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नमस्कार मित्रों मै विजय आज आपके सामने अपनी एक काल्पनिक कहानी लेकर आया हूं, उम्मीद करता हूं, कि आप सभी को यह कहानी पसंद आए। इस कहानी में पढिए कैसे ठंड की वजह से सफर करते हुए दो अजनबी पास आ गए। और फिर यही दो सफर के साथी एक रात के लिए बिस्तर के साथी बन गए।

अब मै आपका अधिक समय ना लेते हुए सीधे कहानी पर आता हूं।

मेरा नाम विजय है, मै २८ साल का एक नौजवान हूं। रोज जिम जाकर अपने शरीर को और बलिष्ठ बनाने की कोशिश करता हूं, शरीर अच्छा होने से मेरी पर्सनालिटी भी अच्छी लगती है सबको। मेरी अब तक शादी नही हुई है।

मै एक कंपनी में नौकरी करता हूं, और काम के सिलसिले में मुझे अक्सर बाहर घूमने का मौका मिलता रहता है। अब काम ही ऐसा है कि, आपको ऑफिस से ज्यादा समय बाहर रहना पडता है।

उस समय दिसंबर चल रहा था, और ठंड अपने जोरो पर थी। हर बार की तरह मुझे अपने काम से दिल्ली जाना था, लेकिन पहले से कोई प्लान ना होने से रिजर्वेशन नही मिल पाया था। तो मुझे जनरल बोगी में ही सफर करना था।

ट्रेन के समय से थोडा पहले मै स्टेशन पर पहुंच गया। सफर में रात बित जानी थी, और अगली सुबह मै दिल्ली में पहुंचने वाला था। अब बस एक ही चीज मन मे थी, कि किसी तरह यह रात का सफर निकल जाए। और ऊपर से ठंड भी बहुत ज्यादा थी।

ट्रेन के आते ही किसी तरह मै ऊपर चढ गया और एक सीट पर बैठ गया। सब जल्दबाजी में इधर उधर भागकर अपने लिए सीट लेने में व्यस्त थे।

मेरे बगल में भी किसी ने अपना रुमाल बिछा दिया था। कुछ देर बाद, जब थोडी शांती हुई, और सब अपनी अपनी जगह पर बैठ गए, तब एक सुंदर लडकी आकर मेरे पास बैठ गई।

वो लडकी दिखने में बिल्कुल काजोल की तरह दिखती थी, उसका शरीर भी मस्त गदराया हुआ था। रंग दूध सा गोरा, ऐसे लग रहा था कि, अगर हाथ लगाओ तो उसका रंग मैला हो जाएगा।

ट्रेन ठीक आठ बजे निकलने वाली थी, लेकिन फिर कुछ तकनीकी खराबी की वजह से आधा घंटा लेट हो गई। जैसे ही ट्रेन ने अपनी गती पकड ली, वैसे ही अब ट्रेन में भी हवा आने लगी। हवा के छूते ही पूरे बदन में ठंड की वजह से एक सिरहन सी दौड जाती थी।

कुछ ही देर में सब लोगों ने अपनी चादर निकालकर ओढना शुरू कर दिया, मैने भी अपनी चादर निकाली और ओढने लगा। तभी मेरी नजर मेरी बगल में बैठी हुई लडकी पर गई, वो भी ठंड से कांप रही थी, लेकिन वो अपने ओढने का कुछ प्रबंध नही कर रही थी।

मुझे लगा कि, उसके पास चादर नही है। तो मैने उससे कहा, "मेरे पास एक ही चादर है, अगर आप चाहो तो हम दोनों इसमें आराम से आ सकते है।"

पहले तो उसने मना कर दिया लेकिन मेरे बार बार कहने पर वो मान गई। वैसे भी ठंड से उसका बुरा हाल हो रहा था। उसने एक टॉप और जीन्स पहना हुआ था। ठंड से बचने के लिए उसके पास कुछ नही था।

फिर धीरे धीरे हमारी बातें शुरू हुई, बातों बातों में उसने अपना नाम काजोल बताया।

तो मैंने भी उसे कह दिया कि, "आप काजोल की तरह ही दिखती है, और नाम भी काजोल वाह।"

कजोल मेरे मुंह से तारीफ सुनकर शरमाने लगी थी। तो मैने ऐसे ही उसकी और तारीफ करना शुरू कर दी। यहां मै आप सभी से एक बात कहना चाहूंगा कि, लडकियों को उनकी तारीफ बहुत पसंद आती है, तो जब भी तारीफ करो, जमकर करो।

फिर कुछ देर हमारी ऐसे ही बातें चलती रही, जैसे जैसे रात अंधेरी हो रही थी, वैसे वैसे बोगी के अंदर के सारे लोग सोने लगे थे। हम दोनों को भी अब नींद आ रही थी। तो हम भी बैठे बैठे ही सीट को टेक लगाकर सोने लगे।

रात में मेरी नींद खुली, तो देखा काजोल मेरे कंधे पर अपना सर रखकर सो रही थी। उसके हाथ मेरी छाती पर थे, और वो मुझे अपने से पूरा चिपकाकर सो रही थी। शायद उसे ठंड ज्यादा लग रही थी।

मैने एक बार उसकी तरफ देखा, उसकी आंखें बंद थी। तो मैने उसके चेहरे को अपनी हथेली में भर लिया, जैसे ही मैने उसके चेहरे को हाथ लगाया, मैं हैरान रह गया। वो पूरी तरह से ठंडी पड चुकी थी।

तो मैने उसे बिना जगाए ही अपने हाथ को उसके गाल पर रगडने लगा। जिससे उसे थोडी गर्मी मिले, लेकिन उसे इतनी सी गर्मी से कुछ नही हो रहा था। कुछ देर तक मै उसको ऐसे ही रगडते हुए गर्मी दे रहा था।

मेरे ऐसा करने से उसकी नींद टूट चुकी थी, और अब वो उठकर बैठी थी। लेकिन उसे ठंड बहुत जोरों से लग रही थी। उसका पूरा बदन कांप रहा था।

तो मैने जल्दी से ट्रेन में इधर उधर दौडकर टी. टी. को ढूंढा और उसे सारी बात बताने के बाद कहा कि, हमे कोई सीट दे दो।

उन्होंने भी जल्दी ही हमे सीट दे दी, वो भी फर्स्ट क्लास ए सी के।

फिर मै अगले स्टेशन पर जैसे तैसे करके काजोल को वहां जनरल बोगी से ए सी की बोगी में ले आया। टी टी ने वहां पहले से ही तापमान बढा कर रखा था।

बाहर के मुकाबले अंदर थोडी गर्माहट ज्यादा थी। जो कि काजोल के लिए अच्छा था। मैने जल्दबाजी में टी टी को कहा था कि, मै इसका पती हूं।

सीट पर जाकर हम दोनों बैठ गए। मैने अपनी चादर काजोल को ओढा दी, तो उसने मुझे भी अंदर बुला लिया। हम फिर से दोनों बैठ गए, अब यहाँ मैने पर्दा भी लगा दिया था ताकि कोई अंदर ना देख पाए।

जैसे ही मै काजोल के पास पहुंचा, उसने सीधे अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया।

पहले तो मै कुछ भी नही समझ पाया, तो काजोल में कहा, "मुझे बहुत जोर की ठंड लगी है, और अब मुझे किसी भी हाल में गर्मी चाहिए।"

तब जाकर मै समझ गया कि, काजोल ने अपना इरादा बना लिया है, मुझसे चुदने का।

तो मैने भी आगे बढकर उसके होठों पर एप्ने होंठ रख दिए और उसके रसीले होंठ चूसने लगा। काजोल ने तो सीधे मेरे कपडे उतारने शुरू कर दिए। वो पहले मेरा शर्ट उतारने लगी, शर्ट के बाद फिर पैंट और चड्डी दोनों एकसाथ ही खींचकर निकाल दिया उसने।

मैने भी अब चादर को साइड में रख दिया और उसके टॉप के अंदर अपना हाथ घुसाकर उसकी चूचियों को मसलने लगा। मेरे ऐसा करने सेउस्को भी मजा आने लगा था। वो भी पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी।

अब मैने भी उसका टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके उरोजों को अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा। काजोल ने अब उसका हाथ मेरी लंड पर लाकर रख दिया और थोडी ही देर में वो मेरे लंड को अब अच्छी तरह से मसलने लगी थी।

अब हम दोनों ही एक-दूसरे के बदन के साथ खेलकर मजे कर रहे थे। काजोल भी अब चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी।

कुछ ही देर में मैने उसकी जीन्स को भी निकाल दिया और फिर पैंटी को नीचे खिसकाकर उसकी चुत पर अपना मुंह रख दिया। उसकी चुत बहुत ही रसीली थी, उसकी चुत से पानी बहना रुक ही नही रहा था।

फिर अपनी जीभ को उसकी चुत की दरार में घुसाकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, जिस वजह से अब वो भी अपनी कमर को हिलाने लगी थी।

मैने उसकी चुत चूसते हुए ही उसकी चुत में अपनी एक उंगली घुसा दी, और उसे अंदर बाहर करने लगा। मेरे ऐसा करने से उसके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हुई, तो मैने उसके मुंह पर अपना यह रख दिया।

अब मैने उठकर उसको ठीक से लिटाया और उसके ऊपर आते हुए अपने लंड को उसकी चुत के दरार पर रख दिया। फिर ऊपर से हल्का सा दबाव बनाते ही मेरा लौडा सटाक से उसकी चुत के अंदर शामिल हो गया।

अब मैने उसके होठों को कैद कर लिया और नीचे जोर जोर से धक्के लगाने लगा। उसके होंठ बंद होने से उसकी आवाज मुंह के अंदर ही दब रही थी। थोडी ही देर में वो भी अब नीचे से अपनी कमर उचकाते हुए मुझसे अपनी चुत चुदवा रही थी।

कुछ देर ऐसे ही धक्के मारने के बाद हम दोनों ही एकसाथ झड गए। मैने अपना सारा वीर्य उसकी चुत के अंदर ही छोड दिया। कुछ देर तक हम नंगे ही एक-दुआरे की बाहों में पडे रहे। फिर उठकर कपडे पहन लिए, और सब ठीक करके अपने अपने स्टेशन पर हम उतर गए।

कहानी कैसी लगी कमेंट करके बताना। धन्यवाद।
 
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