दोस्तो बात देसी जोड़ी के सेक्स की आती है तो मैं बिना कुछ बोले बस लंड को तनाये उत्तेजित हो जाया करता हूँ | मैं कहानी आपको अपनी महबूबा की सुनाने जा रहा हूँ और वो मेरी महबूबा भी उस वक्त बनी जब चुदाई के लिए बेसबर हुआ जा रहा था | उसका नाम दोस्तों पिंकी था और वो मेरे कॉलेज में ही ३ वर्षीय की पढाई कर रही थी | वैसे तो हम रोज कॉलेज में दो तीन बार - बात कर ही लेते थे पर उस दिन का वक्त कुछ और था | हम दिन रोमाटिक फिल्मों की बात कर रहे थे तो ज़ाहिर तौर पर हमारे अंदर भी रोमांस जागना लाज़मी था | हमारी टीचर उस दिन बीमार थी और कॉलेज के आखिर वक्त में हम एक साथ यूँही बैठकर बात कर रहे थे |
अचानक से जब मैं उससे रोमांटिक फिल्मों के यौन विषय पर आया तो छुट्टी हो गयी पर हम दोनों नहीं रुके और वहीँ बैठकर बात कर रहे थे | कुछ ही देर में पूरी कक्षा खाली हो गयी और हम दोनों अंदर ही अकेले बच गए थे | मैं उसकी हथेली को शेलाते हुए उसकी आँखों में अपनी आँखों को डाल और हमारे बीच की दुरी पलभर में बिलकुल घाट चुकी थी | हमारे मन में अजब सी उमंग जागने लगी और मैंने उसे पिंकी को अपनी बाहों में लेकर अपने प्यार का इज़हार कर दिया और जब उसने भी हामी भी हामी दी तो मैंने उसके होठों को चूम लिया |
मैं अब पिंकी के साथ रोमांटिक होता चूमकर मज़े ले रहा था और वो भी मेरा सहयोग जताते हुए मुझे चूम होंठ चुसाई का आनंद ले रही थे | मैं गरम ओ चूका था और बिना रुके उसकी कुर्ती को उतार उससे लिपट कर उसके चुचों के पीने लगा और वो कामवासना में मिस्मिसाने | उसके चुचों को मैंने साईज मानो दुगना कर चूका था | उसके गोरे चुचे किसी दूद के पैकेट की तरह लग रहे थे | मैंने अब उसकी सलवार को नीचे से खोलते हुए उसकी चुत की फांकों में अपनी उँगलियों को देना शुरू कर दिया | पिंकी की भी अब चुत गीली होने में समय बिलकुल भी ना लगा |
मैंने पिंकी को अब वहीं टेबल पर लुटाया और उसकी चुत पर थूक को मलते हुए अपने लंड को उसकी चुत में किसी देसी जोड़ी की सेक्स की तरह ज़ोरों के धक्के से घुसा दिया जिससे उसकी दर्द भरी सिसकियाँ निकल रही थी | मैं उसकी चुत में बराबर ऊँगली कर रहा था और उसका दर्द काम होने लगा था | मैंने भी पिंकी को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी पूरा का पूरा हो रहा था और वो मज़े के मारा झटपटा रही थी | उसकी बदन की सिकुडन में भी अब स्खलित को होने की कगार पर आ चूका तह और पलभर में मन भी झड पड़ा | उस दिन से पिंकी मेरी महबूबा बन चुकी थी और हम दोनों अब किसी इंडियन कामुक फिल्मों की तरह सेक्स के अनंत सुख का मज़ा एक साथ लुटा करते थे |
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मैं आपसे ज़रूर जाना पसंद करूँगा दोस्तों . .!!
अचानक से जब मैं उससे रोमांटिक फिल्मों के यौन विषय पर आया तो छुट्टी हो गयी पर हम दोनों नहीं रुके और वहीँ बैठकर बात कर रहे थे | कुछ ही देर में पूरी कक्षा खाली हो गयी और हम दोनों अंदर ही अकेले बच गए थे | मैं उसकी हथेली को शेलाते हुए उसकी आँखों में अपनी आँखों को डाल और हमारे बीच की दुरी पलभर में बिलकुल घाट चुकी थी | हमारे मन में अजब सी उमंग जागने लगी और मैंने उसे पिंकी को अपनी बाहों में लेकर अपने प्यार का इज़हार कर दिया और जब उसने भी हामी भी हामी दी तो मैंने उसके होठों को चूम लिया |
मैं अब पिंकी के साथ रोमांटिक होता चूमकर मज़े ले रहा था और वो भी मेरा सहयोग जताते हुए मुझे चूम होंठ चुसाई का आनंद ले रही थे | मैं गरम ओ चूका था और बिना रुके उसकी कुर्ती को उतार उससे लिपट कर उसके चुचों के पीने लगा और वो कामवासना में मिस्मिसाने | उसके चुचों को मैंने साईज मानो दुगना कर चूका था | उसके गोरे चुचे किसी दूद के पैकेट की तरह लग रहे थे | मैंने अब उसकी सलवार को नीचे से खोलते हुए उसकी चुत की फांकों में अपनी उँगलियों को देना शुरू कर दिया | पिंकी की भी अब चुत गीली होने में समय बिलकुल भी ना लगा |
मैंने पिंकी को अब वहीं टेबल पर लुटाया और उसकी चुत पर थूक को मलते हुए अपने लंड को उसकी चुत में किसी देसी जोड़ी की सेक्स की तरह ज़ोरों के धक्के से घुसा दिया जिससे उसकी दर्द भरी सिसकियाँ निकल रही थी | मैं उसकी चुत में बराबर ऊँगली कर रहा था और उसका दर्द काम होने लगा था | मैंने भी पिंकी को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी पूरा का पूरा हो रहा था और वो मज़े के मारा झटपटा रही थी | उसकी बदन की सिकुडन में भी अब स्खलित को होने की कगार पर आ चूका तह और पलभर में मन भी झड पड़ा | उस दिन से पिंकी मेरी महबूबा बन चुकी थी और हम दोनों अब किसी इंडियन कामुक फिल्मों की तरह सेक्स के अनंत सुख का मज़ा एक साथ लुटा करते थे |
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मैं आपसे ज़रूर जाना पसंद करूँगा दोस्तों . .!!