नई बॉस की गर्मी मिटाई

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Boss ki chut me lund de ke khush kiya - Hot sex kahani

हम सभी लोग हैरान थे की हमारे वर्टीकल में एक फीमेल को बॉस बना कर क्यूँ लाया गया है क्यूंकि यहाँ एक भी फीमेल नहीं थी और इन सब लड़कों में से कोई भी फीमेल बॉस को हैंडल करने का आदि नहीं था, खैर हमने मैनेजमेंट के आगे मुंह नहीं खोला और चुप चाप साक्षी को अपनी बॉस मान लिया. साक्षी बड़ी कड़क औरत थी या शायद उसने सोचा की अगर लड़कों को हैंडल करना है तो कड़क तो रहना ही पड़ेगा सो उसने आते ही हफ्ते भर में दो लोगों की परफॉरमेंस पर सवाल उठाया और उन दोनों लड़कों को छोड़ कर जाने को मजबूर होना पडा. मैं इस चीज़ से ख़ासा नाराज़ था क्यूंकि वो दोनों ही मेरी टीम के थे और अब मुझ पर टीम के साथ साथ अपनी जॉब जाने का भी प्रेशर था. मैं बहुत ही छोटे लेवल से प्रमोट हो हो कर, अपने डीएम पर पढाई कर कर के ऊपर तक पहुंचा था सो मैं इस तरह के छक्के पंजों से वाकिफ था ही लेकिन कुछ बोला नहीं और सही वक़्त का इंतज़ार करने लगा.

साक्षी अकसर हमारे कामों में टांग अडाती और अपनी बात पर तब तक अड़ी रहती जब तक हम उसकी बात मान नहीं लेते, एक दिन मैं साक्षी के केबिन के पास से गुज़र रहा था तो मुझे उसके चिल्लाने और फिर सिसकने की आवाज़ सुनाई दी. चिल्लाने तक तो ठीक था क्यूंकि वो उसका नार्मल बिहेवियर था लेकिन सिसकना उसकी लिस्ट में कैसे आ गया, थोड़ी सी झिझक के बाद मैं किसी बहाने से उसके केबिन में पहुंचा तो वो बिलकुल नार्मल बैठी थी लेकिन उसकी आँखों से साफ़ पता चल रहा था की वो रोई है और मैं कुछ पूछता उस से पहले ही वो अपना गोगल लगाकर बोली "आई थिंक आँखों में इन्फेक्शन हो गया है, बोल क्या काम था". मैं ढीठ की तरह कुर्सी पर बैठ गया और बोला "साक्षी आप बोले या ना बोले मैं समझ गया हूँ की कोई तो मेजर प्रोब्लम है, और अगर आप समझ नहीं पाई हैं तो मैं समझा दूँ की ये टीम एक फैमिली की तरह काम करती है और हम अपने काम से काम रखने के अलावा भी एक दुसरे से जुड़े हुए हैं".

साक्षी उस वक़्त कुछ नहीं बोली लेकिन फिर उस ने संभल कर कहा "मुदित मैं तुमसे ऑफिस के बाद्द बात करुँगी फ़िलहाल मैनेजमेंट को कुछ रिपोर्ट्स मेल करनी हैं". मैं वहां से निकल कर अपने क्यूबिकल में आ गया और शाम को निकलने के वक़्त साक्षी ने मुझसे कहा "मुदित, तुम मेरे साथ चल सकते हो कुछ डिस्कस करना है और सर के घर भी चलना है, ही मस्ट हेव कॉल्ड यू" मैंने भी उसका इशारा भांपकर कहा "यस साक्षी आई ऍम कमिंग विद यू". हम दोनों साक्षी की कर में ही वहां से निकले और थोड़ा दूर जा कर सेंट्रल पार्क की पार्किंग में साक्षी ने गाडी रोक दी और सिगरेट सुलगा ली. उसने मुझसे कहा "मुदित मैं कभी किसी से कोई पर्सनल बात शेयर नहीं करती लेकिन आज जब तुमने फैमिली वाली बात कही तो तुम पर भरोसा हुआ है थोडा पर तुम ये भरोसा तोडना मत".

मैंने उसे आश्वासन दिया की ऐसा नहीं होगा तो उसने अपनी कहानी सुनाई कि किस तरह उसके पति और उनके परिवार वालों ने उसे प्रताड़ित किया और कितनी मुश्किल से वो उस सदमे से उबरी है लेकिन तलाक़ के वक़्त उसके पति ने कोर्ट में उसका बदचलन होना साबित कर दिया था सो उसका बेटा रवि उससे छीन लिया गया. वो बिलख उठी तो मैंने उसे सहारा दिया और उसे समझाया की हर मुसीबत का एक सलूशन होता है अगर आप शांत रहो तो. उस दिन के बाद साक्षी और मैं अच्छे दोस्त बन गए थे, वो अक्सर मेरे घर आती थी मेरे माँ पापा से मिलती उनके लिए गिफ्ट्स लाती मेरी बहन का एडमिशन भी उसने अपनी जैक से करवाया था.

एक दिन साक्षी ने मुझे अपने घर बुलाया और जब मैं पहुंचा तो वो बुरी तरह शराब के नशे में थी, मैंने उसे संभाला तो उसने मुझे कहा "मुदित तुम्हरे पास हर प्रोब्लम का सलूशन है तो मेरे अकेलेपन का भी होगा ही ना" मैंने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटाया उसके लिए ओम्लेट बनाया और उसे अपने हाथों से खिलाया तो उसने मेरा मुंह चूम लिया और बोली "मेरे अकेलेपन को दूर कर दो ना मुदित". मैं उसे अपने सीने से लगा कर उसके पास लेट गया और बोला "साक्षी आपके अकेलेपन को मैं समझ सकता हूँ लेकिन आप मेरी बॉस हो" तो उसने कहा "आज से ऑफिस के बाद तुम मेरे बॉस हो" और इतना सुनकर हम दोनों एक दुसरे से कसकर लिपट गए और कुछ ही पलों में गुत्थम गुत्था हो गए.

साक्षी के अन्दर की आग इतनी तेज़ थी की उसने मेरे कपडे फटाफट उतार दियी और जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं क्यूंकि मेरा लंड एक तो बिलकुल कुंवारा था और दुसरे मैंने सिर्फ अपने काम और पढाई पर ध्यान देने की वजह से कभी सेक्स में इतना दिल लाया भी नहीं था. मेरे मोटे और लम्बे लंड को ले कर साक्षी प्यार से चूमने लगी और अपनी जीभ से मेरे लंड को सहलाने लगी, मैं बिलकुल अलग दुनिया में पहुँच चूका था और अब साक्षी के मज़े ले रहा था मेरे अन्दर का शैतान जाग उठा और मैंने साक्षी को पलंग पर पटक कर उसके पीछे सारे तकिये टिका दिए और उसकी टांगों को चौड़ी कर के अपने लंड को इतनी ज़ोर से उसकी चूत में पेला की साक्षी की चीखें निकल गयी.

साक्षी के चुचे बड़े ही भरे हुए और दुधिया थे सो उनसे मेरा ध्यान कैसे ना जाता, मैंने उसके चूचों को अपना समझकर इतना चूसा की उसकी निप्प्ल्स दर्द होने लगी और साक्षी नए चीख चीख कर पूरा बेडरूम सर पर उठा लिया था. मेरे लंड से तो उसकी हालत वैसे ही खराब थी अब ये चूचों पर मेरा हमला वो सहन नहीं कर पाई और बोली "सारी प्यास आज ही बुझाओगे क्या" मैं कहा "मेरी अपनी भी कुछ प्यास है मेरी जान और तुम जैसी सेक्सी औरत मिले तो उसका पूरा मज़ा कौन नहीं लेना चाहेगा" ये कहकर मैंने अपने धक्के तो तेज़ कर ही दिए बल्कि साथ में अपनी एक ऊँगली साक्षी की गांड में भी पेल दी जिस से वो उछल पड़ी और चिहुंकने लगी. मैं साक्षी को इस बुरी कदर से चोद रहा था की जैसे ये चूत मुझे कल तो मिलेगी ही नहीं, जबकि साक्षी चाहती थी की मैं उसे रोमांटिक स्टाइल में हौले हौले चोदुं.

बहरहाल हम दोनों जल्दी ही झड़ गए तो साक्षी नए मुझे कहा "मुदित आज तुमने वो किया है जो मेरा पति भी कभी नहीं कर पाया, लेकिन अगली बार प्लीज़ थोडा रोमांटिक सेक्स करोगे" मैंने कहा "पर मुझे तो यही अआता है" इस पर साक्षी मुस्कुराई और ओब्ली "मैं सब सिखा दूंगी, तुम बस मेरे ही रहना मैं तुम्हे निहाल कर दूंगी". हम दोनों नए अपना अपना वादा निभाया, साक्षी नए मेरा ख़याल रखा और उसका मैंने, हम अक्सर छुट्टियां मनाने बाहर चले जाते थे और अमूमन हर स्टाइल में चुदाई करते थे, अब साक्षी ऑफिस के बाकि लोगों से भी काफी शांति से बात करती थी और खुश रहती थी. मेरे लंड नए साक्षी के गुस्से और चूत दोनों की गर्मी को एक दम ठंडा कर दिया था और उसे अपने लंड की गुलाम बनाकर उससे कई काम निकलवा रहा था.
 
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