नई दुल्हिनियां चूत में नथुनियां [भाग 1]

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हाय दोस्तों, मेरा नाम दिवाकर है और मैं पटना बिहार का रहने वाला हूं। मेरे को नयी नयी दुल्हनों की चूत बेहद पसंद है और अगर वो ताजी ताजी मिल जाये तो बहुत ही बढिया है। अब क्या बताउं मेरे ही घर में एक नयी नयी दुल्हन आ चुकी थी और अगर मैं ये टेन्डर न पेल पाता तो बेकार लाईफ़ हो जाती मेरी। मेरे बड़े भाई अनिल की दुल्हन गवना करके आयी थी कल ही और फ़िर मुझे अपने पड़ोस वाले कमरे में चूत के उद्घाटन समारोह की खबर भी लग चुकी थी। मैंने भाभी से मिलने की सोची, इससे पहले कि मेरा भाई उस चूत का कर देता उद्घाटन। मैने दरवाजा नाक किया तो भाभी ने थोड़ी देर लगायी दरवाजा खोलने में। जब उन्होंने खोला तो मै उन्हे देखता रह गया। क्या माल थी भाई, भरी भरी गांड, उभरी चूंचियां,सुन्हेरे बाल वाली लड़की को दुल्हन के रुप में देख कर मेरा लंड कत्थक करने लगा। मैने पैर छू कर नमस्ते किया, नमस्ते क्या किया, घुटने पर हाथ लगाया और हटाते समय उपर तक सरकाते हुए फ़ुद्दी के पास हल्का रगड़ दिया। मुझे उपर से ही उम्भ्री चूत का अंदाजा हो चुका था। उफ़्फ़, ये गोरा बदन, हरी जवानी, रात को चुदने का कार्यक्रम और फ़िर मेरा ठरकी लंड्। कुछ तो करना था बीड़ू! मैं भाभी के पास बैठ गया और शादी की फ़ोटो एलबम मांग के फ़ोटोज देखने के बहाने वही बैठा रहा। भाभी को भी बुला लिया और फ़ोटोज में कौन कौन हैं, ये पूछने लगा। भाभी को शायद कुछ प्राब्लम थी, वो अपना पिछवाड़ा कभी इधर तो कभी उधर कर रही थीं, उनसे आराम से बैठा नही जा रहा था। मैने पूछ लिया भाभी जी कोई दिक्कत है क्या? वो शरमाते सकुचाते हुए बोली नही देवर जी ऐसा कुछ नही है! मैने जोर देकर पूछा तो उन्होंने बता दिया। उनके पिछवाड़े पर एक फ़ोड़ा था जिसको वो फ़ोड़ नही पा रही थी और वो उसे बैट्ने भी नहि दे रहा था। मैने कहा लाईये मैं आपकी मदद करता हूं, वो बहुत शरमा रही थीं लेकिन मजबूरी थी, करे तो क्या करें क्योंकि आज ही रात को उनकी चूत और गांड को पानीपत की लड़ाई मेरे बड़े भाई के लौड़े के साथ खेलनी थी। मैने कहा लाइये फ़ोड़ देता हूं तो बड़े संकोच के बाद वो तैयार हुईं।

उन्होंने पलंग पर लेटकर अपनी पेटीकोट उपर चूत की तरफ़ सरकाना शुरु किया। चिकनी चिकनी पिंडलियां उघाड़ देख मेरे लंड की सन्नाहट आहिस्ता आहिस्ता बढती जा रही थी। घुटनो तक नंगी चिकनी टांगे और बिना बाल वाली चिकनी जांघे देख कर मेरा लंड पूरा ही तन चुका था। मैने अपने लोवर में अपने लंड के सुपाड़े को भींच लिया क्योंकि अभी बहुत जल्दी हो जाती। इसके बाद जैसे ही भाभी ने अपनी पेटीकोट घुटनों से उपर खींचा मेरी हालत खराब होने लगी, बस मन तो कर रहा था कि अभी शुरु हो जाउं लेकिन कंट्रोल किये हुए था। अब उसकी गांड की गोलाईयां साफ़ दिख रही थीं, और उनके मोटे साईज में अभी मैं गांड का छेद छुपा हुआ था शायद। इसके बाद उसकी दायीं गांड पर मुझे फ़ोड़ा दिख गया, अबे फ़ोड़ा क्या था फ़ुंसी थी, मच्छर के काटे के बराबर! मैने वहां अपनी गरम फ़ूंक मारी और पूछा भाभी कैसा लग रहा है, वो बोली अच्चा लग रहा है और जरा फ़ूंकिये। मैने और मुह नजदीक किया पिछवाड़े के पास और जैसे ही फ़ूंक मारने चला भाभी ने अपनी गांड जरा उपर कर दी और अनजाने मे ही मैने भाभी के चौखटे जैसी पुष्ट गांड का चुम्मा ले लिया। कहानी का मोड़ यही बदल गया, उसका स्वाद मेरे मुह लग गया। कहानी के अगले भाग-2 में पढिए कैसे मैने इस नयी नयी दुल्हन की चूत में फ़ंसी नथुनी और गांड का उद्घाटन किया और अपनी पेलू परंपरा बरकरार रखी
 
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