Desi kahani, antarvasna: मेरे और मेरी पत्नी के बीच रिलेशन कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था और मैंने भी उससे डिवोर्स लेने की बात कही तो हम दोनों का डिवोर्स हो गया। अब हम दोनों का डिवोर्स हो चुका था मेरा जीवन काफी अकेला सा हो गया था और मैं काफी ज्यादा परेशान भी रहने लगा था लेकिन जब मेरी मुलाकात रचना के साथ हुई तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा और रचना को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगा। वह मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करती। रचना की सगाई कुछ समय पहले टूट गई थी जिसके बाद से वह काफी परेशान रहने लगी थी लेकिन हम दोनों को एक दूसरे का साथ मिल चुका था और यह मेरे लिए काफी अच्छा था। मैंने और रचना ने साथ में रहने का फैसला कर लिया था और रचना के परिवार वालों को भी इससे कोई परेशानी नहीं थी। उन लोगों ने मुझसे रचना की शादी करवाने की बात कही और कुछ समय बाद हम दोनों की शादी हो गई। मेरी और रचना की शादी हो गई थी हम दोनों अपने शादीशुदा जीवन से बहुत खुश थे मैं रचना को किसी भी प्रकार की कोई कमी महसूस नहीं होने देता और रचना को भी मेरे साथ काफी अच्छा लगता।
पापा और मम्मी का ध्यान रचना अच्छे से रखा करती थी। मेरी बहन जिसकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी उसके पति और उसके बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था वह लोग मेरी बहन को दहेज को लेकर परेशान कर रहे थे। मेरी बहन चाहती थी कि हम लोग एक बार उनके परिवार से बात करें और जब पापा मम्मी और मैं अपनी बहन के ससुराल गए तो वहां पर हम लोगों ने उनसे बात की। वह लोग चाहते थे कि हम लोग उन्हें कार गिफ्ट करें लेकिन यह संभव नहीं हो सकता था क्योंकि कुछ समय पहले ही पापा का ऑपरेशन हुआ था और हमारे पास पैसे भी नहीं थे परंतु जैसे तैसे मैंने पैसे अरेंज कर के उन्हें कार गिफ्ट की। मेरी बहन और उसके पति के बीच रिलेशन थोड़ा बहुत ठीक चलने लगा था लेकिन फिर भी उन लोगों के बीच झगड़े हो ही जाते थे। मेरी पत्नी मेरा बहुत ध्यान रखती रचना चाहती थी कि वह नौकरी करे उसके बाद रचना ने इंटरव्यू दिए और फिर वह स्कूल में जॉब करने लगी थी। हालांकि रचना इतना ज्यादा पैसे तो नहीं कमाती थी परंतु फिर भी वह मेरी आर्थिक रूप से मदद कर दिया करती। एक दिन मुझे अपने दोस्त की शादी में जाना था उसकी शादी जयपुर में थी मैंने अपने दोस्त को फोन किया और कहा कि मैं जयपुर आ रहा हूं। वह काफी ज्यादा खुश था और कहने लगा कि तुम अहमदाबाद से जयपुर के लिए कब आ रहे हो तो मैंने उसे बताया कि मैं कल ही यहां से निकल रहा हूं। मैं अगले दिन ट्रेन से जयपुर पहुंचा जब मैं अगले दिन रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो वहां पर मेरा दोस्त निखिल मुझे लेने के लिए आया हुआ था।
मैं निखिल को करीब 4 वर्षों बाद मिल रहा था और मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगा जब मैं निखिल को मिला। मैंने निखिल को उसकी शादी की बधाइयां दी और कहा कि तुमने यह बहुत ही अच्छा फैसला लिया तो वह मुझे कहने लगा कि मुझे मालूम है। उसने मुझे जब अपनी पत्नी संध्या के बारे में बताया तो मुझे काफी अच्छा लगा उसने मुझे बताया कि संध्या और वह एक ही ऑफिस में जॉब करते हैं और उन लोगों के बीच प्यार होने लगा था और उन लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया। मैंने निखिल को कहा यह तो तुमने बहुत ही अच्छा किया उसके बाद हम लोग निखिल के घर पहुंच चुके थे। जब हम लोग निखिल के घर पर पहुंचे तो वहां पर उसने मुझे अपने पापा मम्मी से मिलवाया। मैं निखिल के पापा मम्मी से पहली बार ही मिल रहा था उनसे यह मेरी पहली ही मुलाकात थी। निखिल के परिवार वालों ने मेरा काफी ध्यान रखा और निखिल की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। निखिल और संध्या पति पत्नी बन चुके थे, शादी होने के बाद मैं अहमदाबाद लौट आया था।
मैं जब अहमदाबाद लौटा तो उसके कुछ दिनों बाद ही मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया। मैं अपने ऑफिस से रिजाइन दे चुका था क्योंकि वहां पर मेरे और मेरे सीनियर के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई थी जिससे कि मुझे वहां से रिजाइन देना पड़ा। मैं ऑफिस से रिजाइन दे चुका था मैं उसके बाद दूसरी जॉब की तलाश में था लेकिन अभी तक मुझे कहीं भी जॉब मिल नहीं पाई थी। रचना इस बात से काफी परेशान थी की मुझे जॉब नही मिल पा रही है। मुझे एक महीना हो चुका था लेकिन अभी तक मुझे कोई नौकरी नहीं मिल पाई थी मैंने उस दिन अपने दोस्त को फोन किया। मैंने जब उसे फोन किया तो उसने मुझे बताया कि वह अपने ऑफिस में वह मेरी जॉब की बात कर सकता है मैंने उसे कहा ठीक है तुम मेरे लिए अपने ऑफिस में जॉब की बात कर लो। उसने अपने ऑफिस में मेरे लिए जॉब की बात की जब उसने अपने ऑफिस में मेरे लिए जॉब की बात की तो मेरी जॉब उसकी कंपनी में लग चुकी थी और मैं वहां पर जॉब करने लगा। मेरी पत्नी रचना और मेरे बीच सब कुछ अच्छे से चल रहा है और हम दोनों दूसरे के साथ बहुत खुश हैं।
जब भी मुझे मौका मिलता है तो मैं रचना को कहीं ना कहीं अपने साथ घुमाने के लिए लेकर चला जाता हूं। रचना और मैं एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हैं जिससे कि हम लोगों के बीच काफी ज्यादा प्यार है। मैं उस दिन ऑफिस से घर जल्दी लौट आया था। मै जब घर लौटा तो हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे हम दोनों को एक दूसरे से बातें करना अच्छा लग रहा था परंतु काफी दिनों से हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बने थे इसलिए मैंने उस दिन रचना से कहा आज मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं। रचना भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश हो गई और उसने मुझे कहा तुम मेरे साथ सेक्स का मन बना लो। मैंने अपने हाथों को रचना की जांघ पर रखा और उसकी जांघ को सहलाना शुरु किया। रचना की गर्मी बढ़ने लगी थी क्योंकि काफी समय हो गया था जब रचना और मैने सेक्स संबध बनाए नहीं थे। हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ही ज्यादा तड़पने लगे थे। हम दोनों की तडप बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने जब रचना के सामने अपने मोटे लंड को किया तो रचना ने उसे अपने हाथों में लिया। रचना के ने मेरे लंड को हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरु किया। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वह मेरे लंड को बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी और मेरी गर्मी को बढाए जा रही थी। मेरी गर्मी बढ चुकी थी। हम दोनो एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुके थे। मैंने रचना की चूत को चाटना शुरू किया। मैंने जब उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो वह गर्म होने लगी और उसकी तडप बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। वह मुझे कहने लगी तुमने मेरी तडप को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। मैंने रचना की योनि के अंदर अपनी उंगली को घुसाया। मैंने उसकी योनि में अपनी उंगली को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है। अब मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा था। मैं उसे जिस तेज गति से चोद रहा था उससे वह बहुत ज्यादा खुश हो गई और मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही चोदते रहो। उसने अपने पैरों के बीच में मुझे जकडना शुरू किया। जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरी तडप और भी बढ़ती जा रही थी। मैं और रचना एक दूसरे की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। रचना के अंदर से निकलते हुए गर्मी अब कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुकी थी। उसकी चूत के अंदर मैने अपने माल को गिरा दिया और उसकी इच्छा को पूरा किया। उसकी इच्छा पूरी हो चुकी थी और मेरी इच्छा भी पूरी हो चुकी थी परंतु हम दोनों एक दूसरे के साथ दोबारा से सेक्स संबंध बनाना चाहते थे और हम दोनों ने दोबारा से एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध स्थापित किए।
मैंने रचना की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया। मेरा लंड रचना की चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ जा चुका था वह बहुत तेजी से चिल्लाने लगी थी उसकी सिसकारियां बहुत तेज होने लगी थी। मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था रचना और मुझे इतना ज्यादा मजा आने लगा था कि हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स करने वाले थे। मैंने रचना के दोनों पैरों को खोल रहा था रचना की योनि से अभी भी पानी टपक रहा था और वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर बहुत तेजी से धक्के दिए जिससे कि मेरा माल रचना की चूत के अंदर ही गिर गया। वह मुझे कहने लगी मै तुम्हारे लंड को अपने मुंह मे ले लूं। मैंने उसे कहा हां तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी तो मुझे मजा आ रहा था। रचना मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी को तुम बस ऐसे ही बढ़ाते जाओ। मैंने रचना की योनि को चाटना शुरू कर दिया। मैं रचना की चूत को चाट रहा था तो उसको बड़ा ही आनंद आ रहा था और उसकी गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया। मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को प्रवेश करवाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मुझे मजा आ गया है। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आ रहा है मैंने उसकी योनि के अंदर वीर्य की पिचकारी मारकर अपनी इच्छा पूरी कर ली। हम दोनों ने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई का मजा लिया और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा जिस प्रकार से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे लिए थे और अपनी रात को रंगीन बना दिया था।
पापा और मम्मी का ध्यान रचना अच्छे से रखा करती थी। मेरी बहन जिसकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी उसके पति और उसके बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था वह लोग मेरी बहन को दहेज को लेकर परेशान कर रहे थे। मेरी बहन चाहती थी कि हम लोग एक बार उनके परिवार से बात करें और जब पापा मम्मी और मैं अपनी बहन के ससुराल गए तो वहां पर हम लोगों ने उनसे बात की। वह लोग चाहते थे कि हम लोग उन्हें कार गिफ्ट करें लेकिन यह संभव नहीं हो सकता था क्योंकि कुछ समय पहले ही पापा का ऑपरेशन हुआ था और हमारे पास पैसे भी नहीं थे परंतु जैसे तैसे मैंने पैसे अरेंज कर के उन्हें कार गिफ्ट की। मेरी बहन और उसके पति के बीच रिलेशन थोड़ा बहुत ठीक चलने लगा था लेकिन फिर भी उन लोगों के बीच झगड़े हो ही जाते थे। मेरी पत्नी मेरा बहुत ध्यान रखती रचना चाहती थी कि वह नौकरी करे उसके बाद रचना ने इंटरव्यू दिए और फिर वह स्कूल में जॉब करने लगी थी। हालांकि रचना इतना ज्यादा पैसे तो नहीं कमाती थी परंतु फिर भी वह मेरी आर्थिक रूप से मदद कर दिया करती। एक दिन मुझे अपने दोस्त की शादी में जाना था उसकी शादी जयपुर में थी मैंने अपने दोस्त को फोन किया और कहा कि मैं जयपुर आ रहा हूं। वह काफी ज्यादा खुश था और कहने लगा कि तुम अहमदाबाद से जयपुर के लिए कब आ रहे हो तो मैंने उसे बताया कि मैं कल ही यहां से निकल रहा हूं। मैं अगले दिन ट्रेन से जयपुर पहुंचा जब मैं अगले दिन रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो वहां पर मेरा दोस्त निखिल मुझे लेने के लिए आया हुआ था।
मैं निखिल को करीब 4 वर्षों बाद मिल रहा था और मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगा जब मैं निखिल को मिला। मैंने निखिल को उसकी शादी की बधाइयां दी और कहा कि तुमने यह बहुत ही अच्छा फैसला लिया तो वह मुझे कहने लगा कि मुझे मालूम है। उसने मुझे जब अपनी पत्नी संध्या के बारे में बताया तो मुझे काफी अच्छा लगा उसने मुझे बताया कि संध्या और वह एक ही ऑफिस में जॉब करते हैं और उन लोगों के बीच प्यार होने लगा था और उन लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया। मैंने निखिल को कहा यह तो तुमने बहुत ही अच्छा किया उसके बाद हम लोग निखिल के घर पहुंच चुके थे। जब हम लोग निखिल के घर पर पहुंचे तो वहां पर उसने मुझे अपने पापा मम्मी से मिलवाया। मैं निखिल के पापा मम्मी से पहली बार ही मिल रहा था उनसे यह मेरी पहली ही मुलाकात थी। निखिल के परिवार वालों ने मेरा काफी ध्यान रखा और निखिल की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। निखिल और संध्या पति पत्नी बन चुके थे, शादी होने के बाद मैं अहमदाबाद लौट आया था।
मैं जब अहमदाबाद लौटा तो उसके कुछ दिनों बाद ही मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया। मैं अपने ऑफिस से रिजाइन दे चुका था क्योंकि वहां पर मेरे और मेरे सीनियर के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई थी जिससे कि मुझे वहां से रिजाइन देना पड़ा। मैं ऑफिस से रिजाइन दे चुका था मैं उसके बाद दूसरी जॉब की तलाश में था लेकिन अभी तक मुझे कहीं भी जॉब मिल नहीं पाई थी। रचना इस बात से काफी परेशान थी की मुझे जॉब नही मिल पा रही है। मुझे एक महीना हो चुका था लेकिन अभी तक मुझे कोई नौकरी नहीं मिल पाई थी मैंने उस दिन अपने दोस्त को फोन किया। मैंने जब उसे फोन किया तो उसने मुझे बताया कि वह अपने ऑफिस में वह मेरी जॉब की बात कर सकता है मैंने उसे कहा ठीक है तुम मेरे लिए अपने ऑफिस में जॉब की बात कर लो। उसने अपने ऑफिस में मेरे लिए जॉब की बात की जब उसने अपने ऑफिस में मेरे लिए जॉब की बात की तो मेरी जॉब उसकी कंपनी में लग चुकी थी और मैं वहां पर जॉब करने लगा। मेरी पत्नी रचना और मेरे बीच सब कुछ अच्छे से चल रहा है और हम दोनों दूसरे के साथ बहुत खुश हैं।
जब भी मुझे मौका मिलता है तो मैं रचना को कहीं ना कहीं अपने साथ घुमाने के लिए लेकर चला जाता हूं। रचना और मैं एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हैं जिससे कि हम लोगों के बीच काफी ज्यादा प्यार है। मैं उस दिन ऑफिस से घर जल्दी लौट आया था। मै जब घर लौटा तो हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे हम दोनों को एक दूसरे से बातें करना अच्छा लग रहा था परंतु काफी दिनों से हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बने थे इसलिए मैंने उस दिन रचना से कहा आज मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं। रचना भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश हो गई और उसने मुझे कहा तुम मेरे साथ सेक्स का मन बना लो। मैंने अपने हाथों को रचना की जांघ पर रखा और उसकी जांघ को सहलाना शुरु किया। रचना की गर्मी बढ़ने लगी थी क्योंकि काफी समय हो गया था जब रचना और मैने सेक्स संबध बनाए नहीं थे। हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ही ज्यादा तड़पने लगे थे। हम दोनों की तडप बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने जब रचना के सामने अपने मोटे लंड को किया तो रचना ने उसे अपने हाथों में लिया। रचना के ने मेरे लंड को हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरु किया। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वह मेरे लंड को बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी और मेरी गर्मी को बढाए जा रही थी। मेरी गर्मी बढ चुकी थी। हम दोनो एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुके थे। मैंने रचना की चूत को चाटना शुरू किया। मैंने जब उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो वह गर्म होने लगी और उसकी तडप बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। वह मुझे कहने लगी तुमने मेरी तडप को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। मैंने रचना की योनि के अंदर अपनी उंगली को घुसाया। मैंने उसकी योनि में अपनी उंगली को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है। अब मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा था। मैं उसे जिस तेज गति से चोद रहा था उससे वह बहुत ज्यादा खुश हो गई और मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही चोदते रहो। उसने अपने पैरों के बीच में मुझे जकडना शुरू किया। जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरी तडप और भी बढ़ती जा रही थी। मैं और रचना एक दूसरे की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। रचना के अंदर से निकलते हुए गर्मी अब कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुकी थी। उसकी चूत के अंदर मैने अपने माल को गिरा दिया और उसकी इच्छा को पूरा किया। उसकी इच्छा पूरी हो चुकी थी और मेरी इच्छा भी पूरी हो चुकी थी परंतु हम दोनों एक दूसरे के साथ दोबारा से सेक्स संबंध बनाना चाहते थे और हम दोनों ने दोबारा से एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध स्थापित किए।
मैंने रचना की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया। मेरा लंड रचना की चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ जा चुका था वह बहुत तेजी से चिल्लाने लगी थी उसकी सिसकारियां बहुत तेज होने लगी थी। मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था रचना और मुझे इतना ज्यादा मजा आने लगा था कि हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स करने वाले थे। मैंने रचना के दोनों पैरों को खोल रहा था रचना की योनि से अभी भी पानी टपक रहा था और वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर बहुत तेजी से धक्के दिए जिससे कि मेरा माल रचना की चूत के अंदर ही गिर गया। वह मुझे कहने लगी मै तुम्हारे लंड को अपने मुंह मे ले लूं। मैंने उसे कहा हां तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी तो मुझे मजा आ रहा था। रचना मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी को तुम बस ऐसे ही बढ़ाते जाओ। मैंने रचना की योनि को चाटना शुरू कर दिया। मैं रचना की चूत को चाट रहा था तो उसको बड़ा ही आनंद आ रहा था और उसकी गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया। मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को प्रवेश करवाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मुझे मजा आ गया है। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आ रहा है मैंने उसकी योनि के अंदर वीर्य की पिचकारी मारकर अपनी इच्छा पूरी कर ली। हम दोनों ने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई का मजा लिया और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा जिस प्रकार से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे लिए थे और अपनी रात को रंगीन बना दिया था।