कॉलेज कल्टी मार भुजायी चुत की बत्ती

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नमस्ते दोस्तों,

आज मैं वीरू आपको अपनी अपनी बसंती यानी एक कॉलेज की सहेली की कहानी सुनाने जा रहा हूँ | कोलीगे में हमारा दोस्तों का बहुत ही बड़ा ग्रुप बन गया था और बहुत अच्छे दोस्त भी बा गए थे | हमारे ग्रुप में ३ लड़कियां थी रो हम कुछ लड़के जिनमें से मेरा एक आकंशी नाम की लड़की पर निशान था | एक दिन हम सब अपने कॉलेज की कल्टी मार के कहीं बहार घूमने का बहाना बनाया जहाँ मैंने अपनी उस सहेली के साथ प्यार भउजाई या यूँ समझो अँधेरे में उसकी चुत रंगीन की | हम अपने शहर के मशहूर पार्क में गए थे जहाँ एक अँधेरी गुफा भी थी |

वहाँ जाते ही पहले तो हमने खूब मस्ती की फिर कहीं एक जगह बैठकर बातें करते हुए कुछ खान - पान करने लगे | उसके कुछ देर बाद ही हमारे दोस्त जल्दबाजी में और मस्ती करने चल पड़े | बातों - बातों मैं और आकंशी वहीँ रह गए तभी मैंने उसके नयी - नयी जगह पर घूमने का फैसला किया और वहीँ उसके साथ बात करते घूमने लगा | हम इतने अच्छे - खासे घुले हुए थे की मैं उसका हाथ पकड़ कर घूम रहा था | मुझसे अचानक वहाँ अँधेरी गुफा दिखाई दी जिसे सब भूत की गुफा कहा करते थे | मैंने तभी मस्त - बाज़ी में उत्तेजित होते हुए उसका हाथ पकड़ उस गुफा के अंदर ले गया |

शुरू - शुरू में तो हमें कुछ नहीं धिकायी दे रहा था तभी मैंने उसके साथ चलते हुए एक कोने में रुक गया जिससे अब कुछ ही देर में हल्का - हल्का धिकने लगा | अब अंदर हम दूसरों को आते जाते देख सकते थे पर हमें कोई नहीं देखा सकता था | मैंने अब उसके हाथ को पकड़ते हुए अपने बाहों में लपेट लिया जिसपर अब उसने उस अँधेरे में कोई आपत्ति भी नहीं जताई | मैंने कुछ ही देर उसके होठों को चूसते हुए उसके चुचों को भींचना शुरू कर दिया और च्यूंकि वो भी इतनी नशे में चुर जो चुकी थी मुझे मना ना कर पाई | उसने उप्पर हल्का सा तोप पहना हुआ तह और नीचे एक छोटी सी स्कर्ट |

मैंने अब अपने हाथ उसके तोप के अंदर डालते हुए उसके चुचों को भींचने लगा और कुछ ही देर में उसके तोप को भी उप्पर की और उठा दिया और उसके चुचों को नीचे झुकते हुए चूसने लगा | हमें इस काम - क्रीडा में मज़ा आ रहा था की मेरा अचानक ध्यान उसकी चुदाई के ऊपर चल पड़ा | वो भी अब खूब नशे में थी इसीलिए मैंने उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ उसकी चुत के उप्पर ही ऊँगली करने लगा | कुछ देर बाद जब उसने भी कोई रोक टोक ना जताई तो मैंने उसकी पतली से पैंटी को खोल अपने हाथ में ले लिया और पीछे जेब में डाल दिया | अब आकंशी अपनी स्कर्ट के नीचे बिलकुल की नंगी खड़ी थी मेरे सामने |

मैंने फटाफट उसे अपनी गौद में उठाया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के सहर लपेटने को कहा | उसकी नंगी चुत अब मेरे लंड के सामने ही थी इसीलिए मैंने भी अपनी पैंट को नीचे करते हुए उसे नीचे से पने के झटकों से चोदना शुरू कर दिया | उस दोपहर के मौसम में वैसे भी कोई आने - जाने वाला था नहीं इसीलिए मैंने खूब मज़े में और जमकर वहीँ उसकी चुत चुदाई की | कुछ देर बाद मैंने उसे नीचे उतारा और उसे अपने लंड मसलने को कहा | उसके हाथ के कुछ देर के स्पर्श से मेरा मुठ भी निकल पड़ा और इस बहाने मेरी प्यास भुज गयी |
 
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