भाई के दोस्त की बहन मेरी गर्लफ्रेंड

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खैर जब वो लोग आए तब मैंने प्रिया को पहली बार सामने से देखा. क्या लग माल रही थी वो! मैं तो उसे देखता ही रह गया. उसने काले रंग का जीन्स और लाल रंग का टाॅप पहन रखा था. उसमें उसका 32-26-32 का फिगर गजब ढा रहा था. उसके उठे हुए मम्मे, उसकी पतली कमर, उसकी बाहर की तरफ निकली हुई गांड़, उसकी बड़ी – बड़ी आँखें, उसका खूबसूरत चेहरा कुल मिला कर वो काम की देवी लग रही थी…

हेलो दोस्तों, मैं राज सिंह रांची (झारखंड) से आप सबकी प्यासी चूतों को अपने खड़े लण्ड़ से सलाम करता हूँ. मैं 21 साल का हूँ, और मेरे लण्ड़ का साईज 8 इंच है. दोस्तों, मैं देखने में भी ठीक – ठाक हूँ. दोस्तों, मैं अन्तर्वासना की इस साईट का बहुत बड़ा फैन हूँ और मैंने इसकी लगभग सारी कहानियाँ पढ़ रखी हैं.

मुझे शुरू से ही शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं क्योंकि उनका जिस्म भरा हुआ होता है और वो चुदाई में खुल कर पूरा साथ देती हैं. वैसे तो मैंने बहुत सी चूतों का बाजा बजाया है, पर आज मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ, वो मेरी पहली चुदाई की सच्ची कहानी है.

बात आज से करीब दो साल पहले की है. मेरी बारहवीं की परीक्षा खत्म हो गई थी और मैं घर पर बैठा बोर हो रहा था. घर पर मैं कभी – कभार ब्लू फिल्में देख कर मुठ मार लिया करता था क्योंकि मेरे पास उस समय चूत का कोई जुगाड़ नहीं था.

वैसे तो चुदाई की सनक मुझे दसवीं क्लास से ही थी, और मैंने तभी से मुठ मारना शुरू कर दिया था पर अब मैं मुठ मारते – मारते थक गया था और अब मैं किसी चिकनी चूत के इन्तजार में था.

वो माच॔ का महीना था. मेरा गाँव जो कि पटना (बिहार) में है. वहाँ मेरी चचेरी बहन रिया (बदला हुआ नाम) की शादी ठीक हो गई थी और इसी महीने के आखिरी में होनी थी. धीरे – धीरे शादी का दिन भी नजदीक आ गया था और मैं भी अपने मम्मी – पापा के साथ वहाँ दस दिन पहले ही पहुँच गया था क्योंकि मेरी छुट्टियाँ चल रहीं थी इसलिए वहां जाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई.

वहां पहुंचने के बाद सब मुझे देख कर काफी खुश हुए. फिर शादी के एक सप्ताह पहले सारे मेहमान भी आने लगे. मेरा चचेरा भाई सूरज जो कि नागपुर में रहता है, वो भी आ गया. उसके साथ उसका दोस्त रवि और उसकी दो बहनें नेहा और प्रिया भी आ गई थीं.

नेहा मेरे भाई सूरज की गर्लफ्रेंड थी और प्रिया से मेरा चक्कर चलता था. वैसे उसका फोन नम्बर मुझे सूरज ने ही दिया था और मैंने फोन पर ही बात करते – करते उसे पटा लिया था पर मैंने उसे कभी देखा नहीं था. फोन पर ही लगभग एक साल तक हमारी बातें होती रही थी.

फिर एक दिन मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ, तो उसने अपनी एक फोटो सूरज को दे दी और उसे उस फ़ोटो को मुझे देने को कहा. मैंने जब उसकी फोटो देखी तो फोटो में मुझे वो कुछ खास नहीं लगीं और इसलिए फिर मैंने उससे बात करना छोड़ दिया और ये सब बातें सिर्फ मुझे और सूरज को ही पता थी। रवि इस बारे में कुछ भी नहीं जानता था. वो तो हमें अपना अच्छा दोस्त समझता था.

खैर जब वो लोग आए तब मैंने प्रिया को पहली बार सामने से देखा. क्या लग माल रही थी वो! मैं तो उसे देखता ही रह गया. उसने काले रंग का जीन्स और लाल रंग का टाॅप पहन रखा था. उसमें उसका 32-26-32 का फिगर गजब ढा रहा था. उसके उठे हुए मम्मे, उसकी पतली कमर, उसकी बाहर की तरफ निकली हुई गांड़, उसकी बड़ी – बड़ी आँखें, उसका खूबसूरत चेहरा कुल मिला कर वो काम की देवी लग रही थी.

अब मैं अपने आपको मन ही मन खूब गालियां देने लगा. मैं सोच रहा था कि आखिर मैंने ऐसी कमसिन माल को छोड़ कैसे दिया और यही सोच – सोच कर मैं बहुत पछता रहा था, पर अब मैं कुछ कर भी नहीं सकता था.

खैर, फिर सूरज ने मेरा सबसे परिचय करवाया और मैंने सबको हाय किया. लेकिन इस दौरान मैंने एक चीज नोटिस किया कि प्रिया मुझे काफी गौर से देख रही थी. चूँकि वे लोग लंबे सफर से आए थे तो काफी थके हुए थे इसलिए फ्रेश होकर नाश्ता करके सोने चले गए.

इधर मैं भी अपने दोस्तों के साथ गाँव घूमने के लिए निकल पड़ा. शाम को जब मैं वापस घर आया तब मुझे पता चला कि रवि जो नागपुर में किसी प्राईवेट कंपनी में काम करता है, उसे उसकी कंपनी से फोन आया है और उसे किसी जरूरी काम के लिए वापस जाना पड़ेगा. ये सुन कर मैं काफी दुखी हुआ.

मैंने सोचा अभी तो मैंने प्रिया से बात भी नहीं की और न ही उसे जी भर कर देखा है और अब ये लोग वापस चले जाएंगे. लेकिन मेरे घर वालों ने रवि से कहा कि अगर तुम्हें जाना है तो जाओ पर नेहा और प्रिया शादी के बाद ही वापस जाएंगी. रवि उनकी ये बात मान गया.

ये सुन कर मैं काफी खुश हुआ और मन ही मन सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ, अब मैं प्रिया से आराम से बात कर सकता हूँ और अब मुझे किसी का डर नहीं रहेगा. रवि शाम को ही नागपुर के लिए चला गया. फिर शाम में लगभग 7 बजे नाच – गाने का कार्यक्रम शुरू हुआ. जिसमें सभी औरतें और लड़कियाँ नाच – गा रही थी और हम सभी लड़के बैठ कर उन्हें देख कर मजा ले रहे थे और हँस रहे थे.

इतने मे मेरी बड़ी चाची नेहा और प्रिया को भी नाचने के लिए बुलाने लगी. फिर थोड़ी न – नुकर करने के बाद वो दोनों भी नाचने आ गई. अब मैंने गाना बदल कर ‘मुन्नी बदनाम हुई’ गाना लगा दिया. इस गाने पर दोनों बहनें क्या गजब का डाँस कर रही थी कि पूछो ही मत.

वैसे नेहा भी काफी हाॅट थी पर मैं तो प्रिया को ही ताड़ रहा था. नाचते हुए क्या गजब ढ़ा रही थी वो! उसके हिलते हुए मम्मे, मटकती हुई कमर और उसकी बाहर निकली हुई गांड़ देख कर मुझे तो लगा जैसे मैं कोई आईटम डांस देख रहा हूँ.

ये सब देख कर मेरे लण्ड़ महाराज मेरे पैंन्ट में खड़े हो गए. लेकिन फिर मैंने किसी तरह अपने आपको कन्ट्रोल किया. मैंने तभी सोच लिया था अब चाहे जो भी हो इस कमसिन कली की जवानी का रस तो मैं पीकर ही रहूँगा. कार्यक्रम रात में लगभग 11 बजे तक चला.

उसके बाद सब खाना खाकर सोने चले गए पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरी आँखों के सामने तो बस प्रिया का गदराया हुआ बदन ही घूम रहा था. मेरा तो मन कर रहा था कि अभी जाकर उसे चोद दूँ और यही सोचते – सोचते मेरा लण्ड़ फिर से खड़ा हो गया और अंत मैं मैंने जाकर मुठ मेरी और मुठ मार कर फिर सो गया.

इसके आगे क्या हुआ, वो मैं आपको कहानी के अगले भाग में बताऊँगा. अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने प्रिया की चूत की सील तोड़ी और कैसे मैंने उसकी कमसिन जवानी का मजा लिया.
 
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