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अब तक आपने पिछले भाग में पढा, कि मै भैया को संजू की हरकत के बारे में बता रही थी। भैया मेरे साथ थोडी छेडखानी कर रहे थे। अब आगे-

तो अब भैया ने भी अपना हाथ नीचे ले जाना शुरू कर दिया। भैया भी अब मेरे स्तनों को शर्ट के ऊपर से मुंह मे भरकर चूसना चाह रहे थे। और अपने हाथ मेरी चुत की ओर ले जा रहे थे। दूसरे हाथ से उन्होंने मुझे कसकर अपने से जकड कर रखा था। तो मै अपने आप को उनसे छुडा नही पा रही थी।

भैया ने अपना हाथ मेरी चुत पर लाकर उसे मुट्ठी में भींचने लगे। शॉर्ट के ऊपर सही मेरी चुत को सहलाने लगे। जिससे मेरी गीली हुई चुत से और पानी बहने लगा। मै भैया को अपने से दूर धकेलना चाहती थी, लेकिन भैया की बाहों से मैं खुद को आजाद नही कर पा रही थी।

मेरे न चाहते हुए भी भैया मेरे साथ यह सब कर रहे थे। तब जाकर मुझे अहसास होने लगा कि, मै बहुत बुरी तरह से फंस गई हूं।

भैया मेरे स्तनों को टॉप के ऊपर से ही मसलते हुए चूसे जा रहे थे, अब धीरे धीरे मुझे भी यह सब अच्छा लगने लगा था। और मेरे हाथ अपने आप ही भैया को अपनी ओर खींचने लगे थे। लेकिन भैया के दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था, उन्होंने मुझे खुद से अलग कर दिया और मेरे सामने खडे हो गए।

फिर मुझसे कहने लगे, "ऐसे ही किया था न संजू ने तेरे साथ?"

मुझे भैया पर गुस्सा आने लगा और हंसी भी। अब तक मुझ पर चुदास पूरी तरह से चढ चुकी थी। तो मैने भैया से कहा, "उसने तो मेरे साथ वो सब भी कर लिया, जो पति-पत्नी रात में करते है।"
तो वो कहने लगे, "इसका मतलब तूने सब कुछ कर लिया, अब तू लडकी नही रही?"

अब मुझसे और ज्यादा नाटक करते नही बन रहा था, तो मैंने भैया से सीधे कह दिया, "भैया अगर आपको कुछ करना है, तो सीधे करो यह नाटक करने की क्या जरूरत है? मै आपको किसी चीज के लिए मना थोडी न कर रही हूं।"

इस पर भैया ने सहमती दर्शाते हुए मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर मेरे होंठ चूसने लगे। होंठ चूसते चूसते वह बीच मे कभी अपनी जीभ मेरे मुंह मे डाल देते, तो कभी मेरी जीभ को अपने मुंह मे खींच लेते।

मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था, और वो भी अपने सगे भाई के साथ। तो थोडी ही देर में मेरी चुत ने यह सब सोच-सोचकर ही अपना पानी निकाल दिया। भैया के हाथ धीरे धीरे नीचे की ओर बढ रहे थे। उन्होंने अपना एक हाथ मेरी चूचियों पर टिका दिया और दूसरा हाथ नीचे ले जाकर मेरी चुत पर। अभी तक हम दोनों पूरे कपडे पहने हुए थे, हम ने एक भी कपडा शरीर से अलग नही किया था।

हमे डर था, की कहीं कोई जग ना जाए इसलिए हम सब शांती से कर रहे थे। थोडी देर चूमने चूसने के बाद जब भैया ने अपना हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसाना चाहा, तो मैंने उन्हें रोक दिया।

भैया मेरी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगे, तो मैंने उनसे कहा, "हम अभी भी हॉल में है। अगर थोडा खुलकर यह सब करना है, तो अपने रूम में चलते है।"

मेरी यह बात भैया को भी अच्छी लगी। उन्होंने जल्दी से मुझे मेरा सामान रखने में हेल्प की और फिर हम दोनों ही अपने कमरे में आ गए। कमरे में आते ही जैसे भैया पर कोई भूत सवार हो, उन्होंने मुझे पकडकर बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी जांघों पर आकर बैठ गए। वो मेरे सारे बदन को घूरते हुए देखे जा रहे थे, सर से लेकर पैरों तक।
फिर उनके हाथ मेरी कमर पर चलने लगे।

भैया ने कमर से मेरा टॉप थोडा ऊपर की ओर उठा दिया और मेरी कमर को सहलाने लगे। फिर नीचे झुककर भैया मेरी कमर पर अपनी जीभ चलाने लगे। भैया धीरे-धीरे टॉप को ऊपर खिसकाते जा रहे थे, और उसी के साथ साथ अपने होठों और जीभ से उस सारे हिस्से को चूमकर, चाटकर गिला कर देते। मुझे यह बहुत ही अजीब सा लगने लगा था। लेकिन शायद भैया को मजा आ रहा था यह सब करने में, इसीलिए मै शांत रही और उनको यह सब करने दिया।

थोडी ही देर में मेरा टॉप मेरे स्तनों तक पहुंच गया था। अब भैया के हाथ मेरे टॉप को छोडकर मेरे आमों पर आ चुके थे। भैया बहुत ही बुरी तरह से मेरे आमों को मसलते जा रहे थे, उनपर कोई रहम नही दिखा रहे थे। मै अपने आपको बहुत मुश्किल से रोक पा रही थी, लेकिन फिर भी बीच बीच मे मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही जाती थी।

भैया ने अब मेरा टॉप पूरी तरह से हटा दिया। टॉप के हटते ही भैया के सामने मेरा नंगा पेट और कमर आ गई, जिसे वो चूमते, चाटते हुए थक भी नही रहे थे।

फिर भैया ने अपना हाथ मेरी पीठ के पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हूक खोलना चाहा। लेकिन भैया शायद उसे खोल नही पा रहे थे। तो उन्होंने आखिर में मुझसे ही कहा, "मेरी प्यारी बहना, अपने भाई के लिए जरा ब्रा का हुक तो खोल दे।"

उनके इस बात पर मैने अपना हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया, लेकिन ब्रा को हटाया नही। मेरे हुक खोलते ही भैया ने उसे निकाल दिया। अब मेरे स्तन खुले थे, ब्रा से आजाद होकर वो अब मस्त हवा में झूम रहे थे। लेकिन वो ज्यादा देर तक झूम नही पाए, भाई के हाथ मे जाकर उनको कैद होना ही पडा।

भाई एक चूची को मुंह मे लेकर चूसते तो दूसरी को अपने हाथों से मसलते रहते। इस तरह से वो दोनों चूचियों पर अपना कब्जा बनाये रख रहे थे।

भैया ने अच्छे से दोनों चूचियों को चूसने के बाद फिर मेरे होठों को चाटते हुए चूमने लगे। फिर उन्होंने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी शॉर्ट खोलने की कोशिश करने लगे। लेकिन जब उनसे उसका भी बटन नही खुला तो भैया ने अपना हाथ कमर से शॉर्ट के अंदर घुसाने की कोशिश की। लेकिन भैया इस कोशिश में भी असफल रहे।

तो मैंने ही अपने हाथ नीचे ले जाकर बटन खोल दिया, और शॉर्ट को नीचे खिसका दिया। अब मै लगभग पूरी तरह नंगी बेड पर लेटी थी, और भैया अभी भी पुरे कपडों में थे।

तो मैंने भैया से कहा, "आपने मेरे तो सारे कपडे उतरवा दिए और खुद का एक भी कपडा नही उतारा।"
तो भैया ने कहा, "मैने तुझे मना थोडी किया है, तुझे मेरे कपडे उतारने है, तो तू ही उन्हें निकाल दे। मै खुद से अपने कपडे नही उतारने वाला।"

इतना बोलकर उन्होंने मेरे शॉर्ट को खींचकर मेरे पैरों से बाहर निकाल दिया। तो मैने भैया को नीचे आने के लिए कहा। अब भैया बेड पर लेटे हुए थे, और मै उनके ऊपर चढकर बैठ गई। अब कपडे उतारने की बारी मेरी थी, तो मैंने पहले भाई के सारे शरीर पर अपने हाथ घुमाकर उन्हें छेडने लगी।

उसके बाद उनके चेहरे पर अपनी एक उंगली को घुमाते हुए, उनके होठों को हल्के से काट दिया। तभी उन्होंने मेरे सर को पकडकर मुझे चूमने लगे।

भैया से अपने आप को छुडाने के बाद, मै उनकी टी-शर्ट निकालने लगी। मैने भी उनकी तरह ही टी-शर्ट ऊपर खिसकाते हुए उनके पेट पर चूमे जा रही थी। उनकी नाभी के आसपास और नीचे बहुत सारे बाल आए हुए थे, तो बस मैने वहां पर उनको नही चूमा। और बाकी सारी जगहों पर मैं उन्हें चूमते हुए ऊपर की ओर बढ रही थी। अनायास ही मेरा हाथ एक बार उनकी नाभि में चला गया, मै अपनी एक उंगली को उनकी नाभि में घुमा रही थी। और दूसरी उंगलियां उसके आसपास के बालों से छेडखानी कर रही थी।

जैसे ही मै भैया की छाती पर पहुंची, वहां पर भी उनके बाल थे। तो मैंने सीधे उनकी टी-शर्ट को निकाल दिया। पता नही क्यों, लेकिन मुझे उनके पेट और छाती पर जो बाल थे, उनसे खेलना अच्छा लगने लगा था। और मेरा हाथ भी रह-रहकर उधर की ओर ही चला जाता। फिर मैंने नीचे होते हुए उनकी लोअर का नाडा भी खोल दिया और लोअर को नीचे किये बिना उस के अंदर हाथ डाल दिया। लोअर के अंदर हाथ डालते ही मै चौंक गई, भैया ने अंदर कुछ नही पहना था।

मतलब भैया आज पुरी तैयारी से मुझे चोदने के मूड में ही आए थे। उनके लोअर में हाथ डालते ही उनका लंड मेरे हाथों में आ गया। उनका लंड बहुत मोटा सा था। इससे पहले मैने कभी असली लंड नही देखा था।

आगे की कहानी अगले भाग में लिखूंगी। आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट में जरूर बताइए। और अगर कोई मिलना चाहता हो, तो वो भी कमेंट में लिखें। धन्यवाद।
 
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