बिहार की गर्म कुंवारी चूत-2

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(Bihar Ki Garam Kunvari Chut Part-2)

आपने पहले भाग में पढ़ा कि चांदनी ने मेरे जानवर को जगा दिया था। मुझे चूत का चस्का लग गया था। चांदनी की बदौलत मुझे आज उसको चोदने का मौका मिला था।

आपको मालूम ही है कि मुझे मेरे शौक के कारण कसरत करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती थी और इसी वजह से मेरे जिस्म की ताकत और बढ़ती ही जा रही थी।

मैंने ऑपरेशन के बाद अपनी 'बॉडीवाश' करवा ली थी। जिससे मेरी बॉडी से सारा स्टेरायड बाहर निकल गया था। अब मेरे लंड में बहुत ताकत आ गई थी। मैंने लंड बड़ा करने के लिए एक देसी दवाई भी ली थी। जिससे मेरा लंड अफ्रीकन स्टाइल का हो गया है।

मैंने एक ऐसी दवा लेना भी चालू कर दिया था जिससे मेरे जिस्म ने फूलना शुरू कर दिया था। इसके कारण मेरे शरीर में फुलावट आ रही थी।

अब तो चांदनी मेरे सामने छोटी होती जा रही थी। वो नंबर वन pornstar reily Reid के जैसी छोटी लग रही थी।

एक दिन मैंने अपने खेत में कोठी की छत पर सोने का प्लान बनाया।
मुझे उस दिन खेत में काम था.. रात को खेत में पानी लगाना था।

उस दिन मौसम भी बहुत अच्छा था सुहानी हवा चल रही थी। कोठी की छत पर एक कमरा है। हमारे खेत घर के साथ है। मैंने मौसम देख कर सोचा अगर रात को दिक्कत हुई तो कोठी की छत पर जो कमरा है.. वहाँ जाकर सो जाऊँगा।

कोठी से लगा हुआ मोटर के लिए रूम है जो कि एक छोटा सा कमरा है जहाँ खेत में काम करने का सामान रखा हुआ होता है।

वैसे तो मेरे खेतों में 8 कमरे है.. मगर इस कोठी में दो कमरे नीचे थे और एक ऊपर। यह स्थान स्पेशल पार्टियों के लिए बनाया गया है। इसके पीछे एक पूल नुमा टैंक बना था.. जिसमें से खेतों को पानी जाता है।

वैसे तो आम तौर पर ये छोटा होता है.. पर ये वाला काफी बड़ा था जो कि गहराई में 3.5 फीट है। ये स्पेशल पूल पार्टी में मस्ती के लिए काम में भी आता है।
मैं एक अमीर बाप का बेटा हूँ.. तो मेरे लिए यह सब तो चलता ही है।

मैं उस दिन चांदनी को बताना भूल गया कि मैं खेत में सोने जा रहा हूँ। मैं उसे यह कह कर गया था कि मैं काम से जा रहा हूँ.. देर हो सकती है।
मुझे उसे चोदे हुए एक हफ्ता हो गया था, मूड भी चूत मारने का था।

अब तो जब भी मुठ मारने की सोचता तो चांदनी की चूत और उसकी हिदायत याद आ जाती कि अब कभी मुठ मत मारना.. मुझे याद कर लेना.. मैं तेरा सारा माल चूत और मुँह में ले लिया करूँगी।

उस दिन चांदनी का जन्मदिन था। मैंने उसको नया स्मार्ट फोन लेके दिया था, वो बहुत खुश थी।

मैं काम करने के बाद खाना खाकर सोने की सोच रहा था।

मैं खाना बाहर से ले आया था। तब सिर्फ 8:00 ही बजे थे। मेरे घर पर कुत्ते खुले रहते थे। मैं सोच रहा था.. आज फ्री हुआ था। अगर चांदनी को बता देता तो उसे इधर आने को कह देता।

मैंने छत पर जाकर घर की ओर देखा.. घर में चांदनी के कमरे की लाईट भी बन्द थी। मैंने सोचा कि उसे फ़ोन कर लूँ पर फिर मेरे मन ने कहा कि छोड़ो रहने दो.. सो गई होगी।

अब मैं भी सोने की कोशिश कर रहा था। इस वक्त 9:00 बज रहे थे। मुझे पायल की आवाज सुनाई दे रही थी। मैंने जब छत से नीचे देखा तो समझ आया कि कोई लड़की आ रही थी। उस दिन बादल होने के कारण मुझे उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था। पर यह तो पक्का था कि वो एक लड़की है।

उसके पास एक फोन था.. जिसमें भोजपुरी गाने बज रहे थे।
वो लड़की पूल के पास आई, जब उसने वहाँ जाकर लाईट जलाई तो मुझे उसका चेहरा दिखा।
वो चांदनी ही थी।

मैं तो खुश हो गया, वो वहाँ इस वक्त नहाने आई थी।

उसने कपड़े उतार दिए और पूल में मोटर से आ रहे ठन्डे पानी के नीचे नहाने के लिए बैठ गई।

जब धीरे से मैं नीचे उतरा.. तो वो पानी में एक तरफ को बैठी थी और अपने मोबाइल में ब्लू-फिल्म देख रही थी। साथ ही वो अपनी चूत में उंगली करते हुए बोल रही थी 'मैं आज दिन भर से कितने चुदाई के नए तरीके सीख रही हूँ और ये गांडू मन्नी पता नहीं कहाँ है।'

मैंने आज की रात हसीन बनाने के लिए एक योजना बनाई।

मैंने नीचे जाकर बल्ब की तार निकाल दी। उस समय तेज हवा चल रही थी।

चांदनी पानी से बाहर आई और गाली देती हुई स्विच बोर्ड की ओर आई।

उसने मोबाइल की फ़्लैश लाईट जला ली थी।

मैं कोठी की दूसरी ओर से गया और चांदनी के सारे कपड़े उठा लाया।

वो फिर से तार लगाकर पूल की तरफ आ गई।
उसे लगा कि हवा से तार निकल गई होगी।

मैं चांदनी को सजने-संवरने के लिए पैसे बहुत देता था, अब वो बिहार की कामवाली नहीं लगती थी। उसने अपने कपड़ों का ख्याल नहीं किया था।

मैंने फिर से तार निकाल दी, वह फिर से तार दोबारा लगाने आई।

बोल रही थी- साली हवा की माँ की चूत फट गई लगती है.. साली तार हिला रही है।

उसकी नंगी जवानी को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब तो देसी दवाई से पहले से और मोटा और लंबा हो गया था।
चांदनी को कुछ पता नहीं चलने वाला था क्योंकि उसे चोदे हुए एक हफ्ते से ऊपर समय हो गया था।

एक हफ्ते में मेरे लंड में देसी दवा के कारण बहुत फर्क आ गया था।

जब चांदनी इस बार पूल के पास आई.. तो मैंने उसे अंधेरे में पीछे से दबोच कर उसकी आँखों पर एक कपड़ा बांध दिया, उसके हाथ उसकी ब्रा के साथ बांध दिए, उसका मुँह उसकी पैंटी से बन्द कर दिया फिर उसके मोबाईल और उसके कपड़े व उसे उठा कर कोठी के ऊपर बने कमरे में ले गया।
मैंने कमरे की बत्ती जलाकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया।

चांदनी की मुँह से डर के मार 'सिसकी' निकल रही थी। मुझे हँसी आ रही थी। मैंने अपने मुँह पर एक कपड़ा बांध लिया ताकि मेरी आवाज बदल जाए।

फिर मैंने उसकी टांगों को चौड़ा करके बिस्तर की दोनों तरफ उसकी साड़ी फाड़ कर बांध दिया।

अब मैंने उसके मुँह से पैंटी निकाली।

वो कहती रही 'छोड़ दो.. तुम कौन हो?'

मैंने उसकी बात का जवाब नहीं दिया और अपना मूसल ब्रांड लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर टिकाया और एक ही झटके में आधा घुसेड़ दिया।

मुझे मालूम था कि उसकी चीख निकलेगी इसलिए मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर ढक्कन की तरह चिपका दिया था, उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे और वो छटपटाने लगी।

मैंने अपना मूसल कुछ पलों के लिए अन्दर ही रख कर उसके चूचों को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया।
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शायद मेरी इस आदत को वो पहचान गई थी और मेरे जिस्म को वो कई बार अपने ऊपर चढ़वा चुकी थी, सो उसे महसूस होने लगा था कि मैं मन्नी हूँ.. तब भी उसे मोटा लौड़ा इस बात को पक्का नहीं होने दे रहा था कि उसकी चूत में किसका लण्ड है।

थोड़ी देर की कसमकस के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरे लौड़े ने उसकी चूत का बजा बजाना शुरू कर दिया था।

तभी मेरे मुँह से निकला- मेरी रन्नो.. लौड़ा पसंद आया।
और वो खिलखिला पड़ी- हाय मेरे चोदू मन्नी.. भोसड़ी के तूने तो मुझे डरा ही दिया था।

बस फिर क्या था धकापेल चुदाई हुई।

उस रात में हम दोनों ने तीन बार चूत-लण्ड की लड़ाई लड़ी।

आगे इस कहानी में क्या हुआ जब उसकी शादी तय हुई और मैंने उसकी सहेलियों की कैसे ली। ये सब आपके मेल मिलने के बाद लिखूंगा।
 
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