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आपने पिछले भाग में पढा, कैसे भाई ने मुझे चुदाई के लिए राजी कर लिया था। और हम दोनों अपने कमरे में नंगे एक दूसरे से लिपट कर अपना हवस भरा प्यार दिखा रहे थे। अब आगे-

अब मै चुदासी हो चली थी, और इसके चलते मै ही भाई को अपने शरीर के साथ मस्ती करने दे रही थी।

इससे पहले मैने कभी असली लंड नही देखा था। आज असली लंड देखने जा रही थी, वो भी अपने सगे भाई का। मैने भैया की लोअर में हाथ डाल दिया और उनके लंड को पकड लिया।

जैसे ही मैने उनके लंड को अपने हाथ मे लिया, वह और तनकर उछलने लगा। तो मैने उसे छोडकर अपना हाथ भैया की लोअर से निकाल दिया। मुझे उनके लंड की मोटाई से डर लगने लगा था, पता नही वह इतना मोटा सा लंड मेरी छोटी सी चुत में कैसे जाएगा।

और भैया से कहा, "आज के लिए इतना ही बाकी बाद में कभी करते है।"

तो उन्होंने कहा, "आज कर लेने दे, अब कंट्रोल नही होता। अब मना मत कर मेरी बहना रानी।"

लेकिन अब उनके मोटे लंड से अगर वो मुझे अभी चोद देंगे, तो मेरी झिल्ली फटते समय मुझे दर्द तो होना ही था। और अगर उस समय मेरे मुंह से चीख निकल गई, तो माँ और पापा जाग सकते थे। तो मैंने भैया को यही समस्या बताई, तो उन्होंने कहा, "मतलब तूने संजू के साथ कुछ नही किया। तो अभी भी कुंवारी है?"

मैने हां में अपना सर हिलाकर उन्हें चूमते हुए कहा, "जब घर पर हम दोनों के अलावा कोई नही होगा, तब हम आगे का काम करेंगे। और उसके बाद तो तुम जब चाहो हम कुछ भी कर सकते है।"

इस बात पर भैया मान गए, और मुझे फिर से चूमने लगे। उस पूरी रात भैया ने मुझे सोने नही दिया। लगातार वो मुझे चुमे जा रहे थे। बीच बीच मे काट भी लेते। उन्होंने मेरे सारे बदन पर ऐसी कोई जगह नही छोडी, जहां उन्होंने काटा न हो। और पूरी रात हम दोनों अधनंगी हालात में एक-दूसरे की बाहों में ही सोते रहे।

अगले दिन सुबह उठने के बाद सबसे पहले मैने अपने कपडे पहने और फिर भैया को जगाया। यह तो अच्छा हुआ कि, मेरे उठने से पहले माँ हमारे कमरे में नही आई। भैया ने भी उठने के बाद तुरंत कपडे पहन लिए। अब हमें बस सही मौके का इंतजार था। जब घर मे हम दोनों के अलावा और कोई ना हो, तो हमने सोचा माँ जब शाम को बाहर जाएगी, तब हम चुदाई का खेल आराम से खेल सकते है। उस पूरे दिन जब भी भैया को मौका मिलता वो कभी मेरी चूची दबा देते, तो कभी मेरी गांड सहला देते। दोपहर में जब माँ अपने कमरे में सो रही, तो उन्होंने मुझे किचन में आकर पीछे से पकड लिया था। मै तो इतना डर गई थी, कि चिल्लाने वाली ही थी, भैया ने मेरा मुंह बंद कर रखा था तो आवाज बाहर नही आ पाई।

उस दिन हम दोनों भाई बहन शाम होने का इंतजार कर रहे थे। खैर जैसे तैसे शाम हुई और माँ रोज की तरह टहलने के लिए पडोस वाली आंटी को आवाज लगाकर बाहर चली गई। उस वक्त मै अपने रूम में थी, और भैया हॉल में बैठे टीवी देख रहे थे। माँ के बाहर जाते ही वो दौडकर मेरे पास आए, और आते ही मेरे बदन को मसलना शुरू कर दिया।

आग दोनों तरफ बराबर ही लगी थी, हम एक-दूसरे के होंठ ऐसे चूस रहे थे, जैसे दोनों ही एक-दूसरे को खा जाना चाह रहे हो। जल्दी ही हमने अपने आप को कपडों से मुक्त कर दिया, क्योंकि हमारे पास ज्यादा समय था नही। तो अभी जो काम करना है, जल्दी करना था। अब हम दोनों ही नंगे एक-दूसरे की बाहों में लपेटे हुए थे। भैया के हाथ मेरे पुरे बदन पर घूम रहे थे, जिसका अहसास मुझे भी मस्त किए जा रहा था।

फिर भैया ने अपने हाथ से मेरा हाथ पकडकर उसे उनके लंड पर रख दिया। लंड पर हाथ जाते ही लंड झटके मारने लगा।

मैने बस उनके लौडे को छुआ था, अभी तक पकडा नही था, कि तभी भाई ने अपनी एक उंगली से मेरी चुत की भग्नासा को रगड दिया। जिससे अचानक मैने अपने हाथ की पकड मजबूत बना ली, और उसी समय मैने झट से भैया का लौडा अपने हाथ मे पकड लिया।

अब भैया एक हाथ से मेरी कमर को पकडे हुए थे, और दूसरे हाथ को मेरी चुत के आसपास वाले हिस्से पर घुमा रहे थे। इससे मुझमे एक अलग ही सुरसुराहट सी दौडने लगी, जिसकी वजह से मेरा शरीर में एक हलचल सी हुई।
फिर भैया ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे पैरों को फैलाकर उनके बीच मे आकर बैठ गए।

भैया ने अपने दोनों हाथों को मेरे पैरों के नीचे से डालकर अपनी हथेलियों को मेरे चुतडों पर रख दिया। अब उनकी पकड अच्छी तरह बन चुकी थी, तो उन्होंने नीचे झुककर पहले मेरी चुत को चूम लिया। उसके बाद चुत के बगल वाले हिस्से पर अपनी जीभ घुमाकर उसे पूरी तरह से गिला कर दिया। और अंत मे मेरी चुत के होठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगे।

जैसे ही भाई ने मेरी चुत के होठों को खोल दिया, और अपनी जीभ को अंदर घुसाकर मुझे जीभ से चोदने लगे। जिससे मेरी सिसकारियां निकलने लगी थी।

हमारे पास समय कम था तो मैंने भैया को रोककर अब सीधे अंदर डालने के लिए कहा। भाई को भी मेरी बात ठीक लगी, तो उन्होंने मेरी चुत को छोडकर मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया और मेरे ऊपर आ गए। मैने भैया से कंडोम के लिए पूछा तो उन्होंने कहा, जब वीर्य निकलेगा तो वह बाहर ही निकाल लेंगे। मुझे ठीक लगा तो मैंने भी ज्यादा जोर नही दिया। और ऊपर से चुदास मुझ पर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी।

मेरे ऊपर आकर भैया ने मेरा टॉप जो निकालकर बगल में रखा था, उसे लेकर मेरे मुंह मे ठूस दिया, जिससे अगर मै चिल्लाती भी हूं, तो आवाज दब जाए। टॉप को मेरे मुंह मे डालने के बाद उन्होंने एक हाथ से अपना लंड पकड लिया और उसे मेरी चुत के होठों के बीच रगडने लगे। थोडी देर लंड को चुत के होठों के बीच रगडने के बाद उन्होंने लंड को चुत के द्वार पर रखा और एक हल्का सा धक्का दे दिया।

पहला धक्का लगाते ही, भैया का लंड फिसलकर निकल गया। तो अबकी बार मैंने अपने हाथ से भैया के लौडे को चुत पर सेट किया और भाई को धक्का मारने के लिए कह दिया। अबकी बार जैसे ही भैया ने धक्का लगाया, मेरी चुत में उनके लंड का अग्रभाग ही गया था। लेकिन इतने से ही मुझे ऐसा लगने लगा जैसे किसीने मेरी चुत को चीर दिया हो, या गर्म कोई चीज अंदर डाल दी हो।

मेरा मुंह भी बंद था, तो मैं चिल्ला भी नही सकती थी। मै कितना भी मुंह खोल दूं, मेरे मुंह से बस गुँ गुँ की आवाजें निकल रही थी।

मै दर्द से मरी जा रही थी, तो मुझे लगा भैया थोडी देर के लिए रुक जाएंगे। लेकिन उन्होंने बिना रुके ही और तीन-चार धक्के मारकर अपना पूरा का पूरा लंड ही मेरी चुत में डाल दिया। उनके धक्के झेलकर मुझे लगा, मैं तो बेहोश हो जाऊंगी। जब उनका पूरा लंड मेरी चुत में चला गया तब जाकर भैया थोडी देर के लिए रुक गए। रुकने के बाद उन्होंने मेरे बदन के साथ खेलना चालू कर दिया, जिससे उनको भी मजा आने लगा और मेरा दर्द भी धीरे धीरे कम होने लगा।

मेरा दर्द कम होते ही मैने अपने हाथों को उनकी पीठ पर रख दिया और सहलाते हुए इधर उधर घुमाने लगी।
जैसे ही मेरा दर्द कम होने लगा, मुझे भी अब मजा आने लगा, और मेरी कमर भी अपने आप हिलने लगी। जैसे ही मेरी कमर हिली, भैया ने अपनी पकड बना ली और धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे।

अब इससे मुझे भी मजा आने लगा था, और मै भी भाई के हर धक्के का जवाब अपनी कमर उठाकर देने लगी। भाई शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी में थे, और उनकी इस जल्दबाजी में उन्होंने अपने हिसाब से धक्के लगाकर अपना वीर्य जल्दी ही निकाल दिया। और मै तो वैसी ही प्यासी रह गई। लेकिन इस चुदाई में मेरी झिल्ली जरूर फट गई। इसका मतलब अब मै कभी भी चुदाई कर सकती थी। जो दर्द होना था वह तो हो गया।

आगे की कहानी अगले भाग में लिखूंगी।

आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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