह कहने लगे की रोहित बेटा तुम कहां हो तो मैंने उन्हें कहा मामा जी मैं तो अभी अपने रूम में हूं वह कहने लगे बेटा क्या तुम कल हमारे घर पर आ सकते हो। मैंने उन्हें कहा मामा जी क्या कुछ जरूरी काम है तो वह कहने लगे कि कल ममता का जन्मदिन है और हम लोगों ने उसका जन्मदिन मनाने की सोची है। मैंने मामा जी से कहा ठीक है मामा जी मैं कल आपके पास आ जाऊंगा और अगले दिन मैं ऑफिस से मामा जी के घर चला गया। मैं जब मामा जी के घर पर गया तो वह लोग भी होटल में जाने की तैयारी कर रहे थे क्योंकि उन्होंने सारा अरेंजमेंट होटल में ही करवा रखा था तो मैं भी उनके साथ होटल में चला गया। वहां पर सब कुछ बहुत ही अच्छे से व्यवस्था मामा जी ने की हुई थी ममता का जन्मदिन हम सब लोगों ने अच्छे से सेलिब्रेट किया और उस दिन मैं मामा जी के घर पर ही रुक गया। अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो मैंने मामा जी से कहा मामा जी मैं बाहर टहल आता हूं तो वह कहने लगे कि ठीक है। बेटा मैं कुछ देर के लिए उनके घर के बाहर ही पार्क में टहलने के लिए चला गया और जब मैं वापस लौटा तो मैं अपने ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा मामी ने मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था और मैं नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकल गया। मैं उस दिन जब ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे घर लौटने में देर हो गई। ज्यादा काम होने की वजह से मुझे अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था और मैं अपने पिताजी को भी फोन नहीं कर पाया था। काफी दिनों बाद जब मैंने उन्हें फोन किया तो उनसे मेरी बात हुई, उनसे मैंने काफी देर तक फोन पर बात की वह मुझे कहने लगे कि रोहित बेटा क्या तुम ठीक हो तो मैंने उन्हें कहा हां पिताजी मैं तो ठीक हूं।

वह मुझे कहने लगे रोहित बेटा काफी दिन हो गए थे तुमने हमें फोन भी नहीं किया था तो मैंने उन्हें कहा हां आज कल मुझे अपने ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मैं आपको फोन नहीं कर पाया। मैंने उन्हें कहा कि क्या सब कुछ ठीक चल रहा है तो वह मुझे कहने लगे हां सब कुछ ठीक चल रहा है भला मुझे क्या परेशानी होगी तुम्हारी मां भी अच्छे से हैं। मैंने उन्हें कहा कि मैं जल्दी छुट्टी लेकर कुछ दिनों के लिए गांव आ जाऊंगा वह कहने लगे ठीक है बेटा तुम कुछ दिनों के लिए गांव आ जाना हमें भी अच्छा लगेगा। बात हो जाने के बाद मैंने फोन रख दिया था। मैं कुछ दिनो के लिए अपने गांव चला गया मैं जब अपने गांव गया तो उस दिन मेरी मुलाकात वहां पर सुहानी से हुई सुहानी हमारे गांव में अपने किसी रिश्तेदार के घर पर आई हुई थी वह दिल्ली की ही रहने वाली है इसलिए मेरी उससे काफी अच्छी बनने लगी। जब मैं दिल्ली लौटा तो मैं सुहानी को फोन करने लगा और उससे बातें होने लगी मेरी और सुहानी की अक्सर बातें होती रहती थी।

एक दिन फोन पर मैंने उससे उसके फिगर का साइज पूछ लिया था उसने मुझे कहा कि तुम खुद ही आकर देख लेना जब उसने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं उसके घर पर गया। पहले मुझे काफी डर लग रहा था लेकिन सुहानी घर पर अकेली थी हम दोनों के लिए अच्छा मौका था मुझे नहीं मालूम था कि वह मेरे साथ सेक्स संबंध बनाना चाहती है जब वह मेरे साथ सेक्स संबंध स्थापित करने वाली थी तो मै बड़ा खुश हो गया था और जल्द ही मै उसकी चूत मारने वाला था। मैंने सुहानी से कहा कि मैं तुम्हारी चूत मारना चाहता हूं तो वह भी मेरे लिए तड़पने लगी थी उसने अपने कपड़ों को मेरे सामने खोल दिया सुहानी का बदन देखकर मैं उसके स्तनों को दबाने लगा। जब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था तो मेरा लंड खड़ा हो रहा था उसने उसे अपने हाथों में लिया और हिलाना शुरू कर दिया जब वह अपने हाथों से हिला रही थी तो मुझे मजा आ रहा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था काफी देर तक वह मेरे लंड को हिलाती रही उसके बाद उसने अपने मुंह के अंदर समा लिया। जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मुझे मजा भी आने लगा था। वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिससे कि मेरे अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी मेरे अंदर कि आग अब इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने सुहानी को कहा कि मैं तुम्हारी चूत के अंदर लंड को डालना चाहता हूं। मैंने जब उसकी पैंटी को नीचे उतारकर उसकी गुलाबी चूत को देखा तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैंने उसकी गुलाबी चूत को चाटना शुरु कर दिया था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया उसके बाद उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो उसने अपने पैरों के बीच में मुझे जकडना शुरू कर दिया और मेरे अंदर की आग उसने पूरी तरीके से बढा कर रख दी। मैंने जब अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसना शुरू किया तो उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड बड़ी आसानी से चला गया वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कसकर पकड़ने लगी। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया था लेकिन उसने मेरी कमर पर नाखूनो के निशान लगा दिए थे जिसके बाद और ज्यादा मजा आने लगा था।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को थोड़ा सा खोलो उसने अपने पैरों को खोल दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था जिसके बाद तो मैंने उसे इतनी तीव्र गति से धक्का देना शुरू कर दिया कि उसकी सिसकारियां में बढ़ोतरी हो रही थी और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा अधिक हो चुका था। उसकी चूत से पानी निकलने लगा था और मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैंने उसके अंदर की आग पूरी तरीके से बढा दी थी उसकी आग बहुत ही अधिक हो चुकी थी मुझे मजा आने लगा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने उसे कहा अब मैं तुम्हें घोड़ी बनाकर चोदना चाहता हूं उसने भी मुझे कहा तुम अपने लंड को बाहर निकाल लो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसके बाद मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया मेरा लंड अंदर की तरफ जाते ही वह जोर से चिल्लाई और मेरा लंड उसकी योनि को फडाता हुआ अंदर तक जा चुका था। अब मैं उसे बडे ही तेजी से धक्के मार रहा था और जिस तरह मैं उसे धक्के मार रहा था उससे मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ चुकी थी लेकिन उसके अंदर की गर्मी भी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मेरे अंदर कहीं ना कहीं एक अलग ही फीलिंग पैदा हो गई मैं चाहता था कि उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिरा दू और मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया। हम दोनों एक दूसरे को खुश कर दिया करते ना तो मैं सुहानी से प्यार करता था और ना ही सुहानी मुझसे प्यार करती थी।
 
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