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आपने पहले भाग अनजानी चुत -२ में पढा कैसे मुझे ट्रैन में मेरा प्यार मिला। अब उसके आगे.. घर पहुँचते ही मैंने भक्ती को फोन घुमाया और उससे उसका हाल-चाल पूछने लगा। वो बहुत जल्द घर पहुंच गई थी, क्योंकि उसका घर शहर में ही था और मुझे शहर से थोडा दूर आना पडता अपने घर आने के लिए। अब मुझे भी लगने लगा कि, अपनी भी सेक्स लाइफ होगी।

मैंने जैसे ही उससे पूछा, "कैसी हो ? आराम से पहुंची तो, कोई तकलीफ तो नही हुई घर जाने में?"

तो वो बोलने लगी, "हम अभी ज्यादा से ज्यादा डेढ घंटे पहले तक तो साथ में ही थे, और मुझे इतने समय में क्या हो सकता है। मैं बिलकुल ठीक हूँ, वैसे जनाब इतनी चिंता क्यों?"

अब प्यार का इजहार तो हो ही चूका था, तो मैंने सीधे बोल दिया, "क्योंकि मैं नही चाहता कि, मेरी गर्लफ्रेंड को कोई तकलीफ हो।"

इसपर भक्ती हंसने लगी और बोली, "मैं तुम्हे अभी से मिस कर रही हूँ। पता नही कब और कैसे मिल पायेंगे?"

मैंने भी उसको बोल दिया कि, "तुम कब फ्री हो बता दो, मैं आ जाऊंगा। अब तो मुझे भी तुम्हारे बिना नही रहा जा रहा है।"

तो उसने कहा, "हाँ, मैं जल्द से जल्द मिलने का प्लान बनाकर तुम्हे बता दूंगी। और फिर जल्द ही मिलेंगे।" फिर ऐसे ही थोडी इधर उधर की बातें करके फोन काट दिया और घर पे सबसे बातों में लग गया। घर में सबसे मिलने के बाद, मैं फ्रेश होकर आराम करने के लिए बोलकर अपने रूम में आ गया। रातभर सोया नही था, तो पता ही नही चला कब नींद आ गई। जब उठा तो देखा, भक्ती के सत्ताईस मिस्ड कॉल और बारा मेसेज थे। मैंने टाइम देखा तो चार बज रहे थे। मैं सुबह दस के करीब सोया था और इसी बीच उसके इतने मिस्ड कॉल और मैसेज देखकर मैं घबरा गया। मुझे लगा कुछ इमरजेंसी है, तो मैंने तुरंत उसको फोन लगाया तो उधर से अचानक भक्ती के रोने की आवाज आई, मुझे लगा अब तो पक्का कुछ प्रॉब्लम हुआ है, जो वो मुझसे तब से बात करना चाहती थी, लेकिन मैं घोडे बेचकर सो रहा था। भक्ती बोलने लगी, "कहाँ थे तुम इतनी देर तक? मैं तुमसे बात करने के लिए कबसे तडप रही थी और तुम हो कि मुझे भाव ही नही देते।" फिर मैंने उसे सब कहानी सुनाई, तो मुझे पता चला कि, वो मुझसे कल ही मिलना चाहती थी। उसने कहा, "मेरी एक दोस्त है रूपा उसके यहाँ कल एक छोटी सी पार्टी है, तो उसने मुझे और तुम्हे दोनों को बुलाया है।" मैंने कहा, "यार मैं तो उसे जानता तक नही, तो मैं कैसे आ सकता हूँ?" मेरी इस बात पर भक्ती कहने लगी, "वो मेरी बहुत खास दोस्त है, मैंने उसे हम दोनों के बारे में बताया तो उसने कहा कि मैं तुमको भी कल अपने साथ लेती आऊं। और वो भी तुमसे मिलना चाहती है।" अब मैं उसकी इस बात पर कुछ नही कह सकता था, मेरा भी मन था उससे मिलने का तो मैंने कहा, "ओके फिर मिलते है कल। लेकिन मैं कहाँ आऊं मुझे तो उसके घर का पता मालुम नही है।" भक्ती हंसने लगी और बोली, "अरे मेरे प्यारे जानू, मैं किसलिए हूँ, मैं तुम्हे सब बता दूंगी कल सुबह। अब तो ठीक है ना?" तो इसके साथ कुछ दूसरी बातें भी हुई और कॉल काट दी। अब तो मेरे मन में लड्डू फुट रहे थे, और मुझे कल की सुबह का अब बडी बेसब्री से इंतजार होने लगा था। ये खयाल ही मुझे बडा सुहाना लगने लगा कि कल मैं उससे मिलने वाला हूँ, इस विचार में ही एक मीठी सी चुभन थी जो मेरे दिल को हरबार खुश कर देती थी। मैं इसी खयाल में डूबा था कि, मेरी माँ मेरे कमरे में आई और मुझे उठा हुआ देखकर खाने के लिए बोलने लगी। मैं दो मिनट में आया बोलकर माँ को रूम से भेज दिया और फिर से भक्ती के खयाल में खो गया। मैं सोचने लगा कि, कल उससे कैसे मिलूंगा, मिलके वो कैसे बात करेगी। तभी माँ ने फिर से आवाज लगाई तो मैं खयाल से बाहर आकर खाने के लिए चल दिया। उसके बाद ऐसे ही इधर उधर के कामों में और सबसे मिलते हुए ही रात हो गई। और फिर मैं रात में अपने रूम जाकर कल के लिए कपडे निकालकर बाहर रखे और कल के बारे में सोचते हुए बेड पर आराम से लेटकर सोने की कोशिश करने लगा था। सुबह भक्ती के कॉल से ही मेरी निंद खुली, तो दिन की शुरुआत ही इतनी बढिया हो तो दिन के क्या कहने। फिर उसने कहा आना है, वो मुझे कहा मिलेगी और कैसे क्या प्लान है पुरे दिन का उसने मुझे बता दिया और समय से आने को बोला। वो मुझे एक बस स्टॉप पे मिलने वाली थी। तो मैं उठके पूरा तैयार होकर दस बजे के आसपास अपनी गाडी लेकर घर से निकल गया। मेरे घर से उसने जो जगह मिलने के लिए बताई थी, वो आधे घंटे के दुरी पर थी तो मैं सही समय से पहुँच गया। भक्ती पहले से वहां मेरा इन्तजार कर रही थी। वहां जितने भी लडके खडे थे, वो उन सब पर कयामत ढा रही थी। उसने हल्के पिंक कलर का क्रॉप टॉप पहना था और नीचे जीन्स थी। इस ड्रेस में उसका पूरा फिगर एकदम साफ दिख रहा था और उसने हल्का सा मेकअप भी कीया था, उसका पूरा ड्रेस एकदम फिट था उसके शरीर पे जो उसे और भी हॉट बना रहा था।
मुझे देखते ही वो मेरी तरफ आई, मैंने भी उसके पास जाकर गाडी रोक दी। वो पास आते ही मैने उसे बोला, "आज तो बहुत हॉट लग रही हो यार।" भक्ती बोली, "अच्छा, थैंक यू लेकिन अब मस्का मारने की जरूरत नही है। चलो जल्दी हमें लेट हो रहा है।" तो मैंने उसे गाडी पे बैठने बोला और हम उसके दोस्त रूपा के घर की तरफ निकल लिए। मैंने रास्ते में भक्ती से पूछा कि, "भक्ती, एक बात बताओ वैसे उसके घर में पार्टी किस खुशी में है?" वो बोली, "उसने आज उसके बहुत खास दोस्तों को ही बुलाया है, पार्टी के लिए। मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया तो उसने कहा, उसे भी ले आओ। यहाँ तुम भी मजे कर लेना और इसी बहाने तुम मिल भी लोगे मेरी दोस्त से।" वहां से दस मिनट के अंदर ही हम रूपा के घर पहुंच गए। भक्ती ने आगे होकर डोरबेल बजाई, कुछ दो मिनट बाद दरवाजा खुला। दरवाजा खुलते ही एक और हसीन सा चेहरा सामने आया। वो भी ऐसे लग रही थी कि मन कर रहा था बस उसे खा जाऊँ। दरवाजा खुलते ही भक्ती ने अंदर जाकर जिसने दरवाजा खोला, उससे गले मिली। और फिर मुझसे उसका इंट्रो करवाया, तब जाकर मुझे पता चला वो उसकी दोस्त रूपा थी। घर के अंदर से गाने की आवाज आ रही थी। रूपा हमसे मिलकर हमें घर के अंदर ले गई। अंदर का नजारा देखकर मैं तो बहुत दंग रह गया। अंदर उसके कुछ चार दोस्त और थे, स्पीकर पे मस्त गाने चल रहे है, एक टेबल पे दारू के पेग बनाके रखे थे और बीच बीच में सब पेग मारके स्पीकर के सामने जाकर नाचने लगते थे। उन सबने मिलाके उस घर को कोई पब जैसे ही सजा के रखा था और दिख भी वैसे ही रहा था। घर के अंदर आने के बाद सबसे मेरा इंट्रो करवाया और विकी ने एक पेग उठाकर सीधे मेरे मुंह से लगा दिया और मुझे वो पीना ही पडा। थोडी ही देर में मैं वहां के माहौल में समा गया और अब सब धीरे धीरे दारु के नशे में लग रहे थे। इसी बीच मुझे पता चला कि, रूपा के दोस्त उसके घर ले पिछले दो दिन से रुके हुए थे और उसके घरवाले मतलब माँ और पापा टूर पे गये थे और रूपा कोई बहाना बनाके पीछे रुक गई। और अभी तीन दिन उसके घर में वो अकेली ही रहने वाली थी। नाचते हुए पेग मारना और फिर आकर नाचो, और अगर कोई बिच में बैठ जाए तो उसको उठा के लेकर आने में सब हाथ बटाते थे। अब तो सारे नाचते हुए किसीके चुतड़ों पे हाथ घुमाते थे, कभी चुचियां पकडकर मसल दिया करते। लड़कियां भी मस्त होकर मजे ले रही थी। सब पर नशा सा होने लगा था। धीरे धीरे अब सबके ऊपर दारु का नशा दिखने लगा था। भक्ती भी मुझसे जरा ज्यादा ही चिपकने लगी और उसके साथ रूपा भी मेरे करीब आने की कोशिश करने लगी। जो कि मेरे लिए बहुत अजीब था। तो मैंने अपनी बाहों को भक्ती के गले मे डालकर उसे अपने से चिपकाकर डांस करने लगा। कभी मै उसके चूचों को सहलाता तो कभी चुतड़ों को और जब इतने से मन नही भरा, तो बीच मे किस भी कर लेता था। अगले भाग में लिखूंगा हमारा मिलन कैसे हुआ, और क्या क्या हुआ। आप कमेंट्स सेक्शन में बताइए आपको कहानी कैसी लगी।
 
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